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Monday, August 13, 2018

आत्म ज्ञान




आत्म ज्ञान




विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी”,
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
  09969680093
- मेल:   vipkavi@gmail.com  वेब: vipkavi.info , वेब चैनल:  vipkavi
फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"  ब्लाग : https://freedhyan.blogspot


मैं उलझ कर रह गया इस जगत को सुलझाने में।
और मन का दीप मेरा  धीरे से बुझता रहा।।
दुनिया की गाठें खुली न  और मेरी बढ गई॥
और मन का मीत मेरा कुण्ठा से कुढ़ता रहा।।

आज पढना पढ रहा है जो जगत मैंने किया।
साथ अपने न जगत है पर जगत मैंने जिया।।
यह जगत अब छूटता है रेत  है मुठ्ठी मेरे।
और मन का दीपक  मेरे तूफां  से लडता रहा।।

उलझने बढ़ती गईं जैसे ही सुलझाई थीं।
फिर फंसा बाहर न आया कीच न दिख पाईं थीं॥
न दिया कुछ ध्यान अन्तस दीप की उस बाती पर।
और मन का दीप  मेरे अंध से भिडता रहा।

कितना समझाया मुझे उस आत्म की आवाज ने।
और गाया गुनगुना कर  प्यार के परवाज ने।।
पर हुआ पागल जगत में और मैं सोता रहा।
और मेरे मन का दीपक यू ही जल बुझता रहा।।

आज मेरी तेल बाती ले  समय को  चुक गई।
ज्ञान देकर बात अपनी ध्यान से कह कर गई।।
जब समय था पास तेरे तू न जागा नींद से।
क्या करेगा जगती पर  सब तेरा छुटता रहा।

सुन विपुल अब जान ले जगती से क्या पायेगा।
पानी का है बुलबुला  साथ  ले क्या जायेगा॥
अब विपुल झांके मन में देखने  क्या मिलता है।
देख अन्तस सुख विपुल तब बीज कुछ बोता रहा॥




"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :  https://freedhyan.blogspot.com/









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