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Tuesday, July 31, 2018

भाग – 30 इस्लाम 2 : वो जो मुसलमान भी नहीं जानते

भाग – 30 इस्लाम 2 :  वो जो मुसलमान भी नहीं जानते
धर्म ग्रंथ और संतो की वैज्ञानिक कसौटी
संकलनकर्ता : सनातन पुत्र देवीदास विपुल “खोजी”


विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल वैज्ञनिक ISSN 2456-4818
 वेब:   vipkavi.info , वेब चैनल:  vipkavi
 फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"  
ब्लाग : https://freedhyan.blogspot.com/


मुसलमान अक्सर यह दावा करते हैं कि अल्लाह की नजर में स्त्री और पुरुष दोनों समान हैं और क़यामत के दिन दोनों को उनके कर्मों के अनुसार फल दिया जाएगा और यह तय किया जाएगा कि कौन जन्नत में जाएगा और कौन जहन्नम में जाएगा. लेकिन नीचे की  हदीस जो  बयां  कर  रही  हैं।  वह बिल्कुल   उल्टा  ही  बयां   क्यों  कर  रहा है।

"इब्ने उम्र ने कहा कि रसूल ने कहा कि औरतें दुनिया की सबसे घटिया मखलूक हैं. और हर तरह से जहन्नम में जाने के योग्य हैं "  बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 31



वहीं  ये  भी बोला 

1. अल्लाह पाक ने तुम पर बेटीयों को जिंदा दफ़न करना हराम किया है । [बुखारी: 2408] 
2. [नाबालीग़] बच्चे और जिंदा दफ़न की हुई [बच्ची] जन्नत मे जाऐगी । [अबु दाऊद: 2521]

3. [बच्ची को] जिंदा दफ़न करने वाली जहन्नम मे होगी । [अबु दाऊद: 4717]
4. जिस आदमी की दो बेटीयाँ हो और जब तक वह उस के साथ रहे या जब तक वह उन के साथ रहे उन के साथ हुस्न ए सुलूक से पेश आता रहे तो वह दोनो उसे जन्नत मे दाख़िल करा देंगी । [इब्न माजह: 3670]
5. अपनी औलाद के बीच इंसाफ़ करो, अपनी औलाद के बीच इंसाफ़ करो, अपनी औलाद के बीच इंसाफ़ करो । [अबु दाऊद: 3544]
बेटी से मोहब्बत करना हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी प्यारी बेटी सैय्यदा फ़ातिमा रज़िअल्लाहु अन्हा से बेहद मोहब्बत करते थे और उन के बारे मे यहां तक कहा: फ़ातिमा [रज़िअल्लाहु अन्हा] मेरे जिगर का तुकड़ा है, जिस ने उसे नाराज़ किया उस ने मुझे नाराज़ किया । [बुखारी: 3714]
बेटी का जन्म होने से पहले उसे गिरा देने वालों!
बेटी के जन्म होने पर उसे किसी जगह फेंक देने वालों!
बेटी के जन्म को बुरा समझने वालों!

याद रखों!!!
जो रहेम नही करता, उस पर रहेम नही किया जाता । [तिर्मिज़ी: 1560]




04 सूरए निसा, पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com 

और जिन औरतों से तुम्हारे बाप दादाओं से (निकाह) जिमा (अगरचे जि़ना) किया हो तुम उनसे निकाह न करो मगर जो हो चुका (वह तो हो चुका) वह बदकारी और ख़ुदा की नाख़ुशी की बात ज़रूर थी और बहुत बुरा तरीक़ा था (22)
(मुसलमानों हसबे जे़ल) औरतें तुम पर हराम की गयी हैं तुम्हारी माएं (दादी नानी वगै़रह सब) और तुम्हारी बेटियाँ (पोतियाँ ) नवासियाँ (वगै़रह) और तुम्हारी बहनें और तुम्हारी फुफियाँ और तुम्हारी ख़ालाएं और भतीजियाँ और भंजियाँ और तुम्हारी वह माएं जिन्होंने तुमको दूध पिलाया है और तुम्हारी रज़ाई (दूध शरीक) बहनें और तुम्हारी बीवीयों की माँए और वह (मादर जि़लो) लड़कियां जो तुम्हारी गोद में परवरिश पा चुकी हो और उन औरतों (के पेट) से (पैदा हुयी) हैं जिनसे तुम हमबिस्तरी कर चुके हो हाँ अगर तुमने उन बीवियों से (सिर्फ निकाह किया हो) हमबिस्तरी न की तो अलबत्ता उन मादरजि़लों (लड़कियों से) निकाह (करने में) तुम पर कुछ गुनाह नहीं है और तुम्हारे सुलबी लड़को (पोतों नवासों वगै़रह) की बीवियाँ (बहुए) और दो बहनों से एक साथ निकाह करना मगर जो हो चुका (वह माफ़ है) बेशक ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है (23)

 02 सूरए बक़रा पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com

और (वह वक़्त भी याद करो) जब मूसा ने अपनी क़ौम के लिए पानी माँगा तो हमने कहा (ऐ मूसा) अपनी लाठी पत्थर पर मारो (लाठी मारते ही) उसमें से बारह चश्में फूट निकले और सब लोगों ने अपना-अपना घाट बखूबी जान लिया और हमने आम इजाज़त दे दी कि खु़दा की दी हुयी रोज़ी से खाओ पियो और मुल्क में फसाद न करते फिरो (60)


सलाह: ऐ मुसलमानों तुम यह देखो। खुदा का आदेश तुम जिस मुल्क में रहते हो उसके साथ फसाद क्यों करते हो???  मुल्क को अपना क्यों नहीं समझते। क्यों बहक कर आतंकी बन जाते हो???

(और वह वक़्त भी याद करो) जब तुमने मूसा से कहा कि ऐ मूसा हमसे एक ही खाने पर न रहा जाएगा तो आप हमारे लिए अपने परवरदिगार से दुआ कीजिए कि जो चीज़े ज़मीन से उगती है जैसे साग पात तरकारी और ककड़ी और गेहूँ या (लहसुन) और मसूर और प्याज़ (मन व सलवा) की जगह पैदा करें (मूसा ने) कहा क्या तुम ऐसी चीज़ को जो हर तरह से बेहतर है अदना चीज़ से बदलन चाहते हो तो किसी शहर में उतर पड़ो फिर तुम्हारे लिए जो तुमने माँगा है सब मौजूद है और उन पर ज़िल्लत रूसवाई और मोहताजी की मार पड़ी और उन लोगों ने क़हरे खु़दा की तरफ पलटा खाया, ये सब इस सबब से हुआ कि वह लोग खु़दा की निशानियों से इन्कार करते थे और पैग़म्बरों को नाहक शहीद करते थे, और इस वजह से (भी) कि वह नाफ़रमानी और सरकशी किया करते थे (61)

और (वह वक़्त याद करो) जब हमने (तामीले तौरेत) का तुमसे एक़रार लिया और हमने तुम्हारे सर पर तूर से (पहाड़ को) लाकर लटकाया और कह दिया कि तौरेत जो हमने तुमको दी है उसको मज़बूत पकड़े रहो और जो कुछ उसमें है उसको याद रखो (63)
 
क्या यह कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने का जिक्र तो नहीं????




 सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि सारी औरतें एक बार नहीं तीन तीन बार जहन्नम में भेजने के योग्य हैं . "सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 826 .और सुंनं मसाई -जिल्द 2 हदीस 1578 पेज 342


"इब्ने अब्बास ने कहा कि रसूल ने कहा कि औरतें तो जहन्नम का ईंधन हैं, जिन से जहन्नम की आग को तेज किया जाएगा . "बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 124 और मुस्लिम -किताब 36 हदीस 6596


 05 सूरए अल माएदह (ख़्वान)पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com

और चोर ख़्वाह मर्द हो या औरत तुम उनके करतूत की सज़ा में उनका (दाहिना) हाथ काट डालो ये (उनकी सज़ा) ख़ुदा की तरफ़ से है और ख़ुदा (तो) बड़ा ज़बरदस्त हिकमत वाला है (38)
हाँ जो अपने गुनाह के बाद तौबा कर ले और अपने चाल चलन दुरूस्त कर लें तो बेशक ख़ुदा भी तौबा कु़बूल कर लेता है क्योंकि ख़ुदा तो बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है (39)


विचार: जब माफी की बात की गई तो मुस्लिम देश माफ क्यों नहीं करते???


"इमरान बिन हुसैन ने कहाकि रसूल ने कहा कि ,जहन्नम को औरतों से भर दिया जाएगा .यहांतक कि दूसरों के लिए कोई जगह नहीं रहेगी  "बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 464 



109 सूरए अल काफिरून पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
सूरए अल काफिरून मक्का या मदीना में नाजि़र हुआ और उसकी छः (6) आयतें हैं
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ काफिरों (1)
तुम जिन चीज़ों को पूजते हो, मैं उनको नहीं पूजता (2)
और जिस (ख़ुदा) की मैं इबादत करता हूँ उसकी तुम इबादत नहीं करते (3)
और जिन्हें तुम पूजते हो मैं उनका पूजने वाला नहीं (4)
और जिसकी मैं इबादत करता हूँ उसकी तुम इबादत करने वाले नहीं (5)
तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन मेरे लिए मेरा दीन (6)


विचार: तो क्या अल्ल्ह अलग है। जो हम समझते है कि ईश गाड अल्ल्ह एक है???

"अब्दुला इब्ने अब्बास ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अल्लाह बिना किसी भेदभाव के सारी औरतों को जहन्नम में दाखिल कर देगा .जाहे वे कितनी ही नमाजी और परहेजदार क्यों न हों "
बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 28 और बुखारी -जिल्द 2 किताब 2 हदीस 161




108 सूरए अल कौसर पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
सूरए अल कौसर मक्का या मदीने में नाजि़र हुआ और उसकी तीन (3) आयतें हैं
खुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ऐ रसूल) हमनें तुमको को कौसर अता किया, (1)
तो तुम अपने परवरदिगार की नमाज़ पढ़ा करो (2)
और क़ुर्बानी दिया करो बेशक तुम्हारा दुश्मन बे औलाद रहेगा (3)

विचार: क्या आल्ल्ह इतना तंग दिल जो दुशमन को बद्दुआ दे। ऐसा नही6  हो सकता।  वह परवर दिगार बेह्द रहीम और बक्शनेवाला है। ?????? 


 
"इब्ने अब्बास ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि मैं जहन्नम को औरतों से ठसाठस भरवा दूंगा .और देखूंगा कि कोई खाली जगह न रहे "

“बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 125 और बुखारी -जिल्द 6 किताब 1 हदीस 301 और मिश्कात -जिल्द 4 किताब 42 हदीस 24.

93 सूरए अज़ जुहा पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
क्या उसने तुम्हें यतीम पाकर (अबू तालिब की) पनाह न दी (ज़रूर दी) (6)
और तुमको एहकाम से नावाकिफ़ देखा तो मंजि़ले मक़सूद तक पहुँचा दिया (7)
और तुमको तंगदस्त देखकर ग़नी कर दिया (8)
तो तुम भी यतीम पर सितम न करना (9)
माँगने वाले को झिड़की न देना (10)
और अपने परवरदिगार की नेअमतों का जि़क्र करते रहना (11)



"सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अल्लाह ने यह पाहिले से ही तय कर लिया है कि ,वह जितनी भी औरतें है उन सबको जहन्नम की आग में झोंक देगा .ओर इस में किसी भी तरह कि शंका नहीं है . "बुखारी - जिल्द 7 किताब 62 हदीस 124 . 

तिरमिजी -हदीस 5681 और मिश्कात -जिल्द 4 किताब 42 हदीस 24


 90 सूरए अल बलद : पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com

मोहताज को (15)
खाना खिलाना (16)
फिर तो उन लोगों में (शामिल) हो जाता जो ईमान लाए और सब्र की नसीहत और तरस खाने की वसीयत करते रहे (17)
यही लोग ख़ुश नसीब हैं (18)
और जिन लोगों ने हमारी आयतों से इन्कार किया है यही लोग बदबख़्त हैं (19)
कि उनको आग में डाल कर हर तरफ से बन्द कर दिया जाएगा

मतलब  जो  हमारी  बात  नहीं  मानेगा  वह  दंड  भोगेगा।???????मतलब  यह  जो  तुम्हे  न  मानें   उन के  प्रति   इतनी  नफरत ।  क्या  यह इंसानिअत  है??????

विचार: आल्लह तो नफरत सिखा  ही नहीं सकता। जैसा मैं  समझता  हूं। 


"सैदुल्खुदारी ने कहाकि ,रसूल ने कहा कि ,जहन्नम में अधिकाँश औरतें ही होंगी .और उनको दर्दनाक सजाएं दी जायेंगी. सबसे पहिले छोटे छोटे पत्थरों को गर्म किया जाएगा. फिर उन पत्थरों को औरतों की छातियों पर रख दिया जाएगा. जिस से उनकी छातियाँ जल जायेगी. फिर उन गर्म पत्थरों को औरतों के आगे और पीछे के छेदों में घुसा दिया जाएगा, जिस से उनको दर्द होगा और यह सब मेरे सामने होगा. बुखारी -जिल्द 1 किताब 22 हदीस 28


 86 सूरए अत तारिक़: : पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com



बेशक ये कुफ़्फ़ार अपनी तदबीर कर रहे हैं (15)
और मैं अपनी तरजी कर रहा हूँ (16)
तो काफि़रों को मोहलत दो बस उनको थोड़ी सी मोहलत दो (17)
"रसूल ने कहा कि जहन्नम के चौकीदार होंगे, और अगर कोई और बाहर निकलनेकी कोशिश करेगी तो उसे वापिस जहन्नम में डाल दिया जाएगा "इब्ने माजा -किताब१हदीस 113 पेज 96


 70 सूरए अल मआरिज : पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
तो (ऐ रसूल) काफ़िरों को क्या हो गया है (36)
कि तुम्हारे पास गिरोह गिरोह दाहिने से बाएँ से दौड़े चले आ रहे हैं (37)
क्या इनमें से हर शख़्स इस का मुतमइनी है कि चैन के बाग़ (बेहिश्त) में दाखि़ल होगा (38)
हरगिज़ नहीं हमने उनको जिस (गन्दी) चीज़ से पैदा किया ये लोग जानते हैं (39)
तो मैं मशरिकों और मग़रिबों के परवरदिगार की क़सम खाता हूँ कि हम ज़रूर इस बात की कु़दरत रखते हैं (40)
कि उनके बदले उनसे बेहतर लोग ला (बसाएँ) और हम आजिज़ नहीं हैं (41)
तो तुम उनको छोड़ दो कि बातिल में पड़े खेलते रहें यहाँ तक कि जिस दिन का उनसे वायदा किया जाता है उनके सामने आ मौजूद हो (42)
उसी दिन ये लोग क़ब्रों से निकल कर इस तरह दौड़ेंगे गोया वह किसी झन्डे की तरफ़ दौड़े चले जाते हैं (43)
(निदामत से) उनकी आँखें झुकी होंगी उन पर रूसवाई छाई हुयी होगी ये वही दिन है जिसका उनसे वायदा किया जाता था (44)




65 सूरए अत तलाक़ पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com



ऐ रसूल (मुसलमानों से कह दो) जब तुम अपनी बीवियों को तलाक़ दो तो उनकी इद्दत (पाकी) के वक़्त तलाक़ दो और इद्दा का शुमार रखो और अपने परवरदिगार ख़ुदा से डरो और (इद्दे के अन्दर) उनके घर से उन्हें न निकालो और वह ख़ुद भी घर से न निकलें मगर जब वह कोई सरीही बेहयाई का काम कर बैठें (तो निकाल देने में मुज़ायका नहीं) और ये ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुयी) हदें हैं और जो ख़ुदा की हदों से तजाउज़ करेगा तो उसने अपने ऊपर आप ज़ुल्म किया तो तू नहीं जानता शायद ख़ुदा उसके बाद कोई बात पैदा करे (जिससे मर्द पछताए और मेल हो जाए) (1)
तो जब ये अपना इद्दा पूरा करने के करीब पहुँचे तो या तुम उन्हें उनवाने शाइस्ता से रोक लो या अच्छी तरह रूख़सत ही कर दो और (तलाक़ के वक़्त) अपने लोगों में से दो आदिलों को गवाह क़रार दे लो और गवाहों तुम ख़ुदा के वास्ते ठीक ठीक गवाही देना इन बातों से उस शख़्स को नसीहत की जाती है जो ख़ुदा और रोजे़ आख़ेरत पर ईमान रखता हो और जो ख़ुदा से डरेगा तो ख़ुदा उसके लिए नजात की सूरत निकाल देगा (2)
और उसको ऐसी जगह से रिज़्क़ देगा जहाँ से वहम भी न हो और जिसने ख़ुदा पर भरोसा किया तो वह उसके लिए काफी है बेशक ख़ुदा अपने काम को पूरा करके रहता है ख़ुदा ने हर चीज़ का एक अन्दाज़ा मुक़र्रर कर रखा है (3)
और जो औरतें हैज़ से मायूस हो चुकी अगर तुम को उनके इद्दे में शक होवे तो उनका इद्दा तीन महीने है और (अला हाज़ल क़यास) वह औरतें जिनको हैज़ हुआ ही नहीं और हामेला औरतों का इद्दा उनका बच्चा जनना है और जो ख़ुदा से डरता है ख़ुदा उसके काम मे सहूलित पैदा करेगा (4)
ये ख़ुदा का हुक़्म है जो ख़ुदा ने तुम पर नाजि़ल किया है और जो ख़ुद डरता रहेगा तो वह उसके गुनाह उससे दूर कर देगा और उसे बड़ा दरजा देगा (5) 




जहन्नम में खून का पानी (मवाद )पिलाया जाएगा. सूरा इब्राहीम -14 :15 -17
लोहे की बेड़िया होंगी और खाने को कांटे होंगे. सूरा मुज्जम्मिल -73 :12
आग से बने हुए कपडे होंगे ,सर पर गर्म पानी डाला जाएगा ,लोहे कि गुर्ज (hooked rods )से धुनाई होगी
सूरा हज्ज -22 :19 -21।


जहन्नम में सदा के लिए रहना होगा ".सूरा अत तौबा -9 :63

अल्लाह चाहता है कि  मुसलमान   जिहाद के लिए अपने बाप, भाई और पत्नियों को भी छोड़ दें, तभी अल्लाह खुश होगा, जैसा की कुरान में  कहा है । "अल्लाह   तो उन्हीं  लोगों  को अधिक पसंद  करता  है, जो अल्लाह की ख़ुशी के लिए पंक्ति  बना कर जिहाद  करते हैं  " सूरा -अस सफ 61 :4
" हे नबी  कहदो ,तुम्हें  अपने बाप ,भाई, पत्नियाँ  और  जो माल तुमने कमाया है, जिन से तुम  जितना  प्रेम  करते हो और उनके छूट जाने का  डर  लगा  रहता है लेकिन  उसकी तुलना में अल्लाह के रसूल को  जिहाद  अधिक प्रिय  है " सूरा -तौबा 9 :24 


सूरए अल वाकिअह पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
यही लोग (ख़ुदा के) मुक़र्रिब हैं (11)
आराम व आसाइश के बाग़ों में बहुत से (12)
तो अगले लोगों में से होंगे (13)
और कुछ थोडे से पिछले लोगों में से मोती (14)
और याक़ूत से जड़े हुए सोने के तारों से बने हुए (15)
तख़्ते पर एक दूसरे के सामने तकिए लगाए (बैठे) होंगे (16)
नौजवान लड़के जो (बेहिष्त में) हमेशा (लड़के ही बने) रहेंगे (17)
(शरबत वग़ैरह के) सागर और चमकदार टोटीदार कंटर और शफ़्फ़ाफ़ शराब के जाम लिए हुए उनके पास चक्कर लगाते होंगे (18)
जिसके (पीने) से न तो उनको (ख़ुमार से) दर्दसर होगा और न वह बदहवास मदहोश होंगे (19)
और जिस कि़स्म के मेवे पसन्द करें (20)
और जिस कि़स्म के परिन्दे का गोश्त उनका जी चाहे (सब मौजूद है) (21)
और बड़ी बड़ी आँखों वाली हूरें (22)
जैसे एहतेयात से रखे हुए मोती (23)
ये बदला है उनके (नेक) आमाल का (24)

" اللَّاتِي هَاجَرْنَ مَعَكَ وَامْرَأَةً مُؤْمِنَةً إِنْ وَهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِيِّ إِنْ أَرَادَ النَّبِيُّ  "
" हे नबी  हमने तुम्हारे लिए वह  सभी ईमान  वाली ( मुस्लिम )  औरतें  हलाल  कर दी हैं,   जो रसूल के  उपयोग  के लिए  खुद को  " हिबा-
هِبة  " ( समर्पित ) कर दें " सूरा -अहजाब 33: 50
" and  believing woman who offers herself freely  use to the Prophet -Sura-ahzab33:50
नोट -अरबी  शब्द  हिबा  का अर्थ  अपनी किसी  चीज  दूसरों  को उपयोग के  लिए सौंप   देना, हिबा कुछ  समय के लिए और  हमेशा के लिए भी हो सकता  है. हिबा में  मिली गयी चीज का   जैसे चाहें   उपयोग किया जा सकता है. चाहे  वह  औरत हो  या कोई वस्तू


अंगरेजी अखबार डेली  न्यूज (DailyNews )  दिनांक  20 सितम्बर  2013  में प्रकाशित खबर के अनुसार सीरिया  में होने वाले  युद्ध  (जिहाद) में जिहादियों लिए ऐसी औरतों की जरुरत थी, जो जिहादियों के साथ सम्भोग करके उनकी वासना शांत कर सकें, ताकि वह बिना थके जिहाद करते रहे,  इसके लिए अगस्त के अंत में  एक सुन्नी  मुफ़्ती  ने फतवा भी जारी कर दिया था. जो " फारस  न्यूज  ( FarsNews  ) छपा था .इस  फतवे की खबर पढ़ते ही " ट्यूनीसिया  (Tunisia)  की  हजारों  विवाहित और कुंवारी औरतें सीरिया रवाना हो गईं. जिहाद के नाम  पर   जिहादियों  के साथ  सम्भोग  करने के लिए राजी  हो गयीं. ट्यूनिसिया के "आतंरिक मामले के मंत्री (Interior Minister) "लत्फी बिन जद्दू - لطفي بن جدو " ने ट्यूनिसिया  की National Constituent Assembly में  बड़े गर्व से  बताया कि जो औरतें  सीरिया  गयी  है, उनमे अक्सर ऐसी औरतें  हैं, जो  एक दिन  में 20 -30  और यहां तक 100  जिहादियों  के साथ  सम्भोग कर सकती हैं. जो औरतें  गर्भवती  हो जाती  हैं,   उन्हें वापिस भेज दिया जाता है,  जिस मुफ़्ती  ने इस प्रकार के जिहाद  कफतावा दिया था , उसने इस का नाम  "जिहाद  अल  निकाह - الجهاد النِّكاح " का नाम  दिया  है . सुन्नी  उल्रमा के अनुसार  यह  एक ऐसा   पवित्र और    वैध  काम  है, जिसमे  एक औरत  कई कई जिहादियों  के साथ  सम्भोग करके  उनकी  वासना  शांत  कराती है. लत्फी  बिन जददू  ने यह भी  बताया कि मार्च से  लेकर अब तक   छह  हजार (6000) औरतें  सीरिया  जा चुकी हैं. कुछ  की आयु तो केवल 14  साल  ही है .
 http://www.hurriyetdailynews.com/tunisian-women-waging-sex-jihad-in-syria-minister.aspx?pageID=238&nID=54822&NewsCatID=352


"    ووعد أيضا "الجنة" بالنسبة لأولئك الذين يتزوجون من المسلحين "
    यह फतवा  कुरान  की इस आयत के आधार पर  जारी  किया  गया  है ,
" जिन लोगों ने अपने मन  और  शरीर से जिहाद किया तो ऐसे   लोगों  का  दर्जा सबसे  ऊंचा   माना  जाएगा " सूरा -तौबा 9 :29
शेख  मुहम्मद अल आरिफी  ने टी वी   पर  जो सेक्स  जिहाद का फतवा  दिया  था , वह  यू ट्यूब   पर  मौजूद है ,इस विडिओ का नाम   है  , जिहाद  अल निकाह -jihad al nikah- جهاد النكاح ... فتوى حقيقة او بدعة "  http://www.youtube.com/watch?v=2ftO8Zkvl18

बहुत  कम लोग जानते होंगे कि  मुसलमानों  के  रसूल मुहम्मद साहब और उनके साथी भी केसरिया   यानि  भगवा  रंग के कपडे पहिना करते थे,  इसके  बारे में  तीन प्रामाणिक  हदीसें   दी   जा  रही   हैं

इसलाम में केसरिया रंग
"कायलाह बिन  मुकरामह ने  कहा कि मैंने देखा कि रसूल दो  लुंगियां ( कमर में बांधने  वाला ) कपडा लपेटे हुए थे,  जो  केसरिया  रंग से  रंगा हुआ था"

Qaylah bin Makhramah (R.A) says:
"I saw Rasulullah (S.A.W) in such a state that he was wearing two old lungis (sarong, waist wrap) that had been dyed a saffron colour

، عَنْ قَيْلَةَ بِنْتِ مَخْرَمَةَ، قَالَتْ‏: رَأَيْتُ النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم وَعَلَيْهِ أَسْمَالُ مُلَيَّتَيْنِ، كَانَتَا بِزَعْفَرَانٍ

 Shama'il Muhammadiyah-
الشمائل المحمدية

English reference  : Book 8, Hadith 64
Arabic reference  : Book 8, Hadith 66

अब्दुलाह बिन  जैद  ने अपने पिता की  बात बयान  की है  कि इब्ने उमर अपने कपडे भगवा रंग में रंगवाया करते थे, कारण पूछने से उन्होंने बताया की अल्लाह  के  रसूल भी केसरिया रंग  से कपडे रंगवाया करते  थे "

'Abdullah bin Zaid narrated from his father that:
Ibn 'Umar used to dye his garments with saffron. He was asked about that and he said: "The Messenger of Allah [SAW] used to dye his clothes (with it)."

"
، أَنَّ ابْنَ عُمَرَ، كَانَ يَصْبُغُ ثِيَابَهُ بِالزَّعْفَرَانِ فَقِيلَ لَهُ فَقَالَ كَانَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم يَصْبُغُ .

Reference  : Sunan an-Nasa'i 5115
In-book reference  : Book 48, Hadith 76
English translation  : Vol. 6, Book 48, Hadith 5118


मलिक बिन नाफय कहते हैं  की इब्न  उमर  गेरुआ  ( गेरू  मिट्टी रंग जैसे  )  केसरिया कपडे  पहिना करते   थे "

from Malik from Nafi that Abdullah ibn Umar wore garments dyed with red earth and dyed with saffron.

"
وَحَدَّثَنِي عَنْ مَالِكٍ، عَنْ نَافِعٍ، أَنَّ عَبْدَ اللَّهِ بْنَ عُمَرَ، كَانَ يَلْبَسُ الثَّوْبَ الْمَصْبُوغَ بِالْمِشْقِ وَالْمَصْبُوغَ بِالزَّعْفَرَانِ .  "

Muwatta Malik-USC-MSA web (English) reference  : Book 48, Hadith 4

Arabic reference  : Book 48, Hadith 1657
कुरान में  खुद अल्लाह ने स्वीकार किया है कि वह एक सत्ता नहीं एक समूह है ,
 यह आयत देखिये , "
وَأُخْرَىٰ لَمْ تَقْدِرُوا عَلَيْهَا  "48:21 (व उखरा लम  तकदिरू अलैहा )
" हमारे अलावा और भी हैं जिन पर तुम कुदरत नहीं पा सके " सूरा -अल फतह 48 :21
"and there  are others you had not  power over them "
( 2nd person masculine plural imperfect verb, jussive mood )

भावार्थ -यह है कि अल्लाह कहता है कि मेरे अतिरिक्त ऐसे और भी हैं,  जिन पर तुम्हारा बस नहीं नहीं सका, यानि क्या मुहमद साहब के समय मुसलमानों के अल्लाह जैसे और भी अल्लाह  मौजूद  थे और यह बात भी तय है कि वह अल्लाह निराकार नहीं  साकार ही रहे होंगे.  पूरी दुनिया अच्छी तरह से जान चुकी है उस समय कबीलों में कि लड़ना झगड़ना का स्वभाव  था तो कुदरती बात है कि जब अनेकों अल्लाह  होंगे तो उनमे झगड़ा होना स्वाभाविक   है  और जब हरेक अल्लाह खुद को असली और दूसरे को नकली बताने लगा तो,  मुहम्मद ने असली यानी  अपने अल्लाह की निशानी लोगों  के सामने पेश  कर दी। जो सुन्न्त बतलाती है।

अल्लाह की पहिचान जाँघों से
 
"सईदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने बताया, कि अल्लाह कई प्रकार के हैं और कब कोई कहेगा कि मैं ही तुम्हारा अल्लाह हूँ , तो तुम कहोगे तू मेरा अल्लाह नहीं हो सकता और तुम उस से बात नहीं करोगे .तब लोगों ने पूछा कि हम उसे कैसे पहिचानेंरसूल ने बताया जाँघों से  और जब अल्लाह ने  अपनी जांघ उघाड़ कर दिखाई तो लोग पहिचान गए और सिजदे में गिर गए"
तो क्या अल्ल्ह साकार था???

Sahih Al-Bukhari, Volume 9, Book 93, Number 532s

"
فَيَأْتِيهِمُ الْجَبَّارُ‏. فَيَقُولُ أَنَا رَبُّكُمْ‏. فَيَقُولُونَ أَنْتَ رَبُّنَا‏. فَلاَ يُكَلِّمُهُ إِلاَّ الأَنْبِيَاءُ فَيَقُولُ هَلْ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُ آيَةٌ تَعْرِفُونَهُ فَيَقُولُونَ السَّاقُ‏. فَيَكْشِفُ عَنْ سَاقِهِ فَيَسْجُدُ لَهُ كُلُّ مُؤْمِنٍ، وَيَبْقَى مَنْ كَانَ يَسْجُدُ لِلَّهِ  "
Narrated Abu Sa’id Al-Khudri:
Then the Almighty will come to them in a shape other than the one which they saw the first time, and He will say, ‘I am your Lord,’ and they will say, ‘You are not our Lord.’ And none will speak: to Him then but the Prophets, and then it will be said to them, ‘Do you know any sign by which you can recognize Him?’ They will say. ‘The Shin,’ and so Allah will then uncover His Shin whereupon every believer will prostrate before Him

Sahih Al-Bukhari, Volume 9, Book 93, Number 532s

Reference  : Sahih al-Bukhari 7439
In-book reference  : Book 97, Hadith 65
USC-MSA web (English) reference  : Vol. 9, Book 93, Hadith 532

कुरान   की  यह  आयत अत्यंत   महत्वपूर्ण  और ध्यान आकर्षित करने   वाली   है ,
अरबी  "
حَرَّمَ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنْزِيرِ وَمَا أُهِلَّ لِغَيْرِ اللَّهِ " अर्थ - तुम्हारे  लिए हराम  किये  गए मृतक, खून  और  सूअर  का मांस  और  जो अल्लाह  के अलावा किसी और को समर्पित  किये हों "

"He has forbidden,to you,the dead animal,nd the blood,,and the flesh,(of) the swine,and what,has been dedicated,to other (than)Allah." Sura- nahl- 16:115

"हर्रम अलैकुम अल मैय्यता  वल दम व् लहमल  खिंजीर व् मा उहिल्ल  बि गैरल्लाह "
सरा-अन नह्ल -16:115  इस
  आयत  का विश्लेषण   करने से  स्पष्ट  होता है कि दो ऎसी  चीजें   है  , जिन्हें  मुसलमान  नहीं खा सकते हैं ,
एक जिस,  जानवर  पर  अल्लाह   के  अलावा  किसी  और  नाम  लिया  गया    हो
दूसरा  सूअर, इसीलिए  इस    आयत  अनुसार  अगर    गाय  या   किसी   भी    पशु   पर   अल्लाह   के  शत्रु   शैतान  का   नाम पढ़ कर विधिवत शैतान को अर्पित कर दिया जाए, तो   वह  पशु  मुसलमानों   के  लिए  हराम  यानी खाने  के  अयोग्य  हो  जायेंगे  

............क्रमश:...............
(तथ्य कथन गूगल साइट्स, मुख्तय: भांडाफोड, वेब दुनिया इत्यादि से साभार)
"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
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भाग – 29 इस्लाम 1: वो जो मुसलमान भी नहीं जानते



भाग – 29  इस्लाम 1 :  वो जो मुसलमान भी नहीं जानते
धर्म ग्रंथ और संतो की वैज्ञानिक कसौटी
संकलनकर्ता : सनातन पुत्र देवीदास विपुल “खोजी”


विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल वैज्ञनिक ISSN 2456-4818
 वेब:   vipkavi.info , वेब चैनल:  vipkavi
 फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"  
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पिछले अंको मे आपने विश्व के सबसे पुराने सनातन धर्म को पढा। जहां से हिंदुत्व, जैन, बौद्ध धर्म भारत में पैदा हुये। बौद्ध धर्म ने इसाइयत को यीशु के माध्यम से इजरायल में जन्म दिया और फिर यह पूरी दुनिया में रक्तपात और धन प्रलोभन के सहारे चमत्कारों की जादूगरी से पूरी दुनिया में फैल गया। इस अंक से दुनिया के सबसे नये धर्म के संस्थापक ह्जरत मोहम्म्द साहब पर चर्चा आरम्भ करते है। सोंचने की बात है कि आखिर क्यों  यूनेस्को ने 7 नवम्बर 2004 को वेदपाठ को मानवता के मौखिक एवं अमूर्त विरासत की श्रेष्ठ कृति घोषित किया है।

इस अंक में आप देखें कुअरान भी 6 हैं। कुरान में दया और मानवता की बात है पर बुखारी की हदीसों में हिंसा और गैर मानवीय बात क्यों हैं। हिंदुओ ने इमाम हुसैन के लिये अपने बेटों तक की कुरबानियां दी हैंं।

बहुत सारे मुसलमानों को भी न मालूम न होगा कि कुल कितनी कुरान हैं। अल्लाह ने कुरान  के बारे में  दावा किया  है,

"बेशक यह  कुरान   हम   ने ही  उतारी  है, और   हम ही  इसकी  हिफाजत करने  वाले   हैं  "
 सूरा  -अल हिज्र 15:9
"
إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا الذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُ لَحَافِظُونَ  "15:9
"Indeed, it is We who sent down the Qur'an and indeed, We will be its guardian."15:9

मुसलमान   दावा  करते   हैं कि  कुरान  अल्लाह  द्वारा  भेजी   हुई   आसमानी  किताब  है  जिसमे रत्ती  भर भी    बदलाव    होना  असंभव   है , गुजरानवाला    निवासी  इस्लाम   के विद्वान  "मुंशी   महबूब  आलम  - 
مُنشی محبوب آلم  " ( 1863-1933   )  ने " इस्लामी इनसाइक्लोपीडिया -اَسلامی انسایکلوپیڈیا " के पेज न 559 पर  जानकारी  दी  है  कि  इस  समय दुनिया में 6 प्रकार की कुरान है सभी कुरान एक दूसरे से अलग अलग है और उनकी आयतो की संख्या भी अलग अलग है और सभी कुरान को मानने वाले एक दूसरे की कुरान को ग़लत कहते है.

इनका  विवरण  इस  प्रकार   है।

1. कूफी कुरान...आयत 6236
2. बशरी कुरान...आयात 6216
3. शयामि कुरान...आयत 6250 (Shami or Damascus Quran )
4. मक्की कुरान...आयत 6212
5. ईराकी कुरान...आयत 6214
6. साधारण कुरान (आम कुरान)...आयत 6666  (most common these days )


इस्लामी इतिहासकार  " सिफ़्फ़ीन  - صفين" के  युद्ध (Battle )   को इस्लाम   का  पहला " फ़ित्न - فتن  " कहते  हैं इसका  मतलब राजद्रोह,  नागरिक संघर्ष होता है. यह  युद्ध  सन  657  ईस्वी   में मुहम्मद  साहब   के  दामाद   और  चचेरे  भाई  अली  इब्न  अबी   तालिब  और   मुआविया   बिन  अबी  सुफ़यान  की  सेना  के बीच   हुआ  था।   

क्योंकि उन   दिनों  अरब  के  कबीलों   के  सरदार  सत्ता  में   हिस्सा  पाने के लिए  मुसलमान  बन  गए  थे,  उन  दिनों  पूरी  कुरआन   जमा नहीं   हो  सकी   थीलोग  अपने  लाभ के  लिए   कुरान का  मनमाना   अर्थ    कर  रहे थे, मुआविया भी  यही  कर रहा  था,  अली  इसका  विरोध  कर  रहे  थे, इसी  कारण  से  ईराक    की " अल रिक्का  - الرقة  "  नामकी    जगह  पर  अली   और  मुआविया  की सेना में  युद्ध   हुआ   ज़िस्मे मुआविया   के 45,000  और  अली   के  25,000 सैनिक मारे गए। यद्यपि युद्ध   से   पहले  अली   ने  मुआविया  को   पत्र  द्वारा सचेत  कर दिया  था।
अली का पत्र  इस   प्रकार   है

"तुमने  पवित्र  कुरान   का  अनर्थ  करना  शुरू   कर  दिया    है, और कुरान के गलत  अर्थ  के  आधार  पर  तुम सत्ता  और   दौलत पर  कब्जा   लिया है,   तुम लोगों  को  सता  कर  आतंकित   कर रहे   हो,  तुम्हारा सबसे बड़ा   पाप   यह है कि तुमने  मुझे  खलीफा  उस्मान  की  हत्या   का जिम्मेदार  बता दिया  है, जबकि मेरी  जुबान   और   हाथ  दौनों   इस  काम  में   निर्दोष   हैंइसलिए  अल्लाह  से डरो,  कहीं  ऐसा न हो कि  शैतान  तुम्हें  जहाँ  चाहे   वहां  खदेड़  दे "


ومن كتاب له عليه السلام

إلى معاوية

أَمَّا بَعْدُ، فَإِنَّ اللهَ سُبْحَانَهُ [قَدْ] جَعَلَ الدُّنْيَا لِمَا بَعْدَهَا، وَابْتَلَى فِيهَا أَهْلَهَا، لِيَعْلَمَ أَيُّهُمْ أَحْسَنُ عَمَلاً، وَلَسْنَا لِلدُّنْيَا خُلِقْنَا، وَلاَ بِالسَّعْيِ فِيهَا أُمِرْنَا، وَإِنَّمَا وُضِعْنَا فِيها لِنُبْتَلَى بِهَا، وَقَدِ ابْتَلاَنِي [اللهُ] بِكَ وَابْتَلاَكَ بِي: فَجَعَلَ أَحَدَنَا حُجَّةً عَلَى الاَْخَرِ، فَعَدَوْتَعَلَى طَلَبِ الدُّنْيَا بَتَأْوِيلِ الْقُرْآنِ، فَطَلَبْتَنِي بِمَا لَمْ تَجْنِ يَدِي وَلاَ لِسَانِي، وَعَصَيْتَهُ أَنْتَ وأَهْلُ الشَّامِ بِي، وَأَلَّبَعَالِمُكُمْ جَاهِلَكُمْ، وَقَائِمُكُمْقَاعِدَكُمْ.

فَاتَّقِ اللهَ فِي نَفْسِكَ، وَنَازِعِ الشَّيْطَانَ قِيَادَكَ وَاصْرِفْ إِلَى الاَْخِرَةِ وَجْهَكَ، فَهِيَ طَرِيقُنَا وَطَرِيقُكَ. وَاحْذَرْ أَنْ يُصِيبَكَ اللهُ مِنْهُ بِعَاجِلِ قَارِعَةٍتَمَسُّ الاََْصْلَ وَتَقْطَعُ الدَّابِرَذص، فَإِنِّي أُولِي لَكَ بِاللهِ أَلِيَّةًغَيْرَ فَاجِرَةٍ، لَئِنْ جَمَعَت الاََْقْدَارِ لاَ أَزَالُ بِبَاحَتِكَ.

You began by misinterpreting the Holy Qur'an and on the basis of these misinterpretations you started grasping power and wealth and began oppressing and tyrannizing the people. Your next unholy action was to call me responsible for an action (murder of Caliph Uthman) of which my tongue and hands were both innocent.Fear Allah and do let Satan drive you wherever it wants, "

अली की  हत्या  के बाद ही   मुस्लिम   शासकों   ने कुरान  में   काटछांट,  हेराफेरी   करके  अपने अनुकूल   बनाना  शुरू   कर दिया  था, किसी ने कुरान   की पूरी की सूरा (Chapters )   गायब  कर  दी,  तो  किसी   ने  कुरान  की  आयतें   कम   कर दी,  और किसी  ने  अपने मर्जी से  कुछ  आयतें  जोड़   डालीं।


अब जो लोग यह स्वभाविक प्रश्न  करते हैं कि आज की कुरान में शुरू में जो नेक नियती की बातें की गई हैं कुछ अध्यायों में उसकी उलट बातें क्यों दिखती हैं। मुझे तो यही कारण समझ में आता है। और अनपढ होने के कारण आतंकवादी पैदा कर दिये जाते हैं।



यह एक सर्वमान्य सत्य है कि इतिहास को दोहराया नहीं जा सकता है और न बदलाया जा सकता है क्योंकि इतिहास कि घटनाएँ सदा के लिए अमिट हो जाती है .लेकिन यह भी सत्य है कि विज्ञान कि तरह इतिहास भी एक शोध का विषय होता है .क्योंकि इतिहास के पन्नों में कई ऐसे तथ्य दबे रह जाते हैं ,जिनके बारे में काफी समय के बाद पता चलता है .ऐसी ही एक ऐतिहासिक घटना हजरत इमाम हुसैन के बारे में है वैसे तो सब जानते हैं कि इमाम हुसैन मुहम्मद साहिब के छोटे नवासे, हहरत अली और फातिमा के पुत्र थे .और किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं ,उनकी शहादत के बारे में हजारों किताबें मिल जाएँगी .काफी समय से मेरे एक प्रिय मुस्लिम मित्र हजरत इमाम के बारे में कुछ लिखने का आग्रह कर रहे थे ,तभी मुझे अपने निजी पुस्तक संग्रह में एक उर्दू पुस्तक "हमारे हैं हुसैन " की याद आगई ,जो सन 1960 यानि मुहर्रम 1381 हि० को इमामिया मिशन लखनौउसे प्रकाशित हुई थी .इसकी प्रकाशन संख्या 351 और लेखक "सय्यद इब्न हुसैन नकवी " है .इसी पुस्तक के पेज 11 से 13 तक से कुछ अंश लेकर उर्दू से नकवी जी के शब्दों को ज्यों का त्यों दिया जा रहा , जिस से पता चलता है कि इमाम हुसैन ने भारत आने क़ी इच्छा प्रकट क़ी थी (फिर इसके कारण संक्षिप्त में और सबूत के लिए उपलब्ध साइटों के लिंक भी दिए जा रहे हैं .)


4-Relation of Imam Hussain with Indiaહજરત ઇમામ હુસેનના ભારત સાથેના સંબંધો http://hi.shvoong.com/humanities/religion-studies/1909198-relation-imam-hussain-india/

7-Azadaar e Husain
http://alqaim.info/?p=1417

11-JANG NAMA IMAM HUSSAIN جنگ نامہ امام حسین Auther Name : Dr.Qureshi Ahmed Hussain Ailadri First Edition : 2001-Rs.150.00 http://www.punjabiadbiboard.com/index.php?main_page=product_info&cPath=5&products_id=26

1-इमाम क़ी भारत आने क़ी इच्छा
नकवी जी ने लिखा है "हजरत इमाम हुसैन दुनियाए इंसानियत में मुहसिने आजम हैं,उन्होंने तेरह सौ साल पहले अपनी खुश्क जुबान से ,जो तिन रोज से बगैर पानी में तड़प रही थी ,अपने पुर नूर दहन से से इब्ने साद से कहा था "अगर तू मेरे दीगर शरायत को तस्लीम न करे तो , कम अज कम मुझे इस बात की इजाजत दे दे ,कि मैं ईराक छोड़कर हिंदुस्तान चला जाऊं"


नकवी आगे लिखते हैं ,"अब यह बात कहने कि जरुरत नहीं है कि ,जिस वक्त इमाम हुसैन ने हिंदुस्तान तशरीफ लाने की तमन्ना का इजहार किया था ,उस वक्त न तो हिंदुस्तान में कोई मस्जिद थी ,और न हिंदुस्तान में मुसलमान आबाद थे .गौर करने की बात यह है कि,इमाम हुसैन को हिंदुस्तान की हवाओं में मुहब्बत की कौन सी खुशबु महसूस हुई थी ,कि उन्होंने यह नहीं कहा कि मुझे चीन जाने दो ,या मुझे ईरान कि तरफ कूच करने दो ..उन्होंने खुसूसियत से सिर्फ हिंदुस्तान कोही याद किया था.


गालिबन यह माना जाता है कि हजरत इमाम हुसैन के बारे में हिन्दुस्तान में खबर देने वाला शाह तैमुर था .लेकिन तारीख से इंकार करना नामुमकिन है .इसलिए कहना ही पड़ता है कि इस से बहुत पहले ही " हुसैनी ब्राह्मण "इमाम हुसैन के मसायब बयाँ करके रोया करते थे .और आज भी हिंदुस्तान में उनकी कोई कमी नहीं है .यही नहीं जयपुर के कुतुबखाने में वह ख़त भी मौजूद है जो ,जैनुल अबिदीन कि तरफ से हिन्दुतान रवाना किया गया था.


इमाम हुसैन ने जैसा कहा था कि ,मुझे हिंदुस्तान जाने दो ,अगर वह भारत की जमीन पर तशरीफ ले आते तो ,हम कह नहीं सकते कि उस वक्त कि हिन्दू कौम उनकी क्या खिदमत करती"


2-इमाम हुसैन की भारत में रिश्तेदारी
इस्लाम से काफी पहले से ही भारत ,इरान ,और अरब में व्यापार होता रहता था .इस्लाम के आने से ठीक पहले इरान में सासानी खानदान के 29 वें और अंतिम आर्य सम्राट "यज्देगर्द (590 ई ) की हुकूमत थी .उस समय ईरान के लोग भारत की तरह अग्नि में यज्ञ करते थे .इसी लिए "यज्देगर्द" को संस्कृत में यज्ञ कर्ता भी कहते थे.


प्रसिद्ध इतिहासकार राज कुमार अस्थाना ने अपने शोधग्रंथ "Ancient India " में लिखा है कि सम्राट यज्देगर्द की तीन पुत्रियाँ थी ,जिनके नाम मेहर बानो , शेहर बानो , और किश्वर बानो थे .यज्देगर्द ने अपनी बड़ी पुत्री की शादी भारत के राजा चन्द्रगुप्त द्वितीय से करावा दी थी .जिसकी राजधानी उज्जैन थी ..और राजा के सेनापति का नाम भूरिया दत्त था .जिसका एक भाई रिखब दत्त व्यापर करता था . .यह लोग कृपा चार्य के वंशज कहाए जाते हैं .चन्द्रगुप्त ने मेहर बानो का नाम चंद्रलेखा रख दिया था .क्योंकि मेहर का अर्थ चन्द्रमा होता है ..राजाके मेहर बानो से एक पुत्र समुद्रगुप्त पैदा हुआ .यह सारी घटनाएँ छटवीं शताब्दी की हैं


यज्देगर्द ने दूसरी पुत्री शेहर बानो की शादी इमाम हुसैन से करवाई थी . और उस से जो पुत्र हुआ था उसका नाम "जैनुल आबिदीन " रखा गया .इस तरह समुद्रगुप्त और जैनुल अबिदीन मौसेरे भाई थे .इस बात की पुष्टि "अब्दुल लतीफ़ बगदादी (1162 -1231 ) ने अपनी किताब "तुहफतुल अलबाब " में भी की है .और जिसका हवाला शिशिर कुमार मित्र ने अपनी किताब "Vision of India " में भी किया है .


3-अत्याचारी यजीद का राज
इमाम हुसैन के पिता हजरत अली चौथे खलीफा थे और उस समय वह इराक के शहर कूफा में रहते थे . हजरत अली सभी प्रकार के लोगों से प्रेमपूर्वक वर्ताव करते थे. उन के ल में कुछ हिन्दू भी वहां रहते थे लेकिन किसी पर भी इस्लाम कबूल करने पर दबाव नहीं डाला जाता था.  




ऐसा एक परिवार रिखब दत्त का था जो इराक के एक छोटे से गाँव में रहता थाजिसे अल हिंदिया कहा जाता है. जब सन 681 में हजरत अली का निधन हो गया तोमुआविया बिन अबू सुफ़यान खलीफा बना.   वह बहुत कम समय तक रहा.  उसके बाद उसका लड़का यजीद सन 682 में खलीफा बन गया . यजीद एक अय्याश , अत्याचारी . व्यक्ति था.  वह सारी सत्ता अपने हाथों में रखना चाहता था इसलिए उसने सूबों के सभी अधिकारीयों को पत्र भेजा और उनसे अपने समर्थन में बैयत ( oath of allegiance ) देने पर दबाव दिया.  कुछ लोगों ने डर या लालच के कारण यजीद का समर्थन कर दिया. लेकिन इमाम हुसैन ने बैयत करने से साफ मना कर दिया.  यजीद को आशंका थी कि यदि इमाम हुसैन भी बैयत नहीं करेंगे तो उसके लोग भी इमाम के पक्ष में हो जायेंगे. यजीद तो युद्ध कि तय्यारी करके बैठा था लेकिन इमाम हुसैन युद्ध को टालना चाहते थे, यह हालत देखकर शहर बानो ने अपने पुत्र जैनुल अबिदीन के नाम से एक पत्र उज्जैन के राजा चन्द्रगुप्त को भिजवा दिया था. जो आज भी जयपुर महाराजा के संग्राहलय में मौजूद है. बरसों तक यह पत्र ऐसे ही दबा रहा,फिर एक अंगरेज अफसर Sir Thomas Dreadnought ने 26 फरवरी 1809 को इसे खोज लिया और पढ़वाया और राजा को दिया, जब यह पत्र सन 1813 में प्रकाशित हुआ तो सबको पता चल गया. 


उस समय उज्जैन के राजा ने करीब 5000 सैनिकों के साथ अपने सेनापति भूरिया दत्त को मदीना कि तरफ रवाना कर दिया था. लेकिन इमाम हसन तब तक अपने परिवार के 72 लोगों के साथ कूफा कि तरफ निकल चुके थे, जैनुल अबिदीन उस समय काफी बीमार था, इसलिए उसे एक गुलाम के पास देखरेख के लिए छोड़ दिया था. भूरिया दत्त ने सपने भी नहीं सोचा होगा कि इमाम हुसैन अपने साथ ऐसे लोगों को लेकर कुफा जायेंगे जिन में औरतें, बूढ़े और दुधा पीते बच्चे भी होंग. उसने यह भी नहीं सोचा होगा कि मुसलमान जिस रसूल के नाम का कलमा पढ़ते हैं उसी के नवासे को परिवार सहित निर्दयता से क़त्ल कर देंगे.  और यजीद इतना नीच काम करेगा. वह तो युद्ध की योजना बनाकर आया था. तभी रस्ते में ही खबर मिली कि इमाम हुसैन का क़त्ल हो गया. यह घटना 10 अक्टूबर 680 यानि 10 मुहर्रम 61 हिजरी की है. यह हृदय विदारक खबर पता चलते ही वहां के सभी हिन्दू (जिनको आजकल हुसैनी ब्राहमण कहते है) मुख़्तार सकफी के साथ इमाम हुसैन के क़त्ल का बदला लेने को युद्ध में शामिल हो गए थे. इस घटना के बारे में "हकीम महमूद गिलानी" ने अपनी पुस्तक "आलिया " में विस्तार से लिखा है 


4-रिखब दत्त का महान बलिदान
कर्बला की घटना को युद्ध कहना ठीक नहीं होगा, एक तरफ तिन दिनों के प्यासे इमाम हुसैन के साथी और दूसरी तरफ हजारों की फ़ौज थी, जिसने क्रूरता और अत्याचार की सभी सीमाएं पर कर दी थीं, यहाँ तक इमाम हुसैन का छोटा बच्चा जो प्यास के मारे तड़प रहा था, जब उसको पानी पिलाने इमाम नदी के पास गए तो हुरामुला नामके सैनिक ने उस बच्चे अली असगर के गले पर ऐसा तीर मारा जो गले के पार हो गया.  इसी तरह एक एक करके इमाम के साथी शहीद होते गए.


और अंत में शिम्र नामके व्यक्ति ने इमाम हुसैन का सिर काट कर उनको शहीद कर दियाशिम्र बनू उमैय्या का कमांडर था. उसका पूरा नाम "Shimr Ibn Thil-Jawshan Ibn Rabiah Al Kalbi (also called Al Kilabi (Arabic:
شمر بن ذي الجوشن بن ربيعة الكلبي) था.


यजीद के सैनिक इमाम हुसैन के शरीर को मैदान में छोड़कर चले गए थे. तब रिखब दत्त ने इमाम के शीश को अपने पास छुपा लिया था. यूरोपी इतिहासकार रिखब दत्त के पुत्रों के नाम इस प्रकार बताते हैं, 1सहस राय, 2हर जस राय 3, शेर राय, 4 राम सिंह, 5राय पुन, 6 गभरा और 7 पुन्ना. बाद में जब यजीद को पता चला तो उसके लोग इमाम हुसैन का सर खोजने लगे कि यजीद को दिखा कर इनाम हासिल कर सकें. जब रिखब दत्त ने शीश का पता नहीं दिया तो यजीद के सैनिक एक एक करके रिखब दत्त के पुत्रों से सर काटने लगे, फिर भी रिखब दत्त ने पता नहीं दिया. सिर्फ एक लड़का बच पाया था. जब बाद में मुख़्तार ने इमाम के क़त्ल का बदला ले लिया था तब विधि पूर्वक इमाम के सर को दफनाया गया था. यह पूरी घटना पहली बार कानपुर में छपी थी.  (Annual Hussein Report, 1989) printed from Kanpur (UP) .The article ''Grandson of Prophet Mohamed (PBUH)

रिखब दत्त के इस बलिदान के कारण उसे सुल्तान की उपाधि दी गयी थी. और उसके बारे में "जंग नामा इमाम हुसैन " के पेज 122 में यह लिखा हुआ है, "वाह दत्त सुल्तान, हिन्दू का धर्म मुसलमान का इमान, आज भी रिखब दत्त के वंशज भारत के अलावा इराक और कुवैत में भी रहते हैं, और इराक में जिस जगह यह लोग रहते है उस जगह को आज भी हिंदिया कहते हैं यह विकी पीडिया से साबित है
Al-Hindiya or Hindiya (Arabic:
الهندية) is a city in Iraq on the Euphrates River. Nouri al Maliki went to school there in his younger days. Al-Hindiya is located in the Kerbala Governorate. The city used to be known as Tuwairij (Arabic: طويريج), which gives name to the "Tuwairij run" (Arabic: ركضة طويريج) that takes place here every year as part of the Mourning of Muharram on the Day of Ashura.
http://en.wikipedia.org/wiki/Hindiya

तबसे आजतक यह हुसैनी ब्राह्मण इमाम हुसैन के दुखों को याद करके मातम मनाते हैं. लोग कहते हैं कि इनके गलों में कटने का कुदरती निशान होता है. यही उनकी निशानी है.


5-सारांश और अभिप्राय
यद्यपि मैं इतिहास का विद्वान् नहीं हूँ, और इमाम हुसैन और उनकी शहादत के बारे में हजारों किताबे लिखी जा सकती हैं, चूँकि मुझे इस विषय पर लिखने का आग्रह मेरे एक दोस्त ने किया था, इसलिए उपलब्ध सामग्री से संक्षिप्त में एक लेख बना दिया था, मेरा उदेश्य उन कट्टर लोगों को समझाने का है, कि जब इमाम हुसैन कि नजर में भारत एक शांतिप्रिय देश है, तो यहाँ आतंक फैलाकर इमाम की आत्मा को कष्ट क्यों दे रहे है. भारत के लोग सदा से ही अन्याय और हिंसा के विरोधी और सत्य के समर्थक रहे हैं.  इसी लिए अजमेर की दरगाह के दरवाजे पर लिखा है,

"शाहास्त हुसैन बदशाहस्त हुसै,   ीनस्त हुसैन दीं पनाहस्त हुसैन
सर दाद नादाद दस्त दर दस्ते यजीद, हक्का कि बिनाये ला इलाहस्त हुसैन "


इतिहास गवाह है कि अत्याचार से सत्य का मुंह बंद नहीं हो सकता है, वह दोगुनी ताकत से प्रकट हो जाता है ,जैसे कि " कत्ले हुसैन असल में मर्गे यजीद है "


मुझे पूरा विश्वास है कि इतने सबूतों के देखने के बाद लोग हिंसा का रास्ता छोडके मानवता और इमाम हुसैन के प्रिय भारत देश की सेवा जरुर करेंगे 

............क्रमश:...............

(तथ्य कथन गूगल साइट्स, मुख्तय: ब्लाग भांडाफोड, वेब दुनिया इत्यादि से साभार)

"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
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