Thursday, April 4, 2019

भूचरी मुद्रा



भूचरी मुद्रा


  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सुखासन की स्थिति में बैठ जाए।
  • ध्यान रहे की इस आसन में रीढ़ की हड्डी और कमर सीधी होनी चाहिए।
  • इसके बाद हथेलियों को ऊपर की तरफ करके फिर घुटनो पर रखे।
  • इस अवस्था में आराम का अनुभव करे।
  • अब आँखों को बंद कर ले और साथ ही गहरी साँस ले नाक के द्वारा ही साँस को बाहर की ओर छोड़े।
  • फिर एक हाथ ऊपर की तरफ उठाए और अँगूठे के जरिये ऊपर के होठ को हलके से दबाएँ।
  • इसमें आपकी हथेलियां नीचे की तरफ होना चाहिए और कुहनी के बिलकुल सीध में उंगलियां होनी चाहिए।
  • इतना होने के बाद अपनी आँखों को खोल ले और फिर अपनी छोटी उंगली की तरफ देखने का प्रयत्न करे।
  • ध्यान रहे की इसमें आपको पलकें नहीं झपकाना है।
  • प्रयत्न करे की इस अभ्यास को आप 10 मिनट तक कर सके।
  • इसके बाद अपनी सामान्य मुद्रा में वापस जाये।

फायदे

  • भूचरी मुद्रा के अभ्यास से गुस्से पर नियंत्रण किया जा सकता है।
  • भूचरी मुद्रा के अभ्यास से मानसिक शांति मिलती है और फोकस में वृद्धि होती है।
  • यदि आपका ध्यान कार्य में नहीं लग पा रहा है तो इसके अभ्यास से यह संभव हो जाता है।
  • भूचरी मुद्रा दिमाग के लिए बहुत ही अच्छी मानी जाती है, यह मुद्रा दिमागी संतुलन बनाये रखने में मदद करती है।
  • इसके अभ्यास से यदि आपके द्वारा कोई चीज पढ़ी गयी है पर आपको याद नहीं रहती है तो यह आपकी याददाश्त को बढ़ाने का कार्य करती है।

  • इस मुद्रा का अभ्यास किसी जानकार प्रशिक्षक की उपस्थिति में ही करे।
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MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :  https://freedhyan.blogspot.com/


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धन्यवाद!

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