Thursday, August 8, 2019

*वैदिक रक्षा-सूत्र ( रक्षाबंधन)*

*वैदिक रक्षा-सूत्र ( रक्षाबंधन)*

 

सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
मो.  09969680093
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चन्दन का टिका, रेशम का धागा, सावन की सुगंध बारिश की फुहार|

भाई की उम्मीद बहन का प्यार, मुबारक हो आपको रक्षा बंधन का त्यौहार||


 *वैदिक रक्षाबंधन - प्रतिवर्ष श्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस बार 15 अगस्त 2019 रविवार के दिन है। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षा सूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में उसका बड़ा महत्व है ।*

भाई की कलाई पर *रक्षासूत्र* बांधते समय बहन को पूर्वाभिमुख (पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके) होकर भाई के ललाट पर रोली, चंदन व अक्षत का तिलक कर इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
ऐसे मनाया जाता है रक्षाबंधन
रक्षाबंधन के दिन बहनें राखी बांधने से पहले अपने भाइयों का तिलक करती हैं।
इसके बाद भाइयों को एक हाथ में नारियल दिया जाता है।
बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी नजर उतारती हैं।
इसके बाद वे अपने भाइयों की आरती उतारते हुए उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
अंत में बहनें भाइयों को मिठाई खिलाकर उनका मुंह मीठा करती हैं।रक्षाबंधन के दिन एक शुभ संयोग बनने जा रहा है। दरअसल, चार साल में पहली बार राखी के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस बार रक्षाबंधन ग्रहण से भी मुक्त रहेगा। भद्रा दिन की शुरुआत में ही समाप्त होने से राजयोग बना रहेगा। राजयोग में राखी बांधना काफी शुभ माना जाता है।
इस समय राखी बांधने से बचें
रक्षाबंधन पर भद्राकाल नहीं होने से दिनभर शुभ है। हालांकि, बहनें राहुकाल में अपने भाइयों को राखी बांधने से बचें।
 

*वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि*

  *इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -*

*(१) दूर्वा (घास) (२) अक्षत (चावल) (३) केसर (४) चन्दन (५) सरसों के दाने ।*

  *इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।*

*इन पांच वस्तुओं का महत्त्व*

➡ *(१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमें  सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए ।*

➡ *(२) अक्षत - हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।*

➡ *(३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो ।*

➡ *(४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।*

➡ *(५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें ।*

 *इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम गुरुदेव के श्री-चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।*

 *महाभारत में यह रक्षा सूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बाँधी थी । जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई ।*

 *इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सुखी रहते हैं ।*

 *रक्षा सूत्र बांधते समय ये श्लोक बोलें*

 *येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः ।*

*तेन त्वाम रक्ष बध्नामि, रक्षे माचल माचल: ।*

 

 राखी का अटूट बन्धन प्रेम के हृदय में सौहार्द, सहिष्णुता उत्पन्न करे। प्यार, स्नेह का यह धागा सम्पूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में बांधे। प्रत्येक देश मोती के समान अपनी अद्भुत चमक से सम्पूर्ण धरा को आलोकित करे। *‘वसुधैव कुटुम्बकम्’* की उक्ति सर्वत्र सजीव चरितार्थ हो।

MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
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