Thursday, October 22, 2020

मां सिद्धिदात्री की आरती

मां सिद्धिदात्री की आरती

चरण वंदनकार: सनातन पुत्र देवीदास  विपुल खोजी


आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

नव नौ रूपों मां दुर्गा बनाया, मानव को जीना सिखलाया। 

धरम-करम सभी तुम ही बखानी, कर्म करता कर्मफल दाता की।। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

हमको माता अज्ञान ने घेरा। बोझा बन फिरें धरा पर डेरा।। 

मूढ़मति हम अभिमानी जगत में, कर विनती ज्ञान मान दाता की। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

माता चराचर को हो बनाती, रंक को राजा पद पे सजाती।।

हर कण कण में है वास तुम्हारा, भाग्यहीन सौभाग्यदाता की।।‌

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

तुम सृष्टि को स्वयमेव बनाती। मरुधर में तूफान को चलाती।। 

नाना शस्त्र धारण तुम करतीं। दुष्ट संहारिणी आतुर माता की।। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।।

तेरे द्वारे पे भीड़ बहुत है। भक्तों को माता पीर बहुत है।। 

कष्ट हरो तुम्हे धरती पुकारे। असुरहंत कालरूपी माता की। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

नौ रूपों में सदा तुम रहतीं। सृष्टि का पालन नाशन भीं करतीं।। 

मेरा पूजन स्वीकार हो माता, नवरूपों में अंतिम माता की।। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

माता सर्वरूप तुम जगदंबे। तुम महाकाली तारा हो अम्बे।। 

भक्तों की रक्षा परकट हो खम्बे। हर कण निवास जीवन दाता की।।

 आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

 जो जन भजे आरती जो गाता। भक्तिभाव समरपण है लाता।। 

तुम सब कुछ माता देनेवाली। शब्द हैं तेरे विपुल दाता की।। 

 अब माते आराधन स्वीकारो। समस्त जग दैत्य राक्षस संहारो।। 

सत्य सनातन फिर से जग लाओ। दास विपुल आरती गाता की।।

 आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।।


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