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Monday, July 30, 2018

भाग – 25 इसाइयत में अजीबोगरीब:

भाग – 25 इसाइय में अजीबोगरीब:
धर्म ग्रंथ और संतो की वैज्ञानिक कसौटी
संकलनकर्ता : सनातन पुत्र देवीदास विपुल “खोजी”

विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल वैज्ञनिक ISSN 2456-4818
 वेब:   vipkavi.info , वेब चैनल:  vipkavi
 फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"  
ब्लाग : https://freedhyan.blogspot.com/

क्या विज्ञान और ईसाई धर्म सुसंगत है। 


कुछ अजीबोगरीब बातें: 

एक खेत में एक साथ विभिन्न फसलें न उगाएँ। (लवेटिकस 19:19)

एक से अधिक सूत से बना कपड़ा मत पहनिए। (लवेटिकस 19:19)

सिर के बाल न काटें और न दाढ़ी बनाएँ। (लवेटिकस 19:27)

जो व्यक्ति अपने माता-पिता को कोसता है या उनके विरुद्ध है, हत्या के योग्य है। (लवेटिकस 20:9)

जो पुरुष अपनी पत्नी को धोखा देता है या इसके उलट जो पत्नी अपने पति को धोखा देती है, मारे जाने योग्य है। (लवेटिकस 20:10)

अगर एक व्यक्ति दूसरे से झूठ बोलता है तो दोनों को मार डालना चाहिए। (लवेटिकस 20:13)

अगर कोई पुरुष या स्त्री किसी जानवर के साथ यौन संबंध स्थापित करते हैं तो उस व्यक्ति और जानवर दोनों को मार डालना चाहिए। (लवेटिकस 20:15-16)



अगर कोई पुरुष रजस्वला स्त्री के साथ यौन संबंध स्थापित करता है तो दोनों को समाज से बहिष्कृत कर देना चाहिए। (लवेटिकस 20:18)

मनोरोगी (अतींद्रिय), जादूगर और चुड़ैल पत्थर मार-मारकर हत्या करने योग्य हैं। (लवेटिकस 20:27)
अगर किसी पुजारी या पुरोहित की लड़की वेश्यावृत्ति करती है तो उसे खूँटे से बांधकर आग लगा देनी चाहिए। (लवेटिकस 21:9)


जिनकी नाक चपटी है, या जो अंधे या लूले हैं, वे ईश्वर के पूजास्थल में प्रवेश नहीं कर सकते। (लवेटिकस 21:17-18)


जो ईश्वर को कोसता है या ईशनिन्दा करता है, उसकी सामुदायिक रूप से पत्थर मार-मारकर हत्या कर दी जाए। (लवेटिकस 21:14-16)


कोई भी व्यक्ति, जो ईश्वर के विरुद्ध सपना देखता है या जो उसके विरुद्ध भविष्यवाणी करता है या जो तुम्हें ईश्वर से विमुख करने की कोशिश करता है, उसकी हत्या कर दी जाए। (डूटरानमी 13:5)


कोई भी अगर तुम्हें किसी दूसरे ईश्वर की पूजा करने की सलाह देता है तो, चाहे वह तुम्हारे परिवार का सदस्य ही क्यों न हो, उसकी हत्या कर दो। (डूटरानमी 13:6-10)


अगर किसी दूसरे ईश्वर की पूजा करने वाला कोई शहर आपको दिखाई दे तो उस शहर को तहस-नहस कर दो और वहाँ रहने वाले सभी लोगों की हत्या कर दो, यहाँ तक कि जानवरों को भी ज़िंदा मत छोड़ो। (डूटरानमी 13:12-16)


भिन्न (अन्य) धर्म मानने वाले हर व्यक्ति का कत्ल कर दो। (डूटरानमी 17:2-7)
औरतों को पुरुषों के और पुरुषों को औरतों के वस्त्र पहनने की अनुमति नहीं दी गई है। (डूटरानमी 22:5)


न्यू टेस्टामेंट (नए नियम) से:

गुलामों को अपने मालिकों के सामने पूर्ण समर्पण कर देना चाहिए और उनका आज्ञाकारी होना चाहिए। (इफिज्यंस 6:5)

औरतों को अपने पति के सामने पूर्ण समर्पण करना चाहिए। (1 पीटर 3:1 और 3:5)

औरतों को अपने बालों में चोटी नहीं करनी चाहिए और न तो कोई आभूषण पहनना चाहिए, न ही कोई आकर्षक वस्त्र। (इस संदर्भ में, मैं इन शब्दों के अर्थ में किसी भी तरह के मेकअप और बालों को रंगना भी शामिल मानता हूँ।-1पीटर 3:3; 1 टिमती 2:9)

औरतों को सामान्य रूप से समर्पित और चुप (शांत) रहना चाहिए और कभी भी न तो शिक्षा देनी चाहिए और न पुरुषों पर किसी भी प्रकार का अधिकार जताना चाहिए। उन्हें खामोश रहना चाहिए। (1 टिमती 2:12)

किसी भी पूजास्थल में महिलाओं को सिर ढँककर रखना चाहिए। (1 करेंथीयंस 11:4-7)

ईसाई और इसलाम धर्म में हिंसा

यीशु और मुहम्मद में भिन्नता

क्या सभी धर्म करीब करीब एक समान हैं? बहुत लोग ऐसा ही समझते है। पहली नजर में ईसाई और इस्लाम, दोनों धर्म समान दिखते है। (मैं इन दोनों शब्दों, ईसाई और इस्लाम को इनके व्यापक अर्थ में उपयोग कर रहा हूं, अर्थात् कोई भी व्यक्ति जो अपने आपको ईसाई या मुस्लिम समझता है)। दोनों धर्मों में समान नैतिक नियम है। दोनों का लक्ष्य विश्व पर शासन करना है। लोगों का कहना है कि दोनों धर्मों के इतिहास में हिंसा भरा समय रहा है, विशेषकर लोग क्रूसेड काल की ओर संकेत करते है जो हिंसा मसीह के नाम में किये गये थे। वर्तमान समय में मुहम्मद के नाम में हो रही हिंसा सभी जानते है। हिन्दू या बौद्ध धर्मावलंबियों की तुलना में ईसाई और इस्लाम धर्मावलंबियों की संख्या अधिक है, जो इनके असली प्रतिस्पर्धी भी है। अज विश्व में ईसाइयों की संख्या २ अरब ३० करोड और इस्लाम धर्मावलंबियों की संख्या १ अरब ६ करोड है (यह संख्या भी इन शब्दों के व्यापक अर्थ में ली गयी है।)

इन २ अरब ३० करोड़ ईसाइयों में कितने लोग यीशु के सच्चे अनुयायी है




आदम और हव्वा – कभी थे भी ????? ये सवाल इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है – क्योंकि – ये जानना बहुत जरुरी है इसलिए नहीं कि कोई मनगढंत बात है या सवाल है – क्या कोई वैज्ञानिक प्रमाण मिला है आज तक जो इनके प्रेम प्रतीक – अथवा त्याग और बलिदान की मिसाल पेश करे ?? अब कुछ ईसाई अपने अपने धारणा के हिसाब से बेबुनियाद बात करते हुए कहेंगे की – ये जो मानव जाती है – ये इन्ही आदम और हव्वा से चली है – जो की “स्वघोषित” परमेश्वर “यहोवा” ने बनाई थी – जब बात आती है – भगवान श्री राम और योगेश्वर श्रीकृष्ण आदि की तो इन्हे ठोस प्रमाण चाहिए – जबकि – रामसेतु इतना बड़ा प्रमाण – श्री लंका – खुद में एक अकाट्य प्रमाण – फिर भी नहीं मानते – महाभारत के इतने अवशेष मिले – आज भी कुरुक्षेत्र जाकर आप स्वयं देख सकते हैं – दिल्ली (इंद्रप्रस्थ) पांडवकालीन किला आज भी मौजूद है जिसे पुराना किला के नाम से जाना जाता है। इतना कुछ है – फिर भी कुछ समूह मूर्खो जैसे वही उवाच करते हैं – प्रमाण लाओ – आज हम इस समूह  से कुछ जवाब मांगते हैं –



1. आदम और हव्वा यदि मानवो के प्रथम पूर्वज हैं तो – क्यों औरत आदमी से पैदा नहीं होती ???? ऐसा इसलिए क्योंकि प्रथम औरत (हव्वा) आदम की दाई पसली से निर्मित की गयी – क्या किसी शैतान ने बाइबिल के तथाकथित गाड का निज़ाम उलट दिया ?? या कोई और शक्ति ने ये चमत्कार कर दिया ??? जिसे आज तक यहोवा ठीक नहीं कर पाया – यानि की एक पुरुष संतान को उत्पन्न करे न की औरत ???



2. यदि बाइबिल ये बात सही है कि यहोवा या अल्लाह ने हव्वा को आदम की पसली से बनाया तो आदम यानि की सभी पुरुषो की एक पसली क्यों नहीं होती ???????? और जो हव्वा को एक पसली से ही पूरा शरीर निर्मित किया तो हव्वा को भी एक ही पसली होनी चाहिए – या यहाँ भी कोई शैतान – यहोवा पर भारी पड़ गया और यहोवा की बनाई संरचना में – बड़ा उलटफेर कर दिया जिसे आज तक यहोवा ने कटाई छटाई का हुक्म देकर अपना बड़प्पन साबित करने की नाकाम कोशिश की ???????



3. यहोवा ने आदम और हव्वा की संरचना कहा पर की ?? क्या वो स्थान किसी वैज्ञानिक अथवा researcher द्वारा खोज गया ????



4. हज़रत आदम और हव्वा ने ऐसा क्या काम किया जिसकी वजह से उन दोनों को स्वर्ग (अदन का बाग़) से बाहर निकल दिया गया ?? क्या अपने को नंगा जान लेना और जो कुछ बन पाये उससे शरीर को ढांप लेना – क्या गुनाह है ????? क्या जीवन के पेड़ से बुद्धि को जागरूक करने वाला फैला खाना पाप था ????? ये पेड़ किसके लिए स्वर्ग (अदन का बाग़) में बोया गया और किसने बोया ???? क्या खुद यहोवा को ऐसे पेड़ या फल की आवश्यकता थी या है ??? अगर नहीं तो फिर आदम और हव्वा को खाने से क्यों खुद यहोवा ने मना किया ??? क्या यहोवा या आदम और हव्वा को नग्न अवस्था में ही रखना चाहते थे ???? या फिर यहोवा नहीं चाहता था की वो क्या है इस बात को आदम या हव्वा जान जाये ???? 5. यहोवा द्वारा बनाया गया – अदन का बाग़ – जहा आदम और हव्वा रहते थे – जहा से शैतान ने इन दोनों को सच बोलने और यहोवा के झूठे कथन के कारण बाहर यानि पृथ्वी पर फिकवा मारा – बेचारा यहोवाइस शैतान का फिर से कुछ न बिगाड़ पाया – खैर बिगाड़ा या नहीं हमें क्या करना – हम तो जानना चाहते हैं – ये अदन का बाग़ मिला क्या ??????



6. यहोवा द्वारा – आदम और हव्वा को उनके सच बोलने की सजा देते हुए और अपने लिए उगाये अदन के बाग़ और उस बाग़ की रक्षा करने वाली खडग (तलवार) से आदम और हव्वा को दूर रखने के लिए पृथ्वी पर भेज दिया गया। मेरा सवाल है – किस प्रकार भेजा गया ??? क्या कोई विशेष विमान का प्रबंध किया गया था ???? ये सवाल इसलिए अहम है क्योंकि बाइबिल के अनुसार यहोवा उड़ सकता है – तो क्या उसकी बनाई संरचना – आदम और हव्वा को उस समय “पर” लगाकर धरती की और भेज दिया गया – या कोई अन्य विकल्प था ??? ये कुछ सवाल उठे हैं – जो भी कुछ लोग श्री राम और कृष्ण के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं – अब कुछ ठोस और इतिहास की नज़र में ऐसे अकाट्य प्रमाण लाओ जिससे आदम और हव्वा का अस्तित्व साबित हो सके।  



लगभग यही बात इस्लाम भी कहता है।



............क्रमश:...............

(तथ्य कथन इंडिया साइट्स, गूगल, बौद्ध, ईसाई  साइट्स, आर्य मंतव्य, वेब दुनिया इत्यादि से साभार)
"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
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