Thursday, August 8, 2019

ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन क्या है???

ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन क्या है??? 

 

सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
वैज्ञानिक अधिकारी, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
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http://azaadbharat.org के अनुसार भगवान बुध्द के जैसी दिखने वाली एक मूर्ति बनाई गई है जो बच्चा को गोद में लेकर बैठे है, वे वास्तव में मैरी की है जिसे जापान के क्रिप्टो-क्रिस्चियन पूजते थे। ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन क्या है? ग्रीक भाषा मे क्रिप्टो शब्द का अर्थ हुआ छुपा हुआ या गुप्त; क्रिप्टो-क्रिस्चियन (crypto-christian) का अर्थ हुआ गुप्त-ईसाई। इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि क्रिप्टो-क्रिस्चियन कोई गाली या नकारात्मक शब्द नहीं हैं।


लखनऊ में कई जगह पर हिंदू रीति रिवाजों यहां तक भगवा वस्त्र पहुंच कर हवन तक नकली करते किंन्तु गले में क्रास लटकाकर भंडारा कर प्रसाद तक बांटा जाता है।


आखिर यह है क्या ??

क्रिप्टो-क्रिस्चियानिटी ईसाई धर्म की एक संस्थागत प्रैक्टिस है। क्रिप्टो-क्रिस्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिस्चियन जिस देश में अल्पसंख्यक होते है वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते है, वहाँ का धर्म, रिवाज मानते हैं जो कि उनका छद्मावरण होता है, पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रसार करते रहते है। विकीपीडिया के अनुसार : गुप्त इसाइयत या (क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी) ईसाई धर्म का एक गुप्त व्यवहार है। इसमें इसाई जिस देश मे रहते हैं वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते हैं, वहाँ का धर्म मानते हैं पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहते हैं। अन्य धर्मों के शासकों या समाज द्वारा ईसाई धर्मावलंवियों के लिए खतरा उत्पन्न किए जाने की स्थिति में यह व्यवहार अपनाया गया। जब क्रिप्टो क्रिश्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहते हैं। जब वे अधिक संख्या में हो जाते हैं तो प्रकट रूप से ईसाई धर्म को मानने लगते हैं। हॉलिवुड फिल्म 'अगोरा' (2009) में गुप्त इसाइयत को दिखाया गया है।


ग्रीक भाषा मे क्रिप्टो शब्द का अर्थ हुआ छुपा हुआ या गुप्त। क्रिप्टो क्रिश्चियन * का अर्थ हुआ गुप्त-ईसाई। इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि क्रिप्टो-क्रिश्चियन कोई गाली या नकारात्मक शब्द नहीं हैं। क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी ईसाई धर्म की एक संस्थागत प्रैक्टिस है। क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिश्चियन जिस देश मे रहतें है वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते हैं, वहाँ का धर्म मानतें हैं जो कि उनका छद्मावरण होता है; पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहतें है।


क्रिप्टो क्रिश्चियन का सबसे पहला उदाहरण रोमन सामाज्य में मिलता है जब ईसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे। तत्काल महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा समझा और जितने रोमन ईसाई बने थे उनके सामने प्रस्ताव रखा कि या तो वे ईसाईयत छोड़ें या मृत्यु-दंड भुगतें। रोमन ईसाईयों ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोड़ने का नाटक किया और उसके बाद ऊपर से वे रोमन देवी देवताओं की पूजा करते रहे, पर अंदर से ईसाईयत को मानते थे।


पर, क्रिप्टो क्रिश्चियन, मुसलमानों जैसी हिंसा नहीं करते। जब क्रिप्टो क्रिश्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहतें है जैसा कि और जब अधिक संख्या में हो जातें तो उन्ही देवी-देवताओं का अपमान करने लगतें हैं। Hollywood की मशहूर फिल्म Agora(2009)** हर हिन्दू को देखनी चाहिए। इसमें दिखाया है कि जब क्रिप्टो क्रिश्चियन रोम में संख्या में अधिक हुए तब उन्होंने रोमन देवी-देवताओं का अपमान करना शुरू कर दिया। वर्तमान में भारत मे भी क्रिप्टो क्रिश्चियन ने पकड़ बनानी शुरू की तो यहाँ भी हिन्दू देवी-देवताओं, ब्राह्मणों को गाली देने का काम शुरू कर दिया। मतलब, जो काम यूरोप में 2000 साल पहले हुआ वह भारत मे आज हो रहा है। हाल में प्रोफेसर केदार मंडल द्वारा देवी दुर्गा को वेश्या कहा जो कि दूसरी सदी के रोम की याद दिलाता है।


क्रिप्टो-क्रिश्चियन के बहुत से उदाहरण हैं पर सबसे रोचक उदाहरण जापान से है। मिशनिरियों का तथाकथित-संत ज़ेवियर जो भारत आया था वह 1550 में धर्मान्तरण के लिए जापान गया और उसने कई बौद्धों को ईसाई बनाया। 1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन (Shogun) ने ईसाई धर्म का प्रचार जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा समझा। शोगुन ने बल का प्रयोग किया और कई चर्चो को तोड़ा गया। जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ दी गईं। बाईबल समेत ईसाई धर्म की कई किताबें खुलेआम जलायीं गईं। जितने जापानियों ने ईसाई धर्म अपना लिया था उनको प्रताड़ित किया गया। उनकी बलपूर्वक बुद्ध धर्म मे घर वापसी कराई गई। जिन्होंने मना किया, उनके सर काट दिए गए। कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म मे घर वापसी का नाटक किया और क्रिप्टो-क्रिश्चियन बने रहे। जापान में इन क्रिप्टो-क्रिश्चियन को “काकूरे-क्रिश्चियन***” कहा गया।


काकूरे-क्रिश्चियन ने बौद्धों के डर से ईसाई धर्म से संबधित कोई भी किताब रखनी बन्द कर दी। जीसस और मैरी की पूजा करने के लिए इन्होंने प्रार्थना बनायी जो सुनने में बौद्ध मंत्र लगती पर इसमें बाइबल के शब्द होते थे। ये ईसाई प्रार्थनाएँ काकूरे-क्रिश्चियनों ने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित करनी शुरू कर दी। 1550 से ले कर अगले 400 सालों तक काकूरे-क्रिश्चियन बौद्ध धर्म के छद्मावरण में रहे। 20वीं शताब्दी में जब जापान औद्योगिकीकरण की तरफ बढ़ा और बौद्धों के धार्मिक कट्टरवाद में कमी आई तो इन काकूरे-क्रिश्चियन बौद्ध धर्म के मुखौटे से बाहर निकल अपनी ईसाई पहचान उजागर की।


क्रिप्टो क्रिश्चियन बुद्ध के जैसी दिखने वाली मूर्ति, जो वास्तव में मदर मैरी की है, इसे जापान के क्रिप्टो-क्रिश्चियन पूजते थे।


केवल रोमन साम्राज्य और जापान में ही क्रिप्टो क्रिश्चियनों के उदाहरण नहीं मिलते बल्कि बालकंस व एशिया माइनर, मध्यपूर्व, सोवियत रशिया, चाइना, नाज़ी जर्मनी समेत भारत में भी क्रिप्टो क्रिश्चियनों की बहुतायत है। जैसे जापान के क्रिप्टो क्रिश्चियन काकूरे कहलाते हैं वैसे ही एशिया माइनर के देशों सर्बिया में द्रोवर्तस्वो, साइप्रस में पत्सलोई, अल्बानिया में लारामनोई, लेबनान में क्रिप्टो मरोनाईट व इजिप्ट में क्रिप्टो कोप्ट्स कहलाते हैं।


भारत मे ऐसे बहुत से काकूरे-क्रिश्चियन हैं जो सेक्युलरवाद, वामपंथ और बौद्ध धर्म का मुखौटा पहन कर हमारे बीच हैं। भारत मे ईसाई आबादी आधिकारिक रूप से 2 करोड़ है और अचंभे की बात नहीं होगी अगर भारत मे 10 करोड़ ईसाई निकलें। अकेले पंजाब में अनुमानित ईसाई आबादी 10 प्रतिशत से ऊपर है। पंजाब के कई ईसाई, सिख धर्म के छद्मावरण में है, पगड़ी पहनतें है, दाड़ी, कृपाण, कड़ा भी पहनतें हैं पर सिख धर्म को मानते हैं पर ये सभी गुप्त-ईसाई हैं।


बहुत से क्रिप्टो-क्रिश्चियन आरक्षण लेने के लिए हिन्दू नाम रखे हैं। इनमें कइयों के नाम राम, कृष्ण, शिव, दुर्गा आदि भगवानों पर होते हैं। जिन्हें संघ के लोग भी सपने में गैर-हिन्दू नहीं समझ सकते जैसे कि पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन। जो जिंदगी भर दलित बन के मलाई खाता रहा और जब मरने पर ईसाई धर्म के अनुसार दफनाने की प्रक्रिया देखी तो समझ मे आया कि ये क्रिप्टो-क्रिश्चियन है। देश मे ऐसे बहुत से क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं जो हिन्दू नामों में हिन्दू धर्म पर हमला करके सिर्फ वेटिकन का एजेंडा बढ़ा रहें हैं।


हम रोजमर्रा की ज़िंदगी मे हर दिन क्रिप्टो-क्रिश्चियनों को देखते हैं पर उन्हें समझ नहीं पाते क्योंकि वे हिन्दू नामों के छद्मावरण में छुपे रहतें हैं।


जैसे कि–


    श्री राम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेसी नेता अम्बिका सोनी क्रिप्टो क्रिश्चियन है।

    NDTV का अधिकतर स्टाफ क्रिप्टो-क्रिश्चियन है।


हिन्दू नामों वाले नक्सली जिन्होंने स्वामी लक्ष्मणानन्द को मारा, वे क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।


    गौरी लंकेश, जो ब्राह्मणों को केरला से बाहर उठा कर फेंकने का चित्र अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लगाए थी, क्रिप्टो क्रिश्चियन थी।

    JNU में भारत के टुकड़े करने के नारे लगाने वाले और फिर उनके ऊपर भारत सरकार द्वारा कार्यवाही को ब्राह्मणवादी अत्याचार बताने वाले वामी नहीं, क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

    फेसबुक पर ब्राह्मणों को गाली देने वाले, हनुमान को बंदर, गणेश को हाथी बताने वाले खालिस्तानी सिख, क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

    तमिलनाडु में द्रविड़ियन पहचान में छुप कर उत्तर भारतीयों पर हमला करने वाले क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।


जिस राज्य ने सबसे अधिक हिंदी गायक दिए उस राज्य बंगाल में हिंदी का विरोध करने वाले क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।


    अंधश्रद्धा के नाम हिन्दू त्योहारों के खिलाफ एजेंडे चलाने वाला और बकरीद पर निर्दोष जानवरों की बलि और ईस्टर के दिन मरा हुआ आदमी जीसस जिंदा होने को अंधश्रध्दा न बोलने वाला नरेन्द्र दाभोलकर, क्रिप्टो-क्रिश्चियन था।

    देवी दुर्गा को वैश्या बोलने वाला केदार मंडल और रात दिन फेसबुक पर ब्राह्मणों के खिलाफ बोलने वाले दिलीप सी मंडल, वामन मेश्राम क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

    महिषासुर को अपना पूर्वज बताने वाले जितेंद्र यादव और सुनील जनार्दन यादव जैसे कई यादव सरनेम में छुपे क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

    तमिल अभिनेता विजय एक क्रिप्टो- क्रिस्चियन है, पूरा नाम है जोसफ विजय चंद्रशेखर।

http://azaadbharat.org के अनुसार भगवान बुध्द के जैसी दिखने वाली एक मूर्ति बनाई गई है जो बच्चा को गोद में लेकर बैठे है, वे वास्तव में मैरी की है जिसे जापान के क्रिप्टो-क्रिस्चियन पूजते थे। ये क्रिप्टो-क्रिस्चियन क्या है? ग्रीक भाषा मे क्रिप्टो शब्द का अर्थ हुआ छुपा हुआ या गुप्त; क्रिप्टो-क्रिस्चियन (crypto-christian) का अर्थ हुआ गुप्त-ईसाई। इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि क्रिप्टो-क्रिस्चियन कोई गाली या नकारात्मक शब्द नहीं हैं।


लखनऊ में कई जगह पर हिंदू रीति रिवाजों यहां तक भगवा वस्त्र पहुंच कर हवन तक नकली करते किंन्तु गले में क्रास लटकाकर भंडारा कर प्रसाद तक बांटा जाता है।


आखिर यह है क्या ??

क्रिप्टो-क्रिस्चियानिटी ईसाई धर्म की एक संस्थागत प्रैक्टिस है। क्रिप्टो-क्रिस्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिस्चियन जिस देश में अल्पसंख्यक होते है वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते है, वहाँ का धर्म, रिवाज मानते हैं जो कि उनका छद्मावरण होता है, पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रसार करते रहते है। विकीपीडिया के अनुसार : गुप्त इसाइयत या (क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी) ईसाई धर्म का एक गुप्त व्यवहार है। इसमें इसाई जिस देश मे रहते हैं वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते हैं, वहाँ का धर्म मानते हैं पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहते हैं। अन्य धर्मों के शासकों या समाज द्वारा ईसाई धर्मावलंवियों के लिए खतरा उत्पन्न किए जाने की स्थिति में यह व्यवहार अपनाया गया। जब क्रिप्टो क्रिश्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहते हैं। जब वे अधिक संख्या में हो जाते हैं तो प्रकट रूप से ईसाई धर्म को मानने लगते हैं। हॉलिवुड फिल्म 'अगोरा' (2009) में गुप्त इसाइयत को दिखाया गया है।


ग्रीक भाषा मे क्रिप्टो शब्द का अर्थ हुआ छुपा हुआ या गुप्त। क्रिप्टो क्रिश्चियन * का अर्थ हुआ गुप्त-ईसाई। इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि क्रिप्टो-क्रिश्चियन कोई गाली या नकारात्मक शब्द नहीं हैं। क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी ईसाई धर्म की एक संस्थागत प्रैक्टिस है। क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिश्चियन जिस देश मे रहतें है वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते हैं, वहाँ का धर्म मानतें हैं जो कि उनका छद्मावरण होता है; पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहतें है।


क्रिप्टो क्रिश्चियन का सबसे पहला उदाहरण रोमन सामाज्य में मिलता है जब ईसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे। तत्काल महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा समझा और जितने रोमन ईसाई बने थे उनके सामने प्रस्ताव रखा कि या तो वे ईसाईयत छोड़ें या मृत्यु-दंड भुगतें। रोमन ईसाईयों ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोड़ने का नाटक किया और उसके बाद ऊपर से वे रोमन देवी देवताओं की पूजा करते रहे, पर अंदर से ईसाईयत को मानते थे। जिस तरह मुसलमान 5-10 प्रतिशत होते हैं होतें है तब उस देश के कानून को मनाते हैं। पर जब 20-30 प्रतिशत होतें हैं तब शरीअत की मांग शुरू होती है, दंगे होतें है। आबादी और अधिके बढ़ने पर गैर-मुसलमानों की Ethnic Cleansing शुरू हो जाती है।


पर, क्रिप्टो क्रिश्चियन, मुसलमानों जैसी हिंसा नहीं करते। जब क्रिप्टो क्रिश्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहतें है जैसा कि और जब अधिक संख्या में हो जातें तो उन्ही देवी-देवताओं का अपमान करने लगतें हैं। Hollywood की मशहूर फिल्म Agora(2009)** हर हिन्दू को देखनी चाहिए। इसमें दिखाया है कि जब क्रिप्टो क्रिश्चियन रोम में संख्या में अधिक हुए तब उन्होंने रोमन देवी-देवताओं का अपमान करना शुरू कर दिया। वर्तमान में भारत मे भी क्रिप्टो क्रिश्चियन ने पकड़ बनानी शुरू की तो यहाँ भी हिन्दू देवी-देवताओं, ब्राह्मणों को गाली देने का काम शुरू कर दिया। मतलब, जो काम यूरोप में 2000 साल पहले हुआ वह भारत मे आज हो रहा है। हाल में प्रोफेसर केदार मंडल द्वारा देवी दुर्गा को वेश्या कहा जो कि दूसरी सदी के रोम की याद दिलाता है।


क्रिप्टो-क्रिश्चियन के बहुत से उदाहरण हैं पर सबसे रोचक उदाहरण जापान से है। मिशनिरियों का तथाकथित-संत ज़ेवियर जो भारत आया था वह 1550 में धर्मान्तरण के लिए जापान गया और उसने कई बौद्धों को ईसाई बनाया। 1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन (Shogun) ने ईसाई धर्म का प्रचार जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा समझा। शोगुन ने बल का प्रयोग किया और कई चर्चो को तोड़ा गया। जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ दी गईं। बाईबल समेत ईसाई धर्म की कई किताबें खुलेआम जलायीं गईं। जितने जापानियों ने ईसाई धर्म अपना लिया था उनको प्रताड़ित किया गया। उनकी बलपूर्वक बुद्ध धर्म मे घर वापसी कराई गई। जिन्होंने मना किया, उनके सर काट दिए गए। कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म मे घर वापसी का नाटक किया और क्रिप्टो-क्रिश्चियन बने रहे। जापान में इन क्रिप्टो-क्रिश्चियन को “काकूरे-क्रिश्चियन***” कहा गया।


काकूरे-क्रिश्चियन ने बौद्धों के डर से ईसाई धर्म से संबधित कोई भी किताब रखनी बन्द कर दी। जीसस और मैरी की पूजा करने के लिए इन्होंने प्रार्थना बनायी जो सुनने में बौद्ध मंत्र लगती पर इसमें बाइबल के शब्द होते थे। ये ईसाई प्रार्थनाएँ काकूरे-क्रिश्चियनों ने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित करनी शुरू कर दी। 1550 से ले कर अगले 400 सालों तक काकूरे-क्रिश्चियन बौद्ध धर्म के छद्मावरण में रहे। 20वीं शताब्दी में जब जापान औद्योगिकीकरण की तरफ बढ़ा और बौद्धों के धार्मिक कट्टरवाद में कमी आई तो इन काकूरे-क्रिश्चियन बौद्ध धर्म के मुखौटे से बाहर निकल अपनी ईसाई पहचान उजागर की।


क्रिप्टो क्रिश्चियन बुद्ध के जैसी दिखने वाली मूर्ति, जो वास्तव में मदर मैरी की है, इसे जापान के क्रिप्टो-क्रिश्चियन पूजते थे।


केवल रोमन साम्राज्य और जापान में ही क्रिप्टो क्रिश्चियनों के उदाहरण नहीं मिलते बल्कि बालकंस व एशिया माइनर, मध्यपूर्व, सोवियत रशिया, चाइना, नाज़ी जर्मनी समेत भारत में भी क्रिप्टो क्रिश्चियनों की बहुतायत है। जैसे जापान के क्रिप्टो क्रिश्चियन काकूरे कहलाते हैं वैसे ही एशिया माइनर के देशों सर्बिया में द्रोवर्तस्वो, साइप्रस में पत्सलोई, अल्बानिया में लारामनोई, लेबनान में क्रिप्टो मरोनाईट व इजिप्ट में क्रिप्टो कोप्ट्स कहलाते हैं।


    आम आदमी पार्टी का नेता आशीष खेतान एक क्रिप्टो-क्रिश्चियन है। इसकी पत्नी का नाम है, क्रिस्टिनिया लीडिया फर्नांडीस और दोनों बच्चे ईसाई हैं।

  यहां तक पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायनण के मरने के बाद पता चला कि वह क्रिप्टो-क्रिस्चियन। जिंदगी भर दलित लबादा उढ कर सारे फायदे लिये किंतु मरने के जब जलाया नहीं गया क्रिस्चियन कब्रिस्तान में दफनाया तो मालूम हुआ वह क्रिप्टो-क्रिस्चियन थे??? 


लिंक देखें: 

https://www.thenewsminute.com/article/what-row-over-ex-president-kr-narayanans-second-christian-burial-all-about-66062

The controversy erupted after a Malayalam channel broke the story that KR Narayanan's tomb was found in a Christian cemetery in Delhi.
PTI Image

As Ram Nath Kovind was sworn in as India's 14th President last month, he also became the second Dalit President of the country, after KR Narayanan. 
Cut to a tomb at a Christian cemetery in New Delhi, where the names of two people are engraved on it in black. The names are that of Uma Narayanan, the former first lady of India and KR Narayanan, the former President of India. 
It was the Malayalam channel Janam TV and Malayalam daily Janmabhoomi- both backed by RSS- which reported that KR Narayanan had embraced Christianity.

 


MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :  https://freedhyan.blogspot.com/


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