Friday, September 11, 2020

आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 5 (बिना गुरू दीक्षा सन्यासी कैसे बन गये ये)

 आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 5 (बिना गुरू दीक्षा सन्यासी  कैसे बन गये ये) 

विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल वैज्ञनिक ISSN 2456-4818
 वेब:   vipkavi.info , वेब चैनल:  vipkavi
 फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"  
ब्लाग : https://freedhyan.blogspot.com/

 

पिछले भाग से आगे .......... 


Hb 96 A A Dwivedi: ईश्वर मनुष्य के पहले गुरु हैं और यह बात निर्विवाद रूप से स्पष्ट है और सदाशिव ने हि मनुष्य रुप में गुरु की परम्परा को स्थापित किया है और इसके प्रमाण मौजूद है मनुष्य के शरीर में इतनी शक्ति नहीं है कि ईश्वर की दिक्षा को बर्दाश्त कर सके इसलिए शरीर में गुरु तत्व के आधार पर इस ज्ञान को प्राप्त किया जाता है और जो भी ध्यान साधना वर्षों से कर रहे हैं वो दोनों ही बातों को पमझ सकते हैं जय गुरुदेव🙏😊🌹👏

Bhakt Parv Mittal Hariyana: प्रभु जी शस्त्र क्या और शास्त्र क्या। इनकी क्या प्रसंगिगता है। कृपया इस पर प्रकाश डालिये। वेद आदि विभीन्न शास्त्र कौन सा ज्ञान परिमार्जित करते है

Hb 96 A A Dwivedi: शकतिपात🙏😊👏🌹

Swami Triambak giri Fb: शस्त्र की जरूरत है सठ को सुधारने के लिए,

शास्त्र की जरूरत है मत को सुधारने के लिए,

आप सभी का आत्म अवलोकन और योग में स्वागत है।

यह शुद्ध आध्यात्मिक ग्रुप है जिसमें आप अपनी जिज्ञासा है अध्यात्म के मार्ग पर आने वाली समस्याएं और कठिनाइयों का वर्णन कर सकते हैं उनको पोस्ट कर सकते हैं यथासंभव उन का हल कर दिया जाएगा।


श्री सतीश मिश्रा जी आप अपना अनुभव गुरु के बारे में यहां पटल पर रखे ताकि और लोगों का कल्याण हो।

🙏🏻🙏🏻

Hb 96 A A Dwivedi: जो भी व्यक्ति नियमित रूप से साधना कर रहे हैं उन्हें धरती पर मौजूद सन्त महात्मा के सुक्षम शरीर से निकलने वाली ऊर्जा का संचार अपने भीतर किया जा सकता है और उनके दर्शन भी सम्भव है अध्यात्म में असम्भव जैसे कोई भी चीज नहीं है

शकतिपात दिक्षा देते हुए भी गुरु तत्व विराजमान रहते हैं और यह बात समझ में तबतक नहीं आती है जब तक ईश्वर की कृपा न हो

कण कण में भगवान मौजूद हैं और इसलिए कोई भी विवाद नहीं है लेकिन जो गुरु महाराज का आशीर्वाद प्राप्त कर लेते हैं वो सौभाग्यशाली है और उन्हें हम बेकुसूर मानते हैं जिन्हें यह अमृत नहीं चखा

सशरीर गुरु महाराज जी अगर मौजूद हैं तो उनके दर्शन और सेवा करने से साधना में तीव्र गति होती है यह सब अनुभव के आधार पर ही है और बाकी गंगा मां है न मानो तो पानी है

गुरु महाराज के मिलने से बडि कोई भी दुसरी धटना मनुष्य के जीवन में नहीं हो सकती है नहीं हो सकती है जय गुरुदेव जय गुरुदेव🙏😊🌹👏

vashi Bhagat: गुरू जी प्रणाम. गुरू के अनुभव 🌹👈👆👍

Swami Triambak giri Fb: मानो या ना मानो उससे गंगा को कोई फर्क नहीं पड़ता गंगा तो गंगा ही है गंगा जैसा जल और किसी नदी नाले में कहीं नहीं है और कितने भी स्वच्छ दूसरी नदी को गंगा मान लेने से वह गंगा नहीं होती है आप गंगा का जल ले जाकर के सैकड़ों साल रख दें आपके घर में उसमें किड़े नहीं पड़ेंगे वैसे के वैसे ही रहेगा पर किसी भी और नदी का जल ले जाकर के गंगाजल मान कर के रख दे क्या उस में कीटाणु नहीं पड़ेगे ❓ पड़ेंगे |

मानने से कुछ नहीं होता जानने से, अवलोकन करने से ,अनुभव करने से व्यवहारिकता को समझने से, हीं इस जीवन का पूर्ण लाभ मोक्ष मिल सकता है

जय हो महाराज जी जय हो आपने आंखें खोल दीं जय हो महाराज जी👏🙏😊🌹

Swami Toofangiri Bhairav Akhada: राष्ट्रीय प्रमुख संरक्षक माननीय श्री मिथलेश कुमार पाण्डेय जी और राष्ट्रीय सह संयोजक माननीय श्री प्रमोद चतुर्वेदी जी से विचार विमर्श कर राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की सहमति से माननीय परमगुरू स्वामी तूफान गिरि जी महाराज जूना अखाड़ा जी प्रमुख मार्गदर्शन मंडल में संगठन संरक्षक पद पर नियुक्त किया जाता है गुरुदेव संगठन हमेशा आपके मार्गदर्शन और आशीर्वाद का अनुयाई रहेगा आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास की आप  हम सभी का मार्गदर्शन कर आशीर्वाद प्रदान करेंगे

जय श्री परशुराम जय माता की

आपका अपना

पंडित नरेन्द्र पाराशर

राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष

राष्ट्रीय परशुराम सेना

9953902056

Swami Toofangiri Bhairav Akhada: माननीय गुरुदेव परमपूज्य तूफान गिरि जी महाराज जूना अखाड़ा जी का राष्ट्रीय परशुराम सेना परिवार स्वागत करता है आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप पूरे संगठन सहित समाज हित की लड़ाई लडने में हम बच्चो का आशीर्वाद सहित मार्गदर्शन करेगे

बधाई हो प्रभु जी शुभकामनाएं एवं प्रणाम।

साधुओं के हत्यारों का क्या हुआ। 3 मई को जो करना था वह कब करेंगे???

Bhakt Brijesh Singer: गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढि गढि काढैं खोट।

अंतर हाथ सहार दै, बाहर मारे चोट l

Swami Triambak giri Fb: सुना है मैंने कि मुल्ला नसरुद्दीन की खिड़की पर एक दिन एक पक्षी आकर बैठ गया। अजनबी पक्षी था, जो मुल्ला ने कभी देखा नहीं था। लंबी उसकी चोंच थी, सिर पर कलगी थी रंगीन, बड़े उसके पंख थे। मुल्ला ने उसे पकड़ा और कहा, मालूम होता है, बेचारे की किसी ने कोई फिक्र नहीं की। कैंची लाकर उसके पंख काट कर छोटे किए; कलगी रास्ते पर लाया; चोंच भी काट दी। और फिर कहा कि अब ठीक कबूतर जैसे लगते हो। मालूम होता है, किसी ने तुम्हारी चिंता नहीं की। अब मजे से उड़ सकते हो।

लेकिन अब उड़ने का कोई उपाय न रहा। वह पक्षी कबूतर था ही नहीं। मगर मुल्ला कबूतर से ही परिचित थे; उनकी कल्पना कबूतर से आगे नहीं जा सकती थी।

हर बच्चा जो आपके घर में पैदा होता है, अजनबी है। वैसा बच्चा दुनिया में कभी पैदा ही नहीं हुआ। जिन बच्चों से आप परिचित हैं, उनसे इसका कोई संबंध नहीं है। यह पक्षी और है। लेकिन आप इसके पंख वगैरह काट कर, चोंच वगैरह ठीक करके कहोगे कि बेटा, अब तुम जगत में जाने योग्य हुए।


तो यहां हर आदमी कटा हुआ जी रहा है; क्योंकि सब लोग चारों तरफ से उसे प्रभावित करने, बनाने, निर्मित करने में इतने उत्सुक हैं जिसका कोई हिसाब नहीं। जब बाप अपने बेटे में अपनी तस्वीर देख लेता है, तब प्रसन्न हो जाता है। क्यों? इससे बाप को लगता है कि मैं ठीक आदमी था; देखो, बेटा भी ठीक मेरे जैसा।

अगर मुझे मौका मिले और हजारों लोग मेरे जैसे हो जाएं तो मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी, क्योंकि मेरे अहंकार का भारी फैलाव हुआ।अहंकार की यही आकांक्षा है: तुम मेरे जैसे हो जाओ..

वो अपनी तरह का पक्षी है ... उसे अलग सा रहने दो ... उड़ने दो खुद की उड़ान ... ❤


Bhakt Brijesh Singer: एक उदाहरण प्रस्तुत करता हूँ मै पहली या किसी और कक्षा का छात्र हूँ, मेरे पिताजी ने किताब लाके दे दी l अब जो मै पढ़ाई घर पर करूँगा और जो पढ़ाई स्कूल जा के करूँगा दोनों मे बहुत अंतर है l जाहिर है कि स्वअध्ययन की अपेक्षा स्कूल मे अधिक और तीव्र उन्नति होगी l जबतक बच्चे को माँ या शिक्षक हाथ पकड़ कर लिखना नही सिखाता वो लिखना नही सीख पाता l इसी प्रकार बिना भौतिक गुरु के साधना मे उन्नति धीमी रहती है गुरु के कॉनटेक्ट से अभूतपूर्व परिवर्तन होते है l और तीव्र प्रगति के लिए शक्तिपात इसका उदाहरण है l

अब नकली गुरु न मिले इसके लिए पहले स्वयं का पुरुशार्थ करना पड़ता है l जैसे बच्चे का स्कूल मे भी एडमिसन कराते है तो जांच पड़ताल करते है कि कौन सा स्कूल अच्छा है l उसे तरह स्वयं को भी तैयार करना पड़ता है l शास्त्रो का अध्ययन करे l आदिगुरु या अपनी अन्तरात्मा से प्रार्थना करे तो वो गुरु से मिला देते है l अगर किसी चकाचौंध के वसीभूत होकर या किसी के कहने मात्र से गए तो धोखा खाने के चांसहो सकते है l

बिना गुरु के कई जन्म लग सकते है और अच्छा गुरु मिल गया तो इसी जन्म मे बड़ापार हो सकता है l

Swami Triambak giri Fb: सभी मानवों को विवेक प्रदान करने वाला,सवका एक मूल परमगुरू परमात्मा है।

जिसको परमात्मा ने बुद्धि विवेक नहीं दे रखी है उसको शरीर धारी गुरु क्या समझा देगा ❓

मित्र यह खोज मैंने नहीं की मैं मात्र माध्यम हूं क्योंकि शरीर मेरे पास है। इसमें भगवान श्री कृष्ण की प्रेरणा है महाकाली का आशीर्वाद है।

Swami Triambak giri Fb: बुद्धि तो थी ,शिक्षण नहीं था, शिक्षण हुआ तो विवेक जागृत हो गया |

पर क्या कालिदास को परमात्मा की पहचान मिल गई मोक्ष हो गया ❓

Swami Triambak giri Fb: समर्पण भाव में रहते हुए प्रार्थना करते हुए जीवन को जीना है |

प्रार्थना में भाव यही होना चाहिए तूने मुझे यह जो शरीर दिया है इतना अनमोल शरीर दिया है मनुष्य का शरीर इस शरीर देने के लिए मैं तुझे धन्यवाद देता हूं और इस शरीर के उपयोग में आने वाली जो जो चीजें दी है उसके लिए धन्यवाद देता हूं और अब मैं तेरे समर्पित होता हूं इस शरीर से जो भी कुछ करवाना है तू करवा ले मेरी नादानियां माफ कर मुझे अपनी शरण में ले ले और मुझे तेरी पहचान दे दे ताकि मैं हर पल तुझे निहारता रहूं |

यह प्रार्थना अगर शुद्ध अंतर्मन से अनन्य प्रेम भाव में हो जाएगी तो परमात्मा कृपा करके अपनी असल स्वरूप की पहचान जरूर देगा जिस रूप में आज भी है कल भी था और कल भी रहेगा |

 नायमात्मतत्वम प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुना श्रुतेन।

यमेवैश वृणुते तेन लभ्यस्तस्यैष परमात्मा विवृणुते तनुँस्वाम् ।।

                     ( कठोपनिषद अ.१/ २ /२३)


         जिन परमेश्वर की महिमा का मै वर्णन कर रहा हूँ वे न तो उनको मिलते है जो शास्त्रो को पढ सुनकर लचछेदार भाषा मे इस परमतत्वम् को नाना प्रकार से वर्णन करते है न उन कर्मशील बुद्धिमान मनुश्यो को ही मिलते है जो बुद्धि के अभिमान मे प्रमत्त हुए तर्क के द्वारा विवेचन करके उन्हे समझने की चेष्टा करते है अौर न उनको ही मिलते है जो परमात्मा के विषय मे बहुत कुछ सुनते रहते है।ये तो उसी को प्राप्त होते है जिसको ये स्वयम स्वीकार कर लेते है अौर ये उसी को स्वीकार करते है जिनको  उनके लिये उत्कट इच्छा अौौर इनके बिना रह नही सकता।जो अपनी बुद्धि या साधना पर भरोसा न करके केवल इनकी कृपा की ही प्रतिछा करता रहता है।ऐसे कृपा निर्भर जिग्यासु पर कृपा कर अग्यान का पर्दा हटाकर उसके सामने अपना परमतत्व रूप प्रकट कर कृतार्थ कर देते है।

                   परमप्रभु की जय

Hb 96 A A Dwivedi: गुरु की प्राप्ति पुर्व जन्म के श्रेष्ठतम संस्कारों का फल है और उसके लिए जन्म जन्मांतर साधना कि आवश्यकता होती है जय गुरुदेव👏😊🙏💐

प्रभु जी यह ग्रुप सामान्य व्यक्तियों का नहीं है इसमें ग्रैंड आध्यात्मिक लोग भी है इसलिए आपकी बात आंख बंद करके नहीं मानी जाएगी।

जैसे मैं फेसबुक पर अक्सर आपसे सहमत रही होता था लेकिन अब मेरा काम इस ग्रुप के लोग कर रहे हैं आप संतुष्ट कीजिए।

जब आप रामपाल के खेलों से युद्ध लड़ सकते हैं तो यहां पर तो हो आप का सम्मान करने वाले लोग हैं।

Swami Triambak giri Fb: जन्म जन्मांतर की साधना से गुरु मिलता है तो परमात्मा का पहचान कब और कैसे मिलता है ❓

Bhakt Ranjan Sharma Jaipur: 🙏में एक बात नहीं समझ पा रहा आप भेद कैसे कर पा रहे है

Swami Triambak giri Fb: भेद इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि परमात्मा तो मेरे अंदर ही विराजमान हैं और गुरु दूसरे शरीर के अंदर विराजमान है|

Hb 96 A A Dwivedi: परमात्मा को पहले जानने की आवश्यकता है वो दुध में मक्खन, लकड़ी में अग्नि और गुरु मे तत्व के रूप में मौजूद हैं और उसे प्रकट करने की विधि तत्व ज्ञान संकर्षण है और जो गुरु के चरणों में बैठकर शीध्र ही प्रकट होने लगता है और आप अपने चित्त की चंचलता के लिए चाहे तो गुरु महाराज जी की शरण में आए जय गुरुदेव जय गुरुदेव जय महाराज जी🙏😊💐👏

Bhakt Ranjan Sharma Jaipur: 🙏 आप शायद शरीर धारण करने वाले गुरु को ही गुरु समझ बैठे है गुरु तत्व जो शरीर धारण करता है जो उस के प्रति समर्पित है उनके कल्याण के लिए। और वैसे भी साकार से है निराकार की प्राप्ति संभव है 🙏

राम कृपा से गुरु मिले गुरु कृपा से राम।

दोनों में न भेद है विपुल करत परनाम।।

मूरख जानें अलग है गुरु राम के नाम।

जड़मति बुद्धि की यही होती है पहचान।।

Swami Triambak giri Fb: आप साकार शरीर में हो तो सही, आपके साकार शरीर में रहते हुए ही परमात्मा की पहचान मिलेगा और परमात्मा निराकार नहीं है, परमात्मा अरूप है एक अनिह अरूप अनामा अज सच्चिदानंद पर धामा |

परमात्मा कहीं खोया नहीं है जो परमात्मा मिलेगा परमात्मा की पहचान हीं मिलेगी

कलयुग में गुरु सत नहीं, बात न गलती मान।

किंतु सतगुरु व्याप्त है, जिसको तू पहचान।।

Swami Triambak giri Fb: इसीलिए तो कहता हूं कि राम ही गुरु है राम ही को गुरु बनाओ राम यानी कौन👤❓

 " यत्र तत्र सर्वत्र रमेति तैया राम: "

Swami Triambak giri Fb: सर्वत्र व्याप्त है

करे समर्पण ईश को, रहे ईश प्राणिधान।

ढूंढेगा प्रभु गुरु को, बात विपुल की मान।।

Bhakt Shyam Sunder Mishra: अद्भुत अति सुन्दर। प्रणाम गुरु जी 🌹🙏🌹🚩🚩

वाह गुरु जी। 🌹🙏🌹

Swami Triambak giri Fb: 👍👍🏻💐👏

गुरु विहीन न सृष्टि है, गुरु गुणों की खान।

नहीं मिलेगा मूर्ख को, ज्ञानी ढूंढे बान।।

तेरे मन के भाव ही, भावों का यह खेल।

गुरु प्रभु तो एक है, मन सोंचें बेमेल।।

 Hb 96 A A Dwivedi: आतमगुरु को जागरूक करने के लिए विधि और नियमित जीवन जीने की आवश्यकता होती है और कलियुग में भटकने के लिए फेसबुक मोबाइल फोन यह सब बाधाये है जो सवामि जनो को भी भटका रही है इससे बचने के लिए गुरु के प्रति समर्पण भाव एकमात्र रास्ता है और जो लोग गुरु के बगैर यात्रा करते हैं वो भी पार हो जाते हैं सबकुछ संस्कार का खेल है और इसलिए जो भी लोग गुरु जी का आशीर्वाद प्राप्त किया है वो निश्चित रूप से पुर्व जन्म के समय से साधना में लीन आत्मा है जो अपने स्वरुप को जानने के लिए पुरुषार्थ शरीर के द्वारा कर रहे हैं जय गुरुदेव जय गुरुदेव👏😊💐🙏

Swami Triambak giri Fb: भाव प्रधान विश्व करि राखा जो जस किन्ना सो तस फल चाखा भाव बनाओ की परमात्मा ही मेरा गुरु है |

जो मेरे अंदर की आवाज को अंदर ही बैठा सुनता है मेरे अंदर के भाव को अंदर ही बैठा समझता है

सर्वव्यापी जो हो गया, गुरु तू उसको मान।

यह शरीर तो खेल है, जनम जनम की खांड़।।

A K Singh Samastipur: 👏

Bhakt Ranjan Sharma Jaipur: 🙏 गुरु की कृपा के बिना जीव दशा नहीं मिटती। जीव दशा के रहते हुए ब्रह्म दशा की अनुभूति संभव नहीं

आत्मगुरु उपजात है, भरम करम और भाव।

मन गुरु बैठा आत्म में, भटकाना स्वभाव।।

Swami Triambak giri Fb: अपने अंदर शिष्यत्व को जगाए ऐसा शिष्यत्व जो दत्तात्रेय जी ने अपने अंदर जगाया और 24 गुरु बनाए लेकिन एक भी कोई भी शरीर धारी मनुष्य नहीं और उन्होंने बताया कि गुरु वह जिससे हमें कोई भी शिक्षा मिले वह गुरु है पर हम क्या करते हैं हम शिष्यत्व तो धारण करते नहीं गुरु बना लेते हैं रजोगुण में ही जीते रहते हैं जब तक सतोगुण की प्रधानता नहीं होगी सतोगुण धारक शिष्यत्व नहीं होगा तब तक बात ना बनेगी |

आत्म गुरु सत्य बोलता, मन का गुरु भरमाय।

मूर्ख बुद्धि बन गई, काके लागू पाय।।

Hb 96 A A Dwivedi: मन बड़ा शक्तिशाली है प्रभु बड़े बड़े महाराज गिर गया है और इसलिए गुरु की शरण में शरणागत हो आपका कल्याण होगा

आत्मा का न कभी जन्म हुआ है और न मृत्यु आप हम आत्मा है यही सत्य है और इसलिए परमात्मा के पहले स्वयं को जानने की जरूरत है और यह भाव से नहीं पुरुषार्थ से सिद्ध होता है जय गुरुदेव😊🙏💐👏

Swami Triambak giri Fb: जीव दशा मिटाने के लिए गुरु कैसे कृपा करता है आप जानते हो कि जीव दशा मतलब अज्ञानता तो गुरु क्या  ज्ञान देता है यही कि तुम आत्मा हो तुम जीव नहीं हो तुम शरीर नहीं हो आत्मा भाव में आ जाते हो मान लेते हो कि मैं आत्मा हूं ना जानते हो ना पहचानते हो |

प्रथम गुरु मां काली है, जिसने दे दिया ज्ञान।

शरीर गुरु जब ही मिला, बचे विपुल के प्राण।।

Swami Triambak giri Fb: इसके लिए क्या पुरुषार्थ किया आपने ❓

Bhakt Brijesh Singer: यहां गुरु द्वारा तीव्र उन्नति की बात हो रही है प्रभु जो उन्हे मिल गयी थी l

बाकी परामात्मा किसे मिले यह व्यक्ति के पुरुशार्थ पर निर्भर है? गुरु रास्ता उपयुक्त  दिखाता है

Swami Triambak giri Fb: मन तो कुछ है ही नहीं जो कुछ है वह बुद्धि है खोपड़ी गुरु खोपड़ी चेला

क्योंकि मैं तो मंदबुद्धि यों के साथ रहता हूं और मुझे पता है कि जिस व्यक्ति के दिमाग नहीं है बुद्धि नहीं है उसके पास मन नाम की कोई चीज नजर नहीं आती,

इसलिए मन बुद्धि चित्त यह सब एक ही है

Bhakt Ranjan Sharma Jaipur: 🙏सदगुरु तो सदैव दृष्टा भाव बना कर रखने का कहते है। हां साधक भी प्रयत्न करता है पर संसार में रहकर बार भूलता है उसे बार २ याद दिलाने का कार्य भी सद्गुरु का है।🙏

अनुभव को मैं जानता, अनुभव की ही बात।

बिन अनुभव मूरख करें, व्यर्थ वाद प्रतिवाद।।

Swami Triambak giri Fb: 👍💐👏

Hb 96 A A Dwivedi: आर्य समाज वाले भी यही भुल कर रहे हैं और इसलिए ईश्वर उनको सद्बुद्धि दे😊🙏💐👏

Swami Triambak giri Fb: इसीलिए तो कहता हूं कि परमात्मा को ही अपना सतगुरु बना लो आपके अंदर बैठे हैं आपके अंदर के भाव को समझता है आपके अंदर की आवाज सुनता है और हर पल आपको संभालता है

प्रभु जी आपकी बात एक सीमा तक सही है बस ईश्वर को गुरू मान लेने से हम उसके शिष्य नहीं हो गए और न ही वह हमारे सामने प्रकट होकर हमारी परेशानी सुनता है।

इसलिए अशरीरी गुरु भी शरीर गुरु के पास भेजता है चाहे आप रामकृष्ण परमहंस को देखें या बहुतों को देखें।

मात्र कुछ लोग हैं जो जन्मों के तप के कारण बिना गुरु के ज्ञानी हो गए जैसे रमण महर्षि अरविंद घोष माता अमृतानंदमई इत्यादि।

Bhakt Ranjan Sharma Jaipur: 🙏 जो उस परमात्मा से पूर्ण परिचित हो वही उसका ज्ञान करने में समर्थ होते है और अगर उनकी आवश्यकता नहीं है तो यह जनम मृत्यु का चक्र कब का समाप्त हो चुका होता🙏

आप अपनी बात का खुटा गाड़े बैठे रहिए लेकिन जरूरी नहीं कि वो खूंटा सही जगह गड़ा हो।

इस ग्रुप में एक से एक अनुभव वाले लोग है। मैं अपने मुंह से बोल नहीं सकता

Swami Triambak giri Fb: समर्पण भाव में रहते हुए प्रार्थना करते हुए जीवन को जीना है |

प्रार्थना में भाव यही होना चाहिए तूने मुझे यह जो शरीर दिया है इतना अनमोल शरीर दिया है मनुष्य का शरीर इस शरीर देने के लिए मैं तुझे धन्यवाद देता हूं और इस शरीर के उपयोग में आने वाली जो जो चीजें दी है उसके लिए धन्यवाद देता हूं और अब मैं तेरे समर्पित होता हूं इस शरीर से जो भी कुछ करवाना है तू करवा ले मेरी नादानियां माफ कर मुझे अपनी शरण में ले ले और मुझे तेरी पहचान दे दे ताकि मैं हर पल तुझे निहारता रहूं |

यह प्रार्थना अगर शुद्ध अंतर्मन से अनन्य प्रेम भाव में हो जाएगी तो परमात्मा कृपा करके अपनी असल स्वरूप की पहचान जरूर देगा जिस रूप में आज भी है कल भी था और कल भी रहेगा |

 

 नायमात्मतत्वम प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुना श्रुतेन।

यमेवैश वृणुते तेन लभ्यस्तस्यैष परमात्मा विवृणुते तनुँस्वाम् ।।

                     ( कठोपनिषद अ.१/ २ /२३)


         जिन परमेश्वर की महिमा का मै वर्णन कर रहा हूँ वे न तो उनको मिलते है जो शास्त्रो को पढ सुनकर लचछेदार भाषा मे इस परमतत्वम् को नाना प्रकार से वर्णन करते है न उन कर्मशील बुद्धिमान मनुश्यो को ही मिलते है जो बुद्धि के अभिमान मे प्रमत्त हुए तर्क के द्वारा विवेचन करके उन्हे समझने की चेष्टा करते है अौर न उनको ही मिलते है जो परमात्मा के विषय मे बहुत कुछ सुनते रहते है।ये तो उसी को प्राप्त होते है जिसको ये स्वयम स्वीकार कर लेते है अौर ये उसी को स्वीकार करते है जिनको  उनके लिये उत्कट इच्छा अौौर इनके बिना रह नही सकता।जो अपनी बुद्धि या साधना पर भरोसा न करके केवल इनकी कृपा की ही प्रतिछा करता रहता है।ऐसे कृपा निर्भर जिग्यासु पर कृपा कर अग्यान का पर्दा हटाकर उसके सामने अपना परमतत्व रूप प्रकट कर कृतार्थ कर देते है।

                   परमप्रभु की जय

Bhakt Brijesh Singer: जिन्होंने यह चौपाई लिखी है उन्होंने भी गुरु के लिए ही पहला पेज समर्पित कर दिया l उनके भी गुरु थे प्रभु 🙏

Swami Triambak giri Fb: उनके गुरु कौन थे ❓

प्रभु जी समर्पण का भाव आना यह हमारे पिताजी की विरासत नहीं होता है समर्पण का भाव भी ईश्वर कृपा से धीरे-धीरे आता है।

मैं तो यह वक्तववय देता हूं कि जब किसी को साक्षात देव दर्शन हो तो वह समझे उसकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई है।

Swami Triambak giri Fb: 👍💐👏

Bhakt Ranjan Sharma Jaipur: 🙏 राम तो ईश्वर का अवतार थे परंतु जब उन्हें विकलता हुई अपने रूप का विस्मारण हो गया तब उन्हें भी शरीर धरी गुरु है मिले। योग वाशिष्ठ इसका अनुपम उदाहरण है

मुझको जो प्राप्त हुआ है यह मेरी पूर्व जन्मों की साधना है। इसी भांति हर मनुष्य को उसके पूर्व जन्मों की साधनाओं के अनुसार इस जन्म में अनुभव होते हैं। सबका मार्ग सब के संस्कार सबके ईष्ट सब के मंत्र अलग-अलग हो सकते हैं।

Bhakt Brijesh Singer: नरहरि दास

Swami Triambak giri Fb: आज कौन है वशिष्ठ और अष्टावक्र जैसा गुरु जो एक तो दरवाजा खटखटा ते ही बता देता है इस सवाल का जवाब कि मैं कौन हूं और दूसरा यह कहता है कि तू सत्य को पहचानना चाहता है सत्य को पहचानने में कोई देर नहीं है फुल को मसलने में देर हो सकती है पर सत्य को पहचानने में कोई देर नहीं है

Bhakt Brijesh Singer: और यहा भाव नही है यहां कर्म प्रधान लिखा है

Swami Triambak giri Fb: तो फिर वह हनुमान जी से राम जी को मिलाने की बात क्यों कर रहे हैं ❓

यदि आपको नहीं मालूम तो इसका अर्थ यह नहीं है कि आष्टावर्क मौजूद नहीं है।

Bhakt Brijesh Singer: जितने भी महागुरु है सब मौजूद है

Hb 96 A A Dwivedi: पिछले भाग से आगे .......... आज समाज में सनातन संस्कृति की जो दुर्दशा है उसके लिए गुरु कुल का न होना मुख्य कारण है और समाज को एकजुट करने के लिए गुरु प्रधान जीवन की अत्यधिक आवश्यकता है और जो लोग इस समय आने वाले संकट को नहीं देख पा रहे हैं वो हिनदु समाज के लिए बहुत बहुत बड़े खतरे से अनजान हैं और सबक लेने की जरूरत है जय गुरुदेव💐👏🙏😊

Swami Triambak giri Fb: तो बताओ ना दुनिया के सामने उजागर तो करो जहां यह अष्टावक्र है यह जाते ही आपको सत्य की पहचान करा देगा आपको सिर्फ जनक बनकर जाने की जरूरत है

Swami Triambak giri Fb: गुरु प्रधान जीवन यानी शिक्षा के मामले में शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा

विवाद का कोई अंत नहीं होता है। इस ग्रुप में शक्तिपात परंपरा के साधक हैं जो साक्षात शक्ति के खेल देखते रहते हैं और अनुभव करते रहते हैं।

फेसबुक पर लिखा हुआ है खेचड़ी सिद्ध गुरु अरे उनके ऐसे महागुरु बच्चों के खेल की तरीके से इस ग्रुप में मौजूद है। शक्ति जब खेल दिखाती है तो खेजरी उड्यन बंद जब सहज भाव से लगते हैं और ऐसे ही लगते हैं कि बड़े-बड़े जो अपने को बाहर गुरु की पदवी दिए हुए हैं वह अपने को हीन महसूस करेंगे।

इस ग्रुप के साधकों के अनुभव यदि मैं यहां पर लिख दूं तो एक अनजान आदमी दांतो तले उंगली दबा लेगा।

Bhakt Ranjan Sharma Jaipur: हर शिष्य के लिए उनके गुरु पर ब्रह्म हैं। जब शिष्य के मन में यह समर्पण भाव आ जाता है । तो ब्रह्म को भी व्हा उपस्थित होना पड़ता हैं🙏

Bhakt Brijesh Singer: क्या बात थी और कहाँ के गए प्रभु 😀

हनुमान जी कौन है, अभी भी मौजूद है अगर आपने पुरुषार्थ है तो अनुभव करो लो 🙏

इसीलिए गुरु की महत्ता को कोई भी आकर इस ग्रुप में कम नहीं सिद्ध कर सकता चाहे वह साक्षात विष्णु ही क्यों ना हो।

Hb 96 A A Dwivedi: नहीं आप नहीं समझोगे महाराज आप को समझाने की ताकत सिर्फ हनुमानजी में है उनको याद कर रहे हैं और जैसे ही आयेंगे आपको बता देंगे😊👏🙏💐

Bhakt Brijesh Singer: जो अमेरिका गया ही न हो और कहे ऐसा कुछ है ही नही तो उसे क्या बता सकते है ? ऐसा तो है नही कि अमेरिका नही है 🙂

Bhakt Brijesh Singer: अगर विष्णु जी होंगे तो वो भी वशिष्ठ जी के पहले चरण स्पर्श करेंगे वो ये बात ही नही करेंगे 🙂

Swami Triambak giri Fb: मेरा तो यह क्या पूछना है कि जब उनके गुरु नरहरि दास थे तो फिर हनुमान जी से राम जी को मिलाने की दुहाई क्यों दे रहे हैं ❓

Hb 96 A A Dwivedi: नमन है बारम्बार नमन है अमृत वर्षा कर दिया आपने जय हो🙏💐👏😊

Bhakt Brijesh Singer: हा अब सही कह रहे है उन्हे भी प्रभु को पहचानने मे हनुमान जी की मदद लेनी पड़ी l यही गुरु का कार्य है 🙂

Bhakt Brijesh Singer: हा अवश्य

इसका अनुभव है मेरे पास और कई बार मैंने share भी किया है प्रभु🙏

Swami Triambak giri Fb: सारी दुनिया में सिर्फ सनातन के लोग ही हैं जिनको गुरु की आवश्यकता है अध्यात्म के लिए प्रार्थना के लिए और यहां तक कि जीवन जीने के लिए भी |

जबकि दुनिया के सारे शास्त्र इस बात को स्वीकार करते हैं कि परमात्मा सब जगह है सब जगह है मतलब यह शरीर के अंदर भी है और इस शरीर के अंदर से ही अंदर की आवाज को सुन रहा है तो फिर यह गुरु गुरु करके गुरु डम का प्रचार करके और इस दुनिया में भोले भाले प्रभु प्रेमियों को लूट वाना यह अच्छी बात नहीं है इसी * के प्रचार के कारण यह जबकि दुनिया के सारे शास्त्र इस बात को स्वीकार करते हैं कि परमात्मा सब जगह है सब जगह है मतलब यह शरीर के अंदर भी है और इस शरीर के अंदर से ही अंदर की आवाज को सुन रहा है तो फिर यह गुरु गुरु करके गुरु डम का प्रचार करके और इस दुनिया में भोले भाले प्रभु प्रेमियों को लूट वाना यह अच्छी बात नहीं है इसी * के प्रचार के कारण यह रामवृक्ष रामपाल राम रहीम और आसाराम जैसे अनेकों लुटेरे और भी पैदा हो रहे हैं

Hb 96 A A Dwivedi: यह आर्य समाज के लोग हैं गुरु डम तकिया कलाम👏😊💐🙏🌹🌹

Swami Triambak giri Fb: ऐसा ही विश्वास रामपाल रामवृक्ष राम रहीम और आसाराम के शिष्यों में भी था और अभी भी है

Hb 96 A A Dwivedi: गिरी परम्परा के उच्च कोटि के सन्त महात्मा की शरण में गया और उनके वचनों में जो मधुरता और वाणी का संयम वो दुबारा दिखाई नहीं देता है और दुख की बात है कि जिस गिरी पर्वत पर बाबा गोरखनाथ जी ने शिलान्यास किया उसके लिए गुरु शब्द का अपमान लगातार किया जा रहा है

Swami Triambak giri Fb: हनुमान जी ने ही तो समझाया है जभी तो आपसे कह रहा हूं कि परमात्मा अंदर ही है हर घट में है इसको पहचानो वरना हनुमान जी की उपासना करो हनुमान जी समझाई देंगे

Bhakt Brijesh Singer: लुटेरे पैदा हो रहे है तो क्या गुरु का अस्तित्व नकार दे??

छद्म रूप लेकर और ईश्वर का भेष बनाकर तो बहुत लोग पाप करते है तो क्या ईश्वर नही है??

Swami Triambak giri Fb: ईश्वर है परमेश्वर है और परमेश्वर ही गुरु है

Swami Triambak giri Fb: अगर कोई मुझसे पूछता है कि गुरु और सतगुरु में क्या अंतर है तो इस बात को ऐसे कह सकता हूं और कहता रहा हूं मैं कि इस संपूर्ण संसार संपूर्ण जगत गुरु है और परमात्मा परमेश्वर सद्गुरु है

Bhakt Ranjan Sharma Jaipur: 🙏 राम कृष्ण तो ईश्वर का प्रति रूप थे। तो इन्हे साकार गुरु की आवश्यकता क्यू हुई प्रभु

Bhakt Brijesh Singer: ये कोई आँख बंद करके वाला विश्वास नही अनुभव है मै कोई अनपढ़ नही हूँ पहले प्रैक्टिकल करता हूँ जब अनुभव होता तब विस्वास करता हूँ l

Bhakt Brijesh Singer: जब मेरी उम्र 10 वर्ष थी तब से हनुमान जी की उपासना कर रहा हूँ प्रभु यही मेरे आराध्य है 🙏

Swami Triambak giri Fb: आराध्य से ही पूछो असली मसला क्या है  ❓

मित्रों अब यह विवाद अनावश्यक होता जा रहा है और लंबा होता जा रहा है क्या हम इसको विराम नहीं दे सकते।

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Swami Triambak giri Fb: गुरु बनाना सिर्फ एक मानसिक स्थिति बन गई है और गुरु डम का इतना ज्यादा प्रचार कर दिया गया है कि आदमी गुरु डम से बाहर निकल नहीं पा रहा है |

जिसके कारण चालाक व्यक्ति गुरु बनकर के लालची डरपोक और भोले-भाले प्रभु प्रेमियों को लूट रहे हैं

प्रत्येक मनुष्य की सोच भाव कर्म कर्म फल प्रारंध सभी कुछ अलग हो सकते हैं।

Bhakt Brijesh Singer: उन्होंने ही मिलवाया, जब उनके सामने घंटो रोया 🙂

Swami Triambak giri Fb: जीवन का सुधार सतोगुण से होता है सतोगुण तत्व की शिक्षा है तात्विक चेतना में आने से आप में आ जाएगी |

तात्विक चेतना के बिना जीवन में सुधार का दूसरा तरीका भी है पर उस दूसरे तरीके से मोक्ष नहीं है क्योंकि जब तक आप को इस सर्वज्ञ सर्व व्यापक तत्व का पता नहीं चला इस परमात्मा का पता नहीं चला तब तक आपका ध्यान हर पल परमात्मा में रह नहीं सकता तब तक आप शरीर को सुला करके परमात्मा में ध्यान रख नहीं सकते तो मोक्ष संभव नहीं है |

दूसरा तरीका गुरुओं के पास है, वे कहते हैं दीक्षा लो,  त्रिगुणातीत हो जाओ सतोगुण के चक्कर में ही ना पडो और मंत्र जपो मंत्र से ही सब कुछ हो जाएगा पर मंत्र जपने से सब कुछ नहीं होगा क्योंकि रोटी रोटी करने से पेट नहीं भर सकता पानी पानी करने से प्यास नहीं बुझ सकती |

अभी आपकी चेतना पर निर्भर है कि आप परमात्मा तत्व को पहचान कर हर पल इस में ध्यान लगाते हुए अपने जीवन को सतोगुण बनाकर सद्भक्ति करते हुए जिए सद्भक्ति क्या है परमात्मा से प्रार्थना, दूसरों की सेवा ही धर्म है, सांच बराबर तप नहीं |

दूसरे तरफ गुरु जी गुरु जी करते रहिए और मंत्र मंत्र जपते रहिए क्षणिक लाभ सांसारिक लाभ मिल सकता है पर मोक्ष की संभावना बिल्कुल भी नहीं है |

प्रभु जी आप सही है यह आपका अनुभव हो सकता है लेकिन यह आवश्यक नहीं यह आपका दो औरों को भी हो।

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"MMSTM सवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  देवीदास विपुल 
 

 जय गुरूदेव । जय महाकाली

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