मनोकामना पूर्ति वैदिक मंत्र
सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
विपुल सेन उर्फ विपुल “लखनवी”,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक
एवं कवि
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल
“वैज्ञनिक” ISSN
2456-4818
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उच्चारण की अशुद्धता की संभावना और चरित्र की अपवित्रता के कारण कलियुग में वैदिक मंत्र जल्दी सिद्ध नहीं होते। ऐसे में लोक कल्याण और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सरल तथा सिद्धिदायक शाबर मंत्रों की रचना गुरु गोरखनाथ आदि योगियों ने की थी। शाबर मंत्रों की प्रशंसा करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है।
‘अनमलि
आखर
अरथ
न
जापू। शाबर
सिद्ध
महेश
प्रतापू।।’
लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए ‘जाल शम्बरम्’ से चुने हुए कुछ शाबर मंत्र एवं उनके प्रयोग की विधि यहां प्रस्तुत हैं।
विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामेक्षा भगवती
आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार,
दोनों की प्रीति अमर जाने संसार,
दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई।
ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय,
ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।
धूप-दीप
से
पूजन
और
नैवेद्य
अर्पित
करके
इस
मंत्र का सवा
लाख
जप
करें, लक्ष्मी
का
आगमन
व
चमत्कार
प्रत्यक्ष
दिखाई
देगा। प्रत्येक
कार्य
सफल
होगा, लक्ष्मी
की
कृपा
बनी
रहेगी।
श्री शुक्ले महाशुक्ले, महाशुक्ले कमलदल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नमः।
लक्ष्मी माई सबकी सवाई, आओ चेतो करो भलाई,
ना करो तो सात समुद्रों की दुहाई,
ऋद्धि नाथ देवों नौ नाथ चैरासी सिद्धों की दुहाई।
इस मंत्र का एक माला जप नियमित रूप से करें, कारोबार में उन्नति होगी। जप के बाद दुकान पर चारों दिशाओं को नमस्कार करके धूप-दीप देकर फिर लेन-देन करें, धन लाभ होगा।
ऊँ क्रीं श्रीं चामुंडा सिंहवाहिनी
कोई हस्ती भगवती रत्नमंडित सोनन की माल,
उत्तर पथ में आप बैठी हाथ सिद्ध वाचा,
सिद्धि धन धान्य कुरु-कुरु स्वाहा।
दुर्गा के उपासक लक्ष्मी प्राप्ति के इस मंत्र का सवा लाख जप करें, सभी कार्य सिद्ध होंगे और राजे गार तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।
ऊँ ह्रीं
श्रीं
ठं
ठं
ठं
नमो
भगवते,
मम सर्वकार्याणि
साधय, मां
रक्ष
रक्ष
शीघ्रं
मां
धनिनं।
कुरु
कुरु
फट्
श्रीयं
देहि, ममापति
निवारय
निवारय
स्वाहा।।
धन
प्राप्ति, कार्य सिद्धि या विपत्ति के निवारण के लिए
इस मंत्र का जप करते हुए बेल
के सात
पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाएं और घर
अथवा शिव
मंदिर में
इसका 108 बार जप
नियमित रूप
से करें, मनोकामना पूर्ण होगी।
ऊँ
श्रीं श्रीं श्रीं परमाम् सिद्धिं श्रीं श्रीं श्रीं।
इस मंत्र की सिद्धि के लिए प्रदोष के दिन संध्या के समय शिवजी की पूजा के उपरांत इसका 3 माला जप करें। तत्पश्चात् अगर, तगर, केसर, लाल तथा, श्वेत चंदन, देवदारु, कपूर, गुग्गुल और अश्वगंध के फूल घी में मिलाकर उपर्युक्त मंत्र से 108 आहुतियां दें। लगातार सात प्रदोष यह प्रयोग करने से धन और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
ऊँ भंवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान बिकरा कर मेरा।
उठे जो डण्डी बिके जो माल भंवर वीर सो नहीं जाय।।
शनिवार को प्रातःकाल नहा धोकर हाथ में काले उड़द के इक्कीस साबुत दानें लेकर उक्त मंत्र को 21 बार पढ़कर दुकान के भीतर चारों ओर बिखेर देने से दुकान की बिक्री अभूतपूर्व रूप से बढ़ जाती है।
दुकान खोलने के बाद सफाई करके लक्ष्मी की फोटो के सामने ‘ऊँ लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का एक माला जप करें, दुकान की बिक्री और लाभ में वृद्धि होगी। उक्त मंत्रों के अतिरिक्त निम्न मंत्र का भी 108 बार जप करें।
ऊँ श्री
शुक्ला
महाशुक्ले
निवासे। श्री
महाक्ष्मी
नमो
नमः।।
यदि किसी व्यक्ति को धन प्राप्त करने में बार-बार रुकावटें आ रही हों तो उसे यह उपाय करना चाहिए।
108 पीस हकीक स्टोन लेकर सिद्ध कराएं फिर हकीक स्टोन को लाल कपड़े के ऊपर विराजमान करें उनके ऊपर महालक्ष्मी की बैठी हुई प्रतिमा जिसमें लक्ष्मी जी के चरण कमल ना दिखें उस प्रतिमा की स्थापना करें साथ में धूप दीप फल प्रसाद जो आप कर सके उसके बाद मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें। यह उपाय 40 दिनों तक किया जाना चाहिए। इसे अपने घर पर ही किया जा सकता है। उपाय के अनुसार धन प्राप्ति मंत्र का जप करना है। प्रतिदिन 108 बार।
108 पीस हकीक स्टोन लेकर सिद्ध कराएं फिर हकीक स्टोन को लाल कपड़े के ऊपर विराजमान करें उनके ऊपर महालक्ष्मी की बैठी हुई प्रतिमा जिसमें लक्ष्मी जी के चरण कमल ना दिखें उस प्रतिमा की स्थापना करें साथ में धूप दीप फल प्रसाद जो आप कर सके उसके बाद मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें। यह उपाय 40 दिनों तक किया जाना चाहिए। इसे अपने घर पर ही किया जा सकता है। उपाय के अनुसार धन प्राप्ति मंत्र का जप करना है। प्रतिदिन 108 बार।
मंत्र: ऊँ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं, श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा।
इस मंत्र का जप नियमित रूप से करने पर कुछ ही दिनों महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो जाएगी और आपके धन में आ रही रुकावटें दूर होने लगेंगी।
रोज
सुबह स्नान करने के
बाद आप
साफ कपड़े पहनें।
फिर
घर के
मंदिर के
सामने या
माता लक्ष्मी की
तस्वीर या
मूर्ति के
सामने बैठकर माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
श्री गणेश का
ध्यान करें।
फिर
तुलसी के
दानों की
माला लेकर 108 बार
“ऊँ
श्रीं श्रीये नमः” इस
छोटे से
मंत्र का
जाप करें।
अगर
108 बार
नहीं कर
पाएं या
तुलसी की
माला ना
मिले तो
कम से
कम 21 बार
जरुर जाप
करें।
इस
मंत्र के
प्रभाव से
लक्ष्मी की
कृपा मिलती है। इसे
लक्ष्मी का
बीज मंत्र कहा जाता है।
शुक्रवार के दिन शाम को देवी लक्ष्मी की उपासना के पहले स्नान कर यथासंभव लाल वस्त्र पहन लक्ष्मी मंदिर या घर में लाल आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी का ध्यान अक्षत और लाल फूल हाथ में लेकर नीचे लिखे मंत्र से करें -
महालक्ष्मी च विद्महे, विष्णुपत्नी च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्।
महालक्ष्मी च विद्महे, विष्णुपत्नी च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्।
माता के चरणों में फूल-अक्षत करने के साथ लाल चंदन, अक्षत, लाल वस्त्र, गुलाव के फूलों की माला चढ़ाकर कमलगट्टे की माला या तुलसी की माला से नीचे लिखे विशेष लक्ष्मी मंत्र का जप करें। ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं ॐ नम:।
पूजा व मंत्र जप के बाद माता को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। घी के पांच बत्तियों वाले दीप से आरती कर देवी से सुख-वैभव की कामना करें।
दीपावली की रात मुख्य दरवाजे के बाहर दोनों तरफ १-१ दिया गेहूँ के ढेर पे जलाएं और कोशिश करें की दिया पूरी रात जले|
आपके घर सुख समृद्धि की वृद्धि होगी|
जिनके घर आर्थिक परेशानी हो वो घर में भगवती लक्ष्मी का पूजन करें|
ॐ महालक्ष्मऐ नमः। ॐ विष्णुप्रियाऐ नमः। ॐ श्रीं नमः
इन मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का जप करें। रोज रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय : ॐ सोमाय नमः। ॐ चन्द्रमसे नमः। ॐ रोहिणी कान्ताय नमः। ॐ सोमाय नमः। ॐ चन्द्रमसे नमः। ॐ रोहिणी कान्ताय नमः |
इन मन्त्रों से पूजन करें |
दिवाली की रात को चाँदी की छोटी कटोरी या दिए में कपूर जलने से दैहिक दैविक और भौतिक परेशानी/कष्टों से मुक्ति होती है| दिवाली के दिन स्फटिक की माला से इन मन्त्रों के जप करने से लक्ष्मी आती हैं। ॐ महालक्ष्मऐ नमः। ॐ विष्णुप्रियाऐ नमः। ॐ श्रीं नमःदिवाली की रात गणेशजी को लक्ष्मी जी के बाएं रख कर पूजा की जाये तो कष्ट दूरहोते हैं।
अगर घर में चिक चिक खिच खिच हो या दुकान में बरकत नहीं हो तो *हर रविवार* को एक लोटे में जल भर कर २१ बार गायत्री मन्त्र (*ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात*) का जप कर के जल को दीवारों पर छाँट दे पर ध्यान न रहे की पैरों के नीचे जल ना आये इसलिए दीवारों पे ही छाँटना है|
भगवान श्रीकृष्ण जीवन के कठिन मार्ग को सरल राह में बदल देते हैं। आइए पढ़ें श्रीकृष्ण के सकाम मंत्र, जिनको जपने से मनुष्य के सभी मनोकामनाओं की पूर्ति बड़ी ही सरलता से हो जाती है।
(1) यदि कोई बड़ी आपदा हो और कोई मार्ग न मिल रहा हो तो यथाशक्ति निम्न मंत्र का जाप करें।
मंत्र - 'श्रीकृष्ण:शरणं मम्।'
2) शांति तथा मोक्ष पाने के लिए निम्न मंत्र है। मंत्र - 'ॐ हृषिकेशाय नम:'।
(3) शत्रु शांति के लिए। मंत्र - 'क्लीं हृषिकेशाय नम:'।
(4) मोक्ष पाने के लिए तथा भक्ति वैराग्य के लिए मंत्र - 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'।
(5) सौभाग्य वृद्धि तथा ऐश्वर्य प्राप्ति तथा क्लेश निवारण के लिए निम्न मंत्र जपें।
मंत्र - 'ॐ ऐं श्री क्लीं प्राण वल्लभाय सौ: सौभाग्यदाय श्री कृष्णाय स्वाहा'।
(6) संतान प्राप्ति के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित तथा अमोघ मंत्र निम्न है।
मंत्र - 'ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते'। देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।'
(7) निम्न मंत्र कल्पतरु के समान है। जिसका मानसिक जाप हमेशा कर सकते हैं। मंत्र - 'ॐ नमो नारायणाय'
(8) कैसी भी समस्या को दूर करने हेतु निम्न पाठ किया जाता है। मंत्र - गजेन्द्र मोक्ष के 108 पाठ।
राम, कृष्ण, विष्णु के मंत्र का जाप तुलसी की माला से ही करें तथा पीला या लाल आसन मोक्ष के लिए कुश-आसन का प्रयोग कर सकते हैं। पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर सामने भगवान का चित्र, घी का दीपक, धूप तथा नैवेद्यादि लगाकर जप करें। इति:।
राम, कृष्ण, विष्णु के मंत्र का जाप तुलसी की माला से ही करें तथा पीला या लाल आसन मोक्ष के लिए कुश-आसन का प्रयोग कर सकते हैं। पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर सामने भगवान का चित्र, घी का दीपक, धूप तथा नैवेद्यादि लगाकर जप करें। इति:।
इच्छापूर्ति के लिए श्री दुर्गा सप्तशती से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है। इसे पांचवां वेद कहा गया है। ऐसी कोई कामना नहीं, जिसकी पूर्ति इसके मंत्रों के प्रयोग से पूर्ण न हो। कुछ विशेष मंत्र नीचे दिए गए हैं तथा उनका प्रयोग भी साथ है।
1. हैजा-प्लेग जैसी महामारी नाश के लिए-
'ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।'
2. रोग नाश के लिए -
'रोगान शेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा, तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वांमाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।'
3. दु:ख-दारिद्रय नाश के लिए -
'दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:, स्वस्थै: स्मृता मतिमअतीव शुभां ददासि।
दारिद्रय-दु:ख-भयहारिणी का त्वदन्या, सर्वोपकार करणाय सदाऽर्द्रचित्ता:।।'
4. कार्य की सफलता हेतु -
'धर्म्याणि देवि सकलानि सदैव कर्मा, एत्यादृतः प्रतिदिनं सुकृती करोति।
स्वर्गं प्रयाति च ततो भवती प्रवीती प्रसादात्, लोकत्रयेपि फलदा ननु देवि/ तेन।।'
5. अचानक विपत्ति या उपद्रवों की शांति हेतु -
'रक्षांसि यन्त्रोग्रविषाश्च नागा, यत्रास्यो दस्यु बलानि यत्र।
दावानलो यत्र तथाऽब्धि मध्ये, तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्।।'
6. समस्त कार्यों की सिद्धि तथा देवी कृपा प्राप्ति के लिए-
'शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे,
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।'
उपरोक्त मंत्रों का प्रयोग यथाशक्ति 11-21-51 माला प्रतिदिन देवी का पूजन करने के पश्चात रुद्राक्ष की माला से कर अंत में प्रचलित पदार्थों के प्रयोग से हवन करें। कन्या तथा भूखे को भोजन अवश्य कराएं। कामनापूर्ति होगी।
विश्व
की
रक्षा
के
लिये
या श्री: स्वयं सुक्रितिनाम भवनेवश्वल्क्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सता कुलजन प्रभवस्य लज्जा
ताम त्वां नता: स्म परिपालय देवी विश्वम॥
भय के नाश
के
लिए
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यंस्त्राहि नो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते॥
एतेत्ते वन्दन सौम्यं लोचनत्रयभूषितम।
पातु न: सर्वभितिभ्य: कात्यायनी नमोस्तुते॥
विपत्ति
नाश
के
लिए
–
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायने।
सर्वस्यातिहरे देवी नारायणी नमोस्तुते॥
रोग
नाश
के
लिए
–
रोगानशेषानपहसि तुष्टा
रुष्टा तू कमान सकलान भिष्टान।
त्वामाश्रीतानां न विपन्नराणाम
त्वामाश्रिता हव्याश्रयतां प्रयान्ति॥
महामारी
नाश
के
लिये
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली क्पालनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते॥
आरोग्य
और
सौभाग्य
की
प्राप्ति
के
लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परम सुखम।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि दिवषो जही॥
गुणवान
पत्नी
प्राप्ति
के
लिए
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृतानुसारिणीम।
तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्धवाम॥
प्रसन्नता
प्राप्ति
के
लिए
प्रणतानां प्रसिद त्वं देवी विश्वा तिर्हारिणी।
त्रेलोक्य वासिनामीडये लोकानां वरदा भव॥
सभी
कामनाओ
की प्राप्ति
के लिये
सर्वमंगल मांगलेय शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तु ते॥
शुभ
प्राप्ति
के
लिये
–
करोतु सा न: शुभहेतुरिश्वरी
शुभानि भद्राणयभिह्न्तु चापद:।
मोक्ष
प्राप्ति
के
लिये
–
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवियां
विश्वस्य बीजं परमासि माया।
सम्मोहित देवि स्म्स्तमेतत
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्ति हेतु:॥
रक्षा
पाने
के
लिये
शूलेन पाहि नो देवी पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घंटास्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च॥