हिंदी काव्यात्मक सिद्ध कुंजिकास्तोत्र पाठ
स्तुतिकार: सनातनपुत्र देवीदास विपुल
"खोजी"
विपुल सेन उर्फ विपुल “लखनवी”,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक
एवं कवि
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल
“वैज्ञनिक” ISSN
2456-481
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शिव बोले हे देवी सुनो। कुंजिका स्तोत्र मैं गाऊंगा॥
कैसे पाठ देवी सफल हो। वह जप जग को बतलाऊंगा।1।
मात्र कुंजिका पाठ कारण से। मिलता मात दुर्गा का फल है।
कवच अर्गला कील रहस्य सब। आवश्यक सूक्त न्यास गाऊंगा।2।
भेद यह अत्यंत गुप्त विरल है। देवों को भी नहीं सरल है॥
उमा इसे गुप्त सदा रखना। ज्यों योनि हो छिपा के ढंकना।3।
कुंजिका उत्तम पाठ निराला। मारण मोहन स्तम्भन टाला॥
वशीकरण आभिचारिक उच्चाटक। काटे तंत्र मंत्र सब घातक॥
सभी उद्देश्य ये पूरित करता। सर्व बलशाली स्तोत्र है भरता। 4।
॥अथ काव्यात्मक मंत्र॥
महासरस्वती चित्स्वरूपिणी, हे महालक्ष्मी सद्ररूपिणी।
आनन्दरूपा हे महाकाली, पतित जनै कष्ट हरनेवाली।1।
विद्या ब्रह्म की महासरस्वती, ध्यान सदा करती प्रकृति।
महाकाली महालक्ष्मी देवी, सर्वरूपिणी चण्डी देवी।2।
बारम्बार नमस्कार तुम्हे है, सकल सृष्टि का भार तुम्हें है।
रज्जु की दृढ़ ग्रन्थि को खोलो, अविद्यारूप कर मुक्त मुख खोलो।3।
ग्लों गणपति दुख नाश करो, असुर-संहारक शिव ज्ञान वरो।
इच्छापूर्ति शक्तिदाताकाली, कर्ता कृष्ण काम रखवाली।4।
देव क्रियाशील हो श्वांस रहने तक, प्रसन्न मुझ पर आस रहने तक॥
पुन: नम: महासरस्वती दयालु, महालक्ष्मी महाकाली कृपालु।5।
चण्डी स्वरूपिणी अनंत प्रणाम, माता बनें तीनों आयाम।
पृथ्वी से आकाश जहां तक, जन्म से पहले बाद वहां तक। 6।
मूलाधार सहस्त्र ब्रह्म तक, चक्र हो जागृत सिद्धि वरने तक।
सिंह समान चक्र दहाड़े, वीरभद्र सम बाधा पछाड़े।7।
अनाहत हो सिद्धि के पुष्पदल, हो प्रज्जवलित सिद्धि दे सब जल।
तीव्र ज्वल तीव्रतम हो प्रकाशित, अनन्त शक्ति संग हो विस्फोटित
मां मुझको सर्व सिद्धि दे दो, साथ भुक्ति और मुक्ति दे दो।8।
॥ इति मंत्र ॥
रुद्रस्वरूपणी तुम्हे नमस्ते, महादैत्य मधुहंता नमस्ते॥
कैटभ वध शुम्भ निशुम्भ हंता, महिषासुरमर्दिनी को नमस्ते।1।
महादेवी जप कर दो जाग्रत, सिद्ध करो हूं तेरे शरणागत॥
ऐंकार रूप सृष्टिस्वरूपणी, ह्रींकार सृष्टि पालन रूपणी।2।
क्लीं निखिल ब्रह्मांड बीज रूपा, विश्वव्यापि सर्वेश्वरी नमस्ते।
चामुण्डा चण्डमुण्डविनाशिनी, यैकार वरदायी को नमस्ते।3।
विच्चै रूप निज अभय प्रदाता, महामंत्र नर्वाण को नमस्ते।4।
धां धीं धूं रूप शिव पटरानी, वां वीं वूं वागेधीश्वरी नमस्ते।
क्रां क्रीं क्रूं रूप कालिका देवी, शां शीं शूं कल्याणी को नमस्ते।5।
हुं हुं हुंकार रूप देवी, जं जं जं जम्भनादिनी नमस्ते।
हे कल्याणकारिणी भैरवी, महाभवानी बारम्बार नमस्ते।6।
अं कं चं टं तं पं यं शं, वीं दूं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं।
धिजाग्रं इन बीजों को तोड़ो, दीप्त कर स्वाहा सिद्धि को मोड़ो। 7।
पां पीं पूं तुम पार्वती पूर्णा, खां खीं खूं खेचरी को नमस्ते।
सां सीं सूं सप्तशती देवी, मंत्र सिद्ध हो सब देव नमस्ते।
हे दुर्गा मां कृपा कर देना, पाठ सिद्ध कर हमें वर देना।8 ।
कुंजिका पाठ मंत्र सभी जगाता। नास्तिक, भक्तिहीन नहीं देना॥
हे पार्वती सदा गुप्त रखना। किसी अयोग्य मूरख मत देना॥
इस स्तोत्र बिन सप्तशती पढ़ना। उसे कभी कोई सिद्धि मिले न॥
इसके साथ सब पाठ सार्थक। बिन इस जस वनविलाप निरर्थक॥
दास विपुल मां कृपा कर देना। महिमा बखानूं शब्द वो देना॥
हे जगदम्बे जग मात भवानी। जग में न कोई महिमा जानी॥
सब भक्तों पर दया कर देना। मनवांछित फल सबको देना॥
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MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।" सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग : https://freedhyan.blogspot.com/
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