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Monday, April 1, 2019

इच्छापूर्ति हेतु श्री दुर्गा मंत्र



इच्छापूर्ति हेतु श्री दुर्गा मंत्र
सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
वैज्ञानिक अधिकारी, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
 फोन : (नि.) 022 2754 9553  (का) 022 25591154   
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इच्छापूर्ति के लिए श्री दुर्गा सप्तशती से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है। इसे पांचवां वेद कहा गया है। ऐसी कोई कामना नहीं, जिसकी पूर्ति इसके मंत्रों के प्रयोग से पूर्ण हो। कुछ विशेष मंत्र नीचे दिए गए हैं तथा उनका प्रयोग भी साथ है।

1. हैजा-प्लेग जैसी महामारी नाश के लिए-
' जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।


2. रोग नाश के लिए -
'रोगान शेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा, तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वांमाश्रितानां विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।'


3. दु:-दारिद्रय नाश के लिए -
'दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:, स्वस्थै: स्मृता मतिमअतीव शुभां ददासि।
दारिद्रय-दु:-भयहारिणी का त्वदन्या, सर्वोपकार करणाय सदाऽर्द्रचित्ता:।।'
4. कार्य की सफलता हेतु -
'धर्म्याणि देवि सकलानि सदैव कर्माएत्यादृतः प्रतिदिनं सुकृती करोति। 
स्वर्गं प्रयाति ततो भवती प्रवीती प्रसादात्, लोकत्रयेपि फलदा ननु देवि/ तेन।।


5. अचानक विपत्ति या उपद्रवों की शांति हेतु -
'रक्षांसि यन्त्रोग्रविषाश्च नागा, यत्रास्यो दस्यु बलानि यत्र।
दावानलो यत्र तथाऽब्धि मध्ये, तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्।।


6. समस्त कार्यों की सिद्धि तथा देवी कृपा प्राप्ति के लिए-
'शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे,
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोस्तुते।'


उपरोक्त मंत्रों का प्रयोग यथाशक्ति 11-21-51 माला प्रतिदिन देवी का पूजन करने के पश्चात रुद्राक्ष की माला से कर अंत में प्रचलित पदार्थों के प्रयोग से हवन करें। कन्या तथा भूखे को भोजन अवश्य कराएं। कामनापूर्ति होगी।


विश्व की रक्षा के लिये
या श्री: स्वयं सुक्रितिनाम भवनेवश्वल्क्ष्मी:
                         पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:
श्रद्धा सता कुलजन प्रभवस्य लज्जा
               ताम त्वां नता: स्म परिपालय देवी विश्वम


भय के नाश के लिए
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते
      भयेभ्यंस्त्राहि नो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते
एतेत्ते वन्दन सौम्यं लोचनत्रयभूषितम।
पातु : सर्वभितिभ्य: कात्यायनी नमोस्तुते


विपत्ति नाश के लिए
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायने
सर्वस्यातिहरे देवी नारायणी नमोस्तुते


रोग नाश के लिए
रोगानशेषानपहसि तुष्टा
                रुष्टा तू कमान सकलान भिष्टान
त्वामाश्रीतानां विपन्नराणाम
                त्वामाश्रिता हव्याश्रयतां   प्रयान्ति


महामारी नाश के लिये
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली क्पालनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते


आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परम सुखम।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि दिवषो जही


गुणवान पत्नी प्राप्ति के लिए
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृतानुसारिणीम
तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्धवाम


प्रसन्नता प्राप्ति के लिए
प्रणतानां प्रसिद त्वं देवी विश्वा तिर्हारिणी
त्रेलोक्य वासिनामीडये लोकानां वरदा भव


सभी कामनाओ की प्राप्ति के लिये
सर्वमंगल मांगलेय  शिवे   सर्वार्थसाधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तु  ते


शुभ प्राप्ति के लिये
करोतु सा : शुभहेतुरिश्वरी
   शुभानि भद्राणयभिह्न्तु चापद:।


मोक्ष प्राप्ति के लिये
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवियां
     विश्वस्य बीजं परमासि माया
सम्मोहित देवि स्म्स्तमेतत
      त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्ति हेतु:


रक्षा पाने के लिये
शूलेन पाहि नो देवी पाहि खड्गेन चाम्बिके
घंटास्वनेन : पाहि चापज्यानि: स्वनेन

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