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Thursday, September 3, 2020
यह देश हमारा
यह देश हमारा
विपुल लखनवी नवी मुंबई
हम तुम्हें बधाई देते हैं क्योंकि यह देश हमारा है।
इसकी पावन मिट्टी पर वीरों ने सब कुछ बारा है।।
पर कैसे हर्ष मनाऊं मैं जब मन में दुख का सागर हो।
इस दिन भारत के टुकड़े हुए अश्रु से भरता गागर हो।।
लाखों हिंदू के कत्ल हुए माताओं की अस्मत लूटी।
हम अड़े रहे अहिंसा पर यहीं अपनी किस्मत फूटी।।
कितने लाचार हुए इस दिन अब तक भारत में रोते हैं।
लूटा सारा घर बार जहां वे काश्मीर के बेटे हैं।।
सत्य सनातन नष्ट करने को सत्ता जिसने पाई थी।
बार-बार भारत में फिर पुनरावृत्ति दुहराही थी।।
हिंदू दमन कारण जिसने कानून नये बनाए थे।
स्वतंत्रता सेनानियों को जिसने खूनी पंजे पहनाए थे।।
जॉर्ज पंचम की चमचागिरी को गीत कहीं जो गाया था।
राष्ट्रीय गान भारत का हो हमको ही यह रटवाया था।।
हम विपुल बार छुप कर रोते दुष्टों को महान बताया है।
वीर शिवा राणा भूले आक्रांताओं का गुण गाया है।।
नहीं सहन होता यह अब सीमा सब्र की टूट चुकी।
नकली इतिहास मिटाओ जिन भारत माता अस्मत लूटी।।
चलो प्रतिज्ञा यह कर ले अखंड भारत का नारा है।
यह विपुल कविता विपुल जीवन बस देश प्रेम पर वारा है।।
जय हिंद वंदे मातरम।
कवि विपुल लखनवी नवी मुंबई।
राहत से आहत(दोहे)
राहत से आहत(दोहे)
विपुल लखनवी नवी मुंबई
राहत ने न की कभी, राहत की कोई बात।
अपनी बातों से सदा, करता था अघात।।
हिंदू सेकुलर नपुंसक कायर, उसको था मालूम।
हिंदू मुस्लिम करता रहा, दे हिंदुन को लात।।
नहीं प्रेम का भाव था, जो था उसके विपरीत।
घाव नमक छिड़के सदा, यह उसकी थी रीत।।
कभी नहीं कर पाएगा वह, जन्नत का आगाज।
शायर ऊंचा बात थी नीची, विपुल की आवाज।।
सबसे सुंदर राम ही राम
सबसे सुंदर राम ही राम
विपुल लखनवी नवी मुंबई।
पतित पावन एक ही नाम। सबसे सुन्दर जय श्री राम।।
सबको तारे एक ही नाम। पतित पावन जय श्री राम।।
सत्य सनातन ईश का नाम। सबका प्यारा जय श्री राम।।
सब जग ध्यावे सीता राम। जय श्री राम जय श्री राम।।
कष्ट निवारक राम ही राम। ह्रदय निवासी जय श्री राम।।
मर्यादा दिखलाते राम। राजधर्म सिखलाते राम।।
राह सत्य दिखलाते राम। कर्म अकर्म समझाते राम।।
हर मनवासी भक्त प्रणाम। सबसे ऊंचा राम का नाम।।
राष्ट्राधार कोटिश: प्रणाम। घर घर गूंजे जय श्री राम।।
हे दुखभंजन विपुल का गान। देश प्रेम है जय श्री राम।।
जो न गावे राम का नाम। दुर्भाग्यी उसको सब जान।।
दास विपुल शठ पापी हम हैं। शरण में ले लो हे श्री राम।।
स्तुतिकार विपुल लखनवी।
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राम ही राम।
राम ही राम
विपुल लखनवी नवी मुंबई।।
करना है प्रेम श्रीराम से करो।
काम यही नेक उनके नाम से करो।।
रामनाम जग से तारेगा तुम्हे।
राम नाम प्यारा ही उबारेगा तुम्हे।।
रामनाम महिमा प्यारी है सुनो।
राम नाम से संकट दूर हों करो।।
करना है प्रेम श्रीराम से करो।
काम यही नेक उनके नाम से करो।।
रामनाम जप कर कितने सुधरे।
मरा मरा जप बाल्मीकि निखरे।।
तुलसी रामनाम गाकर अमर हुए।
हनुमत रामनाम से अजर हुए।।
कवियों के प्यारे राम सदा बने।
रामनाम अमृत से भक्ति करो।।
करना है प्रेम श्रीराम से करो।
काम यही नेक उनके नाम से करो।।
दास विपुल रामनाम महिमा गाए।
ईष्ट कृपा सदा काम आए।।
अपना जीवन राम नाम भर लो।
राम नाम दर्शन ह्रदय कर लो।।
आज है शुभ घड़ी प्रण तो करो।
राम नाम से यह जीवन वर लो।।
करना है प्रेम श्रीराम से करो।
काम यही नेक उनके नाम से करो।।
स्तुतिकार: विपुल लखनवी नवी मुंबई।
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एक दिया राम नाम का
एक दिया राम नाम का
कवि विपुल लखनवी नवी मुंबई।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
पावन दिवस आज है आया। रामलला ने स्थल पाया।।
वर्षों तक हम देख सके न। आक्रांता को तोल सके न।।
पंच सदियां बीत गई हैं। राम नाम को खुलकर गाएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
बच्चा बच्चा बोल रहा है। मिशरी कानों में घोल रहा है।।
गली मोहल्ले आज सजे हैं। हम भी अपने घर को सजाएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
मोल बहुत इस पल का है। वीर शहीदों के बल का है।।
सत्य सनातन का पौरुष है। ताल ठोक अब आगे आएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
दास विपुल यह विनती करता। राम नाम ही कर्ता-भरता।।
राम नाम का भजन करें हम। पूरे विश्व को आज दिखाएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
कलम विपुल की जय बोलेगी। राम नाम महिमा डोलेगी।।
सत्य सनातन दुनिया छाए। यही प्रयास हम करते जाएं।।
चलो चलें उत्सव हम मनाएं। राम नाम के दिए जलाएं।।
कवि विपुल लखनवी नवी मुंबई।
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जय श्री राम
जय श्री राम
विपुल लखनवी नवी मुंबई।
अब तो गूंजेगी यह धरती जय श्री राम के नारों से।
टकराएंगीं यह आवाजें घटनाद प्रहारों से।।
श्री राम का यही नारा दुनिया को सिखलाना है।
अमन शांति श्रीराम से होगी दुनिया को समझाना है।।
नहीं किसी से नफरत करती सनातन सिखलाती है।
विश्व शांति इससे संभव दुनिया को समझाती है।।
टकराएगा जब यह नारा सूरज चांद सितारों से।
देव देवता हर्षित होंगे जय श्री राम के नारों से।।
आंच नहीं अब आने देंगे भारत गौरव इससे है।
सत्य सनातन विपुल धरोहरज्ञान सभी का इससे है।।
जय चंदों को ढूंढ ही लेंगे आधुनिकतम संचारों से।
षड़यंत्रों को नष्ट करेंगे निपटेंगे गद्दारों से।।
विपुल गीत अब हम गाएंगे सरगम की झंकारो से।
अब तो गूंजेगी यह धरती श्री राम के नारों से।।
जय श्री राम।
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