Tuesday, May 1, 2018

साधक के पतन के कारण



साधक के पतन के कारण



विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल वैज्ञनिक ISSN 2456-4818
 वेब:   vipkavi.info , वेब चैनल:  vipkavi
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               प्रायः मनुष्य आध्यात्म में तनिक भी अनुभव करता है कि वह अपने को ज्ञानी और श्रेष्ठ समझ कर उपदेश आरम्भ कर देता है कोई कोई तो गुरु बनने के प्रति इतना लालायित होता है कि वह लोगो को चेला बनने के लिए सांकेतिक रूप में कहने लगता है। 

              खुदा न खास्ता यदि किसी को कुछ अन्य अनुभूतिया जैसे योग का अहम ब्रम्हास्मि या दर्शन का अनुभव हो तो कहने ही क्या। नाम पद लालसा अपने ज्ञान का प्रदर्शन करने की इच्छा बलवती हो जाती है। चलो यह भी ठीक है कम से कम सनातन का प्रचार ही सही। किंतु दुःख तब होता है या यूं कहो हंसी तब आती है जब बिना गुरू परम्परा के गुरू बन बैठते है । अपने नाम के आगे बिना विधि विधान से मिले नाम या पट्ट जैसे स्वामी योगीराज परमहंस ज्ञानदेव सिध्द गुरू इत्यादि लगाने लगते है। 

           एक तो अपने ग्रुप के सदस्य तो कही शिवोहम कहीं योगी पता नही क्या क्या खुद ही लगा बैठे। लोग उनको जानते है। इसे कहते है छुद्र नदी भर चल उतराई। इन चक्करों में पड़ कर मनुष्य अपने वास्तविक उत्थान को खो देता है। इनमे लिप्त होकर पतन की ओर अग्रसर होता है और फिर समाज मे निंदा का कारण बन जाता है।

             अतः समाज मे मूर्खो की भांति रहो यह तुम्हारी निजी संपत्ति है। जब तक गुरू का प्रभु का आदेश न हो अपने को जग जाहिर मत करो। अपनी साधना और मन्त्र जप में लगे रहो। वो ही तुम्हे ईश के निराकार स्वरूप के स्वतः दर्शन करवा देगा। यह मेरा विश्वास है।

              मजा तो तब आता है कल के बच्चे ज्ञानियों वाले पोस्ट गुड़ मार्निग और गुड इवनिंग के बिना अर्थ जाने पोस्ट कर देते है। मेरे इंजेनियरिंग कालेज के बच्चे जो मेरी बेटी से भी छोटे होंगे। उनके उपदेशात्मक पोस्ट रोज मिलते है। कम से कम मेरे लिए तो यह किसी काम के नही। कोई समझता नही अपनी फोटो या इतनी बिट्स के पोस्ट कर कितना अधिक योगदान पर्यावरण प्रदूषण में दे रहा है।

"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  देवीदास विपुल 
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