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Thursday, April 4, 2019

चांचरी, अगोचरी, उन्मनी



चांचरी, अगोचरी, उन्मनी


चांचरी- सर्वप्रथम दृष्टि को नाक से चार अंगुल आगे स्थिर करने का अभ्यास करना चाहिए। इसके बाद नासाग्र पर दृष्टि को स्थिर करें, फिर भूमध्य में दृष्टि स्थिर करने का अभ्यास करें। इससे मन एवं प्राण स्थिर होकर ज्योति का दर्शन होता है।


अगोचरी- शरीर के भीतर नाद में सभी इंद्रियों के साथ मन को पूर्णता के साथ ध्यान लगाकर कान से भीतर स्थित नाद को सुनने का अभ्यास करना चाहिए। इससे ज्ञान एवं स्मृति बढ़ती है तथा चित्त एवं इंद्रियां स्थिर होती हैं।



उन्मनी- सहस्त्रार (जो सर की चोटी वाला स्थान है) में पूर्ण एकाग्रता के साथ मन को लगाने का अभ्यास करने से आत्मा परमात्मा की ओर गमन करने लगती है और व्यक्ति ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ने लगता है।

चेतावनी- यह आलेख सिर्फ जानकारी हेतु है। कोई भी व्यक्ति इसे पढ़कर करने का प्रयास ना करें, क्योंकि यह सिर्फ साधकों के लिए है आम लोगों के लिए नहीं।


MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :  https://freedhyan.blogspot.com/


इस ब्लाग पर प्रकाशित साम्रगी अधिकतर इंटरनेट के विभिन्न स्रोतों से साझा किये गये हैं। जो सिर्फ़ सामाजिक बदलाव के चिन्तन हेतु ही हैं। कुलेखन साम्रगी लेखक के निजी अनुभव और विचार हैं। अतः किसी की व्यक्तिगत/धार्मिक भावना को आहत करना, विद्वेष फ़ैलाना हमारा उद्देश्य नहीं है। इसलिये किसी भी पाठक को कोई साम्रगी आपत्तिजनक लगे तो कृपया उसी लेख पर टिप्पणी करें। आपत्ति उचित होने पर साम्रगी सुधार/हटा दिया जायेगा।

धन्यवाद!

भूचरी मुद्रा



भूचरी मुद्रा


  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सुखासन की स्थिति में बैठ जाए।
  • ध्यान रहे की इस आसन में रीढ़ की हड्डी और कमर सीधी होनी चाहिए।
  • इसके बाद हथेलियों को ऊपर की तरफ करके फिर घुटनो पर रखे।
  • इस अवस्था में आराम का अनुभव करे।
  • अब आँखों को बंद कर ले और साथ ही गहरी साँस ले नाक के द्वारा ही साँस को बाहर की ओर छोड़े।
  • फिर एक हाथ ऊपर की तरफ उठाए और अँगूठे के जरिये ऊपर के होठ को हलके से दबाएँ।
  • इसमें आपकी हथेलियां नीचे की तरफ होना चाहिए और कुहनी के बिलकुल सीध में उंगलियां होनी चाहिए।
  • इतना होने के बाद अपनी आँखों को खोल ले और फिर अपनी छोटी उंगली की तरफ देखने का प्रयत्न करे।
  • ध्यान रहे की इसमें आपको पलकें नहीं झपकाना है।
  • प्रयत्न करे की इस अभ्यास को आप 10 मिनट तक कर सके।
  • इसके बाद अपनी सामान्य मुद्रा में वापस जाये।

फायदे

  • भूचरी मुद्रा के अभ्यास से गुस्से पर नियंत्रण किया जा सकता है।
  • भूचरी मुद्रा के अभ्यास से मानसिक शांति मिलती है और फोकस में वृद्धि होती है।
  • यदि आपका ध्यान कार्य में नहीं लग पा रहा है तो इसके अभ्यास से यह संभव हो जाता है।
  • भूचरी मुद्रा दिमाग के लिए बहुत ही अच्छी मानी जाती है, यह मुद्रा दिमागी संतुलन बनाये रखने में मदद करती है।
  • इसके अभ्यास से यदि आपके द्वारा कोई चीज पढ़ी गयी है पर आपको याद नहीं रहती है तो यह आपकी याददाश्त को बढ़ाने का कार्य करती है।

  • इस मुद्रा का अभ्यास किसी जानकार प्रशिक्षक की उपस्थिति में ही करे।
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MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
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