▼
जीवन एक मुस्कान है
जीवन एक मुस्कान है
विपुल लखनवी। नवी मुम्बई।।
जीवन एक मुस्कान है। यह सांसो का गान है।।
सांस तेरी कहती क्या। जो तेरी पहचान है।।
जब श्वांस संग हरि भजे। तेरी सांस महकेगी।।
अपने मन हरि बसा ले। यही तेरा निर्वाण है।।
यही जीवन सरल बना। रहे मस्त सदा मन में।।
अंत: मन डूब जा बंदे। यह तो सुख की खान है।।
व्यस्त रहे व मस्त बने। मन मौज में डूबे तू।।
लक्ष्य सदा हरि नाम हो। यह गीता का ज्ञान है।।
दास विपुल जब पा सके। सुख सागर स्वयम मन में।।
तू भी उसको पा बन्दे। यह प्रभु प्राणीधान है।।
न योग की चिंता कर ले। न वियोग में दुख ही कर।।
बस मन को तू स्थिर कर। यह तेरी पहचान है।।
No comments:
Post a Comment