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Monday, October 19, 2020
महिषासुरमर्दिनी रूप की एकमात्र आरती
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स्तुतिकार मां चरण वंदनकार: सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
जय महिषासुरमर्दिनी, जय महिषासुरमर्दिनी॥
सकल विश्व रूप मनोहर, कालरूप भक्षिणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
सगुण रूप सब हैं तेरे, निर्गुण रूप धरे।
द्वैताद्वैत विकारहीन, सृष्टि और यक्षिणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
सब सृष्टि का तेज तुम्ही, अन्य न तेज धरे।
जन्मा अजन्मा सभी तेरा, मनवांक्षित करणी।
जय महिषासुरमर्दिनी॥
तुम ही शिव काली बनकर, दुष्ट विनाश करे।
मां शारदे ज्ञानदायिनी, बुद्धि शुद्धि करणी।
जय महिषासुरमर्दिनी॥
दैत्य अनेकों मारे तुमने, देवन लाज धरे।
भक्तों की रक्षा हेतु रूपधर, नाम भक्तरक्षणी।
जय महिषासुरमर्दिनी॥
आदि सृष्टि और अंत तू ही, शून्य अनंत तू ही।
नंत अनंत संत प्रनंत, कल मल सब हरिणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
तुम राजों को देती रहती, दु:ख दरिद्र करे।
दश विद्या सब तुझ से, पाप नाश करिणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
अरि मर्दन को आतुर क्रोध का भाव भरे।
पर भक्तों की रक्षा करती, कृपा दृष्टि वरणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
तेरा उपासक निर्भय होकर सिंह समान चरे।
तेरा आश्रय महा निराला, सर्व अनिष्ट हरणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
शिव विष्णु ब्रह्मा से पूजित, देवन मुकुट घिसे।
तुम ही सर्व वंदित हो माता, वंदन वृंद करणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
तेरी महिमा कोई न जाने, तू जाने सबको।
विश्व सुंदरी तू जगमाता, रूप सकल धरिणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
मातृ रूप बनकर माता, जग को तू जनमें।
भार्या पत्नि रूप को धारा, सेवा सभी करणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
पुत्री रूप जग में लेती, तब ही सृष्टि चले।
कर संहार क्षुधा तू बनकर, मोहित जग करिणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
ऋषि मार्कंडेय लीला जानी, स्तुति तब कीन्ही।
आदि शंकर न तुझे माने, शक्तिहीन करिणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
सकल जगत चरणों में तेरे, शीश झुकाय खड़ा ।
अब करो रक्षा भक्तिभाव जो, द्वार पड़े शरणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
महिषासुरमर्दिनी आरती जो जन भी गावै।
दास विपुल ये लिखता, पूर्ण मनोरथ करिणी॥
जय महिषासुरमर्दिनी॥
जय गुरूदेव जय महाकाली।
🙇🙏🙏🙇
माता कुष्मांडा आरती देखें और सुनें
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जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥
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मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या)
जय गुरुदेव जय महाकाली।
🙏
मां महागौरी की आरती
मां महागौरी की आरती
स्तुतिकार: सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
मात महागौरी रानी, शिव की शक्ती पटरानी।।
सिंह वाहन तुझे प्यारा, दीखे जो सबसे न्यारा।
तेरी जय हो मैय्या तेरी जय।।
याचक ने तुझको घेरा, सन्तन ने डाला डेरा।
भीमा विमला रूप धारा, शिव ने शक्ति है वारा।।
तेरी जय हो मैय्या तेरी जय।।
हिमांचल पुत्री बन आईं, शिव को तप से हैं ब्याहीं।
शिव भी तुमको है ध्याते, लीला वह तुमसे पाते।।
तेरी जय हो मैय्या तेरी जय।।
दम्भी दक्ष ने यज्ञ कराया, शिव को नहीं था बुलाया।
शिव का अपमान न सहती, मृत्यु कुंड में धर लेती।
तेरी जय हो मैय्या तेरी जय।।
तेरो दर्शन दुर्लभ जानी, सब जन संत सहित बखानी।
मैय्या सब सुख की हो दाता, तेरा भेद न कोई पाता।।
तेरी जय मैय्या तेरी जय हो।।
तेरा ऊंचा शिखर निवासा, तुम हो सहस्त्रसार की वासा।
तेरो नाम सदा जो जापे, शत्रु नाम से तेरे कांपे।।
तेरी जय मैय्या तेरी जय हो।।
प्रभु तीर्थ शिवोम् ने ध्याया, आरत दास विपुल ने पाया।
जो जन आरत तेरी गावे, निश्चय उच्च परम पद पावै।।
तेरी जय मैय्या तेरी जय हो।।
मैय्या एक दया कर देना, अपने भक्तन की सुध लेना।
जो कोई नवदुर्गा को ध्वावे, पूरित मनोकामना पावे।।
तेरी जय मैय्या तेरी जय हो।।
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जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥
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जय गुरुदेव जय महाकाली।
🙏
Sunday, October 18, 2020
मां कालरात्रि की आरती
मां कालरात्रि की आरती
वंदनकार: सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
कालरात्रि मां आरती गाऊं। तुझको कभी न मैं बिसराऊं।।
कालरात्रि मां बन कर काली। मृत्युकाल भय रक्षणी वाली॥
मात शीतला रूप बनाया। भय स्वरूप भय शीश नवाऊं।।
कालरात्रि मां आरती गाऊं। तुझको कभी न मैं बिसराऊं।।
निराकार को तुम समझाती। शक्तिभक्ति मुक्ति की प्रदाती।
नवदुरगा में रूप भयानक। रूप मनोहर दरशन पाऊं।।
कालरात्रि मां आरती गाऊं। तुझको कभी न मैं बिसराऊं।।
तीनों लोक विस्तार तुम्हारा। दुष्ट को दंड असुर संहारा।।
जग की पूजा तेरी पूजा। गुड़ मेवे का भोग लगाऊं।।
कालरात्रि मां आरती गाऊं। तुझको कभी न मैं बिसराऊं।।
दास विपुल शीतला मां ध्याया। तेरी परिक्रमा न बिसराआ।।
गुरू रूप तू काली बनती। प्रकटो मां यही गुहराऊं।।
कालरात्रि मां आरती गाऊं। तुझको कभी न मैं बिसराऊं।।
जो जन तेरी आरती गाते। सब सुख भोग परमपद पाते।।
सभी कामना पूरी कर दो। सत्तगुणों में मैं बस जाऊं।।
कालरात्रि मां आरती गाऊं। तुझको कभी न मैं बिसराऊं।।
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मां देवी स्कंदमाता की आरती
मां देवी स्कंदमाता की आरती
स्तुतिकार: सनातन पुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
तेरे द्वार खड़ा हूं माता। पांचवा रूप है स्कंदमाता।।
तुझको नमन करें सुखदाता । तेरा मातारूप है भाता।।
तुझको कोटि नमन मां कोटि नमन।।
तेरी ज्योत जला मैं गाऊं । मात पलभर नहीं बिसराऊं।।
जग के पुत्र रूप जो सारे। तेरे पोषण ने हैं तारे।।
तुझको कोटि नमन मां कोटि नमन।।
अपनी प्रेमा भगती दे दो। मैय्या जी भक्ति शक्ति दे दो ।।
तेरी महिमा जग में गाऊं। तेरी गोदी कैसे आऊं।।
तुझको कोटि नमन मां कोटि नमन।।
हर बार जगती को बचाया। संकट जब धरती पर आया।।
तेरी महिमा विशुद्ध निराली। तेरी छवि है कितनी प्यारी।।
तुझको कोटि नमन मां कोटि नमन।।
माता तनिक दया कर देना। अपने दास विपुल तर देना।।
जो जन तेरी महिमा जानी। बन जाता वह वेद बखानी।।
तुझको कोटि नमन मां कोटि नमन।।
औषधि अलसी तेरी जानी। हर लो रोग सभी सुख बानी।।
जो जन तेरी आरती गावे। तीनों लोक की सिद्धि पावे।।
तुझको कोटि नमन मां कोटि नमन।।
माता दिवस पांचवा ध्याया। दुर्गा रूप तेरा है पाया।।
अब कृपा करो मातारानी। महिमा कोई बिरला जानी।।
तुझको कोटि नमन मां कोटि नमन।।
कर जोर विनय है भवानी। सुन लो दास विपुल की बानी।।
पूरित हो भक्त की हर इक इच्छा। प्रभु तीर्थ शिवोम् सदिच्छा।।
तुझको कोटि नमन मां कोटि नमन।।
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मां कूष्मांडा की आरती ...
मां कूष्मांडा की आरती
सनातनपुत्र देवीदास विपुल " खोजी "
मां कूष्मांडा जग निरमाता। मुझ पर दया करो सुखदाता॥
तुम ही हो पिंगलाज भवानी। ज्वालामुखी का रूप बखानी।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
मैय्या शाकाम्बरी निराली। तू माता है भोली भाली॥
कितने रूप धरे हैं तूने। जग में तेरे आगे बौने।।
कितने रूप धरे हैं तूने। जग में तेरे आगे बौने।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
तेरे जगत निराले डेरे। सुर नर मुनि सब तुझको घेरे।।
भीमा पर्वत भीमा रूपा। तेरो तत्व सदा सुरभूपा।।
तेरे जगत निराले डेरे। सुर नर मुनि सब तुझको घेरे।।
भीमा पर्वत भीमा रूपा। तेरो तत्व सदा सुरभूपा।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
तुने अष्टभुजा रूप धारा। सृष्टि रूप दिया जग सारा।।
तेरे दर्शन का जग प्यासा। पूरन कर दो मैय्या आसा॥
तुने अष्टभुजा रूप धारा। सृष्टि रूप दिया जग सारा।।
तेरे दर्शन का जग प्यासा। पूरन कर दो मैय्या आसा॥
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
पापी खोजी विपुल गुहारे। माता आरत भाव पुकारें।।
माता कूष्मांडा जो ध्याता। जग में श्रेष्ठ परम पद पाता।।
पापी खोजी विपुल गुहारे। माता आरत भाव पुकारें।।
माता कूष्मांडा जो ध्याता। जग में श्रेष्ठ परम पद पाता।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
मेरी मैया जगत कल्याणी। सुर मुनि तेरो रूप बखानी।।
माता लाज भगत की रखना। सारी इच्छा पूरी करना।।
मेरी मैया जगत कल्याणी। सुर मुनि तेरो रूप बखानी।।
माता लाज भगत की रखना। सारी इच्छा पूरी करना।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
मां की आरती का लिंक
मां की आरती का लिंक
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मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या)
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