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Thursday, July 4, 2019

मातृ शक्ति इच्छापूर्ती बीज मंत्र


                     मातृ शक्ति इच्छापूर्ती बीज मंत्र 

 

सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
वैज्ञानिक अधिकारी, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
 फोन : (नि.) 022 2754 9553  (का) 022 25591154   
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इच्छापूर्ति के लिए श्री दुर्गा सप्तशती से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है। इसे पांचवां वेद कहा गया है। ऐसी कोई कामना नहीं, जिसकी पूर्ति इसके मंत्रों के प्रयोग से पूर्ण न हो। कुछ विशेष मंत्र नीचे दिए गए हैं तथा उनका प्रयोग भी साथ है।

1. हैजा-प्लेग जैसी महामारी नाश के लिए-
'ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।'



2. रोग नाश के लिए -
'रोगान शेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा, तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वांमाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।' 



3. दु:ख-दारिद्रय नाश के लिए -
'दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:, स्वस्थै: स्मृता मतिमअतीव शुभां ददासि।
दारिद्रय-दु:ख-भयहारिणी का त्वदन्या, सर्वोपकार करणाय सदाऽर्द्रचित्ता:।।'



4. कार्य की सफलता हेतु -
'धर्म्याणि देवि सकलानि सदैव कर्मा, एत्यादृतः प्रतिदिनं सुकृती करोति।
स्वर्गं प्रयाति च ततो भवती प्रवीती प्रसादात्, लोकत्रयेपि फलदा ननु देवि/ तेन।।'



6. समस्त कार्यों की सिद्धि तथा देवी कृपा प्राप्ति के लिए-
'शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे, सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।'



उपरोक्त मंत्रों का प्रयोग यथाशक्ति 11-21-51 माला प्रतिदिन देवी का पूजन करने के पश्चात रुद्राक्ष की माला से कर अंत में प्रचलित पदार्थों के प्रयोग से हवन करें। कन्या तथा ब्राह्मण भोजन अवश्य कराएं। कामनापूर्ति होगी।

1)    ज्ञान वैराग्य के लिए - 'ॐ ऐं नम:' स्फटिक माला से सरस्वतीजी का चित्र श्वेत वस्त्र पर स्‍थापित कर 11 माला नित्य करें। यथासंभव घी की आहुति दें। मंत्र के आगे 'स्वाहा' का प्रयोग करें।


(2)  ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए - 'ॐ ह्रीं नम:' लाल चंदन की मा‍ला, रक्त वर्ण वस्त्र आसनादि पुष्प लेकर 11 माला नित्य करें। घृत-मधु-शर्करा मिश्रण कर आहुति दें। रुद्राक्ष की माला भी ले सकते हैं। 


 (3)  शत्रु बाधा दूर करने हेतु - 'ॐ क्लीं नम:' काले हकीक की माला या रुद्राक्ष माला, रक्त वर्ण पुष्प, आसन, वस्त्रादि तथा महाकाली के चित्र को स्थापित कर 11 माला नित्य करें। अंत में घृत की आहुति दें।


(4) धन प्राप्ति हेतु - 'ॐ श्रीं नम:' तथा कमल पर बैठी लक्ष्मी का चित्र, गुलाबी आसन, वस्त्र, कमल गट्टे की माला, गुलाब-कमल के पुष्प से अर्चन कर घृत-मधु-शर्करा से अंत में यथाशक्ति आहुति दें।




 (5) शत्रु शांति - कर्जमुक्ति इत्यादि के लिए- श्री दुर्गाजी के चित्र को रक्तवर्ण आसन, वस्त्र, पुष्पादि से पूजन कर 'ॐ दुर्गेरक्षिणि-रक्षिणि' स्वाहा की 9 माला रुद्राक्ष माला से नित्य करें तथा गौघृत-मधु-शर्करा से आहुति दें।



(6) वशीकरण करने के लिए 'ॐ क्रीं ॐ' की 11 माला नित्य करें तथा घृत-मधु-शर्करा की आहुति दें। विशेष आहु‍ति कटु तेल, लाल चंदन, राई, मधु और अशोक पुष्प की दें।
 

 
(7) जमीन-जायदाद, मकान इत्यादि की प्राप्ति के लिए -'ॐ लं ॐ' का जप करें। 11 माला नित्य करें। 



(8) पुत्र प्राप्ति के लिए - 'ॐ क्रीं नम:' की 11 माला नित्य कर गौघृत की आहुति दें।

नवरात्रि में केवल माता दुर्गा, काली, लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए कार्य नहीं किए जाते, वरन किसी भी देवता, सम्प्रदाय के देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रशस्त समय होता है, जैसे माता पद्मावती, जो हमारे धर्म तथा जैन धर्म में एक-सी ही पूजित है तथा कार्यों के अवरोध दूर कर दर्शन भी शीघ्र देती हैं। इनका मंत्र निम्न है -
'ॐ पद्मावती पद्मनेत्रे ह्रीं श्रीं लक्ष्मी प्रदायिनी मम् सर्व कार्य सिद्धि कुरु-कुरु ॐ पद्मावत्यै नमो नम:।'



चित्रादि उपलब्ध न होने पर माता दुर्गा, लक्ष्मी, काली आदि का चित्र रखकर पूजन कर नव‍रात्रि में नित्य 11 माला करें तथा नित्य 1 माला करें। कहीं भी किसी भी कार्य के रुकने पर माला जप कर जाएं, कार्य होगा।

जो व्यक्ति विदेश जाना चाहते हैं, लेकिन रुकावटें पीछा नहीं छोड़तीं, उन्हें महायक्षिणी के मंत्र के जप करने पर मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी। मंत्र निम्न है- 
 

'ॐ श्रीं क्लीं, ह्रीं ऐं आं श्रीं महायक्षिणी सर्वैश्वर्य प्रदर्ण्ड नम:।'  काली हकीक की माला से लोभान से धूपित वातावरण में जप करें।

 
जिन व्यक्तियों को भविष्य में रास्ता नजर न आ रहा हो, वे इस मंत्र  का जप करें।
'ॐ गं गणपतये नम:'



भय सता रहा हो, ‍चिंताएं बढ़ रही हों, आत्मशक्ति क्षीण हो रही हो तो नित्य मूंगे की माला से 'ॐ हं हनुमतये नम:' की एक माला नवरात्रि से करें, साथ ही हनुमान चालीसा, बजरंग बाण तथा 'हरे राम, हरे राम' का जप करें। बजरंग बली की कृपा शीघ्र ही होगी। किसी भी मंत्र, जप आदि में आवश्यक सावधानी रखें।

किसी भी प्रकार का रोग, जो सारे इलाज कराने पर भी ठीक न हो रहा हो, तो नवरात्रि में निम्न मंत्र की 1 माला रोज करें व रोगी को जल अभिमंत्रित कर पिला दें।
 मंत्र : ॐ कालि-कालि महाकाली नमोस्तु। ते हत हत हन हन दह दह शूलम् त्रिशूलेट हुं फट स्वाहा।


शांति व मोक्ष प्राप्ति के लिए नवरात्रि में निम्न शिव मंत्र की एक माला 9 दिनों तक करें। 
 मंत्र : ॐ नम: शिवाय

 
तान की शादी तय नहीं हो रही हो तो निम्न मंत्र का जाप नवरात्रि में नवमी तक 21 माला रोज करें, जल्द ही शादी तय हो जाएगी।  मंत्र : ॐ ह्रीं हं स:
 

पेट संबंधी तकलीफ निवारण के लिए निम्न मंत्र की रोज 1 माला करें।  मंत्र : ॐ हंस: हंस: विशेष- किसी का पेट दर्द कर रहा हो तो 21 बार जल अभिमंत्रित करके पिला दें, आराम मिलेगा।

जो स्त्रियां संतान प्राप्त करना चाहती हैं वे नवरात्रि के प्रथम दिन से 21 दिन तक निम्नलिखित मंत्र की 1 माला रोज करें। मंत्र : ॐ नम: शक्तिरूपाय मम गृहे पुत्रं कुरु-कुरु स्वाहा।


मां दुर्गा को तुलसी दल और दूर्वा चढ़ाना निषिद्ध है।
- अपने घर के पूजा स्थान में भगवती दुर्गा, भगवती लक्ष्मी और मां सरस्वती के चित्रों की स्थापना करके उनको फूलों से सजाकर पूजन करें।
- नौ दिनों तक माता का व्रत रखें। अगर शक्ति न हो तो पहले, चौथे और आठवें दिन का उपवास अवश्य करें। मां भगवती की कृपा जरूर प्राप्त होगी।
- नौ दिनों तक घर में मां दुर्गा के नाम की ज्योत अवश्‍य जलाएं।
- अधिक से अधिक नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अवश्‍य करें।
- इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्‍य करें।

पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है। आसन लाल रंग का और ऊनी होना चाहिए।
- लाल रंग का आसन न होने पर कंबल का आसन इतनी मात्रा में बिछाकर उस पर लाल रंग का दूसरा कपड़ा डालकर उस पर बैठकर पूजन करना चाहिए।
- पूजा पूरी होने के पश्‍चात आसन को प्रणाम करके लपेटकर सुरक्षित जगह पर रख दीजिए।
- पूजा के समय लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है। लाल रंग का तिलक भी जरूर लगाएं। लाल कपड़ों से आपको एक विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
- मां को प्रात: काल के समय शहद मिला दूध अर्पित करें। पूजन के पास इसे ग्रहण करने से आत्मा व शरीर को बल प्राप्ति होती है। यह एक उत्तम उपाय है।
-  आखिरी दिन घर में रखीं पुस्तकें, वाद्य यंत्रों, कलम आदि की पूजा अवश्य करें।
- अष्‍टमी व नवमी के दिन कन्या पूजन करें।

1. शैलपुत्री - ह्रीं शिवायै नम:।
2. ब्रह्मचारिणी ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।  

3. चन्द्रघण्टा ऐं श्रीं शक्तयै नम:।  
4. कूष्मांडा ऐं ह्री देव्यै नम:। 
5. स्कंदमाता ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
6. कात्यायनी क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:। 

7. कालरात्रि  क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
8. महागौरी श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:। 
9. सिद्धिदात्री  ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।


निम्नलिखित मं‍त्रों में से अपनी रुचि के अनुसार कोई एक मंत्र का प्रयोग करें। श्रद्धा व विश्वास से कार्यसिद्धि होगी। नवरात्र में माता सरस्वती का चित्र श्वेत वस्त्र पर स्थापित कर यथाशक्ति पूजन करें। नैवेद्य में दूध की बनी मिठाई का भोग लगाएं। अंत में दुर्गाजी से क्षमा-प्रार्थना व आरती करें। 


 
1. 'ॐ ऐं नम:' नित्य स्फटिक की माला से 21-51-101 माला करें।
2. 'ॐ ऐं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा' की यथाशक्ति माला जपें।
3. 'ॐ ह्रीं श्रीं ऐं वाग्वादिनी भगवति अर्हन्मुख निवासिनी सरस्वति मासस्ये प्रकाश कुरु कुरु ऐं नम:' की 11 माला नित्य करें। समय प्रात: या अर्द्धरात्रि शुभ रहेगा।
4. 'ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:' की 51 माला नवरात्र में नित्य करें।
5. 'ॐ ऐं नम: भगवति वद वद वाग्दे‍वि स्वाहा' की 51 माला नवरात्र में नित्य करें।



उपरोक्त प्रयोग श्रद्धा व विश्वास के साथ करें। अंत में स्वाहा लगाकर गौघृत से हवन करें। नवरात्र के पश्चात नित्य एक माला करें।
गणपति साधना बुद्धि तथा ज्ञान प्राप्ति के लिए सरल व उपयुक्त मानी गई है। अत: गणेशजी के मंत्र कर सकते हैं।



1. 'ॐ गं गणपतये नम:' की 21 माला नित्य करें। 
2. 'ॐ वक्रतुण्डाय हूं' की 21 माला मूंगे की नित्य करें।


कीलक स्तो‍त्र के निम्न मंत्र का मात्र 31 दफा जप करें। पहले गणेशजी के मंत्र की एक माला अवश्य करे

मंत्र - 'ॐ विशुद्धज्ञान देहाय त्रिवेदी दिव्य चक्षुषे। श्रेय: प्राप्तिनिमित्ताय नम: सोमार्ध धारिणे।।'


ज्ञान, भक्ति, शांति तथा मोक्ष प्राप्त करने के लिए रात्रि 10 से 12 बजे तक रुद्राक्ष की माला से कमर तक जल में बैठकर 'ॐ नम: शिवाय' जपें। दिन में आशुतोष शिव का यथाशक्ति पूजन-अभिषेक करें। दुग्ध धारा से अभिषेक करने से ज्ञान व शांति तथा तीर्थ जल से अभिषेक करने से मोक्ष मिलता है।





MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
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