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Monday, October 26, 2020

संक्षिप्त अष्टखंडी ब्रह्मज्ञान प्रश्नोत्तरी! खंड 1 ( यह प्रश्नोत्तरी कहीं नहीं मिलेगी) / brahm gyan kaya khand 1

संक्षिप्त अष्टखंडी ब्रह्मज्ञान प्रश्नोत्तरी! खंड 1 

(यह प्रश्नोत्तरी शायद कहीं मिले )  

सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

 

 

मां शक्ति के रूपों को नमन करते हुये। गुरूदेवों के चरणों का वंदन करते हुए आज आश्विन शुक्ला दशमी (दशहरा) विक्रम संवत् २०७७ यथा सोमवार अक्टूबर २६, २०२०  को अपनी आराध्य मां सरस्वती देव गणेश की अनुकम्पा,  प्रथम शक्तिपात दीक्षा गुरू मां काली शरीरी गुरू ब्रह्मलीन सद्गुरू स्वामी नित्यबोधानंद तीर्थ जी महाराज व परम पूज्यनीय ब्रह्मलीन स्वामी शिवोम् तीर्थ जी महाराज जी को स्मरण करते हुये ये  ब्रह्मज्ञान प्रश्नोत्तरी का आरम्भ करता हूं। 

 

👉👉👉 कैसे हुई मेरी मां काली से दीक्षा । कैसे पहुंचा स्वप्नन और ध्यान के माध्यय से अपनी पूर्व जन्म की गुुुरू परम्परा में 👈👈👈

 


मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सबकी कृपा से यह कार्य निश्चित रूप से सकुशल सम्पन्न होकर जन मानस को सनातन के वास्तविक ज्ञान और स्वरूप का बोध कराने में सहायक होगा। मां कुण्डलनी अपना खेल दिखाते हुये आत्मगुरू के रूप में मार्गदर्शन करते हुये मुझे शब्द और वाक्य प्रदान करेंगी। जय गुरूदेव। जय महाकाली।
मैं जगत के समर्थ गुरूओं से क्षमा मांगते हुये यह बात कह रहा हूं क्योंकि फेस बुक इत्यादि पर बडी दुकानें ही दिखती हैं। अत: विरोध आवश्यक है। भारत संतों की भूमि कभी योगियों से खाली नहीं हो सकती। 

 

लेख लिंक 👉👉गुरु की क्या पहचान है?👈👈


मित्रों आप नेट पर वीडियो ढूंढकर देखो अथवा किसी प्रसिद्ध गुरू की दुकान में पूछो! सब इधर उधर घुमायेंगें! पर सीधा उत्तर न देंगें ??

वैसे आप चाहें तो और प्रश्न पूछ्कर इस प्रश्नावली को और अधिक सार्थक बनानें में योगदान कर सकते हैं।


लेख लिंक 👉👉गुरू का महत्व और पहिचान👈👈 

 👉👉ब्रह्मांड की उत्पत्ति👈👈

👉👉लेख में सुधार और लिंक जुडते रहेगें👈👈


1. संक्षेप में ब्रह्मज्ञान क्या है??     लेख लिंक 👉👉आत्म ज्ञान👈👈


योग घटित होना। यह चाहें कुछ समय का हो पर अनंत ज्ञान दे जाता है! 


 👉👉योग व योगी के स्तर और अनुभव👈👈


2. मतलब

वेद महावाक्यों का अनुभव होना!


3. क्या मिलेगा ??

द्वैत की परिपक्वता के पश्चात अद्वैत का अनुभव, जो वेद महावाक्य हैं। 

 

👉👉 ईश्वर चर्चा से नहीं साधना से मिलता है👈👈


4. परिपक्वता क्या ??

अपने इष्ट का साक्षात्कार !


5. मतलब ??

देव दर्शन! 

 

 

6. वेद महावाक्य क्या??

चार यह और एक सार वाक्य !


7. चार महावाक्य क्या।

    अहं ब्रह्मास्मि - "मैं ब्रह्म हूँ" ( बृहदारण्यक उपनिषद १/४/१० - यजुर्वेद)


👉👉क्या होता है अह्म ब्रह्मास्मि और आत्म ज्ञान तत्व👈👈


    तत्त्वमसि - "वह ब्रह्म तू है" ( छान्दोग्य उपनिषद ६/८/७- सामवेद )

    अयम् आत्मा ब्रह्म - "यह आत्मा ब्रह्म है" ( माण्डूक्य उपनिषद १/२ - अथर्ववेद )

    प्रज्ञानं ब्रह्म - "वह प्रज्ञानं ही ब्रह्म है" ( ऐतरेय उपनिषद १/२ - ऋग्वेद) 

जिसे मैं अपने लेखों में लिखता हूं। सर्वस्य ब्रह्म सर्वत्र ब्रह्म।।



8. सार वाक्य ??

सर्वं खल्विदं ब्रह्मम् - "सर्वत्र ब्रह्म ही है" ( छान्दोग्य उपनिषद ३/१४/१- सामवेद )

जिसे मैं अपने लेखों में लिखता हूं। सर्वस्य ब्रह्म सर्वत्र ब्रह्म।।

 

9. योग है क्या??

आत्मा में परमात्मा की एकात्मकता का अनुभव ही योग है?? 

 

 

10. क्या यह घटित होता है??

जी घटित होता था तभी बद्रायण ब्रह्म सूत्र लिख सके और आदि शंकर व्याख्या कर सके!  

यह घटित होता है।  आज भी तमाम लोग विभिन्न भाषा और तरह से समझाते रहते हैं!  

यह घटित होता रहेगा। आप भी देर सबेर अनुभव कर सकते हो! 

 

 

11. इसका फायदा क्या??

आपको दुख: संकट इत्यादि सहने की शक्ति के साथ मानसिक शांति, आनन्द की अवस्था और जीवन का उद्देश्य ज्ञात हो जायेगा! साथ ही जीवन की मूल्यता और मानव जीवन की गहनता भी ज्ञात हो जायेगी। 

 

 

12. पर यह हो कैसे??

पहले अंतर्मुखी हो!

 

 

13. मतलब क्या ??

तुम्हारी वाहिक कर्मों में इंद्रियों के द्वारा वाहिक ऊर्जा प्रवाह को अपने शरीर के भीतर मोडना! 

 

 

14. कृपया स्पष्ट करें??

तुम आंख कान नाक मुख और त्वचा के माध्यम से वाहिक जगत का अनुभव करते रहते हो। अत: तुम्हारी ऊर्जा बाहर की तरफ बहकर व्यर्थ हो रही है। इन्हीं इंद्रियों द्वारा अपने भीतर जाने का प्रयास करो!!

आंख के द्वारा त्राटक जो कई प्रकार से हो सकता है!

कान के द्वारा शब्द या अक्षर अथवा नाद या संगीत या कर्ण मार्ग साधना

नाक द्वारा विपश्यना, प्रेक्षा ध्यान, सुगंध साधना

मुख द्वारा मंत्र जप सबसे सरल और सहज, खेचरी इत्यादि या स्वाद मार्ग 


👉👉बीज मंत्र: क्या, जाप और उपचार👈👈  

 👉👉मंत्र विज्ञान परिचय और बजरंग मंत्र 👈👈

👉👉मातृ शक्ति इच्छापूर्ती बीज मंत्र  👈👈


त्वचा द्वारा स्पर्श साधना

अथवा इन सबका मिश्रण

इन सबके द्वारा धारणा प्रबल होकर ध्यान का मार्ग प्रशस्त करती है।

जो आगे जाकर हमें योग की अनुभूति करवा देता है। 

 

15. फिर साधना क्या??  

लेख लिंक 👉👉क्या अंतर है ध्यान और समाधि में👈👈  

लेख लिंक 👉👉   निद्रा, योग निद्रा, ध्यान निद्रा और समाधि 👈👈

👉👉साधन साधना में अंतर: योग और कुछ उत्तर  👈👈

साधना मतलब वह पद्वति मार्ग जिसके द्वारा अंतर्मुखी होने का प्रयास होता है! 

 

 

16. मार्ग मतलब ??

योग की ओर जाने हेतु दो मार्ग हैं।

पहला उपासना मार्ग जिसमें नवधा भक्ति आती है जो साकार द्वारा होती है। 



👉👉नवधा भक्ति : नौ तरीके, मार्ग या द्वार👈👈

👉👉सत्संग और हम👈👈  

👉👉श्रेष्ठ भक्ति कौन सी??👈👈  

👉👉गीता में स्थित प्रज्ञ और स्थिर बुद्धि  👈👈

👉👉प्रकृति, प्रवृति स्थितप्रज्ञ या स्थितअज्ञ? 👈👈

👉👉गीता सार और कुछ उत्तर 👈👈

 


दूसरा हठ योग व अन्य मार्ग जो कुण्डलनी जागरण और कुन्डलनी शक्ति का शरीर के विभिन्न चक्रों को भेदकर सिर के मध्य में स्थित सहस्त्रसार में मिलकर समाधि दे सकती है जो योग को घटित कर सकता है। 



👉👉समाधि का सम्पूर्ण विवरण  👈👈

👉👉सहस्त्रसार चक्र क्या है 👈👈



ये सभी पद्द्तियां साकार या निराकार ब्रह्म की अनुभूति कराती हैं।   

 

 

वैसे सनातन में आराधन पद्दति के पांच मार्ग हैं।



वैष्णव : विष्णु रूप पूजक

शैव : शिव रूप पूजक

शाक्त : शक्ति उपासक

स्मार्त : सभी को मानने वाले, यह भारत में सबसे अधिक हैं।

वैदिक : निराकार ब्रह्म के उपासक


ऊपर के चारो साकार उपासक होते हैं। पांचवा निराकार उपासक! 

 

 

17. ब्रह्म क्या है?     लेख लिंक  👉👉ब्रह्म क्या है???👈👈

वह निराकार सगुण ऊर्जा जो सृष्टि का निर्माण पालन और संहार करती है! 

 

 

18. फिर भगवान परमात्मा ईश इत्यादि क्या है??

यूं समझो उस निराकार ब्रह्म को अल्लाह गाड ही कहते हैं उसमें समाना ही मोक्ष है।

भगवान उसका साकार रूप और ईश उसका ज्योतिर्मय रूप।

देव साकार रूप जिनकी सबकी भी आयु निश्चित होती है। यह भी अपना कार्य समाप्त कर ब्रह्म में विलीन हो जाते हैं।

एक सगुण निराकार ब्रह्म ही अनेक रूप धारण करता है। फिर उनको नष्ट कर अपने में विलीन कर लेता है।

जैसे मकडी पहले जाला बुनती है फिर उसी को वापिस मुख में लेकर विलीन कर देती है कुछ उसी प्रकार वह ब्रह्म अपनी माया के द्वारा सृष्टि का निर्माण पालन कर अपने में समेट लेता है। 

 

 

19. फिर यह तेतिस करोड देवता का क्या मामला है??

वे मूर्ख और अज्ञानी मंदबुद्धि हैं जो करोड बोलते हैं। यह कोटि शब्द है। कोटि मराठी भाषा में करोड होती है पर हिंदी संस्कृत में प्रकार या वर्ग के अर्थ रखता है!  

12 सृष्टि के निर्माण हेतु यानि आदित्य जिसका अर्थ सूर्य से समझा जा सकता है जो जीवन देता है।

11 विनाश हेतु यानि रूद्र

8 वासुदेव। आठ विशेष है चाहें योग हो, शरीर हो, औषधि हो या अर्ध्य। चाहे साष्टांग दंडवत ( लिंक देखें)

2 अश्वनि कुमार जो स्वास्थ देखते हैं।

यह सब मिलकर सृष्टि चलाते हैं। 

 

 

20. और बतायें?? 

👉👉संक्षिप्त अष्टखंडी ब्रह्मज्ञान प्रश्नोत्तरी!!  खंड 2👈👈


👉👉 संक्षिप्त अष्टखंडी ब्रह्मज्ञान प्रश्नोत्तरी!!  खंड 1 👈👈
👉👉संक्षिप्त अष्टखंडी ब्रह्मज्ञान प्रश्नोत्तरी! खंड 3👈👈

👉👉संक्षिप्त अष्टखंडी ब्रह्मज्ञान प्रश्नोत्तरी!! खंड 4👈👈



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जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥

 
मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।
 
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 
जय गुरुदेव जय महाकाली।

 


Friday, October 23, 2020

कैसी हो सफल हवन

 कैसी हो सफल हवन

 सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

मित्र अक्सर लोग शिकायत करते रहते हैं कि इतना सब करने के बाद इतना सारा घी खर्च करने के बाद कपूर के बाद में भी हवन में ज्वाला नहीं पैदा होती है। और हवन सफल नहीं है ऐसा लगता है जिसके कारण मन में शंका और आशंका दोनों पैदा होते हैं।



जैसा कि हम सभी जानते हैं अग्नि के द्वारा ही देवताओं को अर्ध्य या हविष्य दिया  जाता है और हवन द्वारा ही उनकी पुष्टि भी होती है!
अत: हवन का सही होना बहुत आवश्यक है।


इसके लिए कुछ बातों पर आप विचार करेंगे ध्यान देंगे तो बहुत ही सुंदर तरीके से यज्ञ संपन्न हो पाएगा।
पहले कुछ भौतिक बातें याद रखिए:


सबसे पहले आप जिस पात्र में हवन करना चाहते हैं वो थोड़ा चौड़ा हो जिससे कि हवा आसानी से जा सके और धुआं निकल सके।
यदि कुछ नहीं है तो लोहे की कढ़ाई में या लोहे की थाली में इसको किया जा सकता है।
उसमें जो आप समिधा डालते हैं उसको सबसे पहले आप कपड़े से साफ कर लें। और थोड़ा बहुत घी उसमें लगा दें।
हवन की सामग्री इस प्रकार डालें कि वह मुख्य ज्वाला को बाधित न करें।
अग्नि प्रज्वलन हेतु आप रुई का दीपक बनाकर उसको केंद्र में रखें क्योंकि दीपक अधिक समय तक चलता है और आपके हवन के दौरान डाले गए घी से उसकी अग्नि प्रज्वलित रहती है।
यदि आप की ज्वाला सही है तो आप पानीवाला भी नारियल डाल कर उस को भस्म कर सकते हैं।


कुछ आध्यात्मिक बातों पर भी ध्यान देने से ज्वाला सही निकलती है।
जिस पात्र में आप हवन कर रहे हैं सबसे पहले उसमें उस पात्र का पूजन करें मतलब बीच में स्वास्तिक बनाएं और उस पर रोली और अक्षत लगाकर हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
रूई की बाती को हवन कुंड में रखते समय आप अग्नि का बीज मंत्र पढ़ते रहे।
इसके पश्चात आप पहले 👉  अग्नि का बीज मंत्र 
👈 पढ़ते  नमन करें प्रार्थना करें और घी की सात आहुती लकड़ी पर डालें।
फिर गणेश जी के नाम पर और गुरु के नाम पर क्रमशः सात आहुति दे।
फिर अपने इष्ट मंत्र का जाप करते हुए भी इतनी ही आहुती दें।
इसके पश्चात आप हवन सामग्री की आहुति इन सभी को समर्पित करें।
इसके बाद आपको जिस मंत्र का हवन करना हो वह कर सकते हैं।


जब कभी आप बीच में लगे अग्नि शांत होने जा रही है तो कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा अग्नि बीज मन्त्र के साथ आहुति दे दे।
आप देखेंगे मुश्किल से आपका तीन-चार चम्मच घी लगेगा और आप की ज्वाला है 1 से लेकर के 2 फीट ऊंची तक उठने लगेगी।
आपकी प्रार्थना बहुत काम करती है इसलिए अपने इष्ट को निरंतर माफी मांगते हुए क्षमा मांगते हुए अपनी साधारण बोलचाल में प्रार्थना करते रहे जैसे कि किसी से बात कर रहे हो।


जय गुरुदेव जय महाकाली



Thursday, October 22, 2020

मां महागौरी की आरती लिंक

 

👉👉मां महागौरी की आरती वीडियो देखें👈

👉👉   मां महागौरी की पढ़ें आरती 👈👈






मां सिद्धिदात्री की आरती लिंक

 👉👉मां सिद्धिदात्री का आरती वीडियो

👉👉आरती पढ़ने हेतु 👈👈




 


मां सिद्धिदात्री की आरती

मां सिद्धिदात्री की आरती

चरण वंदनकार: सनातन पुत्र देवीदास  विपुल खोजी


आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

नव नौ रूपों मां दुर्गा बनाया, मानव को जीना सिखलाया। 

धरम-करम सभी तुम ही बखानी, कर्म करता कर्मफल दाता की।। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

हमको माता अज्ञान ने घेरा। बोझा बन फिरें धरा पर डेरा।। 

मूढ़मति हम अभिमानी जगत में, कर विनती ज्ञान मान दाता की। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

माता चराचर को हो बनाती, रंक को राजा पद पे सजाती।।

हर कण कण में है वास तुम्हारा, भाग्यहीन सौभाग्यदाता की।।‌

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

तुम सृष्टि को स्वयमेव बनाती। मरुधर में तूफान को चलाती।। 

नाना शस्त्र धारण तुम करतीं। दुष्ट संहारिणी आतुर माता की।। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।।

तेरे द्वारे पे भीड़ बहुत है। भक्तों को माता पीर बहुत है।। 

कष्ट हरो तुम्हे धरती पुकारे। असुरहंत कालरूपी माता की। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

नौ रूपों में सदा तुम रहतीं। सृष्टि का पालन नाशन भीं करतीं।। 

मेरा पूजन स्वीकार हो माता, नवरूपों में अंतिम माता की।। 

आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

माता सर्वरूप तुम जगदंबे। तुम महाकाली तारा हो अम्बे।। 

भक्तों की रक्षा परकट हो खम्बे। हर कण निवास जीवन दाता की।।

 आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।। 

 जो जन भजे आरती जो गाता। भक्तिभाव समरपण है लाता।। 

तुम सब कुछ माता देनेवाली। शब्द हैं तेरे विपुल दाता की।। 

 अब माते आराधन स्वीकारो। समस्त जग दैत्य राक्षस संहारो।। 

सत्य सनातन फिर से जग लाओ। दास विपुल आरती गाता की।।

 आरती सिद्धिदात्री माता की, सृष्टि की पालक सिद्धि दाता की।।


    विशेष तैयारी करें आठवे व नौवीं तिथि की। मां महागौरी व सिद्धिदात्री

 विशेष तैयारी करें आठवे व नौवीं तिथि की।

मां महागौरी । मां सिद्धिदात्री

आपको आठवें दिन मां महागौरी की पूजन करनी है। 

तत्पश्चात कन्या भोजन व पूजन करें। 


इसके बाद नवमी का पूजन मां सिद्धिदात्री का करें। 

सायंकाल हवन मां महागौरी एवं मां सिद्धिदात्री के मंत्रों से करें।
मतलब दो प्रकार की सामग्री एक में नारियल और पान जो कि महागौरी मां के हवन के लिए और दूसरे में काला तिल जो सिद्धिदात्री के लिए। 

कारण यह है अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही है।

आज रात्रि में शयन के पूर्व मां कालरात्रि को नमन करने के पश्चात मां महागौरी व सिद्धिदात्री का मंत्र जप करते हुए शयन करें।




मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष  मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।


इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी के रूपों  की आरती लिख दी है। पोस्ट भी कर दी है।

    






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जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥
मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।
 
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 

  क्या तैयारी करें सातवे दिन की। मां कालरात्रि

 


   क्या तैयारी करें सातवे दिन की। मां कालरात्रि


आशा है आप सब ने आज  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि को मां कात्यायनी मंत्र के साथ संपन्न किया होगा और दिन भर मां  का मंत्र पढ़कर शाम को आरती और हवन किया होगा।


आपको सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजन करनी है। रात्रि में शयन के पूर्व मां कात्यायनी को नमन करने के पश्चात मां कालरात्रि का मंत्र जप करते हुए शयन करें।


कल प्रातः
  सचल  मन वैज्ञानिक ध्यान विधि  के साथ लिंक में दिए हुए मंत्र के साथ दिनभर जाप करें।

रात्रि में पुनः आरती और हवन करें।


मां कालरात्रि को शहद का भोग लगाएं। हवन सामग्री में भी कुछ शहद डाल लें।

मैंने आरतियों का संकलन किया था लेकिन प्रथम दिवस और द्वितीय दिवस की आरती में मात्रिक दोष  मिले जिसके कारण गेयता में बहुत ही परेशानी हुई।


इस कारण मां की कृपा से मैंने अब सभी देवी आंखों की आरती लिख लिया है और आज मां सरस्वती की कृपा से माताओं की नई आरती लिख दी है पोस्ट भी कर दी है।

    





इसके बाद मां कालरात्रि गायत्री पढ़ना न  भूले

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 गुरु की क्या पहचान है? आर्य टीवी से साभार गुरु कैसा हो ! गुरु की क्या पहचान है? यह प्रश्न हर धार्मिक मनुष्य के दिमाग में घूमता रहता है। क...