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Thursday, October 22, 2020

    विशेष तैयारी करें आठवे व नौवीं तिथि की। मां महागौरी व सिद्धिदात्री

 विशेष तैयारी करें आठवे व नौवीं तिथि की।

मां महागौरी । मां सिद्धिदात्री

आपको आठवें दिन मां महागौरी की पूजन करनी है। 

तत्पश्चात कन्या भोजन व पूजन करें। 


इसके बाद नवमी का पूजन मां सिद्धिदात्री का करें। 

सायंकाल हवन मां महागौरी एवं मां सिद्धिदात्री के मंत्रों से करें।
मतलब दो प्रकार की सामग्री एक में नारियल और पान जो कि महागौरी मां के हवन के लिए और दूसरे में काला तिल जो सिद्धिदात्री के लिए। 

कारण यह है अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही है।

आज रात्रि में शयन के पूर्व मां कालरात्रि को नमन करने के पश्चात मां महागौरी व सिद्धिदात्री का मंत्र जप करते हुए शयन करें।




मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष  मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।


इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी के रूपों  की आरती लिख दी है। पोस्ट भी कर दी है।

    






आप चाहें तो ब्लाग को सबक्राइब कर दे जिससे आपको जब कभी लेख डालूं तो सूचना मिलती रहे।
जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥
मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।
 
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 

  क्या तैयारी करें सातवे दिन की। मां कालरात्रि

 


   क्या तैयारी करें सातवे दिन की। मां कालरात्रि


आशा है आप सब ने आज  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि को मां कात्यायनी मंत्र के साथ संपन्न किया होगा और दिन भर मां  का मंत्र पढ़कर शाम को आरती और हवन किया होगा।


आपको सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजन करनी है। रात्रि में शयन के पूर्व मां कात्यायनी को नमन करने के पश्चात मां कालरात्रि का मंत्र जप करते हुए शयन करें।


कल प्रातः
  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि  के साथ लिंक में दिए हुए मंत्र के साथ दिनभर जाप करें।

रात्रि में पुनः आरती और हवन करें।


मां कालरात्रि को शहद का भोग लगाएं। हवन सामग्री में भी कुछ शहद डाल लें।

मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष  मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।


इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी आंखों की आरती लिख लिया है और आज मां सरस्वती की कृपा से माताओं की नई आरती लिख दी है पोस्ट भी कर दी है।

    





इसके बाद मां कालरात्रि गायत्री पढ़ना न  भूले

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जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥
मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।
 
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 

मां कालरात्रि की आरती लिंक

 मां कालरात्रि की आरती


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Wednesday, October 21, 2020

मां जगदंबे की क्षमा प्रार्थना

 मां जगदंबे की क्षमा प्रार्थना

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   क्या तैयारी करें छठवें दिन की। मां कात्यायनी

 

   क्या तैयारी करें छठवें दिन की। मां कात्यायनी


आशा है आप सब ने आज  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि को मां स्कन्दमाता मंत्र के साथ संपन्न किया होगा और दिन भर मां  का मंत्र पढ़कर शाम को आरती और हवन किया होगा।


आपको छठवें दिन मां स्कंदमाता की पूजन करनी है। रात्रि में शयन के पूर्व मां स्कंदमाता को नमन करने के पश्चात मां कात्यायनी का मंत्र जप करते हुए शयन करें।


कल प्रातः सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि के साथ लिंक में दिए हुए मंत्र के साथ दिनभर जाप करें।
रात्रि में पुनः आरती और हवन करें।


मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष  मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।


इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी आंखों की आरती लिख लिया है और आज मां सरस्वती की कृपा से माताओं की नई आरती लिख दी है पोस्ट भी कर दी है।

‌मां कात्यायनी की आरती को वीडियो पर देखने हेतु अथवा पढ़ने हेतु नीचे का लिंक दबाएं👇👇


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इसके बाद मां स्कंदमाता की गायत्री पढ़ना न  भूले।

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जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥
मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।
 
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 

मां कात्यायनी की संस्कृतमय आरती


मां कात्यायनी की संस्कृतमय आरती

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मां कात्यायनी की मनोहर आरती


मां कात्यायनी की मनोहर आरती

चरण वंदनाकार: सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी

महिषासुर मर्दिनी रक्तबीज खंडनी।

द्वैताद्वैत हारिणी नमामि कात्यायनी।। 

पुत्री कात्यानन बनी मानव रूप में जनी। 

उपमा रहित भवानी नमामि कात्या 

भवजगत भवतारिणी रूप मनोहारिणी। 

योगदाता तारिणी नमामि कात्यायनी।। 


मधुुुु कैटभ संहारिणी शुुुम्भ निशुंभ तारिणी।

जगत कणे निवासिनी नमामि कात्याय।।

समृद्धि धान्य वाढ़नी रोग शोक नाशिनी। 

त्रैलोक्य संचारिणी नमामि कात्यायनी।। 

षष्टरूप शक्तिके मातृरूप भक्तिके। 

चित्तशुद्ध कारिणी नमामि कात्यायनी।। 

अमोघ फलदायिनी समस्तपापनाशिनी। 

सुर असुर अराधिणी नमामि कात्यायनी।। 


दासविपुल भक्ति शक्ति शुद्धता प्रदायनी। 

ज्ञान विज्ञान देवी नमामि कात्यायनी।। 


अर्थ धर्म काम संग मोक्ष शीघ्र दायिनी। 

पूरित मन में जो करें नमामि कात्यायनी।।


नवरूपा आरती आर्तभाव पुकारनी। 

विनय विपुलजन सुनें नमामि कात्यायनी।। 



 

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