ईश प्राणीधान क्या होता है???
पतंजलि महाराज ने अष्टांग योग के नियम के अंतर्गत चौथा उपांग ईश प्राणिधान बताया है। इस क्लिप में इस पर चर्चा की गई है वैसे मैंने इस पर विस्तृत लेख भी लिखा है आप लोग मेरे ब्लॉग पर देख सकते। freedhyan.blogspot.com
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अंतर्मुखी होने में कौन सी विधि हमको उचित रहेगी यह जानना हमको बहुत आवश्यक है। योग हेतु दो प्रकार की विधियां होती है जिसमें षष्टांग, सप्तांग और अष्टांग विधियां होती हैं। दूसरी उपासना विधि होती है जिसमें नवधा भक्ति आती है। यह नवधा भक्ति हमें मार्ग में प्रेमाश्रु और राम रस के कारण आनंद देती है और इसका मार्ग बहुत ही अधिक रस भरा होता है।
वैसे आप मेरे ब्लाग पर जाकर तमाम जानकारियां जो आपको शायद कहीं न मिलें अथवा अनुत्तरित हों वह मिल जायेगीं।
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योग की ओर बढ़ने के लिए सबसे पहले आपको अंतर्मुखी होना होगा। इसके लिए हठयोग में अष्टांग योग या सप्तांग योग या षष्टांग योग है। उपासना में नवधा भक्ति है।
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जानें योग के सही अर्थ। पेट फुलाना पिचकाना या छलांग मारना योग नहीं।
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