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हे दुख भंजन रासबिहारी
हे दुख भंजन रासबिहारी
दास विपुल
हे दुख भंजन रासबिहारी, करूं मैं विनती देवा॥
राधारमण श्री हरिनारायण, कृपा करो हे देवा॥
तुम हो नर नारायण प्रभुजी, हो जग पालन हारी।
शरण तुम्हारी आन पड़े हैं, राखो लाज हमारी॥
दया के सागर नाम तुम्हारा, हो देवों के देवा॥
राधारमण श्री हरिनारायण, कृपा करो हे देवा॥
नंद के लाला रूप विशाला, बंसी मधुर सुना दो।
भक्तजनों के मन मंदिर में, प्रेमल दीप जला दो॥
धेनु चराई रास रचाकर, बन गोपालक देवा॥
राधारमण श्री हरिनारायण, कृपा करो हे देवा॥
मीरा की तानों में बसते, भक्त की आह सजते॥
सूर की भक्ति ज्ञान की धारा, हरि हर श्वास में बसते॥
चक्रसुदर्शन धारी प्रभु जी, हो योगेश्वर देवा।
राधारमण श्री हरिनारायण, कृपा करो हे देवा॥
तीर्थ शिवोम् की धारा प्रभु जी, नित्यबोधानन्द तुम्ही।
आन बसो अब सांवरे उर में, दास विपुल ध्यान तुम्ही॥
जग आधीन तुम्हारे प्रभुवर, भक्त आधीन हो देवा॥
राधारमण श्री हरिनारायण, कृपा करो हे देवा॥
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