अवश्य पढ़ें नवरात्रि में नवरूप गायत्री व गुरू गणेश गायत्री। नवरूप गायत्री आपको कहीं नहीं मिलेगी।
अवश्य पढ़े नवरात्रि में नवरूप गायत्री व गुरू गणेश गायत्री
सनातन पुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
मित्रों मंत्रों में गायत्री रूप ज्ञान का रूप होता है अतः नवरात्रि पूजन में भी मां दुर्गा के विभिन्न रूपों के ज्ञान रूप है तू गायत्री मंत्र को पढ़ना उचित रहता है लेकिन कहीं पर भी नवरात्रि के गायत्री का उल्लेख नहीं है जिस कारण इन गायत्री मंत्रों को निर्मित करना पड़ा।
क्रमश: यह गायत्री पढ़ें
गणेश गायत्री मंत्र ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे वक्र तुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्। गुरु गायत्री मंत्र ऊँ गुरु देवाय विद्महे पर ब्रह्माय धीमहि, तन्नो गुरु: प्रचोदयात्।
नवदुर्गा की नवरूप गायत्री ऊँ शैलपुत्रायै च विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो शैलपुत्री प्रचोदयात्। ऊँ ब्रह्मचारिणी च विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो ब्रह्मचारिणी प्रचोदयात्। ऊँ चंद्रघंटाय च विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो चंद्रघंटा प्रचोदयात्। ऊँ कूष्मांडाय च विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो कूष्मांडा प्रचोदयात्। ऊँ स्कन्दमाताय च विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो स्कन्दमाता प्रचोदयात्। ऊँ कात्यायनी च विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो कात्यायनी प्रचोदयात्। ऊँ कालरात्रिर् च विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो कालरात्रि प्रचोदयात्। ऊँ महागौराय च विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो महागौरी प्रचोदयात्। ऊँ सिद्धिदात्रै विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो सिद्धधात्री प्रचोदयात्।
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