Monday, September 14, 2020

करोना पर यक्ष विचार

 करोना पर यक्ष विचार


विपुल लखनवी। नवी मुम्बई।।


शायद यह कुछ कहने आया है।

जो इसने समय पर नहीं पाया है।।

हम जिंदगी की आपाधापी में।

शायद कुछ भूल गए थे।।

अपने घर से भी होता है रिश्ता।

पर दुनिया में झूल गए।।

शायद यह हमें फिर से जोड़ने आया है।

हमें हमारा घर बतलाने आया है।।

प्रदूषण से कराह रही थी यह धरती।

इसलिए प्रदूषण कम करने आया है।।

बर्गर पिज्जा में घर का खाना हम भूल गए थे। 

इसीलिए हमें घर में खाना खिलाने आया है।।
आभासी फिल्मी दुनिया में हम भूल गए थे अपनी दुनिया।
उस आभासी दुनिया से हमें निकालने आया है।।
खो गई थी जो प्रकृति की रंगीनियां।
उन्हें फिर से वापिस बुलाने आया है।।
वास्तव में करोना हमें मारने नहीं‌।
सुधारने आया है।।


माध्यम तो चीन है पर यह प्रभु की माया है।।


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