भाग – 31 इस्लाम 3 : वो जो मुसलमान भी नहीं जानते
धर्म ग्रंथ और संतो की वैज्ञानिक कसौटी
संकलनकर्ता : सनातन पुत्र देवीदास विपुल “खोजी”
विपुल सेन उर्फ विपुल “लखनवी”,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
वेब:
vipkavi.info
कुरान में गैर मुस्लिमों को
सता सता कर जो यह तरीके हदीस में बताये हैं, वह
जहन्नम वालों के लिए हैं, लेकिन बगदादी के
लोग इसी दुनियां में ऐसे ही गैर मुस्लिमों पर
प्रयोग करते रहते हैं, निश्चय ही उनको
इतनी क्रूरता की प्रेरणा यहां से ही मिली होगी।
ध्यान दे यह सब उनके लिये है जो जह्न्नुम जायेगें। दुनिया के मुसलमानों के लिये नहीं। इसका मतलब भारत के मुस्लिम शासक और आज के आतंकवादी मुसलमान हो ही नही सकते ।
कुछ ऐसा ही वर्णन नरक में पापियों के साथ किया जाता है यह सब हिंदूओ के पुराणों मे वर्णित है। खौलते तेल में डालना, भाले भोकना इत्यादि।
ध्यान दे यह सब उनके लिये है जो जह्न्नुम जायेगें। दुनिया के मुसलमानों के लिये नहीं। इसका मतलब भारत के मुस्लिम शासक और आज के आतंकवादी मुसलमान हो ही नही सकते ।
"उनकी खालें जला दी जाएँगी ताकि यातना का मजा चखें "सूरा -निसा 4:56
"चारों तरफ से घेर कर खौलता पानी डालेंगे "सूरा -कहफ़ 18:29
"उनके सिरों पर लोहे के हथौड़े मारे जायेंगे " सूरा -हज 22:21
" जो बच कर भागना चाहेगा तो उसे वहीँ धकेल दिया जायेगा " सूरा -अस सजदा 32:20
" गले में जंजीर डाल कर भड़कती आग में झौंक देंगे "सूरा -दहर 76:4
हमारे पहरेदार उग्र स्वभाव के और निर्दयी हैं "सूरा -तहरीम 66:6
ध्यान दे यह सब उनके लिये है जो जह्न्नुम जायेगें। दुनिया के मुसलमानों के लिये नहीं। इसका मतलब भारत के मुस्लिम शासक और आज के आतंकवादी मुसलमान हो ही नही सकते ।
कुछ ऐसा ही वर्णन नरक में पापियों के साथ किया जाता है यह सब हिंदूओ के पुराणों मे वर्णित है। खौलते तेल में डालना, भाले भोकना इत्यादि।
ध्यान दे यह सब उनके लिये है जो जह्न्नुम जायेगें। दुनिया के मुसलमानों के लिये नहीं। इसका मतलब भारत के मुस्लिम शासक और आज के आतंकवादी मुसलमान हो ही नही सकते ।
"उनकी खालें जला दी जाएँगी ताकि यातना का मजा चखें "सूरा -निसा 4:56
"चारों तरफ से घेर कर खौलता पानी डालेंगे "सूरा -कहफ़ 18:29
"उनके सिरों पर लोहे के हथौड़े मारे जायेंगे " सूरा -हज 22:21
" जो बच कर भागना चाहेगा तो उसे वहीँ धकेल दिया जायेगा " सूरा -अस सजदा 32:20
" गले में जंजीर डाल कर भड़कती आग में झौंक देंगे "सूरा -दहर 76:4
हमारे पहरेदार उग्र स्वभाव के और निर्दयी हैं "सूरा -तहरीम 66:6
पर इन तरीको क्या कहा जाये।क्या ये नरक के लिये हैं या जानवरों को मारने के लिये।
पशुओं को मारने के हदीसी
तरीके । इन हदीसों को देखिये ,
खूंटा भोंक कर
"अनस ने कहा कि बनू हरिस का जैद इब्न असलम ऊंटों का चरवाहा था, उसकी गाभिन ऊंटनी बीमार थी और मरणासन्न थी. तो उसने एक नोकदार खूंटी ऊंटनी को भोंक कर मार दिया. रसूल को पता चला तो वह बोले इसमे कोई बुराई नहीं है,तुम ऊंटनी को खा सकते हो"
55 सूरए अर रहमान पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
तो तुम दोनों अपने मालिक की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे (69)
उन बाग़ों में ख़ुश ख़ुल्क और ख़ूबसूरत औरतें होंगी (70)
तो तुम दोनों अपने मालिक की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे (71)
वह हूरें हैं जो ख़ेमों में छुपी बैठी हैं (72)
फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत से इन्कार करोगे (73)
उनसे पहले उनको किसी इन्सान ने उनको छुआ तक नहीं और न जिन ने (74)
फिर तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत से मुकरोगे (75)
ये लोग सब्ज़ क़ालीनों और नफ़ीस व हसीन मसनदों पर तकिए लगाए (बैठे) होंगे (76)
फिर तुम अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों से इन्कार करोगे (77)
(ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार जो साहिबे जलाल व करामत है उसी का नाम बड़ा बाबरकत है (78)
खूंटा भोंक कर
"अनस ने कहा कि बनू हरिस का जैद इब्न असलम ऊंटों का चरवाहा था, उसकी गाभिन ऊंटनी बीमार थी और मरणासन्न थी. तो उसने एक नोकदार खूंटी ऊंटनी को भोंक कर मार दिया. रसूल को पता चला तो वह बोले इसमे कोई बुराई नहीं है,तुम ऊंटनी को खा सकते हो"
55 सूरए अर रहमान पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
तो तुम दोनों अपने मालिक की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे (69)
उन बाग़ों में ख़ुश ख़ुल्क और ख़ूबसूरत औरतें होंगी (70)
तो तुम दोनों अपने मालिक की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे (71)
वह हूरें हैं जो ख़ेमों में छुपी बैठी हैं (72)
फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत से इन्कार करोगे (73)
उनसे पहले उनको किसी इन्सान ने उनको छुआ तक नहीं और न जिन ने (74)
फिर तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत से मुकरोगे (75)
ये लोग सब्ज़ क़ालीनों और नफ़ीस व हसीन मसनदों पर तकिए लगाए (बैठे) होंगे (76)
फिर तुम अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों से इन्कार करोगे (77)
(ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार जो साहिबे जलाल व करामत है उसी का नाम बड़ा बाबरकत है (78)
मालिक मुवत्ता-किताब 24 हदीस 3
पत्थर मार कर
"याहया ने कहा कि इब्न अल साद कि गुलाम लड़की मदीने के पास साल नामकी जगह भेड़ें चरा रही थी. एक भेड़ बीमार होकर मरने वाली थी. तब उस लड़की ने पत्थर मार मार कर भेड़ को मार डाला. रसूल ने कहा इसमे कोई बुराई नहीं है, तुम ऐसा कर सकते हो"
मालिक मुवत्ता -किताब 24 हदीस 4
किस किस को खा सकते हो
घायल जानवर
"याह्या ने कहा कि एक भेड़ ऊपर से गिर गयी थी, और उसका सिर्फ आधा शरीर ही हरकत कर रहा था, लेकिन वह आँखें झपक रही थी. यह देखकर जैद बिन साबित ने कहा उसे तुरंत ही खा जाओ "मालिक मुवत्ता किताब 24 हदीस 7
52 सूरए अत तूर पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
जो जो कारगुज़ारियाँ तुम कर चुके हो उनके सिले में (आराम से) तख़्तों पर जो बराबर बिछे हुए हैं (19)
तकिए लगाकर ख़ूब मज़े से खाओ पियो और हम बड़ी बड़ी आँखों वाली हूर से उनका ब्याह रचाएँगे (20)
और जिन लोगों ने ईमान क़़ुबूल किया और उनकी औलाद ने भी ईमान में उनका साथ दिया तो हम उनकी औलाद को भी उनके दर्जे पहुँचा देंगे और हम उनकी कारगुज़ारियों में से कुछ भी कम न करेंगे हर शख़्स अपने आमाल के बदले में गिरवी है (21)
और जिस कि़स्म के मेवे और गोष्त को उनका जी चाहेगा हम उन्हें बढ़ाकर अता करेंगे (22)
वहाँ एक दूसरे से शराब का जाम ले लिया करेंगे जिसमें न कोई बेहूदगी है और न गुनाह (23)
(और खि़दमत के लिए) नौजवान लड़के उनके आस पास चक्कर लगाया करेंगे वह (हुस्न व जमाल में) गोया एहतियात से रखे हुए मोती हैं (24)
और एक दूसरे की तरफ रूख़ करके (लुत्फ़ की) बातें करेंगे (25)
(उनमें से कुछ) कहेंगे कि हम इससे पहले अपने घर में (ख़ुदा से बहुत) डरा करते थे (26)
मादा के गर्भ का बच्चा
"अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा कि जब एक ऊंटनी को काटा गया तो उसके पेट में पूर्ण विक्सित बच्चा था, जिसके बल भी उग चुके थे. जब ऊंटनी के पेट से बच्चा निकाला गया तो काफी खून बहा, और बच्चे दिल तब भी धड़क रहा था. तब सईद इब्न अल मुसय्यब ने कहा कि माँ के हलाल से बच्चे का हलाल भी माना जाता है. इसलिए तुम इस बच्चे को माँ के साथ ही खा जाओ " मुवत्ता किताब 24 हदीस 8 और 9
अरबी शब्दकोश के अनुसार
“क़ुरबानी قرباني” शब्द मूल यह तीन अक्षर है 1 .قकाफ 2 .رरे 3 और ب बे = क
र बق ر ب .इसका अर्थ निकट होना है .तात्पर्य ऐसे काम जिस से अल्लाह की
समीपता प्राप्त हो .
हिंदी में इसका समानार्थी शब्द ” उपासना” है .उप = पास ,आस =निकट .लेकिन
अरबी में जानवरों को मारने के लिए “उजुहाالاضحي ” शब्द है जिसका अर्थ
“slaughter ” होता है .इसमे किसी प्रकार की कोई आध्यात्मिकता नजर नहीं
दिखती है .बल्कि क्रूरता , हिंसा ,और निर्दयता साफ प्रकट होती है .जानवरों
को बेरहमी से कटते और तड़प कर मरते देखकर दिल काँप उठता है और यही अल्लाह
चाहता है. और कुरान में कहा गया है .
“और उनके दिल उस समय काँप उठते हैं , और वह अल्लाह को याद करने लगते हैं ”
सूरा -अल हज्ज 22 :35″.
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47 सूरए मुहम्मद पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com Read more at Aryamantavya: इस्लामी बंदगी दरिंदगी और गंदगी ! http://wp.me/p6VtLM-rY
“और उनके दिल उस समय काँप उठते हैं , और वह अल्लाह को याद करने लगते हैं ” सूरा -अल हज्ज 22 :35″.
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तो जब तुम काफ़िरों से भिड़ो तो (उनकी) गर्दनें मारो यहाँ तक कि जब तुम
उन्हें ज़ख़्मों से चूर कर डालो तो उनकी मुश्कें कस लो फिर उसके बाद या तो
एहसान रख (कर छोड़ दे) या मुआवेज़ा लेकर, यहाँ तक कि (दुशमन) लड़ाई के
हथियार रख दे तो (याद रखो) अगर ख़ुदा चाहता तो (और तरह) उनसे बदला लेता मगर
उसने चाहा कि तुम्हारी आज़माइश एक दूसरे से (लड़वा कर) करे और जो लोग
ख़ुदा की राह में शाहीद किये गए उनकी कारगुज़ारियों को ख़ुदा हरगिज़ अकारत न
करेगा (4)
विचार: यहां पर हिंसा की बात किधर है । यह तो युद्ध का नियम ही होता है। किसी बंदी को मारने की मनाही की है। निर्दोष को मारने को तो एक तरह से मना ही किया है। पर आज कुछ मुल्क जो करते हैं वह गलत है।
विचार: यहां पर हिंसा की बात किधर है । यह तो युद्ध का नियम ही होता है। किसी बंदी को मारने की मनाही की है। निर्दोष को मारने को तो एक तरह से मना ही किया है। पर आज कुछ मुल्क जो करते हैं वह गलत है।
दूध पीता बच्चा
"अबू बुरदा ने रसूल से कहा अगर मुझे जानवर का केवल एक
ही ऐसा बच्चा मिले जो बहुत ही छोटा और दूध पीता हो, रसूल ने कहा ऐसी दशा में जब बड़ा जानवर न मिले तुम बच्चे को भी काट कर खा सकते हो "
मालिक मुवत्ता -किताब 23 हदीस 4
42 सूरए अश शूरा पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
और हमने तुम्हारे पास अरबी क़़ुरआन यूँ भेजा ताकि तुम मक्का वालों को और जो लोग इसके इर्द गिर्द रहते हैं उनको डराओ और (उनको) क़यामत के दिन से भी डराओ जिस (के आने) में कुछ भी शक नहीं (उस दिन) एक फरीक़ (मानने वाला) जन्नत में होगा और फरीक़ (सानी) दोज़ख़ में (7)
और अगर ख़़ुदा चाहता तो इन सबको एक ही गिरोह बना देता मगर वह तो जिसको चाहता है (हिदायत करके) अपनी रहमत में दाखि़ल कर लेता है और ज़ालिमों का तो (उस दिन) न कोई यार है और न मददगार (8)
विचार: यह एक तरीका है कि लुटेरे कबायली सही रास्ते पर आये। उनको कयामत का डर दिखाओ। मतलब किसी भी तरह वह ठीक तरीके से रहें।
42 सूरए अश शूरा पवित्र कुरान – हिंदी अनुवाद, ummat-e-nabi.com & aquran.com
और हमने तुम्हारे पास अरबी क़़ुरआन यूँ भेजा ताकि तुम मक्का वालों को और जो लोग इसके इर्द गिर्द रहते हैं उनको डराओ और (उनको) क़यामत के दिन से भी डराओ जिस (के आने) में कुछ भी शक नहीं (उस दिन) एक फरीक़ (मानने वाला) जन्नत में होगा और फरीक़ (सानी) दोज़ख़ में (7)
और अगर ख़़ुदा चाहता तो इन सबको एक ही गिरोह बना देता मगर वह तो जिसको चाहता है (हिदायत करके) अपनी रहमत में दाखि़ल कर लेता है और ज़ालिमों का तो (उस दिन) न कोई यार है और न मददगार (8)
विचार: यह एक तरीका है कि लुटेरे कबायली सही रास्ते पर आये। उनको कयामत का डर दिखाओ। मतलब किसी भी तरह वह ठीक तरीके से रहें।
रसूल का स्थान सर्वोपरि है !
"जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि रसूल ने कहा है मैं नबियों का" कायद (leader) यह शेखी की बात नहीं, मैं सभी नबियों पर मुहर (seal) यह शेखी की बात नहीं, मैं पहला ऐसा सिफारिश करने वाला हूँ, जिसकी सिफारिश मंजूर हो जाएगी, यह भी शेखी की बात नहीं है,"
رواه جابر بن عبد الله قال النبي (ص):أنا قائد من المرسلين، وهذا ليس التباهي، وأنا خاتم النبيين، وهذا ليس التباهي، وسأكون أول من يشفع ويتم قبول الشفاعة الأولى التي، وهذا ليس التباهي ".
Narrated by Jabir ibn Abdullah
The Prophet (saws) said, "I am the leader (Qa'id) of the Messengers, and this is no boast; I am the Seal of the Prophets, and this is no boast; and I shall be the first to make intercession and the first whose intercession is accepted, and this is no boast.
Al-Tirmidhi Hadith 5764
औरतों के बारे में विशेषाधिकार : यह केवल नबियों के लिये है। यानी बाकी जो करते हैं वह गलत।
"हे नबी हमने तुम्हारे लिए (वह) पत्नियां हलाल कर दी हैं, जिनके मह्र तुमने दे दिए हैं , और वह दासियाँ जो अल्लाह ने "फ़ाय" के रूप मे नियानुसार दी हैं, और चाचा की बेटियां , तुम्हारी फुफियों की बेटियां, तुम्हारे मामूँ की बेटियां, और तुम्हारी खालाओं की बेटियां, जिन्होंने तुम्हारे साथ हिजरत की है, और वह ईमान वाली स्त्री जो अपने आपको नबी के लिए "हिबा" कर दे. और यदि नबी उस से विवाह करना चाहे, हे नबी यह अधिकार केवल तुम्हारे लिए है, दूसरे ईमान वालों के लिए नहीं है" सूरा -अहजाब 33:50
यानि आज की सब इस तरह की शादियां गुनाह। क्योंकि यह नबी के लिये छूट है।
इस बात से कोई भी व्यक्ति इंकार नहीं कर सकता कि सत्य को सदा के लिए दबाना, या
मिटाना असम्भव है. एक न एक दिन सत्य खुद लोगों के सामने प्रकट हो जाता है, जिसे लोगों को स्वीकार पड़ना है. यह बात इस्लाम के ऊपर भी लागु होती है.
मुसलमान मुहम्मद साहब को अल्लाह का रसूल और इस्लाम का प्रवर्तक मानते हैं. क्योंकि 23 साल की आयु में सन 592 ईस्वी में मुहम्मद पर कुरान की पहली आयत नाजिल हुई थी, उसी दिन से इस्लाम का जन्म हुआ, यद्यपि मुहम्मद साहब
को अल्लाह का सबसे प्यारा रसूल कहा जाता है, लेकिन कई कई पत्नियां
होने पर भी मुहम्मद साहब के कोई पुत्र नहीं हुआ. एक लड़का एक दासी मरिया से हुआ था
वह भी अल्पायु में मर गया था. वास्तव में मुहम्मद साहब
वंश उनकी पुत्री फातिमा से चला है, जिसकी शादी हजरत अली से हुई थी. इस
तरह अली और फातिमा से मुहम्मद साहब की वंशावली वर्त्तमान काल तक चल रही है,
अब यदि कोई कहे कि उन्हीं रसूल के वंशज बिना किसी दवाब के वेदों पर आस्था रखते हैं, गायत्री मन्त्र पढ़ते हैं. और वैदिक धर्म ग्रन्थ छह दर्शनों पर विश्वास रखते हैं, यही नहीं भगवान बुद्ध को भी अवतार मानते हैं. तो क्या आप विश्वास करेंगे ? लेकिन यह शतप्रतिशत सत्य है, इसलिए इस लेख को ध्यान से पढ़िए ,
1- निजारी इस्माइली
यह तो सभी जानते हैं कि मुसलमान सुन्नी और शिया दो मुख्य फिरकों में बटे हुए हैं, और शिया अली को अपना प्रथम इमाम मानते है. अली और फातिमा के छोटे पुत्र इमाम हुसैन को परिवार सहित करबला में शहीद करा दिया गया था. केवन उनका एक बीमार पुत्र बचा रहा, जिसका नाम "जाफर सादिक" था, जिसे शिया अपना चौथा इमाम मानते हैं. कालान्तर में उन्हीं अनुयाइयों ने अलग संप्रदाय बना लिया जिसका नाम "अन निजारियून - النزاريون" है. जिनको "इस्माइलिया - اسماعیلیه" भी कहा जाता है. जो "शाह करीम अल हुसैनी चौथे" को अपना इमाम और धार्मिक गुरु मानते है, शाह करीम का जन्म अली और फातिमा की 49वीं पीढी में हुआ है. इनकी यह वंशावली तब से आज तक अटूट रूप से चली आ रही है. इस्माइलिया दुनिया के 25 देशो में फैले हुए हैं, और इनकी संख्या करीब डेढ़ करोड़ (15 million) है. इनकी मान्यता है कि अल्लाह बिना इमाम को दुनियां को नहीं रखता, यानि हर काल में एक इमाम मौजूद रहता है, जो लोगों का मार्गदर्शन करता रहता है. इन लोगों की मान्यताएं सुन्नी और शियायों से बिलकुल अलग हैं
2--किसी भी दिशा में नमाज
निजारी इस्माइली इबादत के लिए मस्जिद की जगह जमातखाने में में जाते हैं, इनके वर्त्तमान इमाम आगाखान करीम शाह अल हुसैनी और उनके भाई अयमान मुहम्मद ने अरबों रुपये खर्च करके विश्व के कई शहरों में भव्य और सर्वसुविधा युक्त आधुनिक जमातखाने बनवा दिए है. जिनमे लोग इबादत करते हैं . लेकिन निजारी दूसरे मुसलमानों की तरह मक्का के काबा की तरफ मुंह करके इबादत नहीं करते, बल्कि दीवार के सहारे खड़े होकर किसी तरफ मुंह करके प्रार्थना करते हैं. इनका कहना है कि अल्लाह तो सर्वव्यापी है, जैसा खुद कुरान में कहा गया है,
" पूरब और पश्चिम अल्लाह के ही हैं, तो तुम जिस तरफ ही रुख करोगे, उसी तरफ ही अल्लाह का रुख होगा. निश्चय ही अल्लाह बड़े विस्तार वाला और सब कुछ जाननेवाला है " सूरा - बकरा 2 :115
अब यदि कोई कहे कि उन्हीं रसूल के वंशज बिना किसी दवाब के वेदों पर आस्था रखते हैं, गायत्री मन्त्र पढ़ते हैं. और वैदिक धर्म ग्रन्थ छह दर्शनों पर विश्वास रखते हैं, यही नहीं भगवान बुद्ध को भी अवतार मानते हैं. तो क्या आप विश्वास करेंगे ? लेकिन यह शतप्रतिशत सत्य है, इसलिए इस लेख को ध्यान से पढ़िए ,
1- निजारी इस्माइली
यह तो सभी जानते हैं कि मुसलमान सुन्नी और शिया दो मुख्य फिरकों में बटे हुए हैं, और शिया अली को अपना प्रथम इमाम मानते है. अली और फातिमा के छोटे पुत्र इमाम हुसैन को परिवार सहित करबला में शहीद करा दिया गया था. केवन उनका एक बीमार पुत्र बचा रहा, जिसका नाम "जाफर सादिक" था, जिसे शिया अपना चौथा इमाम मानते हैं. कालान्तर में उन्हीं अनुयाइयों ने अलग संप्रदाय बना लिया जिसका नाम "अन निजारियून - النزاريون" है. जिनको "इस्माइलिया - اسماعیلیه" भी कहा जाता है. जो "शाह करीम अल हुसैनी चौथे" को अपना इमाम और धार्मिक गुरु मानते है, शाह करीम का जन्म अली और फातिमा की 49वीं पीढी में हुआ है. इनकी यह वंशावली तब से आज तक अटूट रूप से चली आ रही है. इस्माइलिया दुनिया के 25 देशो में फैले हुए हैं, और इनकी संख्या करीब डेढ़ करोड़ (15 million) है. इनकी मान्यता है कि अल्लाह बिना इमाम को दुनियां को नहीं रखता, यानि हर काल में एक इमाम मौजूद रहता है, जो लोगों का मार्गदर्शन करता रहता है. इन लोगों की मान्यताएं सुन्नी और शियायों से बिलकुल अलग हैं
2--किसी भी दिशा में नमाज
निजारी इस्माइली इबादत के लिए मस्जिद की जगह जमातखाने में में जाते हैं, इनके वर्त्तमान इमाम आगाखान करीम शाह अल हुसैनी और उनके भाई अयमान मुहम्मद ने अरबों रुपये खर्च करके विश्व के कई शहरों में भव्य और सर्वसुविधा युक्त आधुनिक जमातखाने बनवा दिए है. जिनमे लोग इबादत करते हैं . लेकिन निजारी दूसरे मुसलमानों की तरह मक्का के काबा की तरफ मुंह करके इबादत नहीं करते, बल्कि दीवार के सहारे खड़े होकर किसी तरफ मुंह करके प्रार्थना करते हैं. इनका कहना है कि अल्लाह तो सर्वव्यापी है, जैसा खुद कुरान में कहा गया है,
" पूरब और पश्चिम अल्लाह के ही हैं, तो तुम जिस तरफ ही रुख करोगे, उसी तरफ ही अल्लाह का रुख होगा. निश्चय ही अल्लाह बड़े विस्तार वाला और सब कुछ जाननेवाला है " सूरा - बकरा 2 :115
इसलिए पश्चिम में स्थित मक्का के काबा की तरफ मुंह करके नमाज पढ़ने की कोई जरुरत नहीं है.
3-अली अल्लाह का अवतार
निजारी इस्माइली मानते है कि अल्लाह इमाम के रूप में अवतार (incaarnation ) लेता है. और अली अल्लाह के अवतार थे. निजारी यह भी आरोप लगाते हैं, कि कुरान में इस बात का उल्लेख था, उन आयतों गायब कर दिया गया, जिनमे अली को अल्लाह का अवतार बताया गया था. आज भी निजारी अली को अल्लाह का अवतार मानते है और उसकी प्रार्थना करते हैं, ऐसी एक सिन्धी - गुजराती मिश्रित भाषा की प्रार्थना का नमूना देखिये.
" हक़ तू ,पाक तू बादशाह मेहरबान भी ,या अली तू ही तू .1
रब तू ,रहमान तू ,या अली अव्वल आखिर काजी , या अली तू ही तू .2
ते उपाया निपाया सिरजनहार या अली तू ही तू .3
जल मूल मंडलाधार ना या अली हुकुम तेरा या अली तू ही तू .4
तेरी दोस्ती में बोलिया पीर शम्श बंदा तेरा या अली तू ही तू .5
(पीर शम्श कलंदर दरवेश )
4-इस्माइली कलमा
निजारी इस्माइली सपष्ट रूप से मुहम्मद साहब के चचेरे भाई अली को ही अल्लाह का अवतार मानते हैं. इनका कलमा इस प्रकार है,
"अली अमीरुल मोमनीन , अलीयुल्लाह "
"عليٌّ امير المومنين عليُ الله "
अर्थात - ईमान वालों के नायक अली अल्लाह .और हर दुआ के बाद यह कहते हैं
"अलीयुल्लाह - عليُ الله " यानि अली अल्लाह है .(The Ali, the God)
http://www.mostmerciful.com/dua-one.htm
5-इस्माइली दुआ
"ला फतह इल्ला अली व् ल सैफ अल जुल्फिकार "
"لا فتح الّا علي و سيف الذوالفقار "
"तवस्सिलू इन्दल मसाईब बिल मौला अल करीम हैदिरिल मौजूद शाह करीम अल हुसैनी "
" توصّلو عند المصايب بالمولا كم حيدر الموجود شاه كريم الحسينِ "
अर्थ -अली जैसा कोई नायक नहीं , और जुल्फिकार जैसी कोई तलवार नहीं , इसलिए मुसीबत के समय मौजूदा इमाम शाह करीम अल हुसैनी से मदद मांगो . इसके अलावा एक दुसरे का अभिवादन करते समय कहते हैं,
"شاه جو ديدار" (शाह जो दीदार) अर्थात शाह के दर्शन, तात्पर्य आपको इमाम के दर्शन हों
6-रसूल के वंशज पीर सय्यद सदरुद्दीन
इसी तरह इमाम जाफर सादिक की 21 पीढ़ी में यानि रसूल के वंश में सय्यद सदरुद्दीन का जन्म हुआ जो ईरान से हिजरत करके भारत के गुजरात प्रान्त में आकर बस गए, उस समय इमाम कासिमशाह (bet. 1310 C.E. and 1370 C.E.) की इमामत थी. बाद में इमाम इस्लाम शाह ( 30th Imam ) ने सदरुद्दीन को "पीर" की पदवी देकर सम्मान प्रदान किया. सदरुद्दीन वैदिक धर्म से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जितने भी ग्रंथ लिखे हैं, सभी वैदिक धर्म पर आस्था प्रकट की है. इनमे से कुछ के नाम इस प्रकार हैं .
7-इस्माइली ज्ञान
इस्माइली धार्मिक पुस्तकों को "ज्ञान " ( उर्दू - گنان ) गुजराती में " गिनान-ગિનાન " कहा जाता है. ज्ञान का अर्थ Knowledge है. इनकी संख्या 250 से अधिक बतायी जाती है. इन में अल्लाह और हजरत अली की स्तुति, चरित्र शिक्षा, रीति रिवाज सम्बन्धी किताबें और नबियों की कथाएं वर्णित हैं. आश्चर्य की बात है कि इस्माइली अथर्ववेद को भी अपनी ज्ञान की किताबों में शामिल करते हैं.
8-रचनाएँ ग्रन्थ
इमाम जाफर सादिक की 20 वीं पीढ़ी में पैदा हुए " पीर शिहाबुद्दीन " ने ज्ञान की इन किताबों का उल्लेख किया है,
1.बोध निरंजन -इसमे अल्लाह के वास्तविक स्वरूप और उसे प्राप्त करने की विधि बतायी गयी है.
2. आराध -इसमे अल्लाह और अली की स्तुति दी गयी है .
3. विनोद -इसमे अली की महानता और सृष्टि की रचना के बारे में बताया है
4. गायंत्री -यह हिन्दुओं का गायत्री मन्त्र ही है ,
5. अथरवेद -अर्थात अथर्ववेद जो चौथा वेद है. इस्माइली इसे भी अल्लाह की किताब मानते हैं
6. सुरत समाचार -इसमे उदाहरण देकर भले और बुरे लोगों की तुलना करके बताया है कि भले लोग बहुत कम होते हैं, लेकिन हमें उनका ही साथ देना चाहिए .
7. गिरभावली -इसमे शंकर पार्वती की वार्तालाप के रूप में संसार की रचना के बारे में बताया गया है.
8. बुद्ध अवतार-इसमे विष्णु के नौवें अवतार भगवान बुद्ध का वर्णन है .
9. दस अवतार - इसमे विष्णु के दस अवतारों के बाद हजरत अली के अवतार होने का प्रमाण
10. बावन घटी -इसमे 52 दोहों में फरिश्तों और अल्लाह के बीच सवाल जवाब के रूप में मनुष्यों में अंतर के बारे में बताया है.
11. खट निर्णय -सृष्टि और सतपंथ के 6 महा पुरुषों की जानकारी .
12. खट दरसन -वैदिक धर्म के छह दर्शन ग्रन्थ , जिन्हें सभी हिन्दू मानते हैं .
13. बावन बोध - इसमे 52 चेतावनियाँ और 100 प्रकार की रस्मों के बारे में बताया है .
14. स्लोको (श्लोक) - नीति और सदाचार के बारे में छोटी छोटी कवितायेँ
15. दुआ- कुरान की आयतों के साथ अल्लाह और इमामों की स्तुति ,के छंद और सभी इमामों और पीरों का स्मरण
9-सत पंथ
फारसी किताब " तवारीख ए पीर " के अनुसार इस्लाम के उदय के सात सौ साल बाद मुहम्मद साहब के वंशज और इमाम जाफर सादिक की 20वीं पीढ़ी में जन्मे "सय्यद शिहाबुद्दीन -"( سيّد شهاب الدين) भारत में आये थे और गुजरात में बस गए थे. यह पीर "सदरुद्दीन हुसैनी " के पिता थे. इन्होने भारत में रह कर वैदिक हिन्दू धर्म का गहन अध्यन किया. और जब उन्हें वेदी धर्म की सत्यता का प्रमाण मिल गया तो, उन्होंने इस्माइली फिरके में "सतपंथ" नामका अलग संप्रदाय बना दिया. इन्हीं के पुत्र "पीर सदरुद्दीन ( 1290-1367 )" थे. जो इमाम जाफर सादिक की 21 वीं पीढ़ी में पैदा हुए. इन्होने पूरे पंजाब, सिंध और गुजरात में सतपंथ का प्रसार किया . जिसका अर्थ Path of Truth होता है. सतपन्थियों के अनुयाइयों को " मुरीद " यानि शिष्य कहा जाता है. सत्पंथी मानते हैं कि इमाम एक बर्तन की तरह होता है, जिसमे अल्लाह का नूर भरा होता है. और इमाम को उसके शब्द यानि फरमान से पहचाना जा सकता है. इमाम के दो स्वरूप होते हैं, बातिनी यानी परोक्ष (esoteric ) और जाहिरी यानी अपरोक्ष (exoteric). सतपंथी इमाम के प्रत्यक्ष दर्शन को "नूरानी दीदार-vision of light" कहते हैं.
11-सत्यप्रकाश
निजारी इस्माइली पीर ने " सत्यप्रकाश (The True Light) )" नामकी एक पुस्तक गुजराती भाषा में लिखी थी, जिसका दूसरा संसकरण भी प्रकाशित हो गया है. इसमे निजारी पंथ के बारे में पूरी जानकारी दी गयी है. आप इस लिंक से किताब डाउन लोड कर सकते हैं,
ખુબ સંતોષની અનુભૂતિ સાથે મને કહેતાં અત્યંત ખુશી થાય છે કે અત્યંત લોકપ્રિય ગણાતી “સત્ય પ્રકાશ” નામની પુસ્તકની બીજી આવૃત્તિ બહાર પાડવામાં આવેલ છે.
गुजराती में इसके विज्ञापन का अर्थ ,खूब संतोष की अनुभूति के साथ ,अत्यंत ख़ुशी की बात है कि अत्यंत लोकप्रिय गिनी जाने वाली "सत्यप्रकाश " नामक पुस्तक की दूसरी आवृति प्रकाशित हो गयी है ,
http://www.realpatidar.com/a/series40
इस लेख में दिए अकाट्य प्रमाणों के आधार पर, हम उन जिहादी मानसिकता वाले मुसलमानों से पूछना चाहते हैं, जो वैदिक हिन्दू धर्म मानने वालों को काफ़िर और मुशरिक कहते हैं. ऐसे लोग बताएं कि जब मुहम्मद साहब के वंशज वेद को प्रमाण मानते हैं, गायत्री मन्त्र को पवित्र मान कर जप करते हैं, और अल्लाह का अवतार भी मानते हैं, तो क्या मुसलमान उनको काफ़िर और मुशरिक कहने की हिम्मत करेंगे? और फिर भी कोई मुसलमान ऐसा करेगा तो उसकी सभी नमाजें बेकार हो जाएँगी.
क्योंकि मुसलमान नमाज में दरुदे इब्राहीम भी पढ़ते हैं, जिसमे मुहम्मद
साहब के वंशजों यानि "आले मुहम्मद" के लिए बरकत की दुआ और अल्लाह की
दोस्ती प्राप्त करने की दुआ की जाती है. अर्थात
जो भी रसूल की "आल" यानि वंशजों की बुराई
करेगा जहन्नम में जायेगा. इसलिए सभी मुसलमान सावधान रहे.
हम तो मुहम्मद साहब के ऐसे महान वंशजों को
सादर प्रणाम करते हैं जो
पाठक वैदिक हिन्दू धर्म के किसी भी संगठन
के सदस्य हों या कोई वेबसाईट
चलाते हों वह इस लेख को हर जगह पहुंचा
दें. ताकि कट्टर मुल्लों का हमेशा के लिए मुंह
बंद हो जाये .
............क्रमश:...............
(तथ्य
कथन गूगल साइट्स, मुख्तय: भांडाफोड, वेब दुनिया इत्यादि से साभार)
"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक
हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा
बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन
से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं।
10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।" सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग : https://freedhyan.blogspot.com/
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