Tuesday, September 15, 2020

आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 24 राम कथा, लोकेशानंद का स्थाई सतंम्भ

 आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 24

राम कथा, लोकेशानंद का स्थाई सतंम्भ

+91 91114 28882: मित्रों ,इस रविवार 5 अप्रैल को, हम सबको मिलकर, कोरोना के संकट के अंधकार को चुनौती देनी है, उसे प्रकाश की ताकत का परिचय कराना है। रात नौ बजे घर की सभी लाइट्स बंद करके दीपक, मोम बत्ती या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाएं। इस अंधकारमय कोरोना संकट को पराजित करने के लिए, हमें प्रकाश के तेज को चारो दिशाओं में फैलाना है।

 इस रविवार 5 अप्रैल को, हम सबको मिलकर, कोरोना के संकट के अंधकार को चुनौती देनी है, उसे प्रकाश की ताकत का परिचय कराना है। 5 अप्रैल को हमें, 130 करोड़ देशवासियों की महाशक्ति का जागरण करना है। घर की सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे पर या बालकनी में, खड़े रहकर, 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं और उस समय यदि घर की सभी लाइटें बंद करेंगे। चारों तरफ जब हर व्यक्ति एक-एक दीया जलाएगा, तब प्रकाश की उस महाशक्ति का ऐहसास होगा, जिसमें एक ही मकसद से हम सब लड़ रहे हैं, ये उजागर होगा।

उस प्रकाश में, उस रोशनी में, उस उजाले में, हम अपने मन में ये संकल्प करें कि हम अकेले नहीं हैं, कोई भी अकेला नहीं है। 130 करोड़ देशवासी, एक ही संकल्प के साथ कृतसंकल्प हैं।

मेरी एक और प्रार्थना है कि इस आयोजन के समय किसी को भी, कहीं पर भी इकट्ठा नहीं होना है। रास्तों में, गलियों या मोहल्लों में नहीं जाना है, अपने घर के दरवाजे, बालकनी से ही इसे करना है।

Social Distancing की लक्ष्मण रेखा को कभी भी लांघना नहीं है। Social Distancing को किसी भी हालत में तोड़ना नहीं है। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है।

हमारे यहां कहा गया है- उत्साहो बलवान् आर्य, न अस्ति उत्साह परम् बलम्। स उत्साहस्य लोकेषु, न किंचित् अपि दुर्लभम्॥ यानि, हमारे उत्साह, हमारी  आत्मा से बड़ी फोर्स दुनिया में कोई दूसरी नहीं है।

Bhakt Gaurav Agrawal Ngp:

थाल पिट बदनाम भये , सारे आदम जात ।

तबलिगी दानव भयो , अब मासुम जमात ।।

अबौ समझ मे आत है , किट कौ रहमानी ।

रामचंद्र के भक्त करे , इलाज रामबाणि ।।

मात्रिक गल्ति के लिये क्षमा 🙏🏼

A kanbihari: Very good suggestions n useful for all Indians.Kanbehari Agrawal

साथियो मेरा एक सुझाव भी हैं। इस नौ मिनट जब हम सब रौशनी करेंगे तब हम  महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और अंत में तीन बार गायत्री मंत्र के साथ समापन करें।  सभी से आग्रह है कि आप सब ऐसा करें और अन्य ग्रुप में फारवर्ड करें ये मैसेज ताकि एक सामूहिक उर्जा और चेतना के निर्माण से सकारात्मकता की ऊर्जा का प्रवाह हो।

सहमत हों तो कृपया अपना मत यहाँ लिखें।🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Bhakt Jagat Bhatt Bhav Nagar: भारत होगा निहाल सृष्टि की स्थिर होगी चाल

के फिर से राम आयेंगे दुष्टों से पार लगाएंगे

मेरे राम आयेंगे तेरे राम आयेंगे हमारे राम आयेंगे

बीच मझधार फंसा है मनुष्य सब तर जाएंगे

प्रभु राम आयेंगे प्रभु राम आयेंगे

सबसे पहले दीप आराधना उसके बाद स्वास्तिक की आराधना और उसके बाद अर्थ वेद के लिए मंत्रों द्वारा रोग नाश के हवन की सूक्तियां।

यह कर्म रात्रि 9:00 बजे के लिए सर्वोत्तम रहेगा।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Bhakt Jagat Bhatt Bhav Nagar: विनम्र अनुरोध"

1 नहीं 2 दीये जलाईयेगा एक PM के निर्देशन वाला और दूसरा हमारे PM की दीर्घायु की कामना हेतु,

"मेरा PM मेरा अभिमान

Bhakt Amit Singh Parmar Meditation, Gwalior: 9 दीपक जलाने है भईया

Pramod Jain Book: फैल रहा था जब विष जग में,

शिव तुमने  विष का पान किया।

बचा लिया अस्तित्व जगत का,

विष्णु सृष्टि का मान किया।

आज पुनः आ पड़ी विपत्ति है,

आकर विष संधान करो,

चीन देश के इस विषाणु से,

विश्व पटल का त्राण हरो।

हे प्रभु आप शिव है, कल्याणकारी है, आप ही की कृपा से मानव मात्र इस जगत में  अपनी जीवन यात्रा पूर्ण करता है,, प्रभु आज के   इस मानव से हुई भूलों को अज्ञानी समझ कर क्षमा करे।

सभी को सुस्वास्थ्य प्रदान कीजिए प्रभु।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।

।।विश्व का कल्याण  हो।।

Bhakt Anil Kumar: बहुत उत्तम काम

 Hb 96 A A Dwivedi: बहुत ही सुन्दर दृश्य रहा हमारे यहां नवी मुंबई में छोटे बड़े सभी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और एकता कि भावना पैदा कर दी।।

राष्ट्रीय नेता और हम लोगों के नायक मोदीजी को कोटि कोटि नमन ईश्वर उन्हें दिरध आयु दे और देश को स्वास्थ्य आदि प्रापत हो।

जय हिन्द

जय गुरुदेव😊👏🙏🌹

घर पर जलाया दिया इस आरती के साथ

घर के बाहर गेट पर जलाया दिया।

Ba Kuldeep Yadav Ref Nu: आध्यात्म चर्चा में राजनीतिक संदेश न प्रेषित किये जाने चाहिए.....

Bhakt Jagat Bhatt Bhav Nagar: जी क्षमा👏🕉

Bhakt Lokeshanand Swami: <Media omitted>

भगवान गुरूजी से आज्ञा लेकर, लक्ष्मणजी को जनकपुर दिखाने निकले, तो जनकपुर में हलचल मच गई।

कईं सखियाँ घरबार का कामधंधा छोड़ कर भगवान को देखने गलियों में निकल आईं, जो घर नहीं छोड़ सकती थीं, उन्होंने अपने बालकों को भगवान की ओर दौड़ा दिया, और स्वयं अपने घर के झरोखों से आ लगीं।

सुंदर संकेत यह कि जो संसार की जिम्मेदारियों से मुक्त हैं, वे तो समर्पित हो ही जाएँ, पर जिन पर अभी जिम्मेदारी है, वे अपने घर में रहते हुए ही, अपने मन रूपी पुत्र को भगवान में लगा, इन्द्रियों रूपी खिड़कियों से भगवान का दर्शन लाभ लिया करें।

अब भगवान का सौंदर्य इतना है कि उन पर जिसकी दृष्टि पड़ती है वह लौटती नहीं। भगवान पर ही अटक कर रह जाती है, फिर भटकती नहीं।

संकेत यह कि उसी की दृष्टि भटकती है, जिसकी दृष्टि संसार में अटकती है। और संसार में उसी की दृष्टि अटकती है, जिसकी दृष्टि में अभी भगवान नहीं आए।

भगवान दृष्टि में आ जाएँ तो इन्द्रियाँ संसार कि ओर बहना ही छोड़ दें। जिसे जगदीश मिल गए, उसे जगत में कुछ मिलना बाकी नहीं रहा।

सखियों ने तो भगवान को देखा सो देखा, अब चाहती हैं कि भगवान भी हमारी ओर देखें। पर न तो भगवान ही देखते हैं, न लक्ष्मणजी को ही देखने देते हैं। दोनों नजर उठा कर नहीं चलते, झुका कर चलते हैं।

लक्ष्मणजी ने पूछा कि आप उन्हें देखते क्यों नहीं? रामजी कहते हैं, लक्ष्मण! मुझे देखने में एतराज नहीं, सिर उठाने में एतराज है। भूलो मत, यह सीताजी का नगर है, भक्ति का नगर है। भक्ति के नगर में तो सिर झुका हुआ ही रहना चाहिए।

लोकेशानन्द का मत है कि जिस रास्ते पर भगवान का भी सिर झुका रहता हो, वहाँ हम सिर उठाकर, अपने को "कुछ" समझकर, अहं में फूलकर चलें, यह शोभा नहीं देता।

"कईं तेज राह भटक गए,

कईं सुस्त हो गए लापता।

जो माँ के चरणों में झुक गए,

उन्हें आके मंजिल ने पा लिया॥"

Hb 87 lokesh k verma bel banglore:

*कान्तारे वनदुर्गेषु कृच्छ्रास्वापत्सु सम्भ्रमे ।*

*उद्यतेषु च शस्त्रेषु नास्ति सत्त्ववतां भयम्।।*

निर्भय एवं निडर मनुष्य किसी भी प्रकार की मुश्किलों से नहीं घबराता, चाहे व मार्ग मे कोई विपत्ति हो या  हथियार ले कोई मारने  आ रहा हो अथवा उद्योग की उन्नति के मार्ग मे असफलता हो। अतः निर्भय बने।

A fearless man is not afraid of a dense forest, a difficult path, a terrible misfortune, of turmoil or seeing a weapon raised to attack him.

*शुभोदयम्! लोकेश कुमार वर्मा Lokesh Kumar Verma*

Hb 96 A A Dwivedi: बढ़िया लेख👏😊🌹🙏

Bhakt Anil Kumar: पता नहीं क्यों सर ,आपसे उलझने का मन होता है,हिसाब बकाया है कभी का

Bhakt Parv Mittal Hariyana: अथ श्रीगुरुगीता...

श्री गुरो: परमं रूपम्, विवेक चक्षुषोमृतं।

मंदभाग्या न पश्यन्ति अंधा: सूर्योदयं यथा।।49।।

अर्थ: श्री गुरु के परम् अमृतमय स्वरूप का बोध व विवेक चक्षु द्वारा ही हो सकता है। (विवेक भी गुरु कृपा से प्राप्त होता है) विवेकहीन व्यक्ति, उस अमृतमय परम् स्वरूप को देखने में असमर्थ नही हो सकते, जैसे अन्धव्यक्ति को सूर्य दर्शन असम्भव है, इसी कारण उन्हें मन्द भागी कहा गया है।

व्याख्या: गुरु का स्वरूप यहाँ परम् कहा गया है, परम् का अर्थ परे है अर्थात माया से परे। जिसमें जगत का अथवा जगत की कामना व वासना का समावेश नही होता। श्रीगुरु मायातीत, गुणातीत निराकार एवं अव्यक्त है दूसरे शब्दों में कहे तो, परब्रह्म परमात्मा ही गुरु है। उसी की शक्ति जब किसी मनुष्य शरीर मे अवतरित, जागृत एवं प्रकाशित होती है तो गुरु कहलाती है। गुरु के इस परम् अमृतमय स्वरूप के दर्शन करने के लिये शुद्ध चित्त एवं चित्त एवं विवेक चक्षुओ की आवश्यकता होती है, जो चक्षु, गुरुकृपा से ही प्राप्त होते है। गुरु शक्ति वासनाओं, विकारों, अविद्या आदि पंच क्लेशों को, क्रिया शक्ति के माध्यम से दूर हटाती है। साधक का अपना विवेक केवल बौद्धिक होता है, गुरुदेव द्वारा प्रदत्त विवेक अनुभव युक्त होने के कारण श्रेष्ट है।

यहाँ विवेकहीन व्यक्तियों की उपमा अंध व्यक्तियों से देकर विवेक को सूर्य की उपमा देकर समझाने का प्रयास किया गया है कि, जैसे अंध व्यक्ति को सूर्य के प्रकाश का ज्ञान नही होता, उसी प्रकार विवेकहीन व्यक्ति गुरुदेव के परम अमृतमय रूप के दर्शन करने में असमर्थ होता है। यहाँ एक उदारहण द्वारा विषय को और स्पष्ट किया जा रहा है जैसे चमगादड़ और उल्लू नेत्र होते हुए भी दिन के प्रकाश को देखने मे असमर्थ होते है, वैसे ही बिना विवेक के गुरु के परम् अमृतमय स्वरूप को समझना भी अशक्य है।

Bhakt Suresh Pachkula: धन्य है भारत भूमि धन्य यहां रिश्तों की मर्यादा🙏 यहां छोटा भाई अपने बड़े भाई की भार्या के गहनों को तक नहीं पहचाना क्योंकि उसने भाभी के चरणों‌ की केवल वंदना की इसलिए पैरों के आभूषण ही पहचान पाये‌ ।

धन्य हो लक्ष्मण भैया आप इस धरती का गौरव हो हमेंशा रहोगे 🙏

जो दुष्ट रावण को महान मानते हैं वहीं इस सनातन के सबसे बड़े शत्रु रहे हैं

Pramod Jain Book: सभी मित्रों को महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

Bhakt Delip Parik Fb: अध्यात्मिक अनुभव की प्रथम कङी क्या होता है

Bhakt Vijay Ji Mumbai Ref Jagat Bhatt: आध्यात्मिक अनुभव की प्रथम कड़ी उस अनुभव में आस्था करना और उस अनुभव के साधनों में तत्परतापूर्वक लगना।

+91 98990 98189: निर्विकार हो जाना, पर दोष अन्वेषण से मुक्त हो जाना, जीव मात्र के लिए दया, करुणा, प्रेम का प्रादुर्भाव होना। ये सब  सहजता की ओर ले चलने का प्रयास है। सहज होना ही प्रथम कड़ी होना चाहिए।

हरि शरणं


यक्ष कार्य

मित्रों कल भारत के अतिरिक्त कई देशों ने रात्रि 9:00 बजे दिए जलाए और माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी की बात पर अमल किया।

Bhakt Shyam Sunder Mishra: मिशन हिंदु राष्टृ हमारा संकल्प है - इस ग्रुप से जुड़कर आपके हम सबके सपने को साकार बनाने अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें।

साथ ही आपके हमारे इस अभियान को शक्ति प्रदान करने हेतु अपने ज्यादा से ज्यादा मित्रों,सहयोगियों को जोडे।

वंदे मातरम।।भारत माता की जय।।।

 मिशन हिंदु राष्टृ हमारा संकल्प है - इस ग्रुप से जुड़कर आपके हम सबके सपने को साकार बनाने अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें।

साथ ही आपके हमारे इस अभियान को शक्ति प्रदान करने हेतु अपने ज्यादा से ज्यादा मित्रों,सहयोगियों को जोडे।

वंदे मातरम।।भारत माता की जय।।।

दिल्ली के भीड़भाड़ भरे निजामउद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मुख्यालय से निकाले गए हजारों लोगों में इंडोनेशिया, मलेशिया,बंगला देश,कजाकिस्तान,किर्गिस्तान आदि देशों के नागरिकों का होना भारतीय समाज की आंखें खोलने वाली घटना है.......जमात ने तो भारत की पीठ पर वार किया है।

जमात तो भारत को इस तरह का घाव देना चाह रहा था ताकि भारत कभी उबर ही न सके।

अब इस आशंका को तो ठोस आधार मिल चुका है कि तबलीगी जमात के विदेशी कार्यकर्ता भारत को कोरोना वायरस से भयंकर रूप से संक्रमित करना चाह रहे थे। यानी वे भारत की एक बड़ी आबादी को कोरोना का शिकार बनाकर यहां पर इस्लामिक देश बनाने का सपने की नीव रखना चाह रहे थे।

मोटा-मोटी तबलीगी जमात का लक्ष्य तो भारत के मुसलमानों को कट्टरपंथी बनाने और गैर-मुसलमानों को इस्लाम से जोड़ना ही है। यह तो कहने की बातें हैं कि तबलीगी जमात के लोग मुसलमानों को बेहतर मुसलमान बनाने के मार्ग पर लेकर जाते हैं। राजधानी की तबलीगी जमात में शामिल हुए हजारों लोगों में से 441 में कोरोना के सक्रिय लक्षण मिले है। जरा सोचिए कि इन्होंने कितने हजारों या लाखों लोगों को कोरोना का शिकार बनाने का काम कर ही दिया होगा या न पता चलता तो कितनो को संक्रमित कर देते... इनकी देश और मानवता विरोधी करतूतों के कारण ही भारत सरकार और शांति प्रिय भारतीय बहुसंख्यक समाज सकते में है। चिंता की एक बड़ी वजह यह भी है क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस का कोई इलाज ही नहीं मिल पाया है।

बताते हैं कि हरियाणा के नूंह में 1927 में शुरू हुई तबलीगी जमात की स्थापना की गई थी। हरियाणा के मेवात भाग में लाखों लोगों ने इस्लाम धर्म में जबरन शामिल किये जाने के बाद भी अपनी हिन्दू परंपराओं और रीति-रिवाजों को छोड़ा नहीं था। तबलीगी जमात उन्हीं लोगों को इस्लाम से और करीबी से जोड़ने में लगी थी। हालांकि हरियाणा के मुसलमान अब भी सामान्यतः हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों से जुड़े हुए हैं। उनमें विवाह के वक्त अब भी वर-वधू पक्ष अपने हिन्दू धर्म के गौत्र पूछता है। यानी मुसलमान बनने के बाद भी वे हिन्दू ही रहे,पर अपनी स्थापना के बाद से तबलीगी जमात का मकसद बदलता गया। अब ये प्रकट रूप में भले ही न सही,पर नेपथ्य में गैर-मुसलमानों को मुसलमान बनाने के अभियान में ही जुटा हैं। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है। लव जिहाद इसी के शातिर षड्यंत्र की उपज है।

 तबलीगी जमात बीते सौ साल से तमाम इंसान को ही एक रंग और रुप में ढालने में लगा हुआ है। ये भाईचारे के लिए एकरंगी होने को जरुरी बताते हैं। एक ही रंग और रुप में अनवरत सबको रंगे जा रहे हैं। अब कहीं जाकर पकड़ में आए हैं...अब इनकी पोल पट्टी खुल गई है...अब तो इन्हें कतई छोड़ा नहीं जाएगा...कम से कम अमित शाह के गृह मंत्री और अजीत डोभाल के सुरक्षा सलाहकार रहते यह तो सम्भव नहीं दिखता....!

कहते है कि तबलीगी जमात आज दुनिया के दो सौ देशों में फैली है। संगठित तरीके से देश विदेश के कोने कोने पर कब्ज़ा करके इस्लामिक राष्ट्र बनाने के ख्वाब पाले हैं। इन्हें लगता है कि भारत और इजरार्इल पर इस्लाम का परचम फहराना सबसे जरूरी है। इन दोनों देशों में इस्लाम को मानने वाले तो हैं, लेकिन इस्लाम का वर्चस्व स्थापित होने की कोई संभावना नहीं दिखती है। अगर बात भारत की करे तो ये तबलीगी जमात वाले देश के दूर-दराज के सुदूर इलाकों में जाकर सीधे सरल लोगों से कहते हैं कि वे कलमा पढ़कर इस्लाम से जुड़े और मुसलमान बन जाएं नहीं तो मरने के बाद जहुन्नम में जलने के लिए तैयार रहे। इसके विपरीत इस्लाम में तो मौत के बाद भी एक शानदार जिंदगी इंतजार कर रही है। उस दुनिया में मौज ही मौज है। तबलीग जमात के कार्यकर्ता गावों में जाकर प्रचार करते हैं कि भारत में बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार इस्लामी क़ानून शरीयत को लागू करने से दूर होगा न कि काफिरों के क़ानून से। अब सरकार को तबलीगी जमात के खर्चों की पड़ताल करनी होगी कि ये इतना लंबा-चौड़ा संगठन ये कैसे चलाते हैं? इन्हें कहां से मदद मिलती है?


अगर भारत में तलबीगी जमात गैर-मुसलमानों को इस्लाम से जोड़ना चाहता है तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में यह शरीयत के हिसाब से देश की शासन व्यवस्था को चलाने की मांग करता है। गिरगिट जैसा रंग बदलता रहता है यह जमात...अब इन्हीं की करतूतों के कारण पाकिस्तान में भी कोरोना तेजी से फैल रहा है। पाकिस्तानी सरकार भी यह कह रही है । इन्होंने पाकिस्ता‍न में भी कहर बरपा कर रखा है। पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत में अब तक इससे जुड़े करीब दर्जनों केस आ चुके हैं। तबलीगी जमात ने पाकिस्तान की पंजाब सरकार की बात को नजरअंदाज करते हुए अपना सम्मेलन किया। यानी ये हर जगह अपना जंगलीपन दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं। तो किया क्या जाए?

अब तो एक बात शीशे की तरफ से साफ होती जा रही है कि कोरोना वायरस पर विजय पाने के लिये भारत सरकार को इन मानवता के दुश्मनों पर कठोरता से चाबुक चलानी ही होगी।

यह सच है कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को अपने धर्म को मानने और उसके प्रचार-प्रसार की अनुमति तो जरूर देता है...यहां तक सब वाजिब भी है...पर भारत का संविधान किसी को भारत में रहकर उसकी जडें खोदने का अधिकार तो नहीं देता। लेकिन, तबलीगी जमात यही तो कर रहा है। वे कहाँ किसी संवैधानिक सरकार की बात मानने को राजी हैं । क्या इसे माफ किया जा सकता है?....कतई नहीं...!!

यह भी देखे- कोरोना को गांवों तक पहुंचने से रोकना होगा

तबलीगियों ने सब कुछ जानते हुए भी जिस तरह की अक्षम्य हरकत की है, उसे माफ करने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। अब इस मसले पर देश भर में बहस हो रही है तो कुछ प्रगतिशील यह कहने से बाज नहीं आ रहे कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को हिन्दू- मुसलमान का रंग दिया जा रहा है....इसका क्या मतलब है....यानी ये लोग तबलीगी जमात को कहीं ना कहीं बचाने की फिराक में हैं...सवाल उठता है कि क्या सारे मुस्लमान तबलीगी हैं? हरगिज नहीं....लेकिन जो तबलीगी नही है वो फिर चुप क्यों हैं...क्यो विरोध नही कर रहे हैं..?

इस सारी बहस के दौरान हर्ष मंदर, राणा अयूब, कन्हैया जैसे प्रगतिशील और मौजूदा एनडीए सरकार पर हर मसले पर वार करने वाले फ़िलहाल तो नदारद है।

जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी( जेएनयू) बिरादरी शुरू मे कूद फांद की,किंतु मामले की गंभीरता देख कर अब वो भी कहीं दिखाई नहीं दे रही।

क्या इन्हें तबलीगी जमात की हरकत के लिए उसे आड़े हाथों नहीं लेना चाहिए था??

पर अगर ये इस तरह का कोई कदम उठाते तो इनकी प्रगतिशीलता खतरे में ना पड़ जाती। यहां पर मैं मुसलमानों के मिडिल क्लास से भी सवाल करना चाहता हूं कि वे तबलीगी जमात के खिलाफ क्यों नहीं आवाज बुलंद करते...मात्र कुछ शिया नेताओं मे से बहुतों ने निंदा नहीं की...जबकि इन्हें तबलीगी जमात के देश को अंधकार युग में ले जाने के खिलाफ पहले से ही मोर्चा संभाल लेना चाहिए था...लेकिन उन्होंने इस अवसर को खो दिया...वे हमेशा की तरह से अपने को विक्टिम मोड में ही रख रहे हैं...उन्हें भी इतिहास माफ नहीं करेगा...इतिहास तो देश के विपक्ष को भी माफ नही करेगा जिसने इतने नाजुक मौके पर भी तुष्टीकरण की घृणित राजनीति करना नही छोड़ा है.....!

साभार श्री आर.के. सिन्हा

(लेखक वरिष्ठ संपादक एवं स्तंभकार हैं )

Hb 96 A A Dwivedi: इस प्रकार की बातें करने के लिए यह समुह बनाया नहीं गया है

संज्ञान लिया जाए और भविष्य में ऐसा दुबारा न करें

मानव शरीर में रहकर ही विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ते हुए आतमरुप को प्रापत करने की कोशिश एकमात्र उद्देश्य है।।

न कोई जाति है न कोई धर्म

सिर कटवाना पड़ता है और उसके लिए कमजोर होने पर पतन की शुरुआत हो जाती है। सबकुछ हमारे भीतर ही मौजूद हैं

संज्ञान लिया है

Bhakt Lokeshanand Swami: जनकपुर घूमते हुए बहुत समय हो गया, रामजी कहते हैं- भाई! बहुत समय हो गया, गुरूजी ने कहा था कि जल्दी आ जाना, चलें! भवन को लौट चलें। गुरूजी का संध्या करने का समय हो रहा है, उनके नियम में बाधा न आए।

भगवान गुरुभक्ति का अनुपम उदाहरण रखते हैं। गुरूजी की आज्ञा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए, अनुशासन भंग नहीं होना चाहिए।

साधकों के लिए रामजी के दो सूत्र हैं-

"मोते अधिक गुरुहिं जिय जानि।"

"मोते अधिक संत करि लेखा॥"

रामजी कहते हैं, गुरूजी तो मुझसे भी बड़े हैं। उनकी सब प्रकार की सेवा, मेरी सेवा से भी बढ़कर है। उनकी खुशी में मेरी खुशी है। तुम भी उनको मुझसे अधिक मानो।

उससे बड़ा अभागा कौन है जो संत के सामने पड़ने पर भी, बिना समर्पण किए ही, मौत कि ओर दौड़ा चला जा रहा है। वह तो व्यर्थ ही पैदा हुआ।

दिन छिपा, तो दोनों भाई गुरूजी के चरण दबाने लगे। थोड़ी ही सेवा से प्रसन्न होकर, गुरूजी ने आज्ञा दी कि जाओ, विश्राम करो! दोनों भाई शयनकक्ष में आए। अब लक्ष्मणजी रामजी के चरण दबाने लगे।

कुछ ही समय बीता कि रामजी कहते हैं- लक्ष्मण! सो जाओ।

पर रामजी के इशारे से चलने वाले लक्ष्मणजी आज चरण छोड़ते नहीं। रामजी ने दोबारा तिबारा कहा, तो लक्ष्मणजी फ़फ़ककर रो पड़े। कहते हैं कि आज मैं पूरी रात इन चरणों की सेवा करना चाहता हूँ।

रामजी कहें कि रोज ही तो सेवा करते हो, आज कौन सी विशेष बात है? तो उत्तर देते हैं, भगवान! कल इन चरणों की मालिक आ जाएँगी, माँ आ जाएँगी,  मालूम नहीं फिर इनकी सेवा मिलेगी या नहीं।

रामजी की आँखें भर आईं, बोले- लक्ष्मण! तुम जैसा कोई नहीं भाई!

जिस दिन आपका मन भी ऐसे ही गुरू और भगवान रुपी लक्ष्य पर टिक गया, आप भी लक्ष्मण हो जाओगे।

अब विडियो देखें- भगवान के चरणों की सेवा

https://youtu.be/6GRVkDcA8Vw

Hb 87 lokesh k verma bel banglore: 🕉07.04.2020 मंगलवार🌹

*दारिद्रय नाशनम् दानम् , शीलम् दुर्गति नाशनम्  ।*

*अज्ञान नाशनि पाज्ञा , भावना भय नाशिनी ।।*

परमार्थ दारिद्रय समाप्त करता हैं , मधुर व्यवहार परेशानियों मे सहयोग करता है।  ज्ञान अज्ञानता को दूर करती है वहीं आस्था भय से मुक्ति देती है ।

The charity destroys poverty. Good behaviour keeps troubles away. The wishdom washes away ignorance & stupidity. Devotion to God expells fear.

*शुभोदयम !लोकेश कुमार वर्मा Lokesh Kumar Verma*

Bhakt Richa Delhi Ref Direct: चाहे कोई कितना भी ललकारे, बाहर आने का नहीं!

कल बाली घर से निकला और मारा गया...


#रामायण

😂

Vipul Sen: <Media omitted>

मास्क की जगह पर आप ने अंडरवियर खरीदें उनका मास्क बहुत सुंदर मस्त बनता है और उनको आसानी से आप सुबह शाम धो भी सकते हैं।

😄😄

Bhakt Anil Vibhute Thane Dir: प्रभू आप भी

कभी कभी हसी मजाक भी करना चाहिए

जिंदगी आसान बन जाती है

Bhakt Lokeshanand Swami: "समय जानि गुरू आयसु पाई।

लेन प्रसून चले दोऊ भाई॥"

इधर रामजी वाटिका में पहुँचे, उधर से सीताजी भी आई हैं।

सीताजी से एक सखी ने निवेदन किया कि जानकीजी, आप यहीं रहें, मैं कुछ पुष्प ले आऊँ।

वह इधर आई तो उसे भगवान का दर्शन हो गया, वापिस जाकर सीताजी को बताया। सीताजी कहती हैं कि सखी हमें भी दर्शन करा दो। सखी ने कहा, क्यों नहीं, आएँ मेरे संग। सीताजी सखी के पीछे पीछे चलीं और रामजी का दर्शन पा लिया।

संत ही सखी है, जो भगवान को पाना चाहे वह संत का संग करे, संत के पीछे पीछे चले। वो मार्ग जानते हैं, उन्हें दर्शन प्राप्त है, वही करा भी सकते हैं।

यह घटना अघहन माह की है। अघ माने पाप, हन माने नाश, पाप का नाश हो तो दर्शन हों। सीताजी यहाँ पलक नहीं झपकतीं, चरणों में वृत्ति टिक गई।

इधर रामजी सुमन तोड़ रहे हैं, सर्दी का मौसम है, सुबह का समय है, पर माथे पर पसीने की बूंदें चमक रही हैं।

कोई कहने लगी, इन्हें तो सुमन तोड़ने में ही पसीना आ रहा है, ये धनुष क्या तोड़ेंगे? लक्ष्मणजी ने सुना तो रामजी की ओर देखा, रामजी की आँखें भीग आईं।

कहते हैं, लक्ष्मण! ये सुमन मुझसे कहते हैं कि भगवान हमें अपने हाथों से तोड़ लो, हमारा खिलना सफल हो जाएगा। नहीं तो मुरझाकर गिरना ही है। मुझे सुमन तोड़ने में पसीना आ गया, क्योंकि ये सुमन हैं ना! सु-मन, सुंदर मन। सुंदर मन तोड़ने में संकोच तो होगा ही।

आप भी अपना मन सुमन बना कर भगवान के चरणों में समर्पित कर दें। टूटना तो उसे वैसे भी है, पर टूटकर मिट्टी में मिलने से अच्छा है कि भगवान ही उसे तोड़कर, अपने हाथ पर के दोना में रख लें।

दोना, माने दो ना। तब वहाँ द्वैत नहीं होगा, दुख नहीं होगा।

अब विडियो देखें- पुष्प वाटिका

https://youtu.be/MgQfwCprRCU

Bhakt Shivaji Mahant Raigarh Chaatisgarh: *नासे रोग ,हरे सब पिरा*

*जपत निरंतर हनुमंत बिरा*

*🙏जयहनुमान🙏*

*आप सभी को हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनायें*

Bhakt Lokeshanand Swami: एक बार की बात है, बल्ख़ बुखारा के बादशाह इब्राहिम इब्न अधम ने एक दास खरीदा।

बादशाह ने अपने द्वारा खरीदे गए उस दास से पूछा- तेरा नाम क्या है?

दास- जहाँपनाह! दास का कोई नाम नहीं है। जिस नाम से आप बुलाएँ, वही मेरा नाम है।

बादशाह- तूँ क्या खाता है?

दास- बादशाह सलामत! दास कुछ ख़्वाहिश नहीं रखता। जो आप खिलाएँगे, वही मैं खाऊँगा।

बादशाह- अच्छा यह बता कि तूँ क्या पहनेगा?

दास- हुज़ूर! दास तो दास है। जो आप पहनाएँगे, यह दास वही पहनेगा।

बादशाह- तूँ काम क्या करेगा?

दास- मालिक! आपका हुकुम बजाना ही मेरा काम है। जो आप करवाएँगे, मैं वही करूँगा।

आलमपनाह! जब मैं बिक ही गया, जब आप मेरे मालिक हो गए, तब मैं आपका गुलाम ही हो गया। तो आपकी मर्ज़ी से अलग मेरी मर्ज़ी ही क्या रही?

अब आप की मर्जी ही मेरी मर्जी है।

उस दास की इतनी बात सुन कर बादशाह बेहोश हो कर गिर गया।

होश में आया तो रोते हुए बोला- तूँ एक आम आदमी हो कर भी अपने मालिक को मालिक जानता है। मैं बादशाह कहलाता हूँ, पर हाय! मैं भूल गया कि मैं भी किसी मालिक का बंदा हूँ।

न तो मैं उसे ठीक से पहचान ही पाया। न ही अपना सेवक होने का फर्ज ही निभा सका। तूने मेरी आँखें खोल दी।

तेरा बहुत बहुत शुक्रिया, तूने बड़ा रहम किया। तूँ मेरा दास नहीं, तूँ तो मेरा उस्ताद है।

लोकेशानन्द यह कहानी पढ़कर, अपने स्वामी, अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक आनन्दकंद भगवान श्री रामचन्द्र जी महाराज को याद करता है।

Bhakt Parv Mittal Hariyana: हे अंजनी पुत्र, हे केसरी के लाल, हे पवन पुत्र हे माता सीता के प्यारे। मैं अपना ह्रदय आपके चरणों मे समर्पित करता हूं। मैं श्री हनुमान की शरण मे हूं।

आप वेद वेदांगों, श्रुतियों और ब्रह्म को जानने वाले है आप राघवेंद्र के ह्रदय में सदा निवासित है। हे शिव के अंस से उतपन्न पवनपुत्र, मैं आपकी शरण मे हूं।

स्वर्ण समान आपके केश है और जंगल मे उतपन्न पुष्पो के हार आप पर सुशोभित है। आपकी वक्षस्थल (छाती) पर परम् सुंदर राम नाम अंकित है। आपके सुंदर गौर रंग पर आपके नेत्र अतीव कांतिमय है। हे श्री राम के दूत मैं आपकी शरण मे हूं।

आपके दन्तावली मोतियों के समान उज्ज्वल है और उसपर मुछ अत्यंत शोभायमान है, आप तेज, बल और सुंदर वाणी के अद्भुत मिश्रण हो। आपको राम के बिना चेन नही मिलता। ऐसे राम भक्त की मैं शरण मे हूं।

आपने पीली धोती धारण की हुई है और उसपर मुंज से बना जनेऊ शोभायमान है, आपके दोनों हाथों में मंजीरे बज रहे है। आप अत्यंत सुंदर सुमधुर वाणी में राम नाम का गाण कर रहे है। हे भक्तो के सिरमौर मैं आपकी शरण मे हूं।

राम नाम मे सारा जगत रमा है श्री हनुमत भी उसी राम रस में सराबोर है। लेकिन आपने तो अपने शरीर को भी स्वामी को चिरायु का प्रतीक सिंदूर से रंग लिया है। हे राम के पुत्र मैं आपकी शरण मे हूं।

हे सूर्य भगवान के शिष्य आप मेरी विनती सुनिये। आप मेरे ह्रदय से बुरे विचारों को समाप्त कीजिये, ताकि मैं मेरे स्वामी सांवल को प्राप्त कर सकूं। हे हनुमान मैं आपकी शरण मे हूं


आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 2 5

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