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Wednesday, March 13, 2024

 गुरु की क्या पहचान है?

आर्य टीवी से साभार

गुरु कैसा हो ! गुरु की क्या पहचान है? यह प्रश्न हर धार्मिक मनुष्य के दिमाग में घूमता रहता है। कहीं मैं ठग न जाऊं। कहीं मेरा धन सम्पत्ति न छिन जाये। इत्यादि इत्यादि। बात सही है आज धर्म के नाम पर सबसे अधिक दुकानदारी और ठगी हो रही है। मंदिर, मस्जिद, चर्च के निर्माण की आड़ में लोगों के घरों का निर्माण पहले होता है। श्रद्धा से दिया गया दान ऐयाशी में प्रयोग होता है। गुरु, उस्ताद, फादर के नाम पर शोषण के समाचार आये दिन देखने को मिलते हैं।

बस यही सब देखकर और सोच कर पत्रकार डा अजय शुक्ला इस विषय पर चर्चा करने के लिए सनातन चिंतक और विचारक, पूर्व परमाणु वैज्ञानिक, कवि लेखक विपुल लखनवी जो सनातन पुत्र देवदास विपुल के नाम से ब्लॉग और वेब चैनल के द्वारा सनातन के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के माध्यम से जनमानस तक पहुंचा रहे हैं, के पास पहुंच गए।


डा. अजय शुक्ला: प्रणाम सर, मैं आपको अपना गुरु बनाना चाहता हूं। आपकी बातों ने मुझे बहुत प्रभावित किया मैं इतने संतों से मिला लेकिन आप जिस तरीके से जिज्ञासाओं और समाधान को शांत कर देते हैं मैं उससे बहुत प्रभावित हूं? आप मुझे अपना शिष्य स्वीकार करें।


विपुल जी: (हंसते हुए) प्रिय अजय शुक्ला जी मैं गुरु नहीं हूं और न ही अपने को कहलाना पसंद करता हूं। क्या बिना गुरु बने काम नहीं हो सकता? क्या आज कलियुग काल में गुरु रूपी दुकान खोलना जरूरी है? क्या बिना गुरु बने सनातन की सेवा नहीं हो सकती, सामान्य जनमानस की सेवा नहीं हो सकती। जिज्ञासाओं को शांत नहीं किया जा सकता। आध्यात्मिक मार्ग के अनुभव के साथ मार्ग नहीं दिखलाया जा सकता?


डा. अजय शुक्ला: लेकिन लोग कहते हैं बिना गुरु के जीवन सफल नहीं हो सकता इस पर आपका क्या विचार है?


विपुल जी: रमन महर्षी के कोई गुरु नहीं थे अरविंद घोष के भी कोई गुरु नहीं थे। यहां तक नारद मुनि के भी गुरु नहीं थे। क्या वे जीवन में सफल नहीं हुए। देखिए गुरु केवल और केवल परमपिता परमेश्वर ही होता है और कभी-कभी किसी मानव रूपी शरीर में कुछ विशेष कृपा कर शक्ति प्रदान करता है जिससे कि वह जगत का कल्याण कर सके।


डा. अजय शुक्ला: जी यही तो मैं भी कह रहा हूं कि मैं आप में वह सब देखता हूं इसलिए आपका शिष्य बनना चाहता हूं।


विपुल जी: अजय जी गुरु शिष्य का बंधन एक बहुत बड़ा बंधन होता है गुरु बनाने में कभी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। कलयुग में 99% दुकानदारी करने वाले गुरु मिलते हैं। गुरु बोलो तो वह प्रसन्न होते हैं। किसी भी तरीके से सामनेवाले को अपना चेला बनाना चाहते हैं। मेरे एक जानकार ने गुरु भक्ति में आकर ढाई लाख रुपए का कर्जा लेकर गुरु की मांग पूरी करी और इसके बाद भी उनका कोई फायदा नहीं हुआ। यदि आप कहे तो मैं उनका नंबर आपको दे सकता हूं। बस इसी कारण मैं यह कहता हूं पहले अपने आप को मजबूत करो अपनी स्वयं की ऊर्जा को बढ़ाओ उसके पश्चात अपने आप गुरु प्राप्त हो जाएगा।


इस कारण गुरु बनाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। 


डा. अजय शुक्ला: तो फिर शिष्य बनने के लिए क्या करें?


विपुल जी: ईश्वर की कृपा से जो मेरे इस शरीर द्वारा निर्मित सचल मन सरल वैज्ञानिक ज्ञान विधि निर्मित हो गई है। उसके साथ आप अपने इष्ट का मंत्र जप आरंभ करें। आपको जब सनातन का अनुभव होगा तो आपकी निष्ठा आस्था और अधिक बढ़ जाएगी। जब आपका मंत्र जप परिपक्व हो जाएगा तब यदि आवश्यकता होगी तो आपका ईष्ट आपको स्वयं आपके गुरु के पास पहुंचा देगा। मैं आपसे इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं गुरु को मानता ही नहीं था सिर्फ मां दुर्गा को ही सब कुछ समझता था। समय आने पर मां ने मुझे स्वप्न और ध्यान के माध्यम से अपनी गुरु परंपरा में पहुंचा दिया और जहां पर जाकर मैंने शक्तिपात की दीक्षा प्राप्त की।


डा. अजय शुक्ला: फिर भी गुरु की पहचान क्या होती है।

विपुल जी: उपनिषद मे इस बारे मे कहा गया है कि 

निवर्तयत्यन्यजनं प्रमादतः, स्वयं च निष्पापपथे प्रवर्तते ।

गुणाति तत्त्वं हितमिच्छुरंगिनाम्,

शिवार्थिनां यः स गुरु र्निगद्यते ॥ अर्थात 

जो दूसरों को प्रमाद करने से रोकते हैं, स्वयं निष्पाप रास्ते पर चलते हैं, जनहित और दीन दुखिओं के कल्याण की कामना का तत्व बोध करते-करातें हैं तथा निस्वार्थ भाव से अपने शिष्य के जीवन को कल्याण पथ पर अग्रसर करतें हैं  उन्हें गुरु कहते हैं।

क्या ऐसा गुरु आपने देखा है?


मैं कहीं पढ़ा था “ सच्चे गुरु की पहचान का पहला लक्षण यह है कि गुरु किसी वेशभूषा या ढोंग के अधीन नहीं है और उसके चेहरे पर सूर्य के सामान तेज दिखता है और उसकी छठी इंद्री पूर्णत: विकसित होती है जिसके द्वारा वह भूत, वर्तमान और भविष्य को देख पाता है | 

सच्चा गुरु ज्ञान देने में प्रसन्न होता है ज्ञान को छुपाने वाला या भ्रमित करने वाला सच्चा गुरु नहीं होता। यह बात भी सभी जानते है कि संसार में जीवित रहने के लिए धन की आवश्यकता है, अकारण आवश्यकता से अधिक धन का मांगना गुरु के लालची और स्वार्थी होने का चिन्ह है।


गुरु कही भी मिल सकता है, यह आवश्यक नहीं है कि गुरु किसी विशेष वेशभूषा में ही होगा, वेशभूषा का प्रयोग निजी लाभ के लिए मूर्ख बनाने या दिशाहीन करने में भी किया जा सकता है। सच्चे गुरु को वेशभूषा या दिखावे में कोई रुचि नहीं होती, न ही वह अपनी प्रशंसा सुनने का इच्छुक होता है।

साधू की वेशभूषा भगवा रंग की होती है इसका अर्थ यह नहीं है कि भगवा पहनने वाले सारे लोग साधू विचारों के होते है इनमे स्वार्थी और कपटी लोग भी हो सकते है। साधू के भगवा पहनने का अर्थ यह है कि इस व्यक्ति ने पारिवारिक सुखों का त्याग करके भगवा धारण कर लिया है और अब पारिवारिक जीवन नहीं चाहता, बाकि का जीवन सांसारिक वस्तुओं और लोगो से दूर रहेगा। प्राय: लोग आशीर्वाद पाने के लिए साधू को आवश्यकता से अधिक सुविधा उपलब्ध करा कर उनका मन भटकाते है, सुख सुविधा को देखकर सच्चे साधू का मन भी संसार की और आकर्षित होने लगता है। ऐसा करके वह लोग अपने पाप कर्म की पूँजी जमा करते है क्योंकि सुविधाओं को भोगने पर साधू अपने लक्ष्य से भटक कर दूर हो जाता है।


कहा गया है

अर्द्ध ऋचैः उक्थानाम् रूपम् पदैः आप्नोति निविदः।

प्रणवैः शस्त्राणाम् रूपम् पयसा सोमः आप्यते।


अर्थात जो सन्त (अर्द्ध ऋचैः) वेदों के अर्द्ध वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों को पूर्ण करके (निविदः) आपूर्ति करता है (पदैः) श्लोक के भागों को अर्थात् आंशिक वाक्यों को (उक्थानम्) स्तोत्रों के (रूपम्) रूप में (आप्नोति) प्राप्त करता है अर्थात् आंशिक विवरण को पूर्ण रूप से समझता और समझाता है (शस्त्राणाम्) जैसे शस्त्रों को चलाना जानने वाला उन्हें (रूपम्) पूर्ण रूप से प्रयोग करता है एैसे पूर्ण सन्त (प्रणवैः) औंकारों अर्थात् ओम्-तत्-सत् मन्त्रों को पूर्ण रूप से समझ व समझा कर (पयसा) दूध-पानी छानता है अर्थात् पानी रहित दूध जैसा तत्व ज्ञान प्रदान करता है जिससे (सोमः) अमर पुरूष अर्थात् अविनाशी परमात्मा को (आप्यते) प्राप्त करता है। वह पूर्ण सन्त वेद को जानने वाला कहा जाता है।

कुछ यूं समझें यानि योगी होता है।


डा. अजय शुक्ला: इस संदर्भ में वेद क्या कहते हैं?


विपुल जी: यजुर्वेद कहता है।

अश्विभ्याम् प्रातः सवनम् इन्द्रेण ऐन्द्रम् माध्यन्दिनम्

वैश्वदैवम् सरस्वत्या तृतीयम् आप्तम् सवनम्


अनुवाद:- वह पूर्ण सन्त तीन समय की साधना बताता है। (अश्विभ्याम्) सूर्य के  उदय-अस्त से बने एक दिन के आधार से (इन्द्रेण) प्रथम श्रेष्ठता से सर्व देवों के मालिक पूर्ण परमात्मा की (प्रातः सवनम्) पूजा तो प्रातः काल करने को कहता है जो (ऐन्द्रम्) पूर्ण परमात्मा के लिए होती है। दूसरी (माध्यन्दिनम्) दिन के मध्य में करने को कहता है जो (वैश्वदैवम्) सर्व देवताओं के सत्कार के सम्बधित (सरस्वत्या) अमृतवाणी द्वारा साधना करने को कहता है तथा (तृतीयम्) तीसरी (सवनम्) पूजा शाम को (आप्तम्) प्राप्त करता है अर्थात् जो तीनों समय की साधना भिन्न-2 करने को कहता है वह जगत् का उपकारक सन्त है।

भावार्थः- जिस पूर्ण सन्त के विषय में कहा है वह दिन में 3 तीन बार (प्रातः दिन के मध्य-तथा शाम को) साधना करने को कहता है। सुबह तो पूर्ण परमात्मा की पूजा मध्यान्ह  को सर्व देवताओं को सत्कार के लिए तथा शाम को संध्या आरती आदि को अमृत वाणी के द्वारा करने को कहता है वह सर्व संसार का उपकार करने वाला होता है।

मतलब वाहिक रूप में यह सब दिख जाता है।


डा. अजय शुक्ला: शिष्य में क्या गुण होने चाहिए?


विपुल जी: व्रतेन दीक्षाम् आप्नोति दीक्षया आप्नोति दक्षिणाम्।

दक्षिणा श्रद्धाम् आप्नोति श्रद्धया सत्यम् आप्यते 


(व्रतेन) दुर्व्यसनों का व्रत रखने से अर्थात् भांग, शराब, मांस तथा तम्बाखु आदि के सेवन से संयम रखने वाला साधक (दीक्षाम्) पूर्ण सन्त से दीक्षा को (आप्नोति) प्राप्त होता है अर्थात् वह पूर्ण सन्त का शिष्य बनता है (दीक्षया) पूर्ण सन्त दीक्षित शिष्य से (दक्षिणाम्) दान को (आप्नोति) प्राप्त होता है अर्थात् सन्त उसी से दक्षिणा लेता है जो उस से नाम ले लेता है। इसी प्रकार विधिवत् (दक्षिणा) गुरूदेव द्वारा बताए अनुसार जो दान-दक्षिणा से धर्म करता है उस से (श्रद्धाम्) श्रद्धा को (आप्नोति) प्राप्त होता है (श्रद्धया) श्रद्धा से भक्ति करने से (सत्यम्) सदा रहने वाले सुख व परमात्मा अर्थात् अविनाशी परमात्मा को (आप्यते) प्राप्त होता है।

मतलब पूर्ण सन्त उसी व्यक्ति को शिष्य बनाता है जो सदाचारी रहे। अभक्ष्य पदार्थों का सेवन व नशीली वस्तुओं का सेवन न करने का आश्वासन देता है। पूर्ण सन्त उसी से दान ग्रहण करता है जो उसका शिष्य बन जाता है फिर गुरू देव से दीक्षा प्राप्त करके फिर दान दक्षिणा करता है उस से श्रद्धा बढ़ती है। श्रद्धा से सत्य भक्ति करने से अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति होती है अर्थात् पूर्ण मोक्ष होता है। पूर्ण संत भिक्षा व चंदा मांगता नहीं फिरेगा।


डा. अजय शुक्ला: आप यह सब संक्षेप में बताएं इतना सारा तो समझ में भी नहीं आएगा। 


विपुल जी: यह बात सत्य है। सद्गुरु स्वामी शिवोम् तीर्थ जी महाराज जो शक्तिपात के कौल गुरू थे आपने गुरु के जो लक्षण बताये है जो अधिक प्रभावी और तत्कालिक हैं। जिनमें एक आंतरिक और कुछ भौतिक लक्षण हैं। 


स्वामी जी ने लिखा है कि जब आप दो रूपये का एक घड़ा खरीदते हैं तो ठोंक बजाकर देखते हैं अत: जिसको आप अपना जीवन समर्पित करने जा रहे हैं उसको तो अवश्य ठोंक कर देखें। 


कुछ वाहिक लक्षण:

जो आडम्बर से दूर हो। जिसके वस्त्र साधारण किंतु स्वच्छ हो। जो तरह तरह की मालाओ अंगूठियों वेश भूषा से दूर हो। मूछें बार बार न ऐठें। (यह गर्व का प्रतीक हैं)। सद्गुरु स्वामी शिवोम् तीर्थ जी महाराज कहते हैं जो स्वयं ग्रह नक्षत्रों के बंधन से बंधा हो वह आपको क्या मुक्त कर पायेगा। जो अपने  नाम के आगे बडे बडे नामपट्ट न लगाता हो। (जैसे भगवान, अखंडमंडलाकार, जगतगुरु, जगतमाता इत्यादि)। 

जिसमें समत्व हो यानी न कोई बड़ा शिष्य न छोटा। 

ऐसा न हो जिसने दक्षिणा अधिक दी उसको अधिक प्रसाद। जिसने कुछ नहीं दिया सिर्फ प्रणाम किया उसे कुछ नहीं। चेहरे पर सौम्यता हो, दीनता हो, प्रेम हो पर मलीनता न हो। 

तेज हो निस्तेज न हो।

जो न अधिक बोलता हो, चपल न हो। व्यर्थ बहस में न पड़े न उलझे। 

कम खाता हो, खाने का लालची न हो। इस तरह के अनेकों गुण हों।


परंतु अंतिम जो आन्तरिक है। 

वह मनुष्य जिसके पास बैठने से आपको क्रिया होने लगे (जैसे घूर्णन, कम्पन, रोमांच, ठंड, गरमी, आवेग, कुछ वो जो अचानक हो और आप के लिये अनहोनी),  ध्यान लगने लगे, सिर भारी होने लगे, चक्कर आने लगे, नींद आने लगे। जो आपको स्वप्न में दिखाई दे। वह आपके गुरु होने लायक है। आप उससे अनुरोध कर सकते हैं। क्योंकि वह आपको कभी धोखा नहीं देगा।


डा. अजय शुक्ला: आपके अतिरिक्त अन्य कोई उदाहरण है आपके पास?


विपुल जी: जी मेरी इंजीनियरिंग कॉलेज एचबीटीआई के पास आउट मित्र श्री अंशुमन द्विवेदी को शक्तिपात परम्परा के एक सन्यासी गुरु से मिलाया, जिसको देखकर अंशुमन बोले स्वामी जी आपको तो स्वप्न में देखा है। अरे मैं स्वयम् स्वपन और ध्यान के माध्यम से अपने गुरु तक पहुंचा हूं। 


डा. अजय शुक्ला: कोई और विशेष बात?

 

विपुल जी: प्राय: जो साकार सगुण अराधना करते हैं उनको आवश्यकता पड़ने पर साकार देव इष्ट बनकर समर्थ गुरु के पास स्वयं पहुंचा देते हैं। यह अनुभव तो मेरा भी है। पर जो निराकार निर्गुण साधना करते हैं उनको प्राय: मनोचिकित्सक के पास तक जाने की नौबत आ जाती है। 


अत: मित्रों आप गुरु को ढूंढना छोडकर अपनी साधना में लग जाइये। मेरा सुझाव है सगुण,साकार, आराधना और उपासना ही करे तो बेहतर है। अच्छा तो यह रहेगा आप अपने घर पर सचल मन सरल वैज्ञानिक ज्ञान विधि करने के साथ अपने इष्ट का मंत्रजप सतत, निरंतर, निर्बाध आरंभ कर दे। यह मंत्र जाप आपको गुरु से लेकर ज्ञान तक भौतिक सुखों से लेकर आध्यात्मिक स्तर की ऊंचाई तक यहां तक मोक्ष भी प्रदान कर सकता है।


डा. अजय शुक्ला: आपका बहुत-बहुत आभार। 

विपुल जी: जी आपको भी बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप जनकल्याण की सेवा हेतु लोगों को आध्यात्मिक जानकारी बताने हेतु मेरे पास अपना समय व्यतीत करते हैं।

Thursday, October 22, 2020

  क्या तैयारी करें सातवे दिन की। मां कालरात्रि

 


   क्या तैयारी करें सातवे दिन की। मां कालरात्रि


आशा है आप सब ने आज  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि को मां कात्यायनी मंत्र के साथ संपन्न किया होगा और दिन भर मां  का मंत्र पढ़कर शाम को आरती और हवन किया होगा।


आपको सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजन करनी है। रात्रि में शयन के पूर्व मां कात्यायनी को नमन करने के पश्चात मां कालरात्रि का मंत्र जप करते हुए शयन करें।


कल प्रातः
  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि  के साथ लिंक में दिए हुए मंत्र के साथ दिनभर जाप करें।

रात्रि में पुनः आरती और हवन करें।


मां कालरात्रि को शहद का भोग लगाएं। हवन सामग्री में भी कुछ शहद डाल लें।

मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष  मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।


इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी आंखों की आरती लिख लिया है और आज मां सरस्वती की कृपा से माताओं की नई आरती लिख दी है पोस्ट भी कर दी है।

    





इसके बाद मां कालरात्रि गायत्री पढ़ना न  भूले

आप चाहें तो ब्लाग को सबक्राइब कर दे जिससे आपको जब कभी लेख डालूं तो सूचना मिलती रहे।
जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥
मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।
 
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 

Wednesday, October 21, 2020

   क्या तैयारी करें छठवें दिन की। मां कात्यायनी

 

   क्या तैयारी करें छठवें दिन की। मां कात्यायनी


आशा है आप सब ने आज  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि को मां स्कन्दमाता मंत्र के साथ संपन्न किया होगा और दिन भर मां  का मंत्र पढ़कर शाम को आरती और हवन किया होगा।


आपको छठवें दिन मां स्कंदमाता की पूजन करनी है। रात्रि में शयन के पूर्व मां स्कंदमाता को नमन करने के पश्चात मां कात्यायनी का मंत्र जप करते हुए शयन करें।


कल प्रातः सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि के साथ लिंक में दिए हुए मंत्र के साथ दिनभर जाप करें।
रात्रि में पुनः आरती और हवन करें।


मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष  मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।


इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी आंखों की आरती लिख लिया है और आज मां सरस्वती की कृपा से माताओं की नई आरती लिख दी है पोस्ट भी कर दी है।

‌मां कात्यायनी की आरती को वीडियो पर देखने हेतु अथवा पढ़ने हेतु नीचे का लिंक दबाएं👇👇


मां के विषय में अन्य जानकारी हेतु👇👇


इसके बाद मां स्कंदमाता की गायत्री पढ़ना न  भूले।

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मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 

Tuesday, October 20, 2020

 

   क्या तैयारी करें पांचवें दिन की। मां स्कंदमाता

सनातन पुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

आशा है आप सब ने आज  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि को मां कुष्मांडा मंत्र के साथ संपन्न किया होगा और दिन भर मां कुष्मांडा  का मंत्र पढ़कर शाम को आरती और हवन किया होगा।



आपको पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजन करनी है। रात्रि में शयन के पूर्व मां कुष्मांडा को नमन करने के पश्चात मां स्कंदमाता का मंत्र जप करते हुए शयन करें।


कल प्रातः सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि के साथ लिंक में दिए हुए मंत्र के साथ दिनभर जाप करें।
रात्रि में पुनः आरती और हवन करें।


मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष  मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।



इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी आंखों की आरती लिख लिया है और आज मां सरस्वती की कृपा से मां स्कंदमाता की और अन्य माताओं की नई आरती लिख दी है पोस्ट भी कर दी है।

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मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 

Sunday, October 18, 2020

  क्या तैयारी करें तीसरे दिन की। मां चन्द्रघंटा

  क्या तैयारी करें तीसरे दिन की। मां चन्द्रघंटा

सनातन पुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

आशा है आप सब ने आज  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि को मां ब्रह्मचारिणी मंत्र के साथ संपन्न किया होगा और दिन भर मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र पढ़कर शाम को आरती और हवन किया होगा।
आपको तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजन करनी है। रात्रि में शयन के पूर्व मां ब्रह्मचारिणी को नमन करने के पश्चात मां चंद्रघंटा का मंत्र जप करते हुए शयन करें।
कल प्रातः सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि के साथ लिंक में दिए हुए मंत्र के साथ दिनभर जाप करें।
रात्रि में पुनः आरती और हवन करें।

मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष   मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।



इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी आंखों की आरती लिखने का संकल्प लिया है और आज मां सरस्वती की कृपा से चंद्रघंटा मां की और कुष्मांडा माता की नई आरती लिख दी है पोस्ट भी कर दी है।क


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Saturday, October 17, 2020

क्या तैयारी करें दूसरे दिन की। मां ब्रह्मचारिणी।

 क्या तैयारी करें दूसरे दिन की। मां ब्रह्मचारिणी
सनातन पुत्र देवीदास विपुल "खोजीm=0

आशा है आप सब ने आज  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि को मां शैलपुत्री के मंत्र के साथ संपन्न किया होगा और दिन भर मां शैलपुत्री का मंत्र पढ़कर शाम को आरती और हवन किया होगा।
आपको दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजन करनी है। रात्रि में शयन के पूर्व मां शैलपुत्री को नमन करने के पश्चात मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र जप करते हुए शयन करें।
कल प्रातः सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि के साथ लिंक में दिए हुए मंत्र के साथ दिनभर जाप करें।
रात्रि में पुनः आरती और हवन करें।

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मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।
 
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 

Tuesday, October 13, 2020

नव रात्रि में सरल और सुगम आराधना कैसे करें।

 नव रात्रि में सरल और सुगम आराधना कैसे करें।

सनातनपुत्र देवीदास विपुल “खोजी”


बहुत चिंतन के बाद मुझे महसूस हुआ कि सभी देव भक्तों और हिंदुओं को यह आराधना अवश्य ही करनी चाहिये। क्योंकि यह शक्ति पूजन है। एक बात याद रखें जिस कार्य में मन न लगे अथवा खीझ पैदा हो। उसको कतई न करें। क्योंकि प्रभु मात्र भाव के ही भूखें होते हैं। बाकी वाहिक ताम झाम तो हम अपने मन और माहौल के लिये ही करते हैं। अत: मैं न्यूनतम आराधना विधि को ही बताना चाहूंगा। 

 

एक बात और यदि आप मातृ कृपा और भक्ति हेतु पूजन करते हैं तो सारी गलती माफ़ लेकिन यदि अनुष्ठानिक पूजन करते हैं तो बेहद सावधानी के साथ पूजन करना होता है। अत: यह विधि मातृ कृपा और सामान्य भक्ति आराधना हेतु ही दी गई है। 

 

1.    सबसे पहले आप मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले। जिससे आपको स्पष्टता आ जाये कि आप क्या करने जा रहें हैं। 

 

👉👉लिंक को दबायें: मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य 

  और

मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या)

भक्तों को कष्ट न हो इस कारण मैंनें कई ब्लाग लिखे हैं जिनके लिंक इस ब्लाग पर जाकर समझे जा सकते हैं। आप इतना अवश्य समझ लें कि नवरात्रि पूजन नौ रूपों हेतु पूजन है जो दस रूपों की दस विद्यायों से अलग है। इस पर मुझे लिखना है कुछ प्रतीक्षा करें। 

 

2.    बेहतर होगा कि आप दिनों के रूप के मंत्र के साथ सचल मन वैज्ञानिक विधि के अनुसार पूजन करें। दिन भर उस रूप के मंत्र का जाप करें। 

 

 👉👉लिंक को दबायें: सचल मन वैज्ञानिक विधि

 

3.    रात्रि में आरती के बाद शयन के समय से अगले दिन के रूप और मंत्र का ध्यान और जाप कर सोंयें। 

 

4.    प्रतिदिन सुबह और शाम क्षमा प्रार्थना व सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ अवश्य करें। 

 

5.    प्रयास यह करें कि आप दिनभर कोई भी काम करते समय मंत्र जप अवश्य करते रहें। 

 

6.    सम्भव हो तो मुझे अपने अनुभव व्हाट्सअप द्वारा 99690680093 पर बताते रहें। जिससे मेरी खोज को बल मिलेगा। 

 

7.    यदि सम्भव हो तो गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ करें। यदि संस्कृत न पढे तो हिंदी अनुवाद ही पढ लें। सम्भव हो तो आराधनायें संस्कृत में पढें।

सम्भव हो तो दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ करें। 

 

8.    एक बात समझ लें जो घी तेल आप खाते हैं उसी का दीपक जलायें। पूजा वाला तेल के नाम पर मिलावटी और चर्बी से बना घी तेल बिकता है जो खाने को मना करते हैं। वह कदापि प्रयोग न करें। तनिक सोंचे जो आप नहीं खा सकते उसे प्रभु को अर्पित करना कितना गलत है। 

 

9.    सम्भव हो तो देवी के नव रूपों और दश विद्या को याद करें। 

 
 

हालांकि पूजन विधि में हर रूप के अलग आसन इत्यादि दिये हैं लेकिन आप परेशान न हों। जितना हो सके उतना करें। 

 

यदि मां दुर्गा की फोटो हो तो अच्छा है यदि नहीं है तो परेशान न हों। किसी भी देव की फोटो रख लें नहीं तो एक साफ कागज पर मां जग्दम्बे लिखकर सामने रख लें। 

 

कुल मिलाकर तनावरहित और भक्ति भाव से ही पूजन करें। 

 

किसी तांत्रिक या अन्य के बहकावे में न आयें। ईश्वर सरलता और सज्जनता का दूसरा रूप है। वह कभी अपनी संतानों का बुरा नहीं कर सकता। 

 

हमारे पाप कर्म ही दंड के रूप में सामने आते हैं। प्रभु कृपा से हमें कष्ट सहने में कोई कठिनाई नहीं आती है।

अत: अपने प्रभु पर अपने पर विश्वास रखें।

ईश्वर के नाम पर दुकानदारी करनेवालों से सदैव दूर रहें।

चमत्कारों पर विश्वास न करें। यह ठग भी हो सकते हैं। 

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🙏🙏🙇🙇🙏🙏

 



Sunday, September 20, 2020

(नास्तिकों को चुनौती) सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधियां: एक वैज्ञानिक का विश्लेषण

 सचल मन वैज्ञानिक ध्यान  विधियां: एक वैज्ञानिक का विश्लेषण 

  (नास्तिकों को चुनौती) 

सनातनपुत्र देवीदास विपुल"खोजी"


जैसे जैसे मानव विज्ञान की खोज अपने सुख के लिए करता जा रहा है वह समाजिक रूप से अधिक दीवालिया होता जा रहा  है। दूसरे शब्दों में आलसी।


बस इसी आलस्य के कारण ईश्वरीय शक्ति को भी लोगों के घर की काल बेल बजानी पडती है किंतु शठ मानव अपने द्वार तक नहीं खोलता क्योंकि उसे भौतिक सुख ही चारवाक की भांति  रुचिकर लगता है।


सचल मन वैज्ञानिक ध्यान  विधियां का निर्माण शायद ईश ने इसीलिये कराया है जिससे मनुष्य बिना कहीं जाये। बिना पैसा या समय खर्च किए अपने घर पर सनातन की शक्ति का अनुभव अनुभूति कर सकें। प्रभु ने इस कार्य के लिये मुझे यानि एक पोस्ट ग्रेगुएट इंजीनियर वैज्ञानिक को चुना। जिसे लोग विश्वास कर सकें और अपने घर पर ही कुछ तो करें।


क्योंकि आज की तारीख में चाहे कृष्ण राम जीसस या अल्ल्ह खुद सामने आ जायें तो हम उन्हें झूठा कह कर अपमानित करनें में देर नहीं करेंगे। लेकिन यदि कोई भौतिक रूप की डिग्रियों को सामने लाकर बात करेगा तो उसकी बात काटने के पहले हजार बार सोंचना पडेगा। मेरा यह खुद का अनुभव है।


वैसे मैं पूरे होशो हवास के साथ नास्तिकों चार्वाकों को चुनौती ही देता हूं तुम महामूर्ख अज्ञानी हो। बस यह विधि अपने घर पर बिना पूर्वाग्रह के अपने घर पर करो। तुमको समय तो देना ही पडेगा। दुनिया का कोई भी काम करो तुमको समय देना पडता है। तो इस कार्य के लिये लोग लाखों मंत्र जप करते हैं। सालो साल लगते हैं। वह अनुभव मात्र कुछ समय में मिले तो घाटे का सौदा नहीं है। मेरा मोबाइल नोट कर लो। 9969680093।

काल मत करो। व्हाट्सप करो। तुम्हे तुम्हारा उत्तर समय पर मिल जायेगा।


फिर से एक बार नास्तिकों को चुनौती।


"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"
 


हमारे पास डाटा है कि एक दिन से एक महीने का समय पर्याप्त हुआ है। औसतन 11 दिन में लोग अचम्भित हो गये। लोगों को कृष्ण शिव दुर्गा अथवा काली मां की दर्शनाभूति के साथ प्रकाश और अन्य शारीरिक अनुभव हो चुके हैं।


मैं चाहता हूं हमारे मित्र लाभांवित हो। जीवन के वास्तविक उद्देश्य के साथ वे कितने रहस्यों को जान सकते हैं खुद को पहिचान सकते हैं। यदि आप लाभांवित होगें तो मुझे अच्छा लगेगा। मेरा कौन सा स्वार्थ पूरा होगा। आप सोंचे। अत: अनुरोध है। व्यर्थ की किताबी और पूर्वाग्रहित बात न करें। सारगर्भित और विवेकपूर्ण अनुभवित बात रखें। सामान्य ज्ञान हेतु गूगल गुरू की शरण में जायें।

 

मित्रों मै हर्कोर्टियन हूं (एच.बी.टी.आई, कानपुर का इंजीनियर हर्कोर्टियंस कहलाता है)  पर बेहतर है पूरा परिचय दूं। कारण कल एक बेटे के समान नादान जूनियर ने मेरी पोस्ट पर अपनी बात रखी। मुझे अच्छा लगा परंतु रैगिंग न होने कारण आज के बच्चे बात करना नहीं जानते। मैं अपने सीनियर्स को जो मेरे साथ तक के 12 के हैं (क्योकिं मैं सी.टी. का हूं जो बी.एस.सी. के बाद होता था) मैं उनको सर कहता हूं और मुझे मेरे 83 तक के पास आउट जो वाइस चांसलर तक हैं वे सम्मान करते हैं। बातचीत में सर ही कहते हैं। नाम तक नहीं लेते हैं। यह परम्परा थी एच.बी.टी.आई. की। जो धीरे धीरे मरती गई। कि आज सीनियर्स से बात करना नहीं आता।


मैं सनातन के गीता के वेदों के प्रचार हेतु निकला हूं। जिसमें एच.बी.टी.आई के ही तमाम मित्रों का सहयोग है और जो अनुभव के साथ मेरे साथ जुडे है। चलो कुछ नाम भी लेता हूं। सर्व श्री अंशुमन द्विवेदी, 96 या 97, पेंट, कन्साई नेरोलेक का भारत का बिजनेस हेड। अरुण दद्दा 96 या 97 फूड, अपनी इंडस्ट्री, और भी नाम हैं। डा यशोधरा शर्मा प्रिंसिपल डिग्री कॉलेज आगरा। यहां तक की कुछ सन्यासी भी लेकिन उनका नाम नहीं ले सकता।


प्रिय मित्रों। जीवन रहस्यमय है और विज्ञान की सीमायें। हम अपनी बाहरी खोजों से नित्य नये नये अनुसंधान करते हैं कि मनुष्य को सुख मिले पर क्या वह सुखी हो पा रहा है। नये क्रूर अपराध क्या सुख दे पा रहें। मोबाइल की खोज मनुष्य को नजदीक लाने के लिये की गई पर क्या हम अपने सम्बंधियों से नजदीक हैं। हम एक आभासी जीवन जीते जा रहें हैं। जो पूर्णतया: असत्य और कष्टकारी है। मतलब क्या बाहर की शोध हमें सुख दे पा रही है। यह ठीक है औसतन आयु बढी पर क्या हम अपने बुजुर्गों के समान मानसिक औए शारिरिक अभावों के बावजूद सुखी हैं। मुझको तो मेरे पिता जी मरते मरते मार गये। क्या हम अपने बच्चों को डांट भी सकते हैं। मुझे जितनी पिटाई हुई कहीं उतनी आज बीस साल के बच्चे को कर दो तो मर जायेगा। तमाम बातें जो तर्कों से तौली जा सकती हैं पर नतीजा कुछ नहीं। वातावरण को समाज को दोष देकर हम बचने का बहाना खोज सकते हैं। पर क्या हम सुखी हैं। समाज तो हम से ही बना है। देश और वातावरण भी हमसे बना है। तो जिम्मेदार कौन? हम ही हुये न।


अत: मैंने अंदर की खोज भी आरम्भ की। बिना पूर्वाग्रहित हुये। इसके लिये संतुलित होना बहुत जरूरी है। क्या हम उन तमाम संतों को ज्ञानियों सिर्फ अपने पूरवाग्रह के कारण मूर्ख या झूठा बोल दें। क्या हम उन तमाम महात्माओं को जो इतना साहित्य बिना किसी सुख सुविधा के लिख गये उसका मजाक बनायें। सनातन में तो चारवाक जिन्होने ईश्वर को नहीं माना उनको भी बराबर सम्मान दिया और ऋषि का स्थान दिया।


यह भी सत्य है। जो सिर्फ अपने को सही कहे वो है महामूर्ख। आजकल दुकानदार भी बहुत हैं। पर ईमानदार भी हैं। अत: यदि हमको शोध करनी है तो सबको सुनकर परन्तु खुद प्रयोग कर अपनी शोध जारी रखनी होगी। सनातन हर तर्क को मानता है और कहता है ईश तक पहुंचने के तमाम रास्ते हैं। बाइबिल कहती है सिर्फ ईशू और ये ही सही बाकी गलत। कुरान तो जो न माने उसको मारने का हुक्म देती है। मुस्लिम देशों में कुरान की बात काटने पर सजाये मौत तक दी जाती है। मतलब साफ सनातन बुद्धि को विस्तारित होने का मौका देकर खुद की गीता लिखने की अनुमति देती है। पर बाइबिल और कुरान अपनी किताब के बाहर सोंचने को अपराध मानती है। अत: मैंने बाइबिल कुरान पढा पर शोध का मार्ग सनातन को ही बनाया। दोनो पुस्तक पूर्णतया: मानव व्यवहार और मानव जिज्ञासा विरोधी हैं। जो आंतरिक शोध को रोकती हैं। चाहें उसके लिये हिंसा के साथ झूठ, छल और फरेब ही क्यों न करना पडे, क्योंकि इनको मान्यता दी है।


अत: मैंनें ध्यान की आधुनिक वैज्ञानिक विधियां जिसको सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधियां (समवैध्यावि) या Movable Mind Scientific Techniques for  Meditation- MMSTM नाम दिया है, उसका निर्माण प्रभू कृपा से कर दिया।


ईसाईयों हेतु जीसस को याद कर उनकी पद्दति  के द्वारा  मुस्लिम हेतु नमाज पढकर उनकी पद्दति के द्वारा, इसी भांति आस्तिक, सगुण, साकार, द्वैत उपासक हेतु, निराकार, प्रकृतिपूजक हेतु, नास्तिक, अनीश्वरवादी हेतु, नास्तिक अहम् वादी हेतु उनके विचार और पद्दति के द्वारा ईश शक्ति को अनुभवित कर सकता है।


मेरा मतलब ईश्वरिय शक्ति जीसस नहीं गाड, मोहम्मद नहीं अल्लह, कोई इंसान नही भगवान सिर्फ एक ही एक ही है। जो वेद कहता है गीता कहती है। उसका अनुभव करो। जिससे तुम्हारी मिथ्या सोंच टूट जाये और तुम मात्र मानव जाति को मानो। पर यह भी सही इसको ईसाई भले ही एक बार देख लें पर मुस्लिम देखेगा यह संदेह है।  


मैं अपने को न गुरू मानता हूं। न बनने की या धन कमाने की इच्छा है। मैं हूं एक खोजी। एक शोध कर्ता। जिसने वाहिक के साथ अंदर की भी शोध की। अपने अनुभव लेखों में स्वकथा में ब्लाग पर लिखे हैं। और अपने व्हाटाअप ग्रुप “ आत्म अवलोकन और योग” के माध्यम से अनुभवित लोगों को मार्गदर्शन दे रहा हूं। किताबी ज्ञानियों को दूर से प्रणाम करता हूं। तर्क से पहले हार मान लेता हूं। नकली गुरूओ से तांत्रिकों से भिडता हूं। बस सिर्फ और सिर्फ अनुभवित लोगों से ही बात करना पसंद करता हूं। ग्रुप में भारत सरकार और अन्य बडे बडे वैज्ञानिक, डाक्टर, इंजीनियर्स, हिंदू, मुसलमान, सिख, गुरू, सन्यासी, भीषण तांत्रिक, घनघोर नास्तिक जो ईश्वर को गाली देकर अनुभव प्राप्त कर चुके हैं। वे सदस्य हैं। मैनें प्रयोग किये हैं तब बात कर रहा हूं। ग्रुप में कुछ जगह खाली है। यदि आप व्यर्थ बात न करें। सिर्फ मूक बनकर पोस्ट देखें तो आपको उनके नम्बर और पते भी मिल जायेंगे।


मैं चाहता हूं हमारे मित्र भी लाभांवित हो। जीवन के वास्तविक उद्देश्य के साथ वे कितने रहस्यों को जान सकते हैं खुद को पहिचान सकते हैं। यदि आप लाभांवित होगें तो मुझे अच्छा लगेगा। मेरा कौन सा स्वार्थ पूरा होगा। आप सोंचे। अत: अनुरोध है। व्यर्थ की किताबी और पूर्वाग्रहित बात न करें। सारगर्भित और विवेकपूर्ण अनुभवित बात रखें। सामान्य ज्ञान हेतु गूगल गुरू की शरण में जायें।


आपका हितैषी मित्र


अन्य लेख हेतु : 

MMSTM समवैध्यावि ध्यान हेतु : 

https://freedhyan.blogspot.com/2018/04/blog-post_45.html


Wednesday, September 16, 2020

आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप 4 सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 37 (वेद महावाक्य)

आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप 4 सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 37  (वेद महावाक्य)


फेसबुक उठापटक चर्चा।

गीता (18/61) -

"ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति"।

😇

ईश्वर अनाहत (हृदय) चक्र में प्रत्यक्ष होता है, ध्यान-योगी के ध्यान में।

सुशील जालान।

प्रभु जी इस श्लोक में चक्र कहां लिखा हुआ है।

हे अर्जुन ईश्वर सभी भूतों के हृदय में निवास करता है।

बिना वेद महावाक्य अनुभूति कोई ब्रह्म विद्या नहीं होती।

यह अनुभूति ही ज्ञान योग और ब्रह्म विद्या है।

Vipul Luckhnavi Bullet

श्रीमद्भगवद्गीता योग शास्त्र है ब्रह्म विद्या का.... हृदय/अनाहत चक्र इसी से समझ में आता है। 🌷

Sushil Jalan जय हो प्रभु मैं कुछ टिप्पणी नहीं कर सकता।

इतना ही कहूंगा नीम हकीम खतरे जान।

यही सनातन का दुर्भाग्य है कि लोग पढ़ कर के और कुछ थोड़ी बहुत अनुभूति करके ज्ञानी हो जाते हैं।

दुनिया को समझाना बहुत मुश्किल है क्योंकि हर एक की सोच का इस स्तर अलग है।

मित्र एक निवेदन करूंगा थोड़ा और आगे बढ़ लो और पढ़ लो फिर सनातन का प्रचार करो तो बेहतर रहेगा।

जय हो प्रभु जय हो।

🙏🙏🙏🙏

Vipul Luckhnavi Bullet

बताइये और क्या पढूं, ब्रह्म विद्या के अलावा, और कौन सी अनुभूति करुं 🌷

Sushil Jalan आपको किस वेद महावाक्य का अनुभव हुआ है।

बिना वेद महावाक्य अनुभूति कोई ब्रह्म विद्या नहीं होती।

यह अनुभूति ही ज्ञान योग और ब्रह्म विद्या है।

Vipul Luckhnavi Bullet

चार हैं 🌹

Sushil Jalan सर जी अनुभव किसका हुआ।

Vipul Luckhnavi Bullet

प्रथम अनुभव होता है, अयं आत्मा ब्रह्म, फिर तत्त्वमसि, और तब, अहं ब्रह्मास्मि, अन्त में सर्वं खल्विदं ब्रह्म। एक और स्थिति भी है, प्रज्ञानं ब्रह्म।

Sushil Jalan सर आपको कौन सा हुआ।

फिर वार्ता लाप आगे बढ़े।

Vipul Luckhnavi Bullet

ध्यान-योगी हूँ..... अनेक अनुभव हैं🌹

Sushil Jalan सर बात स्पष्ट करें। मैं वेद महावाक्य पूछ रहा हूं।

Vipul Luckhnavi Bullet

मेरी टिप्पणी देखें 🌹

Sushil Jalan मतलब चारों के अनुभव।

Vipul Luckhnavi Bullet

जी 🌷

Sushil Jalan बाप रे। आप तो महायोगी हो गये।  

मतलब सिद्धियां भी मिल गई होंगी।

अच्छा सर यह बताइए कि जब अहम् ब्रह्मास्मि का अनुभव होता है तो शरीर में क्या परिवर्तन होते हैं।

बस ऐसे ही पूछ रहा हूं।

मतलब इस संबंध में शरीर की तन मन की क्या अवस्था हो जाती है।

आप तो महायोगी है थोड़ा समझा दीजिए।

चारों महावाक्य के अनुभव एक से होते हैं कि अलग-अलग होते हैं यह भी मुझे जानना था।

थोड़ा विस्तार से बताएं मेरी बुद्धि बहुत कम है।

Vipul Luckhnavi Bullet

यह समझना इतना आसान नहीं है। जब कुछ साधना उपासना करेंगे तब ही समझ में आ सकता है। 🌷

Sushil Jalan वैसे सर जी आप बहुत ऊंची फेंकते हैं। चारों वेद महावाक्य के अनुभव यह शायद पूरी धरती पर गिनती के लोगों को होगा।

सन्यास दीक्षा में अहम् ब्रह्मास्मि की दीक्षा दी जाती है और यह अनुभव करने के बाद ही वह योगी की श्रेणी में आ जाते हैं। पूरा जीवन बीत जाता है तब यह अनुभव हो पाता है वो भी पूर्व जन्म की साधनाएं और प्रभु या गुरू कृपा हो। और वह भी और आप चारों के अनुभव हो गए। आपके कर्म और लिखावट का वह स्तर नहीं है।

अध्यात्म में मनुष्य को सत्य बोलना आना चाहिए। आपने वेद महावाक्य भी नेट से देखकर अटपटे तरीके से लिखे।

वेद महावाक्य चार होते हैं पांचवा सार वाक्य होता है।

पहला होता अहम् ब्रह्मास्मि जिसमें कि यह अनूभव होता है कि हम ही ब्रह्म है हम ही दुर्गा हैं हम ही काली है शिव हैं और यह पूरे शरीर को झन्ना देता है। साथ ही मन बुद्धि सभी से ऐसा प्रतीत होता है कि मैं शक्तिमान ब्रह्म हूं। यह अवस्था कुछ समय तक रहती है। किन्तु बहुत ज्ञान दे जाती है। यहां तक गीता वह सब स्वत: प्रकट होकर प्रकट हो जाते हैं।

दूसरा होता है एवं अयम आत्मा ब्रह्म। जिसमें कि यह अनुभव होता है अचानक से ऐसा लगता है अरे यह क्या है मैं जिसको कहां-कहां तलाश रहा था वह तो मेरी आत्मा ही है यह पहले से अलग होता है। और आपके अंदर से कोई आपको समझाने लगता है।

तीसरा होता है तत्तवम् असि। यह लोग सद्गगुरू जग्गी रमण महर्षि को हुआ था।और इसे आत्म विस्तार का अनुभव होता है जिसको की श्यामाचरण लहरी महाराज को भी हुआ ना।

चौथा होता है प्रज्ञानं ब्रह्म। जोकि यह समझ में आता है कि मेरे पास जो कुछ भी बुद्धि है जो कुछ भी समझ है वह सब तो उसी का है वह ब्रह्म की ही देन है और जो सार वाक्य होता है। सर्वखल्विदं ब्रह्म।

यानी ऊपर नीचे चारों ओर तू ही तू। जिससे मैं कहता हूं सर्वस्व ब्रह्म सर्वत्र ब्रह्म।

Sushil Jalan सर आध्यात्म में दिखावा नहीं होना चाहिए। यह योग होने की पहली शर्त है।

जिसको अनुभव हो जाते हैं वह अपने नाम के आगे योगी नहीं लगाता है क्योंकि उसको जगत के किसी भी पद से लगाव नहीं रहता है। आपने अपने आप को कोई योगी बोल दिया ध्यान योगी।

आपकी प्रशंसा करी तो आप उसको लाइक कर रहे हैं यह कोई योगी कभी नहीं कर सकता।

क्योंकि यह अहंकार का प्रतीक है।

Vipul Luckhnavi Bullet परस्पर ज्ञानी पुरुषों की चर्चा परिचर्चा  सुनने में अज्ञानियों को भी ज्ञान प्राप्त होता रहता है  आप दोनों महानुभावों से प्रश्न है कि अगर ध्यान में कुछ क्षणों तक सप्त चक्रों के दर्शन हो तो इसको कौनसी अवस्था कहेंगे ।

Ajay Sharma यह है चक्रों की दर्शना भूति मात्र है इससे और आगे कुछ नहीं यह ध्यान की प्रगाढ़ता को दर्शाता है।

K Babu Ghayal: 💐💐💐💐💐💐

*श्रीकृष्णम वन्दे जगदगुरूम*

✍️✍️✍️✍️✍️✍️

माखन कैसे खा जातें हैं- *श्रीकृष्णा*।

कहीं छुपाओ,पा जाते हैं- *श्रीकृष्णा*।

कब आते हैं,कब जाते हैं,पता नही।

भोग लगाकर भग जाते है- *श्रीकृष्णा*।

🥁🥁🥁🥁🥁🥁

        *गीतेश्वर बाबू*

हिंदी दिवस के अवसर पर सभी कवियों को एक विशेष मौका है की कुछ कविताएं अच्छी सी पोस्ट कर दें।

लेकिन किसी ने पोस्ट नहीं करीं।

😞😞

*वाणी रसवती यस्य,यस्य श्रमवती क्रिया ।*

*लक्ष्मी: दानवती यस्य सफलं तस्य जीवितम् ।।*

जिसकी वाणी रसपूर्ण हो, कर्म-क्रिया श्रमवान हो, और लक्ष्मी दान वृत्ति  हो, उसका जीवन निश्चित ही सफल होता है ।

Who always talks sweetly, polietly, who is hardworking, diligent and who is having a big heart, magnanimous... will always have a prosperous &  successful life.

*शुभोदयम्! लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*

Swami Toofangiri Bhairav Akhada: *....✍🏻 "संत वाणी"*

 *मत बन खुदा किसी के लिए,*

*बस....! इंसान बन जा इंसान के लिए...*

🙏🏻  *राम राम जी* 🙏🏻

Jb Ashutosh C: We often don't express our feelings for fear of loosing a relationship ,but fact is,we often loose a beautiful relationship by not expressing our feelings......!

+91 96374 62211: 👉 _अवश्य देखें !_

*हिन्दू धर्म की महानता समझानेवाले और भक्तिभाव बढानेवाले ऑनलाइन सत्संग*

🌸 भावसत्संग : *इच्छाओं का त्याग ही सर्वोपरि त्याग*

*संत बहिणाबाई*

विशेष संवाद : *प्राचीन भारत - 'टेक्नोलाॅजी' में प्रगत भारत*

▫️ Youtube.com/HinduJagruti

▫️ Fb.com/HinduAdhiveshan

Fb Yashodhara Sharma: नमस्कार सर

कल कुछ प्रतिक्रिया नहीं लिख पायी परसो रात के ध्यान में  कुछ विशेष हुआ भी नहीं था । में आगे पीछे हिल रही थी बस।कल दिन मैं काम की काफी ज्यादा व्यस्तता रही लौट भी देर से पायी तो कल रात 10 बजे बैठने का मन नहीं किया सो सभी के साथ कुर्सी पे ही बैठी थी।10 :15बजे  कुछ बैचैनी सी लगी मैं वही बैठे बैठे उँगलियों पे ही जाप करने लगी मैं फिर हलके हलके  कभी आगे पीछे कभी दायें बाएं हिलने लगी  फिर केवल सर गोल गोल घूमने लगा। 10:45 मैं उठ गयी इस बीच मैं ध्यान में नहीं थी सबसे बात कर रही थी।

 आज सुबह 3 :45 मेरी नींद खुल गयी कुछ बैचैनी फिर लगने लगी में जप करने लगी ।फिर लेटे लेटे में हिलने लगी। फिर सर हिलने लगा।फिर नींद आ गयी ।सोकर उठी तो सर भारी था ।पूजा करने बैठी तो फिर सर गोल गोल घूमने लगा । ब्रेकफास्ट करने लगी तो टेबल पे भी आगे पीछे हिलने लगी।अब भी सर भारी है ।  जैसे ही खुद को ढीला छोड़ती हु सर गोल गोल घूमने लगता है

थोड़ी उलझन हो रही है सब स्टाफ के लोग देखेंगे मैडम क्या कर रही है।घर में सब देखेंगे ।ये क्या है मैं किस प्रकिया से गुजर रही हूँ।कोई भूत प्रेत के वष मई तो नहीं हो गयी हूँ।मेरा सर का बैलेंस जैसे बिगड़ गया लगता है

Lko mukesh: जितनी गहरी हो सके साँस लें। हो सके तो 15 मिनट ज़रूर करें। सम्भवतः लाभ होगा

देखिए आप घबराइए बिल्कुल नहीं। यह शक्ति जागरण के लक्षण हैं।

आप बैठे-बैठे लेट जाया कीजिए।

और जब भी होने लगे तो आंख बंद करके शक्ति से प्रार्थना कीजिए कि हे मां इस समय मैं अन्दर कार्य में हूं कृपया मुझे लीला मत दिखाएं।

एक बात याद रखिए मां शक्ति का अपमान मत कीजिएगा।

वैसे अब आप शक्तिपात दीक्षा लेने लायक हो गई है।

अब आपको ही स्पष्ट हो गया कि हम कौन हैं क्योंकि आपके न चाहने पर भी अंदर कोई शक्ति कार्यरत  है।

इस शक्ति के कई नाम है इसी को शिव शक्ति दुर्गा शक्ति प्रभु शक्ति कुंडलिनी शक्ति तमाम नामों से पुकारा जाता है।

यह शक्ति हमको साक्षात अनुभूति और अनुभव कराती है कि हे मानव तू मूर्ख है तू कुछ नहीं कर रहा है करने वाला तो कोई और है जो तेरे अंदर विद्यमान है।

अब आपको शक्ति पर यकीन होने लगेगा और जो चर्चा आपने फेसबुक पर देखी होगी हमारे द्वारा उसको अब आप सही मानने लगी होंगी।

सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि का निर्माण भगवान श्री कृष्ण ने करवाया था और उसको मां काली का आशीर्वाद है।

लेकिन कलियुग में नकली के बीच में कोई यकीन नहीं करता है।

आप बहुत भाग्यशाली है कि आपको 1 दिन में अनुभव हो गया।

देखिए आप बिल्कुल डरिए नहीं मैं आपसे कह रहा हूं।

शक्तिपात की साधना हम लोग एकांत में करते हैं क्योंकि दुनिया जो है इसको पागलपन समझती है।

मैं आपसे मिला भी नहीं मैंने आपको देखा भी नहीं मात्र व्हाट्सएप के माध्यम से आपकी शक्ति जागृत हो गई।

फेस बुकपर 99 पॉइंट 99% लोग नकली झूटे हैं।

बस केवल पैसे के लिए पद के लिए प्रचार के लिए इधर उधर से पढ़ कर के लोगों को बहकाते हैं।

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Hello Madam, please suggest when can we talk?

Fb Yashodhara Sharma: बताइये

मैं ऑनलाइन हूँ

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: I will call you in sometime

Yogendra.

Pl talk in public so that other can get attraction to sanatan power.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Ok

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: You don't have to be worry about it, it's a process to clear all your prior birthday karma

Pl also tell how you were cheated by earlier guru.

Then you came in my contact through this group and you Got shaktipat dixa recently.

ओके

Fb Yashodhara Sharma: क्या दीक्षा के कुछ नियम भी होते है ।माने दीक्षा लेने के बाद का लाइफ स्टाइल

मुझे स्वयं अंदाज नहीं था इतनी जल्दी प्रभाव उत्पन्न हो जायेगा

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: So let me tell you about me a little bit. I have been in the spritual journey for last 17 years, I have been cheated by many people in the name of Guru I have spent my harden money however not got the desired results, then one fine day I decided to do the Sadhana by myself without any guru

I have many Sadhan and had many good experience also, now even I know that I have spent my last birth good amount of time with Maharashtra Babaji, I remember many events which I spent with him

 As you all now spiritual journey without Guru is like train without driver, I have been doing some sadhana like Baglamukhi, Apsara, etc

Also I was in great need of a Guru Who can fullfill my spiritual desire and I had invoked a mantra from one of the old Vedas to call the Guru, and during that course of action I meet Vipul ji on Facebook and speak with him and share my desire for the Guru

Fb Yashodhara Sharma: आप वाममार्गी तो नहीं है। मैं तंत्र में जाना नहीं चाहती हूँ।

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: He understood my pain and then he refer me to Guru Mata and the grace of God and Guru Maa and Babaji I have initiated in the Shaktipath Deeksha last month, I had great experience which I can't revel in the group but I am enjoying the spritual journey after the Shaktipath Deeksha

I am doing my sadhana as per given by Guru maa

Fb Yashodhara Sharma: Thanks for sharing your experiences and also to motivate me🙏

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Shaktipath is not Vaam margi sadhana

Fb Yashodhara Sharma: Any change in your life style after shaktipat Deeksha

Means if there any rules and regulations for following it our lives

In our lives

Mam

You are not only one.

At least 200 people did it. I have list of many of them.

Beauty is that I never met them but they all came in my contact did mmstm and got Dev darshan too.

After some time i send them to shaktipat gurus.

List includes engineer industrialist doctors and reiki experts even.

Bhakt Gautam Swami R Y Rajput Noida: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4393117610730077&id=430486686993209&sfnsn=wiwspmo&extid=ZH3WBRAUpEFk0Uli

If you want i can tell them to console you.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: No rules and regulations only just do u sadhana and chant ur guru Mantra rest will happen automatically

My only intention is that your puja and dhyan has given you fruits.

Which are valuable in spritual path.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Also I am running an IT company in delhi

Boss. She is new and did mmstm only one day and got kriya.

I will decide her in few days where to send for dixa.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Wow it's a wonderful news

Ok

Mam where did you stay and what is your job.

I can arrange your dixa During navratri.

Have you read article on shaktipat.

Fb Yashodhara Sharma: I am principal in a degree college at varanasi

Yes

Good. Then you must had seen it.

Oh great city of tailang swami and lahri maharaj with Ramkrishna and kinaram.

🙇🏻♀️🙇🏻♂️

Fb Yashodhara Sharma: Yes

Tailang swami guided my param guru.

Fb Yashodhara Sharma: Great

The great saint of kashmir lal was from my tradition.

Aadi guru shankaracharya came to my guru and requested him 7 times to get shree vidya but my guru did not accept it. But finally he accepted.

Very rare people knows shree mantra actual.

I know it but i don't to.

What will i do with luxury or wordly happiness.

Fb Yashodhara Sharma: Great

Aap vam margi hai?

http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/blog-post_20.html?m=0

We are father of any Marg.

Our tradition is highest presently.

Known as shaktipat, stated by lord Shiva.

Vasistha gave shaktipat to ram.

Ashtavrak gave shaktipat to raja janak.

We are presently from seven rishis like vishvamitra and jamadagni maharishi.

Who drives this world.

I know it is difficult to believe.

Our tradition gives direct realization of God.

This is very very rare tradition. Came in lime light because of we people.

Don't worry we are pure satvik and satya guni upasak.

No garlic onion or any thing.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Just to give you confidence, I have 2 daughters one is 7 and another is 5 both is doing Sachal man and my elder one even speak to Krishana ji

So you don't have to worry just live this amazing movements

Vashi Bhupesh Singh: 🙏 : Amazing

Fb Yashodhara Sharma: 🙏

 क्या आदमी की मृत्यु होने के तुरंत बाद आत्मा नया शरीर धारण कर लेती है?

*दानं होमं दैवतं मङ्गलानि प्रायश्चित्तान् विविधान् लोकवादान्।*

*एतानि यः कुरुत नैत्यकानि तस्योत्थानं देवता राधयन्ति॥*

*जो व्यक्ति दान, यज्ञ, देव -स्तुति, मांगलिक कर्म, प्रायश्चित तथा अन्य सांसरिक कार्यों को यथाशक्ति नियमपूर्वक करता है ,देवी-देवता स्वयं उसकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं ।*

The person who donates charity, sacrifice, devotion, Manglik karmas, atonement and other cultural activities, according to the rules, Goddess himself paves the way for his advancement.

*शुभोदयम -लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*


आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप 4 सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 36 (निशुल्क प्रशासनिक कोचिंग)

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विशेष सूचना:

मित्रों मेरे ब्लॉग पर 412 लेख है जो प्रभु कृपा से बढ़ते जाएंगे।

इनके अवलोकन की संख्या 87 हजार तक पहुंच गई है।

अतः मैंने अपने ग्रुप के सदस्यों द्वारा की गई चर्चा को यथावत स्थान देकर कुछ भागों में बांटा है और लेख का रूप दिया है।

जिन सदस्यों ने चर्चा में समय-समय पर भाग लिया है अब उनका नाम इस ब्लॉग में दर्ज हो गया है कृपया उनको देखकर अपनी टिप्पणी से अवगत कराने का कष्ट करें।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

 http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/blog-post_40.html?m=0

यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शात्रं तस्य करोति किम् |

लोचनाभ्याम् विहीनस्य दर्पण: किं करिष्यसि ||

जिस मनुष्य में स्वयं का विवेक, चेतना एवं बोध नहीं है, उसके लिये शास्त्र क्या कर सकता है । ऑंखों से हीन अर्थात अन्धे मनुष्य के लिये दर्पण क्या कर सकता है |

What is use of knowledge to a person who does not have intellectual capacity? what is use of mirror to a person who is blind? Here, the Subhashkar has given an excellent analogy. He says that, knowledge is like a mirror, which reflects world in it. Indeed knowledge is something through which we perceive the world.

*शुभोदयम् ! लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*

http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/1.html?m=0

यक्ष विपुल बात:

गलतियां करना मानव का स्वभाव लेकिन जो समझदार होता है वह गलतियों से सीख जाता है और अगली बार वह गलती ना होने का प्रयास करता है लेकिन जो नासमझ होता है वह बार-बार वही गलती करता है और कुछ सीख नहीं पाता।

यह अति आवश्यक नहीं कि हम जो सोचते हैं वही सही है और सामने वाला भी हमारे ही सही को सही मानकर सही काम करने लगेगा।

आए दिन मारपीट दंगे फसाद होते रहते हैं क्यों होते रहते हैं क्योंकि लोगों की विचारधाराएं आपस में टकराती है कोई राज करना चाहता है कोई मनमानी करना चाहता है जिस दिन इस मानव को यह समझ में आ जाएगा कि यह जगह सभी माटी के पुतलों से बना हुआ है जो कुछ क्षणों के लिए प्रकट हुआ है बाद में इसको नष्ट होना है उस दिन शायद वह प्रेम से रहना सीख ले।

इसीलिए महात्मा बुद्ध ने सम्यक की बात करी है और भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्थिर बुद्धि और स्थितप्रज्ञ की बात करी है।

Swami Toofangiri Bhairav Akhada: संसार भर में  रह रहे सभी सनातनी बच्चों को बहुत-बहुत आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं आप लोगों के लिए एक विशेष जानकारी देना चाहता हूं कल 13 sep 2020  दिन रविवार को 12 की 12 राशियां कुंडली के हिसाब से जो भी ग्रहों के अपने पक्के घर हैं वह अपने अपने घर में विराजमान हो रहे हैं जोकि इस तरह का योग आज से पहले 1825 में बना था कल फिर वही योग दोबारा बन रहा है और जो हर राशि के लिए बहुत ही शुभ है

एक विशेष उपाय

सबसे पहले आप नहा धोकर  शुद्ध होकर  शुद्ध वस्त्र पहन कर स्वच्छ  आसन  ग्रहण कर  पूर्व दिशा की तरफ मुख कर के आप लोग थोड़ी सी गेहूं की ढ़ेरी लेकर उसके ऊपर देसी घी का दीपक जलाएंगे और आप जिसकी भी पूजा करते हैं यानी अपने इष्ट का ध्यान करते हुए 2 घंटे तक लगातार जाप करेंगे जिसका समय सुबह 11:00 बजे से लेकर दोपहर 1:00 बजे तक रहेगा आप जो भी मनोकामना लेकर  पूर्ण समर्पण के साथ पाठ करेंगे वह आपके इष्ट आपके देवता आप की पुकार जरूर सुनेंगे और आपकी जिंदगी से हर मुश्किल का समाधान होगा

जय मां बगलामुखी जय मां पितांबरा

डॉक्टर नीलेंद्र गौतम { संस्थापक मां बगलामुखी तपोस्थली गढ़मुक्तेश्वर उत्तर प्रदेश }

स्वामी तूफान गिरी जी  महाराज { मां बगलामुखी उपासक एवं सनातन धर्म रक्षक } श्री पंच दशनाम भैरव जूना अखाड़ा सिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी हिमाचल प्रदेश

Jb Ashutosh C: If you wait for happiness you will wait forever.But if you start believing that you are Happy you will be Happy forever.

+91 96374 62211: 👉 _अवश्य देखें !_

*हिन्दू धर्म की महानता समझानेवाले और भक्तिभाव बढानेवाले ऑनलाइन सत्संग*

🌸 भावसत्संग : *भोले भाव मिले रघुराई*

🔅 *नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध क्‍यों, कहां और कैसे करते हैं ?*

 Youtube.com/HinduJagruti

Fb.com/HinduAdhiveshan

Fb Yashodhara Sharma: मैं जानना चाहती हूँ कि क्या प्रक्रिया करने से ये रौशनी ठहरेगी। में कुछ करती नहीं  हूँ। सामान्य पूजा करती  हूँ। न प्राणायाम न योग

देखिए यह ध्यान की परपक्वता में मध्यम श्रेणी की प्रगति है।

सफेद रंग का प्रकाश दिखाई देना और उसका पीछा करना तो एक गुफा की तरीके से उसके अंदर चले जाना और बाद में उसका लुप्त हो जाना उसका आना-जाना यह सब होता है।

आध्यात्मकी दृष्टि से यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं है जब तक में आपको सूर्य की भांति किसी ज्योति के अनुभूति नहीं होती है।

साकार आराधना करने वाली जब किसी ईस्ट का मंत्र जप करते हैं तो वह इष्ट भी आकर खड़ा हो सकता है।

मैंने आपसे इसलिए पूछा था कि मैं आपको आगे की प्रक्रिया के बारे में बता सकूं।

आपका इष्ट देव कौन है।

मतलब आपका क्या कोई कुलदेव है या जिस देव को आज संकट में याद करती हो या जिसका मंत्र करती हो या जिसकी पूजा करती हो।

Fb Yashodhara Sharma: इष्ट ने तो स्वयं मुझे प्रेरित किया है स्वप्न में दर्शन देकर और फिर में पूजा करने लगी

भगवान शंकर मेरे इष्ट देव है🙏

हर हर महादेव

Fb Yashodhara Sharma: मैं एक बार इच्छा पूर्ति के लिए एक मज़ार पे चादर चढ़ाने चली गयी थी।जाते समय भी मेरा मन अशांत था मुझे रोना भी आ रहा था की ब्राह्मण होकर ऐसे प्रार्थना करनी पड़ी

आप पूजा में क्या करती है।

मतलब क्या है शिव का मंत्र जपती है।

Fb Yashodhara Sharma: लौटी तो वो खुशबु मेटे साथ चली आई

मैं डरने लगी

तो एक दिन भगवन ने स्वप्न दर्शन दिए

किसी ने कहा य ेधूत पापेश्वर है

यह वास्तव में बहुत ही दुखद है कि हमारे सनातन में इतने शक्तिशाली देव है शक्तिशाली मन्त्र है यह सब होकर हम कब्रों की पूजा करते हैं।

जो आपने किया उसको भूल जाइए।

अब मैं आपसे जो निवेदन करता हूं उसको आप आगे करिए

Fb Yashodhara Sharma: और फिर मैंने बनारस जाकर शिव मंदिर में अभिषेक किया

यह सुंदर बात है कि आपके इष्ट शिव हैं।

क्या आप रात्रि को 40 मिनट अपने घर पर ध्यान दे दे सकती है।

रात्रि में लगभग 10:00 बजे के बाद जब पूरा वातावरण शांत हो चुका हो।

Fb Yashodhara Sharma: हा कर सकती हूँ

आज ही करना है क्या

में ॐ नमः शिवाय का जप करती ज्यादा नहीं बस 11 माला

ठीक है आप सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि आज से आरंभ कर सकती है।

 मैं आपको लिंक देता हूं जिसको आप पढ़ कर अपने घर पर शिव मंत्र के साथ आरंभ करें।

http://freedhyan.blogspot.com/2018/04/blog-post_45.html

Fb Yashodhara Sharma: जी बहुत बहुत धन्यवाद🙏

🙏🙏🙏

Jb Lokesh Sharma: 🙏🙏

Vashi Bhupesh Singh: 🙏

http://freedhyan.blogspot.com/2018/07/16.html?m=1

http://freedhyan.blogspot.com/2018/03/blog-post_28.html?m=0

Bhakt Gautam Swami R Y Rajput Noida: https://twitter.com/AadiyogiTrust/status/1304766504345321472?s=08

http://freedhyan.blogspot.com/2018/03/blog-post.html?m=0

Printer Raman Mishra: *स्वामी दयानन्द के योगदान के बारे में महापुरुषों के विचार*    

डॉ॰ भगवान दास ने कहा था कि स्वामी दयानन्द हिन्दू पुनर्जागरण के मुख्य निर्माता थे।

श्रीमती एनी बेसेन्ट का कहना था कि स्वामी दयानन्द पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 'आर्यावर्त (भारत) आर्यावर्तियों (भारतीयों) के लिए' की घोषणा की।

सरदार पटेल के अनुसार भारत की स्वतन्त्रता की नींव वास्तव में स्वामी दयानन्द ने डाली थी।

पट्टाभि सीतारमैया का विचार था कि गाँधी जी राष्ट्रपिता हैं, पर स्वामी दयानन्द राष्ट्र–पितामह हैं।

फ्रेंच लेखक रोमां रोलां के अनुसार स्वामी दयानन्द राष्ट्रीय भावना और जन-जागृति को क्रियात्मक रूप देने में प्रयत्नशील थे।

फ्रेंच लेखक रिचर्ड का कहना था कि ऋषि दयानन्द का प्रादुर्भाव लोगों को कारागार से मुक्त कराने और जाति बन्धन तोड़ने के लिए हुआ था। उनका आदर्श है- आर्यावर्त ! उठ, जाग, आगे बढ़। समय आ गया है, नये युग में प्रवेश कर।

स्वामी जी को लोकमान्य तिलक ने "स्वराज्य और स्वदेशी का सर्वप्रथम मन्त्र प्रदान करने वाले जाज्व्लयमान नक्षत्र थे दयानन्द "

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने "आधुनिक भारत का आद्यनिर्माता" माना।

अमरीका की मदाम ब्लेवेट्स्की ने "आदि शंकराचार्य के बाद "बुराई पर सबसे निर्भीक प्रहारक" माना।

सैयद अहमद खां के शब्दों में "स्वामी जी ऐसे विद्वान और श्रेष्ठ व्यक्ति थे, जिनका अन्य मतावलम्बी भी सम्मान करते थे।"

लाला लाजपत राय ने कहा - स्वामी दयानन्द ने हमे स्वतंत्र विचारना, बोलना और कर्त्तव्यपालन करना सिखाया।

भारत में खड़ी बोली हिंदी के सूत्रधार स्वामी दयानंद सरस्वती जी थे। 1973 में कवि केशव सेन की सलाह पर उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश को बंगला में ना लिखकर हिंदुस्तानी हिंदी में लिखा।

जो हिंदी का हिंदुस्तानी हिंदी का पहला पुस्तक है।

बाद में चंद्रकांता संतति यह पहला उपन्यास कह लाया।

18 सौ 70 से लेकर स्वतंत्रता तक जो भारतीय इतिहास है वह आर्य समाज के बिना अधूरा है।

यहां तक की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के बाद हुई थी उनकी हत्या और महात्मा गांधी द्वारा हत्यारों का पक्ष लेना परम पूजनीय बलिराम हेडगेवार के मन को कचोट गई और उन्होंने 5 स्वयंसेवकों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।

कुल मिलाकर हिंदुत्व जागरण का कार्य आर्य समाज में बहुत जोर शोर से किया राजा राममोहन राय तो अंग्रेजों के चमचे थे लेकिन स्वामी दयानंद सरस्वती अंग्रेजों के दुश्मन थे।

Jb Ashutosh C: ''Who is Helping you,don't Forget them.''

''Who is Loving you,don't Hate them.''

''Who is Believing you,don't Cheat them.''

https://twitter.com/vibhor_anand/status/1257246031709974528?s=09

This entire analysis was sent to me by a 50 year old First Year Law Student, For his safety I decided not to disclose his identity.

The Crux is next time you hear Azaan, Just go to the Police Station and register FIR under sections 153/153A/295A of IPC.

Maximum people in India should do it

http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/2.html?m=0

आसन की महत्ता पर चर्चा।

Bhakt Balwant Sharam Kurukhsetra: 🕉️🙏जब ध्यान पक जाता है,फिर किसी आसन की जरूरत नहीं होती,कैसी भी अवस्था मे हम हैं ध्यान लग जाता है,कहा है-- उठत,बैठत,सोवत,जागत भज नाम।सधे तेरे सब काम।आज कुछ सत्संग चर्चा का मन कर रहा है--बाणी गुरू अर्जुन देव जी की है-"हरि का सेवक सो हरि जेहा।भेद न जाणहु मानस देहा।।जिउ जल तरंग उठहि बहु भाती फिरी सललै सलल समाइदा"जब साधक इस अवस्था मे आ जाता है,तब उसे किसी मानस से न बैर रहता है न अधिक प्रेम,वह सब मे उस मालिक को देखने लग जाता है,होता ये तब है जब हमे पिछले प्रालब्द से कोई संत महात्मा मिल जाए व उस मालिक का समस्त भेद अपने सत्संग के जरिए हमें बता,नामदान की बख्सीस करे।तब साधक तत्व से उस परम शक्ति को तत् से जान,कण कण मे उसे ही देखने लगता है,हरि का सेवक फिर हरि जैसा ही हो जाता है,जैसे सागर की ऊँची ऊँची लहरे उठती हुई फिर सागर मे समा जाती हैं ऐसे ही एक भक्त अपने मालिक मे समा जाता है,हम ग्रुप मे जितनी चर्चा करते हैं उतना अमल नहीं,चर्चा ,सत्संग ये शुरूआत की सीढी है,सबसे महत्वपूर्ण भजन सिमरन है,गुरू के साए मे नीत भजन करने से सब सवालों के जवाब मिल जाएँगें,ज्यादा भटकने की जरूरत नहीं होती।ये वार्ता सत्संग नए साध के लिए जरूरी है।

आसन की आवश्यकता वहां पर नहीं है जहां आप यात्रा में हैं या नहीं कर सकते।

आसन की अपनी एक विशेष महत्ता होती है क्योंकि आसन गुरु प्रदत्त होता है तो उसमें हम सुरक्षित रहते हैं जिस प्रकार से माला एक अस्त्र होता है उसी प्रकार से आसन हमारे लिए सुरक्षा कवच है।

दूसरी बात आसन पर बैठना हमें गुरु के प्रति समर्पण सिखाता है।

इसलिए आसन की महत्ता कभी समाप्त नहीं हो सकती।

इसके विषय में प्रभु योगेंद्र विज्ञानी महाराज ने महा योग विज्ञान पुस्तक में बहुत विस्तार से लिखा है क्योंकि विभिन्न आसन का अपना अलग ही महत्व है।

जब तक हम योग की परिपक्वता तक नहीं पहुंचेंगे तब तक हमें आसन की आवश्यकता पड़ती रहेगी।

जय गुरुदेव जय महाकाली।

+91 96374 62211: 👉 _अवश्य देखें !_

🌸 बालसंस्कार वर्ग :  *क्रांतिकारी जतींद्रनाथ दास !*

🌸 भावसत्संग : *प्रभु शरण में कटें भवबंधन*

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*प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।*

*तस्मात्तदेव वक्तव्यं , वचने किं दरिद्रता।।*

मीठी वाणी बोलने से सभी व्यक्ति प्रसन्न और संतुष्ट होते हैं इसलिए सदैव मधुर वचन ही बोलना चाहिए। वाणी हमारे अधीन है और इसका कोई मूल्य भी नहीं देना पड़ता तो मीठे वचन बोलने में दरिद्रता कैसी?

All the people are happy and satisfied by soft and sweet words, therefore always speak sweet words. We have control over our words and have not to pay any price for soft words, then why to be miser in saying sweet words?

*शुभोदयम् ! लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*

Fb Yashodhara Sharma: प्रणाम सर कल रात 10 बजे मैंने इसी विधि से जप किया था । क्या इस ग्रुप पे अपने अनुभव शेयर  कर सकती हूँ।🙏

बिल्कुल शेयर करें ताकि और लोगों को भी मालूम पड़े और विश्वास हो मेरी कोई भी पोस्ट छुपी नहीं रहती है मैं सार्वजनिक बात करना पसंद करता हूं।

Fb Yashodhara Sharma: मैने विधि अनुसार मंत्र लिखके रखके जप शुरू किया तो कुछ देर सब सामान्य था फिर मेरे निचले शारीर में कम्पन होने लगा मैंने  सोचा की मुझे जमीन पे बैठकर पूजा करने की आदत नहीं है मई स्टूल पे बैठकर करती हूँ।तो पाँव सो गया लगता है कई बार पहलू बदले फिर ठीक हो गया 10.30 के बाद मुझे लगा मै घूम रही हु बैठे बैठे गोल गोल मैंने इसे रोकना चाहा मुझे लगा कुछ हो रहा है ।मुझे याद आया की देवी मंदिर मई बचपन मैं लोगो को खेलते देखा था कही ऐसा तो नहीं होने जा रहा है ।एक क्षण रुका भी फिर वैसे ही होने लगा।बहुत जोर से नहीं था थोड़ा थोडा ही था।फिर मैंने माला छोड़ दी। हाथ जोड़ कर मंत्र जप करने लगी ऐसा लग रहा था जैसे कोई एनर्जी है मेरे सर के ऊपर माथे के बीच कुछ भी दिखाई नहीं दिया।🙏

बहुत सुन्दर।

आप जमीन पर बैठ कर यह करें।

डरें नहीं जो होता‌है होने दें।

कुछ दिन पूरी प्रतिक्रिया करें।

अपना अनुभव बताती रहें।

जय गुरूदेव जय महाकाली।

आपने यह लेख पढ़ा था।

दोबारा ध्यान से पढ़ें।

माला गले में डाल लिया करें।

यह शक्ति का खेल है। जो प्रत्यक्ष अनुभव देता है।

मां शक्ति की लीला निराली है।

अब आप से निवेदन है आप औरों को भी आकर्षित करें ताकि सनातन के प्रचार कि आप सिपाही बनें।

क्योंकि इससे यह सिद्ध हो जाता है ईश्वर सत्य है है है।

बिना अनुभूति के किसी को यकीन नहीं होता क्योंकि यह कलयुग है।

http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/3.html?m=0

*मन्दोऽप्यमन्दतामेति संसर्गेण विपश्चितः।*

*पङ्कच्छिदः फलस्येव निकषेणाविलं पयः॥*

बुद्धिमानों के साथ से मंद व्यक्ति भी बुद्धि प्राप्त कर लेते हैं जैसे रीठे के फल से उपचारित गन्दा पानी भी स्वच्छ हो जाता है।

Even a dull person becomes sharp by keeping company with the wise, as turbid water becomes clear when treated with the dust-removing fruit of 'Reetha'.

*शुभोदयम् ! लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*

Swami Toofangiri Bhairav Akhada: ⛳ *सुप्रभात🌞वन्दे मातरम्*⛳

*जिस मनुष्य की बुद्धि दुर्भावना से युक्त है तथा जिसने अपनी इंद्रियों को वश में नहीं रखा है, वह धर्म और अर्थ की बातों को सुनने की इच्छा होने पर भी उन्हें पूर्ण रूप से समझ नहीं सकता, एवं उसके लिये धर्म की बातें ही व्यर्थ है।*

दिन मंगलमय हो🐌

+91 96374 62211: *हिन्दू धर्म की महानता समझानेवाले और भक्तिभाव बढानेवाले ऑनलाइन सत्संग*

🌸 भावसत्संग : *प्रायश्चित एक तपश्चर्या*

🌸 बालसंस्कार वर्ग : *राष्ट्रभाषा हिन्दी पर गर्व करें (हिन्दी राजभाषा दिन !)*

▫️ Youtube.com/HinduJagruti

▫️ Fb.com/HinduAdhiveshan

 K lko dr kailash nigam: हिन्दी  पर मेरा यह छंद पढि़ए और हिन्दी अपनाइये ।

K lko dr kailash nigam: जय हिंद जय हिन्दी जय हिंदुस्तान । आपका- कैलाश  निगम

+91 96374 62211: हमारी जीवनशैली हमें आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रभावित करती है और यह भी सत्य है कि हमारी आध्यात्मिक प्रकृति हमारे द्वारा बनाई गई जीवन शैली के विकल्पों को निर्धारित करती है । हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण कारक वे लोग हैं जिनकी संगति में हम रहते हैं । प्रायः, हम उन लोगों से अत्यधिक प्रभावित होते हैं जिनके साथ हम सबसे अधिक समय व्यतीत करते हैं । और समय के साथ, हम उन लोगों के जैसे हो जाते हैं, जिनसे हम जुडे होते हैं । इस कारण जितना संभव हो, हमें उस संगति के प्रति सचेत रहना चाहिए।

इस SSRF लेख में हमारी जीवन शैली के उन पहलुओं पर चर्चा की गई है, जो हमारे मूल आध्यात्मिक प्रकृति से प्रभावित होता है । इसमें वे लोग सम्मिलित हैं, जिनसे हम जुडे होते हैं, हम जो भोजन करते हैं तथा हम जो वस्त्र पहनते हैं : http://bit.ly/सत्व-रज-तम

इसी प्रकार, साधना के माध्यम से अपने स्वभाव में सुधार करके, हम अपने आस-पास के सभी लोगों पर एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। साधना के माध्यम से स्वयं में सुधार लाने के बारे में अधिक जानकारी के लिए, SSRF की स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया के बारे में यहाँ पढ़ें : http://bit.ly/स्वभावदोष-निर्मूलन-साधना

K shardendu shukla: https://youtu.be/6NyFNldjlYU

Vs Prakash Kashyap: हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है।

                     (सुमित्रानंदन पंत)

Swami Prkashanand Shivohm Ashram Mathura: https://www.facebook.com/100029909290698/posts/363831561290484/?sfnsn=scwshmo&extid=4TkWD9DrCYOjg93a

Jb Lokesh Sharma: Isme judiciary mein badlav Aavashyak hai, supreme court should start hearing cases in Hindi

Should give English an option for south states

Goa etc.

+91 83186 16962: Hindi or regional language but problem is for non language personal, I my self is facing same issue, I own a flat in Bengaluru and in Karnataka , every office is following Kannad language, all the forms and certificates will be in local language even my sale deed is not in English, so it's difficult to understand, what have I signed...

Even college forms are in Kannada...

There is a problem, connecting language is either Hindi or English..

मित्रों कुछ लोगों की शिकायत है कि वह मेरे ब्लाग की और लेख नहीं देख पाते हैं तो उनको मैं बताना चाहता हूं आप अपने मोबाइल पर जब साइट खोलते हैं तो सबसे नीचे जहां होम लिखा है उसके भी नीचे लिखा हुआ है वेब वर्जन web version.

जब आप इसे क्लिक खोलेंगे तो दाहिने तरफ वर्ष और माह के पूरी सूची दी हुई है।

जिस पर क्लिक कर आप मनचाहा लेख प्राप्त कर सकते हैं।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻

http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/4-bhakt-parv-mittal-hariyana.html?m=0

Jb Lokesh Sharma: Wait sometime Hindi will cover all India, I visited Assam and Bengal typical rural areas but they understand & speak Hindi well, next will be Administration issue of applying in Schools so this will take 10-15 years

आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप 4 सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 37 (वेद महावाक्य)

 गुरु की क्या पहचान है? आर्य टीवी से साभार गुरु कैसा हो ! गुरु की क्या पहचान है? यह प्रश्न हर धार्मिक मनुष्य के दिमाग में घूमता रहता है। क...