बहुत चिंतन के बाद मुझे महसूस हुआ कि सभी देव भक्तों और हिंदुओं को यह आराधना अवश्य ही करनी चाहिये। क्योंकि यह शक्ति पूजन है। एक बात याद रखें जिस कार्य में मन न लगे अथवा खीझ पैदा हो। उसको कतई न करें। क्योंकि प्रभु मात्र भाव के ही भूखें होते हैं। बाकी वाहिक ताम झाम तो हम अपने मन और माहौल के लिये ही करते हैं। अत: मैं न्यूनतम आराधना विधि को ही बताना चाहूंगा।
एक बात और यदि आप मातृ कृपा और भक्ति हेतु पूजन करते हैं तो सारी गलती माफ़ लेकिन यदि अनुष्ठानिक पूजन करते हैं तो बेहद सावधानी के साथ पूजन करना होता है। अत: यह विधि मातृ कृपा और सामान्य भक्ति आराधना हेतु ही दी गई है।
भक्तों को कष्ट न हो इस कारण मैंनें कई ब्लाग लिखे हैं जिनके लिंक इस ब्लाग पर जाकर समझे जा सकते हैं। आप इतना अवश्य समझ लें कि नवरात्रि पूजन नौ रूपों हेतु पूजन है जो दस रूपों की दस विद्यायों से अलग है। इस पर मुझे लिखना है कुछ प्रतीक्षा करें।
2. बेहतर होगा कि आप दिनों के रूप के मंत्र के साथ सचल मन वैज्ञानिक विधि के अनुसार पूजन करें। दिन भर उस रूप के मंत्र का जाप करें।
3. रात्रि में आरती के बाद शयन के समय से अगले दिन के रूप और मंत्र का ध्यान और जाप कर सोंयें।
4. प्रतिदिन सुबह और शाम क्षमा प्रार्थना व सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ अवश्य करें।
5. प्रयास यह करें कि आप दिनभर कोई भी काम करते समय मंत्र जप अवश्य करते रहें।
6. सम्भव हो तो मुझे अपने अनुभव व्हाट्सअप द्वारा 99690680093 पर बताते रहें। जिससे मेरी खोज को बल मिलेगा।
7. यदि सम्भव हो तो गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ करें। यदि संस्कृत न पढे तो हिंदी अनुवाद ही पढ लें। सम्भव हो तो आराधनायें संस्कृत में पढें।
सम्भव हो तो दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ करें।
8. एक बात समझ लें जो घी तेल आप खाते हैं उसी का दीपक जलायें। पूजा वाला तेल के नाम पर मिलावटी और चर्बी से बना घी तेल बिकता है जो खाने को मना करते हैं। वह कदापि प्रयोग न करें। तनिक सोंचे जो आप नहीं खा सकते उसे प्रभु को अर्पित करना कितना गलत है।
9. सम्भव हो तो देवी के नव रूपों और दश विद्या को याद करें।
हालांकि पूजन विधि में हर रूप के अलग आसन इत्यादि दिये हैं लेकिन आप परेशान न हों। जितना हो सके उतना करें।
यदि मां दुर्गा की फोटो हो तो अच्छा है यदि नहीं है तो परेशान न हों। किसी भी देव की फोटो रख लें नहीं तो एक साफ कागज पर मां जग्दम्बे लिखकर सामने रख लें।
कुल मिलाकर तनावरहित और भक्ति भाव से ही पूजन करें।
किसी तांत्रिक या अन्य के बहकावे में न आयें। ईश्वर सरलता और सज्जनता का दूसरा रूप है। वह कभी अपनी संतानों का बुरा नहीं कर सकता।
हमारे पाप कर्म ही दंड के रूप में सामने आते हैं। प्रभु कृपा से हमें कष्ट सहने में कोई कठिनाई नहीं आती है।
अत: अपने प्रभु पर अपने पर विश्वास रखें।
ईश्वर के नाम पर दुकानदारी करनेवालों से सदैव दूर रहें।
चमत्कारों पर विश्वास न करें। यह ठग भी हो सकते हैं।
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