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एक दिया राम नाम का
एक दिया राम नाम का
कवि विपुल लखनवी नवी मुंबई।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
पावन दिवस आज है आया। रामलला ने स्थल पाया।।
वर्षों तक हम देख सके न। आक्रांता को तोल सके न।।
पंच सदियां बीत गई हैं। राम नाम को खुलकर गाएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
बच्चा बच्चा बोल रहा है। मिशरी कानों में घोल रहा है।।
गली मोहल्ले आज सजे हैं। हम भी अपने घर को सजाएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
मोल बहुत इस पल का है। वीर शहीदों के बल का है।।
सत्य सनातन का पौरुष है। ताल ठोक अब आगे आएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
दास विपुल यह विनती करता। राम नाम ही कर्ता-भरता।।
राम नाम का भजन करें हम। पूरे विश्व को आज दिखाएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
कलम विपुल की जय बोलेगी। राम नाम महिमा डोलेगी।।
सत्य सनातन दुनिया छाए। यही प्रयास हम करते जाएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
कवि विपुल लखनवी नवी मुंबई।
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