Thursday, August 22, 2019

क्या, कब और कैसे है जन्माष्टमी 2019

 

क्या, कब और कैसे है जन्माष्टमी 2019

 सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"


 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,

 

हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाए, व्रत कब किया जाए, इसे लेकर पंचांग भेद हैं। कुछ पंचांग में 23 अगस्त को और कुछ में 24 अगस्त को जन्माष्टमी की तिथि बताई गई है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और 23 अगस्त को ये दोनों योग रहेंगे। जबकि श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।


स्मार्त संप्रदाय के मंदिरों में, साधु-संन्यासी, शैव संप्रदाय शुक्रवार यानी 23 अगस्त को, जबकि वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में शनिवार यानी 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। स्मार्त संप्रदाय यानी जो लोग पंचदेवों की पूजा करते हैं। शैव संप्रदाय वाले शिवजी को प्रमुख मानते हैं। विष्णु के उपासक या विष्णु के अवतारों को मानने वाले वैष्णव कहलाते हैं। जन्माष्टमी को लेकर पंचांग भेद है, क्योंकि 23 अगस्त को उदया तिथि में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा, 24 अगस्त को अष्टमी तिथि नहीं है। श्रीकृष्ण का जन्म इन्हीं दोनों योग में हुआ था।

 

23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने के तर्क


भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था। शुक्रवार, 23 अगस्त को अष्टमी तिथि रहेगी और इसी तारीख की रात में 11.56 बजे से रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा, इस वजह से 23 अगस्त की रात जन्माष्टमी मनाना ज्यादा शुभ रहेगा। भक्तों को 23 अगस्त को ही श्रीकृष्ण के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करना चाहिए। अष्टमी तिथि 24 अगस्त को सूर्योदय काल में रहेगी, लेकिन दिन में तिथि बदल जाएगी। ये दिन अष्टमी-नवमी तिथि से युक्त रहेगा। इसलिए 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना उचित नहीं होगा।

 

उज्जैन के गोपाल मंदिर में 23 अगस्त की रात मनेगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव


उज्जैन के प्राचीन गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर्व 23 अगस्त की रात 12 बजे मनाया जाएगा। पुजारी अर्पित जोशी के अनुसार 24 अगस्त को नंद उत्सव मनेगा। पूरे दिन भजन-कीर्तन और अन्य कार्यक्रम होंगे।

 

मथुरा में 24 अगस्त को मनाई जाएगी जन्माष्टमी


श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में इस साल 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। 24 तारीख को ही यहां के सभी मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनेगा। इस संबंध में मथुरा के ज्योतिषियों का मानना है कि 24 अगस्त को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा। इस वजह से 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा।

 

जन्माष्टमी पर क्या करें

व्रत-पूजन कैसे करें 
1. उपवास की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

2. उपवास के दिन प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएंं।
3. पश्चात सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें।

4. इसके बाद जल, फल, कुश और गंध लेकर संकल्प करें-


ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥


5. अब मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें।

6. तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
7. मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अथवा ऐसे भाव हो।

8. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें।

पूजन में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः लेना चाहिए।

9. फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें-


'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।'
 

10. अंत में प्रसाद वितरण कर भजन-कीर्तन करते हुए रतजगा करें।


नहीं तो इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद में श्रीकृष्ण के मंदिर जाएं और मोर पंख चढ़ाएं। भगवान श्रीकृष्ण को पीले वस्त्र चढ़ाएं। मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जाप 108 बार करें। दक्षिणावर्ती शंख से लड्डू गोपाल का अभिषेक करें। गौमाता की सेवा करें। किसी गौशाला में धन का और हरी घास का दान करें।

 

MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
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