Search This Blog

Tuesday, April 2, 2019

पर्यावरण संरक्षण : किचन गार्डेन से



पर्यावरण संरक्षण : किचन गार्डेन से

संकलन: विपुल लखनवी


अगर आपको हरियाली से प्यार है और आप छोटा-सा ही सही, लेकिन अपना गार्डन चाहते हैं तो यह बेशक मुमकिन है। जगह की कमी के बावजूद आप बेहतर टेरस या किचन गार्डन बना सकते हैं। यहां गार्डनिंग कर आप सजावटी पौधों और फूलों के अलावा फल-सब्जियां भी लगा सकते हैं। आप टेरस, बालकनी, खिड़कियां या लिविंग रूम या फिर छोटे से लॉन में भी हरियाली बिखेर सकते हैं। आप कोई भी पौधा लगाएं, उससे पहले कुछ चीजों के बारे में जानना जरूरी है।

मिट्टी की तैयारी : पौधे लगाने से पहले गमलों में से मिट्टी निकाल दें। हो सके तो इसे 2-3 दिनों तक धूप में खुला छोड़ दें। इससे मिट्टी में मौजूद कीड़े-मकोड़े और फफूंद खत्म हो जाएंगे। फिर मिट्टी में कंपोस्ट खाद या गोबर की खाद अच्छी तरह मिलाकर गमलों में भर दें। गमलों को ऊपर से करीब एक-तिहाई खाली रखें ताकि पानी डालने पर मिट्टी और खाद बहकर बाहर न निकले।

गमले कौन-से लें: मिट्टी के गमले सबसे अच्छे होते हैं। आप इन्हें प्लास्टिक की ट्रे पर रख सकते हैं ताकि गंदगी न फैले। मजबूती के लिए सीमेंट के गमलों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। प्लास्टिक के गमले उतने सही नहीं होते, क्योंकि इनमें पौधों का विकास रुक जाता है। मिट्टी के गमलों पर पेंट की जगह गेरू का इस्तेमाल करें। साइज के हिसाब से मिट्टी के गमले 80 रुपये से 500 रुपये तक में मिल जाएंगे। वैसे, आप पौधे लगाने के लिए पुरानी बाल्टी, टब और यहां तक कि बोतलों तक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

बीज बोने की तैयारी : तैयार मिट्टी को गमलों में भरने से पहले गमले के बॉटम में (जहां पानी निकलने की जगह बनी होती है) पॉट के टूटे हुए टुकड़े या छोटे पत्थर रखें, ताकि पानी के साथ मिट्टी का पोषण बाहर न निकले। फिर मिट्टी में बीज लगाएं। जब भी कोई बीज रोपें, उसे उसके आकार से दोगुना मोटी मिट्टी की परत के नीचे तक ही अंदर डालें, वरना अंकुर फूटने में लंबा वक्त लगेगा। मिट्टी डालने के बाद हल्का पानी डाल दें। इस समय इन्हें धूप लगना जरूरी है। ऐसा न होने पर ये आकार में छोटे और कमजोर रह जाएंगे। अगर पौधों को दूसरे गमले में लगाना है तो शाम या रात को यानी ठंडे वक्त पर ट्रांसफर करें और तब करें, जब पौधों में 4-6 पत्तियां आ चुकी हों। ट्रांसफर करने के बाद थोड़ा पानी जरूर डालें।

खाद की जरूरत : पौधों को खाद जरूर चाहिए। यह खाद गोबर की या मार्केट में मिलनेवाले केमिकल फर्टिलाइजर्स हो सकते हैं। नीम, सरसों या मूंगफली की खली भी खाद के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इनमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। खाद मोटे तौर पर 2 तरह की होती है:

1. जैविक खाद (ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर): यह खाद जीवों से बनती है, जैसे गोबर की खाद, पशुओं-मनुष्यों के मल-मूत्र से बनने वाली खाद। इनमें हानिकारक केमिकल्स नहीं होते।

2. रासायनिक खाद (केमिकल फर्टिलाइजर): यह खाद नाइट्रोजन, पोटाश और फॉस्फोरस के कंपाउंड वाली होती है। इसके इस्तेमाल से मिट्टी कम समय में ज्यादा उपजाऊ हो जाती है। इसका ज्यादा इस्तेमाल करने से जमीन में पोषक तत्वों का असंतुलन हो जाता है, जिससे आगे चलकर जमीन बंजर भी हो सकती है। जहां तक हो सके, घरेलू बगीचे में रासायनिक खाद के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
 
कितनी खाद: आमतौर पर किसी अच्छी नर्सरी से ऑर्गेनिक खाद के पैकेट मिल जाते हैं। इनमें नीमखली, बोनमील, सरसों खली, कंपोस्ट वगैरह शामिल हैं। ये आमतौर पर 40 से 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलती हैं। आमतौर पर पौधों को लगाते समय और दोबारा उनके फूल आते समय खाद दी जाती है। वैसे, महीने में एक बार खाद डाल सकते हैं। छोटे पौधों में मुट्ठी भर और बड़े पौधों में दो मुट्ठी खाद आमतौर पर काफी रहती है। गर्मियों में कम खाद देनी चाहिए। नोट: खाद तभी दें, जब गमलों की मिट्टी सूखी हो। खाद देने के बाद मिट्टी की गुड़ाई कर दें। इसके बाद ही पानी दें।

खुद तैयार करें खाद: कंपोस्ट यानी कूड़े से बना खाद (आप इसे नर्सरी से खरीद सकते हैं या खुद भी बना सकते हैं), लाल मिट्टी, रेत और गोबर का खाद बराबर मात्रा में मिलाएं। अगर जगह हो तो कच्ची जमीन में एक गहरा गड्ढा खोदें, वरना एक बड़ा मिट्टी का गमला लें। इसके तले में मिट्टी की मोटी परत डालें। इसके ऊपर किचन से निकलने वाले सब्जियों और फलों के मुलायम छिलके और पल्प डालें। अगर यह कचरा काफी गीला है तो इसके ऊपर सूखे पत्ते या न्यूज पेपर डालें। इसके ऊपर मिट्टी की मोटी परत डालकर ढक दें। इस प्रॉसेस को गड्ढा या गमला भरने तक दोहराते रहें। इस मिक्सचर के गलकर एक-तिहाई कम होने तक इंतजार करें। इस प्रोसेस में तकरीबन 3 महीने का वक्त लगता है। अब पोषण से भरपूर इस खाद को निकालकर किसी दूसरे गमले में मिट्टी की परतों के बीच दबाकर सूखे पत्तों से ढककर रख दें। 15-20 दिन में यह खाद इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगी। मिट्टी के साथ मिलाकर सब्जियां और फल उगाने के लिए इसका इस्तेमाल करें। खाली हुए गड्ढे या गमले में खाद बनाने की प्रक्रिया दोहराते रहें। इसी तरह, बाजार से सरसों की खली खरीदकर लाएं। खली को पौधों में डालने के लिए इस तरह पानी में भिगोकर रात भर रखें कि अगले दिन वह एक गाढ़े पेस्ट में तब्दील हो जाए। इस पेस्ट को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाकर इसे अपने गमलों में डालें। मिट्टी और खली का अनुपात 10:1 होना चाहिए यानी 10 किलो मिट्टी में 1 किलो खली मिलाएं। इसे गमलों में डालने के बाद मिट्टी की गुड़ाई कर दें ताकि खली वाली मिट्टी गमले की मिट्टी के साथ मिक्स हो जाए।

ऐसे करें देखभाल : पानी का पैमाना : ज्यादा पानी देने से मिट्टी के कणों के बीच मौजूद ऑक्सिजन पौधों की जड़ों में नहीं पहुंच पाती इसलिए आपको जब गमले सूखे लगें, तभी पानी डालें। मौसम का भी ध्यान रखें। सर्दियों में हर तीसरे-चौथे दिन और गर्मियों में रोजाना (हो सके तो दिन में 2 बार भी) पानी डालना चाहिए। पानी सुबह या शाम के वक्त ही देना चाहिए। भूलकर भी तेज धूप में पौधों में पानी न डालें। इससे पौधों के झुलसने का खतरा रहता है। अगर किसी वजह से कुछ दिनों के लिए घर से दूर रहने की नौबत आए तो गमलों में पानी ऊपर तक भर दें। इसके अलावा इनडोर पौधों को कमरे से निकालकर खुले बरामदों में रख दें ताकि उन्हें खुली हवा लग सके। बारिश के मौसम में खुले में रखे पौधे एक हफ्ते तक बिना सिचाई के भी हरे-भरे रह सकते हैं।


नोट: अगर 10-15 दिनों के लिए घर से बाहर जा रहे हैं तो जाने से पहले गमले या पॉट में लीचन/मॉस (तालाब में उगने वाले कुछ खास पौधे जो नर्सरी से मिल जाएंगे) को अच्छी तरह बिछाकर पानी डालें। इससे लंबे समय तक पौधों में नमी बनी रहेगी।

धूप है बेहद जरूरी : पौधों के लिए धूप जरूरी होती है, लेकिन दोपहर की कड़ी धूप से पौधों को बचाएं। इनडोर पौधों को भी थोड़ी देर के लिए धूप दिखानी चाहिए। इन्हें हफ्ते में कम-से-कम 3 दिन सुबह के वक्त डेढ़-दो घंटे के लिए धूप में रखें। फिर अंदर रख दें। गर्मियों में पौधों को कड़क धूप से बचाएं। इसके लिए इनके ऊपर नेट लगा सकते हैं, जोकि नर्सरी या गार्डनिंग के सामान वाली दुकान से आसानी से मिल जाता है।

नियमित करें गुड़ाई : गमलों या क्यारियों की मिट्टी को हवा और पानी अच्छी तरह मिलता रहे इसके लिए पौधों की गुड़ाई करना जरूरी है। गमलों की मिट्टी में उंगली गाड़कर देखें। अगर मिट्टी बहुत सख्त है तो गुड़ाई करें। कम से कम महीने में एक बार मिट्टी की गुड़ाई करें। इससे मिट्टी ढीली रहेगी और अपने आप उग आई घासों की भी सफाई हो जाएगी।

ये टूल्स हैं यूजफुल :
गार्डन ग्लव्ज 2. खुरपी या फावड़ा 3. बाल्टी  4. पौधों को सीधा करने के लिए पतली लकड़ियां और सुतली 5. पौधों की कटाई-छंटाई के लिए कैंची जिसे सिकेटियर्स (secateurs) भी कहते हैं।

अलग-अलग किस्म के पौधे: फूल और सजावटी पौधे  इनमें पाम, साइकस पाम, अडिका पाम, मनीप्लांट, जैट्रोपा, बॉटल ब्रश आदि के अलावा फूलों की ढेर सारी वैरायटी के पौधे आते हैं। इन पौधों को मौसम के हिसाब से कैटिगरी में बांट सकते हैं: बारहमासा पौधे : बोगनवेलिया, हैबिस्कस, रात की रानी, चमेली, मोतिया, मोगरा, मोरपंख, फाइकस, गेंदा आदि।
गर्मी के पौधे : कॉसमॉस (पीला), जीनिया, सूरजमुखी, टिथोनिया, गेलार्डिया आदि। इनके लिए बीज फरवरी के आखिरी दिनों में लगाएं ताकि करीब 2 महीने में, यानी अप्रैल के महीने तक फूल निकल आएं।
मॉनसून के पौधे : ऐजेरेंटम, बालसम, एमरेंथस, टोरिनिया, गामफेरिना, कनेर आदि। इन्हें मॉनसून के दिनों में 15 जून के बाद लगाना जाना चाहिए। इसमें करीब दो-ढाई महीने में फूल आ जाते हैं।

सर्दी के पौधे: गुलाब, कॉर्न फ्लॉवर, कारनेशन, डेजी, डहेलिया, गुलदाउदी, हॉलीहॉक, गेंदा, कॉसमॉस (पिंक और वाइट) आदि। इनके बीज अक्टूबर में बोए जाते हैं और दिसंबर-जनवरी में फूल आ जाते हैं।
सिर्फ पानी में उगाएं ये पौधे : कुछ पौधे ऐसे होते हैं, जिन्हें लगाने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं होती। ये खाली पानी में भी बढ़िया तरीके से बढ़ते हैं। इनमें खास है मनीप्लांट, वॉटर लैट्यूस, लिली, लोटस, सिंगोडियम आदि। इन्हें बोतल में लगाना बेहतर रहता है। हालांकि मेटल के पॉट में इसे लगाने से बचना चाहिए क्योंकि खाद से मेटल में रिएक्शन हो सकता है। बोतल में नॉर्मल पानी भरें। चाहें तो उसमें फ्लॉरिस्ट फोम, सजावटी पत्थर आदि डाल सकते हैं। एक छोटा टुकड़ा चारकोल भी डाल सकते हैं ताकि पानी साफ रहे और उसमें बदबू न हो। गर्मियों में 3-4 दिन और सर्दियों में हफ्ते भर में पानी बदलते रहें। पानी डालते वक्त इंडोर पौधों के पत्तों पर भी पानी छिड़कना चाहिए क्योंकि धूल से पत्ते खराब हो सकते हैं।

मनीप्लांट: लोग घरों में मनीप्लांट सबसे ज्यादा लगाना पसंद करते हैं। इसे मिट्टी या पानी, दोनों में लगा सकते हैं। मनीप्लांट लगाने के लिए सर्दियों का सीजन बेस्ट रहता है। इसे ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती, लेकिन हफ्ते में कम-से-कम एक बार कुछ घंटों के लिए सुबह की धूप में निकालकर रखें। अगर मनीप्लांट पानी में लगा है तो उसका पानी 15 दिन में एक बार जरूर बदलें और पानी साफ रखें। अगर प्लांट की ग्रोथ रुक गई हो तो इस पानी में दो-तीन दाने यूरिया खाद के डाल दें।

मच्छर भगानेवाले पौधे: कई पौधे ऐसे होते हैं जो मच्छर भगाने में मदद करते हैं और हवा को भी साफ करते हैं। ऐसे पौधों में खास हैं गेंदा, लेमन बाम, तुलसी, नीम, लैवेंडर, रोजमेरी, हार्समिंट, सिट्रोनेला आदि।

गेंदा: इसकी गंध बहुत तीखी होती है और मच्छरों को पसंद नहीं आती। ये कीड़ों को भी दूर रखते हैं।

रोजमेरी: 4-5 फुट लंबे ये पौधे और इसके नीले फूल गर्मी के मौसम में तेजी से बढ़ते हैं। सर्दी में इसके गमले को घर के अंदर रखना चाहिए। इनसे मच्छर दूर रहते हैं।

लेमन बाम: यह दिखने में पुदीने के पौधे की तरह लगता है, लेकिन इसमें नींबू की महक आती है। इस पौधे को लगाने से मच्छर दूर रहते हैं।

हार्समिंट: यह एक तरह का मिंट है जिससे कसैली गंध आती है।

लैवेंडर: इस पौधे की खुशबू बड़ी तेज होती है और मच्छर इससे दूर रहते हैं।

इनके अलावा तुलसी, लौंग, नीम, पुदीना आदि से भी मच्छर दूर रहते हैं और ये हवा को भी तरोताजा बनाए रखने में मदद करते हैं।

फल और सब्जियां : हमेशा नैचरल ब्रीडिंग वाले बीजों का इस्तेमाल करें, न कि हाइब्रिड का। नैचरल ब्रीडिंग वाले पौधों में फल और सब्जियां ज्यादा स्वादिष्ट होती हैं।

सब्जियों में शुरू में आप पुदीना, धनिया, करी पत्ता, हरी मिर्च, लेमन ग्रास या अलग-अलग तरह के साग उगा सकते हैं। इन्हें फलने-फूलने के लिए ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती। इन्हें लिविंग-रूम या खिड़की के पास भी रखा जा सकता है। आसान सब्जियों और फलों को उगाकर धीरे-धीरे आप गार्डनिंग की तकनीक सीख जाएंगे। फिर टमाटर, भिंडी, बींस, गांठ गोभी, बैगन, शिमला मिर्च जैसी तमाम सब्जियां आसानी से उगा सकेंगे। करेला और खीरा जैसी सब्जियों की बेलें न सिर्फ आपको फल देंगी बल्कि आपकी छोटी-सी बालकनी की खूबसूरती भी बढ़ा सकती हैं। वैसे, सबसे आसानी से उगने वाली सब्जियां हैं: मिर्च, भिंडी और बैंगन। ये करीब 45 दिनों में तैयार हो जाती हैं।

फलदार पौधों के लिए आपको इसके कलम (बडिंग) किए हुए पौधे की जरूरत होगी। अगर आपके पास टेरेस या लॉन में ज्यादा खुली जगह है तो आप अमरूद, अनार और अनन्नास भी उगा सकते हैं। अमरूद और आम की ऐसी किस्में भी मार्केट में मिल जाएंगी, जो साइज में छोटी होती हैं, लेकिन फल भरपूर देती हैं।

कब लगाएं, कौन-सी सब्जियां: गर्मियों की सब्जियां: बेल वाली सब्जियां जैसे कि घिया, तोरी, करेला, टिंडा, खीरा, ककड़ी आदि। इसके अलावा बैंगन, भिंड़ी, टमाटर आदि भी घर में लगा सकते हैं। इनके बीज फरवरी या मार्च के शुरू में लगाएं ताकि करीब 2 महीने बाद अप्रैल-मई में सब्जियां मिल सकें।

सर्दियों की सब्जियां: पालक, मेथी, गाजर, फूलगोभी, बंदगोभी, मूली, ब्रोकली, चुकंदर आदि लगा सकते हैं। इनके बीज मई-जून में लगाएं ताकि सितंबर-अक्टूबर से सब्जियां मिलने लगें।

नोट: टमाटर साल में 2 बार लगाया जा सकता है, अक्टूबर और मार्च में। अगर पौधों की पत्तियां सिकुड़ रही हों या भूरे चकत्ते दिख रहे हों या पौधे का तना गल रहा हो तो समझ जाएं कि उनमें आयरन की कमी हो गई है। ऐसे में 1 लीटर पानी में 1 आयरन कैप्सूल घोलें और टमाटर के हर पौधे में आधा-आधा कप पानी डालें। अगले दिन पान में इस्तेमाल होने वाले चूने की 3 चुटकी 1 लीटर पानी में मिला लें और टमाटर के पौधों में आधा-आधा कप डालें। इससे पौधों में न्यूट्रिशन की कमी दूर हो जाएगी।

मेडिसिनल पौधे : नीम, तुलसी, एलोवेरा, गिलोय, लौंग, पुदीना आदि ऐसे पौधे हैं, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं और इन्हें छोटी-मोटी बीमारियों में यूज कर सकते हैं।
तुलसी तो प्राय: सबके घर में होती ही है। यह एक नाजुक पौधा है। सर्दियों में यह मुरझा जाती है, इसलिए इसे टेंपरेचर के तेज उतार-चढ़ाव से बचाना चाहिए। तेज सर्दी के दिनों में इसे घर के अंदर रखें। अगर तेज कोहरा पड़ रहा है तो तुलसी के पौधे को हल्के कपड़े से ढका भी जा सकता है। पौधे को सर्दी के मौसम में धूप दिखाना भी बेहद जरूरी है। इसके अलावा, समय-समय पर गुड़ाई भी करते रहना चाहिए। गर्मियों में इसे तेज धूप से बचाना चाहिए।

(तथ्य एवं कथा गूगल से साभार) 

MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :  https://freedhyan.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment

 गुरु की क्या पहचान है? आर्य टीवी से साभार गुरु कैसा हो ! गुरु की क्या पहचान है? यह प्रश्न हर धार्मिक मनुष्य के दिमाग में घूमता रहता है। क...