MMSTM
सचल मन वैज्ञानिक
ध्यान की विधियां
(समध्यावि)
प्रस्तावनाआधुनिक समय की आपाधापी को देखते हुये यह आवश्यक है कि ध्यान की किसी ऐसी विधि को विकसित किया जाये जिसे आप अपने घर पर ही कर सकें और साथ ही आपको अपनी पूजा पद्ध्ति को बदलना भी न पडे। गुरू के लिये कहीं भटकना न पडे। कहीं धन भी व्यय न हो और साथ ही साथ ईश शक्ति का भी अनुभव हो। आनंद की प्राप्ति हो। हमें अनुभव हो सके हम क्या हैं।
सचल मन वैज्ञानिक ध्यान इसी प्रकार की एक विकसित सनातन प्रणाली है। जिसमें आप अपनी ही पूजा प्रणाली में थोडा बदलाव कर ईश शक्ति का अनुभव करेगें। यह मेरा दावा है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।
हां यदि आप यह करते हैं तो कुछ तो शुल्क देना होगा तब ही जल्दी फलित होगा । तो आप दक्षिना स्वरुप किसी गरीब की सहायता कर दे। किसी बालक को पढने हेतु साम्रगी दे दे। गौ को गरीब को भोजन करा दे। मंदिर में मिठाई भोजन बांट दे। प्याउ खोल दें। किसी सनातन प्रचारक साधु संत को कुछ देदे। पर किसी हट्टे कट्टे धर्म के ठेकेदार को न दें।
मित्रों इस विधि में आप मंत्र जप और शरीर के विभिन्न अंगों का साथ लेकर ध्यान की गहरी अवस्था में जा सकते हैं। प्रत्येक मनुष्य के ध्यान की विधि अलग अलग उसके कर्म के हिसाब से होगी। कुछ की कुंडलनी भी जागृत हो सकती है। कुछ विशेष भयानक अनुभव भी हो सकते हैं। पर आप डरें मत। हर समस्या का समाधान होगा। हर हाल में आपकी धार्मिकता बढेगी। यह विधियां हर जाति धर्म समुदाय चाहे मुस्लिम हो ईसाई हो जैन हो बौद्द हो कोई भी हो सबके लिये कारगर है। जो जिस धर्म का होगा उसको उसी के धर्म के हिसाब से ध्यान बताया जायेगा।
यह सत्य है कलियुग में ईश प्राप्ति बेहद आसान है। पर इतनी आसान भी नहीं कि किसी के पिता की सम्पत्ति कि जैसे चाहो बेच दो।
एक साधारण से ध्यान को, जिसमें प्रभु समर्पण बेहद आवश्यक है, उसको नये नये नाम देकर कहीं त्राटक तो कहीं विपश्यना, तो कहीं शब्द योग, नाद योग, राजयोग पता नहीं किन किन नामों से बडी बडी दुकानें चल रहीं हैं।
मेरा उनसे निवेदन है कि धन सम्पत्ति सब प्रभु ऐसे ही दे देता है।
श्रेष्ठ सनातन का प्रचार करो।
श्रीमदभग्वदगीता को जन जन तक कल्यान के लिये पहुचाओ।
वेद वाणी बिना स्वार्थ के प्रसारित करो।
ईश का अनुभव बिना शुल्क बिना गुरु बने कराओ।
पाप के भागीदार मत बनों।
आंखें खोलो जाग जाओ।
मैं गुरु नहीं हूं और न अपने को कहलाना पसंद करुंगा। मैं दास हूं प्रभु का वोही कहलाना पसंद करुंगा। जैसे प्रभुदास, देवीदास, सर, विपुल जी या विपुल भी चलेगा।
यह विधियां पूर्ण वैज्ञानिक है जिसमें आपकी एकाग्रता, शारीरिक क्षमता क्षमता, इंद्रियो की तीव्रता, आपकी सोंच और विचार, मनोविज्ञान और विश्वास की नींव सहायक होती है। आपकी सकारात्मक सोंच परिणाम का समय कम करती है।
अनुभव जरा सा हुआ कि दुकान सजा ली बिना परम्परा के गुरु बन बैठे। आज मेरे 1 करोड, मेरे 50 लाख दुनिया में अनुयायी हैं। बस इसी बात का गर्व।
इन नकली अनुभवहीन दुकानदारों से पूछो कि अहम ब्रम्हास्मि या एकोअहम द्वितियोनास्ति या सोहम अनुभूति में क्या होता है तो सब के सब बगलें झाकेंगे।
चलो देव दर्शन की अनुभुति कैसे होती है तो मुंह चुरायेगे।
यह जानते नहीं कि जब योग होता है तो कैसा लगता है तो किताबों में देखेंगे।
इन से पूछो चलो किसी चेले को आगे क्या होगा तो भाग ही जायेंगे या हरि ओम बोलकर कन्नी काट लेंगें।
जगत गुरु, जगतमाता, अखंडमंडलाकार, योगीराज जैसे नामपट्ट वाले ढोग़ी पहले खुद जाने कि ब्रह्म क्या है। जिस दिन जान लेंगे उस दिन यह नामपट्ट हटा लेंगें। पर इनको न जानना है न इसकी इच्छा है। इनको तो भगवान के नाम पर दुकान चलाकर शोहरत पैसा और भोग चाहिये। भले ही बाद में नरक भोंगे।
देवीदास विपुल सेन। नवी मुम्बई\ 09969680093
बी.एस.सी, बी. टेक., एम. टेक. (रसा.प्रौ.) एच. बी. टी. आई, कानपुर
शक्तिपात दीक्षा : मां काली (मार्च, 1993)
शरीरी गुरू: स्वामी नित्यबोधानंद तीर्थ जी महाराज(दिसम्बर, 1993)
व स्वामी शिवोम तीर्थ जी महाराज (फरवरी, 1994)
प्रकाशन : 3 भक्ति, 7 काव्य संग्रह, 500 से अधिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक, लेख
सम्पादक : 50 वर्षों से प्रकाशित, वैज्ञानिक त्रैमासिक पत्रिका “वैज्ञानिक”
प्रस्तावनाआधुनिक समय की आपाधापी को देखते हुये यह आवश्यक है कि ध्यान की किसी ऐसी विधि को विकसित किया जाये जिसे आप अपने घर पर ही कर सकें और साथ ही आपको अपनी पूजा पद्ध्ति को बदलना भी न पडे। गुरू के लिये कहीं भटकना न पडे। कहीं धन भी व्यय न हो और साथ ही साथ ईश शक्ति का भी अनुभव हो। आनंद की प्राप्ति हो। हमें अनुभव हो सके हम क्या हैं।
सचल मन वैज्ञानिक ध्यान इसी प्रकार की एक विकसित सनातन प्रणाली है। जिसमें आप अपनी ही पूजा प्रणाली में थोडा बदलाव कर ईश शक्ति का अनुभव करेगें। यह मेरा दावा है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।
हां यदि आप यह करते हैं तो कुछ तो शुल्क देना होगा तब ही जल्दी फलित होगा । तो आप दक्षिना स्वरुप किसी गरीब की सहायता कर दे। किसी बालक को पढने हेतु साम्रगी दे दे। गौ को गरीब को भोजन करा दे। मंदिर में मिठाई भोजन बांट दे। प्याउ खोल दें। किसी सनातन प्रचारक साधु संत को कुछ देदे। पर किसी हट्टे कट्टे धर्म के ठेकेदार को न दें।
मित्रों इस विधि में आप मंत्र जप और शरीर के विभिन्न अंगों का साथ लेकर ध्यान की गहरी अवस्था में जा सकते हैं। प्रत्येक मनुष्य के ध्यान की विधि अलग अलग उसके कर्म के हिसाब से होगी। कुछ की कुंडलनी भी जागृत हो सकती है। कुछ विशेष भयानक अनुभव भी हो सकते हैं। पर आप डरें मत। हर समस्या का समाधान होगा। हर हाल में आपकी धार्मिकता बढेगी। यह विधियां हर जाति धर्म समुदाय चाहे मुस्लिम हो ईसाई हो जैन हो बौद्द हो कोई भी हो सबके लिये कारगर है। जो जिस धर्म का होगा उसको उसी के धर्म के हिसाब से ध्यान बताया जायेगा।
यह सत्य है कलियुग में ईश प्राप्ति बेहद आसान है। पर इतनी आसान भी नहीं कि किसी के पिता की सम्पत्ति कि जैसे चाहो बेच दो।
एक साधारण से ध्यान को, जिसमें प्रभु समर्पण बेहद आवश्यक है, उसको नये नये नाम देकर कहीं त्राटक तो कहीं विपश्यना, तो कहीं शब्द योग, नाद योग, राजयोग पता नहीं किन किन नामों से बडी बडी दुकानें चल रहीं हैं।
मेरा उनसे निवेदन है कि धन सम्पत्ति सब प्रभु ऐसे ही दे देता है।
श्रेष्ठ सनातन का प्रचार करो।
श्रीमदभग्वदगीता को जन जन तक कल्यान के लिये पहुचाओ।
वेद वाणी बिना स्वार्थ के प्रसारित करो।
ईश का अनुभव बिना शुल्क बिना गुरु बने कराओ।
पाप के भागीदार मत बनों।
आंखें खोलो जाग जाओ।
मैं गुरु नहीं हूं और न अपने को कहलाना पसंद करुंगा। मैं दास हूं प्रभु का वोही कहलाना पसंद करुंगा। जैसे प्रभुदास, देवीदास, सर, विपुल जी या विपुल भी चलेगा।
यह विधियां पूर्ण वैज्ञानिक है जिसमें आपकी एकाग्रता, शारीरिक क्षमता क्षमता, इंद्रियो की तीव्रता, आपकी सोंच और विचार, मनोविज्ञान और विश्वास की नींव सहायक होती है। आपकी सकारात्मक सोंच परिणाम का समय कम करती है।
अनुभव जरा सा हुआ कि दुकान सजा ली बिना परम्परा के गुरु बन बैठे। आज मेरे 1 करोड, मेरे 50 लाख दुनिया में अनुयायी हैं। बस इसी बात का गर्व।
इन नकली अनुभवहीन दुकानदारों से पूछो कि अहम ब्रम्हास्मि या एकोअहम द्वितियोनास्ति या सोहम अनुभूति में क्या होता है तो सब के सब बगलें झाकेंगे।
चलो देव दर्शन की अनुभुति कैसे होती है तो मुंह चुरायेगे।
यह जानते नहीं कि जब योग होता है तो कैसा लगता है तो किताबों में देखेंगे।
इन से पूछो चलो किसी चेले को आगे क्या होगा तो भाग ही जायेंगे या हरि ओम बोलकर कन्नी काट लेंगें।
जगत गुरु, जगतमाता, अखंडमंडलाकार, योगीराज जैसे नामपट्ट वाले ढोग़ी पहले खुद जाने कि ब्रह्म क्या है। जिस दिन जान लेंगे उस दिन यह नामपट्ट हटा लेंगें। पर इनको न जानना है न इसकी इच्छा है। इनको तो भगवान के नाम पर दुकान चलाकर शोहरत पैसा और भोग चाहिये। भले ही बाद में नरक भोंगे।
देवीदास विपुल सेन। नवी मुम्बई\ 09969680093
बी.एस.सी, बी. टेक., एम. टेक. (रसा.प्रौ.) एच. बी. टी. आई, कानपुर
शक्तिपात दीक्षा : मां काली (मार्च, 1993)
शरीरी गुरू: स्वामी नित्यबोधानंद तीर्थ जी महाराज(दिसम्बर, 1993)
व स्वामी शिवोम तीर्थ जी महाराज (फरवरी, 1994)
प्रकाशन : 3 भक्ति, 7 काव्य संग्रह, 500 से अधिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक, लेख
सम्पादक : 50 वर्षों से प्रकाशित, वैज्ञानिक त्रैमासिक पत्रिका “वैज्ञानिक”
क.
आस्तिक, सगुण, साकार, द्वैत उपासक हेतु
यह विधि पूर्ण
वैज्ञानिक है जिसमें आपकी एकाग्रता, शारीरिक क्षमता क्षमता, इंद्रियो की तीव्रता, आपकी सोंच और विचार, मनोविज्ञान और विश्वास की नींव सहायक होती है। आपकी सकारात्मक सोंच परिणाम
का समय कम करती है।
विधि: पहले सामान्य तैयारी करे
एक छोटे स्टूल पर या स्वच्छ जमीन पर अपने इष्ट देव
को स्थापित करे। सामने बीचोबीच एक दीपक देशी घी का जलाकर रख दे।
यह सब तब करे जब वातावरण शांत हो। सब सो चुके हो। रात
10 बजे
या और बाद। शोर गुल न हो सन्नाटा हो। यह सब पहली बार के लिए है |
आपको जो देव अच्छा लगें उसका मन्त्र जो प्रिय लगे।
उसे एक कागज पर सुंदर तरीके से लिखकर रोली इत्यादि से पूजाकर पूड़ी बनाकर प्रभु के
चित्र के सामने रख दे।
प्रभु को पूजन करे अपने टीका लगा ले।
बेहतर है आप बाई तरफ पत्नी को भी बैठाल कर उसके
मनपसन्द मन्त्र देव का मन्त्र लिखकर रखवा दे। पत्नी को जबरदस्ती न करे। जो उनको
पसन्द हो वो ही मन्त्र उनका।
अब दोनों लोग कुछ दूर बैठ जाये। हा आसन ऊनी ही हो।
कम्बल इत्यादि जो साफ हो किसी और काम में न प्रयोग हो।
सर्वप्रथम अपने मंत्र को पढते हुये शरीर के पंच
महाभूतो को नमन करने हेतु
मंत्र पढे और बोले इति श्री वसुन्धराय नम: (भुमि को नमन करे)
मंत्र -------- इति श्री जल तत्वम देवेभ्यो नम:
(जल को स्पर्श कर नमन करे)
मंत्र --------- इति श्री पवन तत्वम देवेभ्यो नम: (एक बार लम्बी सांस ले और
धीरे से छोडे, मन में नमन का भाव हो)
मंत्र --------- इति श्री अग्नि तत्वम देवेभ्यो नम: (एक बार लम्बी सांस ले
और धीरे से छोडे, मन में नमन का भाव हो, पेट पर हाथ
फेरते जाये)
मंत्र --------- इति श्री आकाश तत्वम देवेभ्यो नम: (ऊपर देखते हुये प्रणाम
करें)
यह प्रार्थना इस लिये कि ध्यान में हमारे शरीर के पंच महाभूत सहायक हो और
कोई विघ्न न उपस्थित करें।
अब आप अपने नेत्र बन्द करे और फोटो को दो मिनट घूरे।
फिर नेत्र बन्द कर उस चित्र को माथे के बीचोबीच देखने का प्रयास करे। यह 3 बार
या अधिक बार करे।
अब जिनके कान तेज है यानी जिनके कानों में सुनी हुई
ध्वनि बाद में सुनाई देती हो। या जिनकी नाक तेज हो जिनको सुगन्ध का एहसास रहता हो।
वह नाक या कान पर ध्यान दे।
नही तो कुछ न करे।
सीधे अपने पसंदीदा मन्त्र को 5 बार
जोर से चिल्लाकर बोले। इतने जोर से कि सर हिल जाए।
अब आप अपना मन्त्र जप चालू कर दे। बीच बीच चित्र
देखते जाए और नेत्र बन्द कर ध्यान में चित्र देखे।
यह आपको पहली बार ही करना है। अब आप यह मन्त्र
निरन्तर जपे।
यदि चाहे तो रोज भी यह कर सकते है पर पहली बार जरूरी
है।
यदि कुछ अनुभव हो । भय लगे। सिहरन हो। रोंगटे खड़े हो।
ध्वनि सुगन्द आये तो डरे नही। और भी कुछ हो तो भी भयभीत न हो। तो आप कई बार मां काली या प्रभु शिवोम् तीर्थ का वास्ता बोल ले। डर गायब हो जाएगा।
मुझसे सम्पर्क बनाये रहे। आपकी समस्या हल होती रहेगी। जब समय आएगा तो आपको मैं
आपके गुरु के द्वार तक पहुँचा दूंगा।
यदि आप चाहे तो साथ मे नाक की सांस पर ध्यान देकर मन्त जप करे।
कान पर ध्यान देकर अपना मन्त्र बीच बीच में रोककर
सुनने का प्रयास करे।
बेहतर है घर मे सबको बता दो भाई आज पूजा कर रहा हूँ।
इसको सुबह 4 बजे भी कर सकते है। यह सब घर पर ही
करे बाहर नहीं।
इसके बाद प्रभू
दक्षिणा समझकर गौ को गरीब को भोजन करा कर धन से सहायता कर दे। एक रोटी गाय को खिला
देना।एक गडडी साग खिला देना।
मित्रो बिना
दक्षिक्षा के कार्य पूरे होने में विघ्न आ सकते हैं। अत: दक्षिणा जरूरी है।
सचल मन वैज्ञानिक ध्यान की विधियां
(समध्यावि)
ख. निराकार, प्रकृतिपूजक
यह विधि उनके लिए है जो निराकार / प्रकृति / भगवान को / खुदा मानते है।
साकार ईश को न पूजते है और न समर्थन करते है। इसके करने से उनके दिमाग को आराम। नींद
गहरी और अच्छी आएगी। कार्य कुशलता बढ़ जाएगी। यह मेरा दावा है।
विधि: पहले सामान्य तैयारी करे
एक छोटे स्टूल पर या स्वच्छ जमीन पर अपना मनपसन्द सीनरी / प्रकृति का
चित्र अथवा ॐ का चित्र रखें। सामने बीचोबीच एक दीपक देशी घी का जलाकर रख दे।
यह सब तब करे जब वातावरण शांत हो।। सब सो चुके हो। रात 10 बजे
या और बाद। शोर गुल न हो सन्नाटा हो। यह सब पहली बार के लिए है।
अब आप अपना नाम या ॐ एक कागज पर सुंदर तरीके से लिखकर सिर से लगाकर
पूड़ी बनाकर चित्र के सामने रख दे।
चित्र और अपने टीका लगा ले या न लगाएं बस हाथ जोड़ ले।
हा आसन ऊनी ही हो। कम्बल इत्यादि जो साफ हो किसी और काम में न प्रयोग हो।
अब आप अपने नेत्र बन्द करे और चित्र में दो मिनट घूरे। फिर नेत्र बन्द कर चित्र को माथे के बीचोबीच देखने का प्रयास करे। यह 3 बार या अधिक बार करे।
अब जिनके कान तेज है यानी जिनके कानो । कानों में सुनी हुई ध्वनि बाद में सुनाई
देती हो। या जिनकी नाक तेज हो जिनको सुगन्ध का एहसास रहता हो। वह नाक या कान पर
ध्यान दे।
नही तो कुछ न करे।
इसके बाद सीधे अपने नाम को (अपना नाम) नमः या ॐ स्व आत्मने नमः या ॐ प्रकृतेः
नम या सिर्फ ॐ या प्रकृतेः नमः जो अच्छा लगे उसको 5
बार जोर से चिल्लाकर बोले। इतने जोर से
कि सर हिल जाए।
अब आप नाम या ॐ मन्त्र जप चालू कर दे। बीच बीच चित्र देखती जाए। और नेत्र
बन्द कर ध्यान में चित्र देखे।
यह आपको पहली बार ही करना है। अब आप यह नाम या ॐ मन्त्र निरन्तर जपे।
यह वैज्ञानिक विधि है। यदि चाहे तो रोज भी कर सकते है। पर पहली बार जरूरी
है।
यदि कुछ अनुभव हो । भय लगे। सिहरन हो। रोंगटे खड़े हो।
ध्वनि सुगन्द आये तो डरे नही। और भी कुछ हो तो भी भयभीत न हो। तो आप कई बार मां काली या प्रभु शिवोम् तीर्थ का वास्ता बोल ले। डर गायब हो जाएगा।
मुझसे सम्पर्क बनाये रहे। आपकी समस्या हल होती रहेगी। जय
यदि आप चाहे तो साथ मे नाक की सांस पर ध्यान देकर मन्त जप करे।
कान पर ध्यान देकर अपना मन्त्र बीच बीच में रोककर सुनने का प्रयास करे।
घर मे सबको बता दो भाई आज पूजा कर रहा हूँ।
इसको सुबह 4 बजे भी कर सकते है। यह सब घर पर ही करे।
इसके बाद प्रभू दक्षिणा समझकर गौ को या गरीब को भोजन करा कर धन से सहायता
कर दे। एक रोटी गाय को कुत्ते को खिला देना। एक गडडी साग खिला देना। मित्रो बिना
दक्षिक्षा के कार्य पूरे होने में विघ्न आ सकते हैं। अत: दक्षिणा जरूरी है।
सचल मन वैज्ञानिक
ध्यान की विधियां
(समध्यावि)
ग. नास्तिक, अनीश्वरवादी
यह विधि उनके लिए है
जो नास्तिक, अनीश्वरवादी
है। न निराकार / भगवान को / खुदा को मानते है। ईश को न पूजते है और न समर्थन करते
है। उनको इसके करने से दिमाग को आराम। नींद गहरी और अच्छी आएगी। कार्य कुशलता बढ़
जाएगी। यह मेरा दावा है।
विधि: पहले सामान्य
तैयारी करे
एक छोटे स्टूल पर या स्वच्छ जमीन पर अपना मनपसन्द चित्र / या जिसको नापसंद
करते हैं उसका चित्र / जिस भगवान को गाली दे सकते हो उसका चित्र सीनरी / प्रकृति
का चित्र अथवा ॐ का चित्र कोई भी चित्र रखें। सामने बीचोबीच एक दीपक देशी घी का
जलाकर रख दे।
यह सब तब करे जब
वातावरण शांत हो।। सब सो चुके हो। रात 10 बजे या और बाद। शोर गुल न हो सन्नाटा हो। यह सब पहली बार
के लिए है।
अब आप अपना नाम एक कागज पर सुंदर तरीके से लिखकर सिर से लगाकर पूड़ी
बनाकर चित्र के सामने रख दे।
चित्र और अपने टीका
लगा ले या न लगाएं बस हाथ जोड़ ले।
हा आसन ऊनी ही हो।
कम्बल इत्यादि जो साफ हो किसी और काम में न प्रयोग हो।
अब आप अपने नेत्र
बन्द करे और चित्र में दो मिनट घूरे। फिर नेत्र बन्द कर चित्र को माथे के बीचोबीच देखने का प्रयास करे। यह 3
बार या अधिक बार करे।
या
जिससे घृणा करते हैं अथवा भगवान के चित्र को खूब
गालियां दे। शुद्द और बेहतरीन गालियां अपशब्द बोलें। 10 – 15 मिनट बोलने के बाद आप
उतनी देर ॐ का जाप करे। यह प्रक्रिया कई बार कर सकते हैं। लेकिन जितनी देर गाली दे
उतनी देर ॐ का जाप अवश्य करें। यह विधि आपको रोज करना है जब तक गाली देना बंद नहीं
होता।
अब जिनके कान तेज है
यानी जिनके कानो । कानों में सुनी हुई ध्वनि बाद में सुनाई देती हो। या जिनकी नाक
तेज हो जिनको सुगन्ध का एहसास रहता हो। वह नाक या कान पर ध्यान दे।
नही तो कुछ न करे।
अथवा अपने नाम को
(अपना नाम) नमः या ॐ स्व आत्मने नमः या ॐ प्रकृतेः नम या सिर्फ ॐ
या प्रकृतेः नमः जो अच्छा लगे उसको 5 बार जोर से चिल्लाकर बोले। इतने जोर से कि सर हिल जाए।
अब आप नाम या ॐ मन्त्र
जप चालू कर दे। बीच बीच चित्र देखती जाए। और नेत्र बन्द कर ध्यान में चित्र देखे।
यह आपको पहली बार ही
करना है। अब आप यह नाम या ॐ मन्त्र
निरन्तर जपे।
यह वैज्ञानिक विधि
है। यदि चाहे तो रोज भी कर सकते है। पर पहली बार जरूरी है।
यदि कुछ अनुभव हो । भय लगे। सिहरन हो। रोंगटे खड़े हो।
ध्वनि सुगन्द आये तो डरे नही। और भी कुछ हो तो भी भयभीत न हो। तो आप कई बार मां काली या प्रभु शिवोम् तीर्थ का वास्ता बोल ले। डर गायब हो जाएगा।
मुझसे सम्पर्क बनाये
रहे। आपकी समस्या हल होती रहेगी। जय
यदि आप चाहे तो साथ
मे नाक की सांस पर ध्यान देकर मन्त जप करे।
कान पर ध्यान देकर
अपना मन्त्र बीच बीच में रोककर सुनने का प्रयास करे।
घर मे सबको बता दो
भाई आज पूजा कर रहा हूँ।
इसको सुबह 4 बजे भी कर सकते है। यह सब घर पर ही करे।
इसके बाद प्रभू
दक्षिणा समझकर गौ को या गरीब को भोजन करा कर धन से सहायता कर दे। एक रोटी गाय को
कुत्ते को खिला देना। एक गडडी साग खिला देना। मित्रो बिना दक्षिक्षा के कार्य पूरे
होने में विघ्न आ सकते हैं। अत: दक्षिणा
जरूरी है।
सचल मन वैज्ञानिक ध्यान की विधियां
(समध्यावि)
घ. नास्तिक
अहम् वादी
यह विधि उनके लिए है जो नास्तिक, अनीश्वरवादी तो हैं किंतु अपने अलावा
किसी पर विश्वास नहीं करते। न निराकार / भगवान को / खुदा को मानते है। ईश को न
पूजते है और न समर्थन करते है। उनको इसके करने से दिमाग को आराम। नींद गहरी और
अच्छी आएगी। कार्य कुशलता बढ़ जाएगी। यह मेरा दावा है।
विधि: पहले सामान्य तैयारी करे
एक छोटे स्टूल पर या स्वच्छ जमीन पर अपना चित्र रखें। सामने बीचोबीच एक दीपक
देशी घी का जलाकर रख दे।
यह सब तब करे जब वातावरण शांत हो।। सब सो चुके हो। रात 10 बजे
या और बाद। शोर गुल न हो सन्नाटा हो। यह सब पहली बार के लिए है।
अब आप अपना नाम एक कागज पर सुंदर तरीके से लिखकर सिर से लगाकर पूड़ी
बनाकर चित्र के सामने रख दे।
चित्र और अपने टीका लगा ले या न लगाएं बस हाथ जोड़ ले।
हा आसन ऊनी ही हो। कम्बल इत्यादि जो साफ हो किसी और काम में न प्रयोग हो।
अब आप अपने नेत्र बन्द करे और चित्र में दो मिनट घूरे। फिर नेत्र बन्द कर चित्र को माथे के बीचोबीच देखने का प्रयास करे। यह 3 बार या अधिक बार करे।
अब जिनके कान तेज है यानी जिनके कानो । कानों में सुनी हुई ध्वनि बाद में सुनाई
देती हो। या जिनकी नाक तेज हो जिनको सुगन्ध का एहसास रहता हो। वह नाक या कान पर
ध्यान दे।
नही तो कुछ न करे।
अथवा अपने नाम को (अपना नाम) नमः 5 बार जोर से चिल्लाकर बोले। इतने जोर से कि सर हिल जाए।
अब आप नाम मन्त्र जप चालू कर दे। बीच बीच चित्र देखती जाए। और नेत्र बन्द
कर ध्यान में चित्र देखे।
यह आपको पहली बार ही करना है। अब आप यह नाम या ॐ मन्त्र निरन्तर जपे।
यह वैज्ञानिक विधि है। यदि चाहे तो रोज भी कर सकते है। पर पहली बार जरूरी
है।
यदि कुछ अनुभव हो । भय लगे। सिहरन हो। रोंगटे खड़े हो।
ध्वनि सुगन्द आये तो डरे नही। और भी कुछ हो तो भी भयभीत न हो। तो आप कई बार मां काली या प्रभु शिवोम् तीर्थ का वास्ता बोल ले। डर गायब हो जाएगा।
मुझसे सम्पर्क बनाये रहे। आपकी समस्या हल होती रहेगी। जय
यदि आप चाहे तो साथ मे नाक की सांस पर ध्यान देकर मन्त जप करे।
कान पर ध्यान देकर अपना मन्त्र बीच बीच में रोककर सुनने का प्रयास करे।
घर मे सबको बता दो भाई आज पूजा कर रहा हूँ।
इसको सुबह 4 बजे भी कर सकते है। यह सब घर पर ही करे।
सचल मन वैज्ञानिक ध्यान की विधियां
(समध्यावि)
ङ. ईसाईयों
हेतु
गॉड के अनुभव हेतु सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि का विवरण।
यह विधि उनके लिए है जो साकार जीसस / गॉड / प्रकाश को मानते है। इसके करने
से उनके दिमाग को आराम। नींद गहरी और अच्छी आएगी। कार्य कुशलता बढ़ जाएगी। यह मेरा
दावा है।
विधि: पहले सामान्य तैयारी करे
एक छोटे स्टूल पर या स्वच्छ जमीन पर enlisted जेसस
का चित्र या केवल गॉड लिखा हुआ चित्र का रख दे। सामने
बीचोबीच एक मोमबत्ती जलाकर रख दे।
यह सब तब करे जब वातावरण शांत हो।। सब सो चुके हो। रात 10 बजे
या और बाद। शोर गुल न हो सन्नाटा हो। यह सब पहली बार के लिए है।
आप अपना नाम एक कागज पर सुंदर तरीके से लिखकर सिर से लगाकर पूड़ी
बनाकर चित्र के सामने रख दे।
चित्र को नमस्कार करे और अपने सर पर गॉड को याद कर हाथ फेर ले।
हा आसन ऊनी ही हो। कम्बल इत्यादि जो साफ हो किसी और काम में न प्रयोग हो।
अब आप अपने नेत्र बन्द करे और चित्र में दो मिनट घूरे। फिर नेत्र बन्द कर चित्र को माथे के बीचोबीच देखने का प्रयास करे। यह 3 बार या अधिक बार करे।
अब जिनके कान तेज है यानी जिनके कानो । कानों में सुनी हुई ध्वनि बाद में सुनाई
देती हो। या जिनकी नाक तेज हो जिनको सुगन्ध का एहसास रहता हो। वह नाक या कान पर
ध्यान दे।
नही तो कुछ न करे।
इसके बाद oh divine light or jesus 5 बार जोर से चिल्लाकर बोले। इतने जोर से कि सर हिल जाए।
अब आप नाम मन्त्र जप चालू कर दे। बीच बीच चित्र देखती जाए। और नेत्र बन्द
कर ध्यान में चित्र देखे।
यह आपको पहली बार ही करना है।अब आप यह नाम मन्त्र निरन्तर जपे।
यह वैज्ञानिक विधि है। यदि चाहे तो रोज भी कर सकते है। पर पहली बार जरूरी
है।
यदि कुछ अनुभव हो । भय लगे। सिहरन हो। रोंगटे खड़े हो।
ध्वनि सुगन्द आये तो डरे नही। और भी कुछ हो तो भी भयभीत न हो। तो आप कई बार मां काली या प्रभु शिवोम् तीर्थ का वास्ता बोल ले। डर गायब हो जाएगा।
।
मुझसे सम्पर्क बनाये रहे। आपकी समस्या हल होती रहेगी। जय शिव। जय कृष्ण।
सदा सहाय।
यदि आप चाहे तो साथ मे नाक की सांस पर ध्यान देकर मन्त जप करे।
कान पर ध्यान देकर अपना मन्त्र बीच बीच में रोककर सुनने का प्रयास करे।
घर मे सबको बता दो भाई आज पूजा कर रहा हूँ।
इसको सुबह 4 बजे भी कर सकते है। यह सब घर पर ही करे।
इसके बाद प्रभू दक्षिणा समझकर गौ को या गरीब को भोजन करा कर धन से सहायता
कर दे। एक रोटी गाय को कुत्ते को खिला देना। एक गडडी साग खिला देना। मित्रो बिना
दक्षिक्षा के कार्य पूरे होने में विघ्न आ सकते हैं। अत: दक्षिणा जरूरी है।
सचल मन वैज्ञानिक ध्यान की विधियां
(समध्यावि)
च.
मुस्लिम हेतु
अल्लाह के अनुभव हेतु सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि का विवरण।
यह विधि उनके लिए है जो निराकार अललाह मानते है। इसके करने से उनके दिमाग
को आराम। नींद गहरी और अच्छी आएगी। कार्य कुशलता बढ़ जाएगी। यह मेरा दावा है।
विधि: पहले सामान्य तैयारी करे
एक छोटे स्टूल पर या स्वच्छ जमीन पर अल्लहरहीम लिखा चित्र या केवल अललाह लिखा हुआ चित्र
का या शीशा यानी दर्पण आईना रख दे ताकि आपकी शक्ल पूरी साफ साफ
दिखे।
सामने बीचोबीच एक दीया जलाकर रख दे।
यह सब तब करे जब वातावरण शांत हो। सब सो चुके हो। रात 10 बजे या और बाद। शोर गुल न हो सन्नाटा हो। यह सब पहली बार
के लिए है।
आप अपना नाम एक कागज पर सुंदर तरीके से लिखकर सिर से लगाकर पूड़ी
बनाकर चित्र के सामने रख दे।
चित्र को नमस्कार करे और अपने सर पर अललाह को याद कर हाथ फेर ले।
हा आसन ऊनी ही हो। कम्बल इत्यादि जो साफ हो किसी और काम में न प्रयोग हो।
अब आप अपने नेत्र बन्द करे और चित्र में दो मिनट घूरे। फिर नेत्र बन्द कर चित्र को माथे के बीचोबीच देखने का प्रयास करे। यह 3 बार या अधिक बार करे।
अब जिनके कान तेज है यानी जिनके कानो । कानों में सुनी हुई ध्वनि बाद में सुनाई
देती हो। या जिनकी नाक तेज हो जिनको सुगन्ध का एहसास रहता हो। वह नाक या कान पर
ध्यान दे।
नही तो कुछ न करे।
इसके बाद अल्लहरहीम 5 बार जोर से चिल्लाकर बोले।
इतने जोर से कि सर हिल जाए।
अब आप अल्लहरहीम मन्त्र जप चालू कर दे। बीच बीच चित्र देखती जाए। और नेत्र
बन्द कर ध्यान में चित्र देखे।
यह आपको पहली बार ही करना है।अब आप यह नाम मन्त्र निरन्तर जपे।
यह वैज्ञानिक विधि है। यदि चाहे तो रोज भी कर सकते है। पर पहली बार जरूरी
है।
यदि कुछ अनुभव हो । भय लगे। सिहरन हो। रोंगटे खड़े हो।
ध्वनि सुगन्द आये तो डरे नही। और भी कुछ हो तो भी भयभीत न हो। तो आप कई बार मां काली या प्रभु शिवोम् तीर्थ का वास्ता बोल ले। डर गायब हो जाएगा।
मुझसे सम्पर्क बनाये रहे। आपकी समस्या हल होती रहेगी। जय
यदि आप चाहे तो साथ मे नाक की सांस पर ध्यान देकर मन्त जप करे।
कान पर ध्यान देकर अपना मन्त्र बीच बीच में रोककर सुनने का प्रयास करे।
घर मे सबको बता दो भाई आज इबादत कर रहा हूँ।
इसको सुबह 4 बजे भी कर सकते है। यह सब घर पर ही करे।
इसके बाद जकात समझकर गौ को या गरीब को भोजन करा कर धन से सहायता कर दे। एक
रोटी गाय को कुत्ते को खिला देना। एक गडडी साग खिला देना। मित्रो बिना जकात के
कार्य पूरे होने में विघ्न आ सकते हैं। अत: जकात जरूरी है।