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Wednesday, September 30, 2020

साकार से ही ध्यान सर्वोत्तम है। जानिये क्यों ???

 साकार से ही ध्यान सर्वोत्तम है। जानिये क्यों ??? 

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साकार से ही ध्यान सर्वोत्तम है। जानिये क्यों ??? 

 सनातन पुत्र देवीदास विपुल “खोजी”

 

 


ईश्वर कभी दण्ड नहीं देता है। वह परम दयालु है

 

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सनातन पुत्र क्यों लगाएं हम

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स्वामी या ब्रह्मचारी क्या होते हैं। यह फैशन नहीं है


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किन मंत्रों का जाप न करें

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मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य

Tuesday, September 29, 2020

मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य

 मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य 

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👇👇शक्तिशाली महिषासुर मर्दिनी स्त्रोत काव्य‌ रूप 👇👇
 
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नव - आरती : मां महिषासुरमर्दिनी     🙏🙏    मां काली की गुरू लीला

आरती का पूजा में महत्व     🙏🙏     यज्ञ या हवन: प्रकार और विधि

 दश विद्या 
 
 🙏🙏  दसवीं विद्या: कमला   🙏🙏      
🙏🙏  

 रावण कृत शिव तांडव स्त्रोत का हिंदी काव्य रूपान्तर

साकार से ही ध्यान सर्वोत्तम है। जानिये क्यों ???     🙏🙏      वसंत पंचमी पर विशेष: माता शारदे

 भजन:



  जय महाकाली जय गुरूदेव 

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 
 

Monday, September 28, 2020

माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री

 

माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री

  व्याख्याकार: सनातनपुत्र देवीदास विपुल “खोजी”

मां दुर्गा का पहला रूप शैल पुत्री का लिंक 

नवदुर्गा हिन्दू धर्म में माता दुर्गा अथवा पार्वती के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है। इन नवों दुर्गा को पापों के विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं परंतु यह सब एक हैं।


दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ के अंतर्गत देवी कवच स्तोत्र में निम्नांकित श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं


    प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।

    तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।

    पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

    सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।

    नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

    उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।

 

   माता सिद्धिदात्री : मध्य कपाल में इनका ध्यान किया जाता है। सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं।

मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:।'

माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।

मान्यता है कि इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। इस देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। 

इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। 

नवरात्र में यह अंतिम देवी हैं। हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है।


माना जाता है कि इनकी पूजा करने से बाकी देवीयों कि उपासना भी स्वंय हो जाती है।

यह देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। उपासक या भक्त पर इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से संभव हो जाते हैं। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियां होती हैं। इसलिए इस देवी की सच्चे मन से विधि विधान से उपासना-आराधना करने से यह सभी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं।

कहते हैं भगवान शिव ने भी इस देवी की कृपा से यह तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिव जी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए।

इस देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है।

विधि-विधान से नौंवे दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इनकी साधना करने से लौकिक और परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। मां के चरणों में शरणागत होकर हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उपासना करनी चाहिए। 

देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं।

मंत्र:

    सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
    सेव्यमाना सदा भूयाात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।


 ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा?

नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है. इनकी पूजा और उपासना करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है. नवमी के दिन अगर इन्हीं देवी की पूजा कर ली जाए तो व्यक्ति को सभी देवियों की पूजा का फल मिल सकता है.

इस दिन कमल के पुष्प पर बैठी हुई देवी सिद्दिदात्री का ध्यान करना चाहिए और विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प उनको अर्पित करने चाहिए. साथ ही इस दिन देवी को शहद अर्पित करना चाहिए और "ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमः" का जाप करना चाहिए.


- मां के समक्ष दीपक जलाएं.

- मां को नौ कमल के या लाल फूल अर्पित करें.   

- इसके बाद मां को नौ तरह के खाद्य पदार्थ भी अर्पित करें.

- अर्पित किए हुए फूल को लाल वस्त्र में लपेट कर रखें.

- पहले निर्धनों को भोजन कराएं.

- इसके बाद स्वयं भोजन करें.

मां सिद्धिदात्री की पूजा से कैसे वरदान मिल सकते हैं?

- मां सिद्धिदात्री के अंदर सभी देवियां समाहित हैं.  

- अगर नवरात्रि में केवल इन्हीं की पूजा कर ली जाए तो सम्पूर्ण नवरात्रि का फल मिल जाता है.

- इनकी पूजा से अपार वैभव की प्राप्ति होती है.

- साथ ही इनकी उपासना से व्यक्ति को समस्त सिद्धियां भी मिल जाती हैं

 मां के इस स्वरूप की उपासना करने से व्यक्ति ग्रहों के दुष्प्रभाव से बच जाता है.   

इस दिन हवन का विधान क्या है?

- नवमी के दिन नवरात्रि की पूर्णता के लिए हवन भी किया जाता है.

- नवमी के दिन पहले पूजा करें, फिर हवन करें.

- हवन सामग्री में जौ और काला तिल मिलाएं.

- इसके बाद  कन्या पूजन करें.

- कन्या पूजन के बाद सम्पूर्ण भोजन का दान करें. 

 

कर्ज मुक्ति के लिए- राई से हवन करें. 

ग्रह शान्ति के लिए- काले तिल से हवन करें. 

सर्वकल्याण के लिए- काले तिल और जौ से हवन करें. 

 इनका मंत्र इस प्रकार है।

'ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।'

पूजन-अर्चन के पश्चात हवन, कुमारी पूजन, अर्चन, भोजन, ब्राह्मण भोजन करवाकर पूर्ण होता है।

समस्त स्त्रियों में मातृभाव रखने हेतु मां का मंत्र जपा जाता है जिससे देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। घृत, तिल, भोजपत्र होमद्रव्य हैं।

'विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:

स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।

त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्

का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।'

 

स्वर्ग तथा मोक्ष पाने हेतु निम्न मंत्र का जप करें। पत्र, पुष्प, तिल, घृत होम द्रव्य हैं।

'सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्ति प्रदायिनी।

त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः।।'

भूमि, मकान की इच्‍छा रखने वाले निम्न मंत्र को जपें। साधारण द्रव्य होम के लिए प्रयुक्त करें।

मखाने और खीर से हवन करें.

'गृहीतोग्रमहाचक्रे दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।

वराहरूपिणि शिवे नारायणि नमोऽस्तुते।।'

संतान प्राप्ति की इच्‍छा रखने वाले व्यक्ति, स्त्री या पुरुष निम्न मंत्र का जप करें।

'नन्दगोप गृहे जाता यशोदा-गर्भ-सम्भवा।

ततस्तौ नाशयिष्यामि, विन्ध्याचल निवासिनी।।'

माखन मिसरी से हवन करें

घृत व मक्खन से आहुति दें। इच्‍छा अवश्य पूर्ण होगी।

देवी के पूजन, अर्चन, जप इत्यादि में समय का अवश्य ध्यान रखें अन्यथा कृपा प्राप्त न होगी। नैवेद्य जरूर चढ़ाएं तथा आर्तभाव से प्रार्थना करें।

 

ऊँ सिद्धिदात्रै विद्महे सर्वदेवाय धीमहि, तन्नो सिद्धधात्री प्रचोदयात्। 

सिद्धिदात्री (शतावरी) : दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है।

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नव - आरती : मां महिषासुरमर्दिनी 



 🙏🙏  दसवीं विद्या: कमला   🙏🙏      

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जय मां सिद्धिदात्री

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