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Wednesday, September 5, 2018

सभी धर्मों की संक्षिप्त तुलना



सभी धर्मों की संक्षिप्त तुलना

सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
 वेब:  vipkavi.info वेब चैनलvipkavi
फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"

मित्रों, मैं सनातन के ग्रन्थ, जैन और बौद्ध धर्म की विशालता के कारण हर ग्रन्थ न पढ सका। किंतु मैंनें कुरान और बाईबिल के दोनो टेस्टमेंट पढ डाले हैं। एक वैज्ञानिक यानी खोजी होने होने के कारण इन धर्मों पर बिना पूरवाग्रहित हुये चर्चा करना चाहता हूं। मेरा उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है अपितु विज्ञान के इस युग में विभिन्न धर्मों के सार का वैज्ञानिक विश्लेषण करना आवश्यक है। 

हम मानव जीवन को दो भागों बांट सकते हैं पहला वाहिक जीवन जो हम आंख खोलकर जगत में व्यवहार करते हैं। दूसरा आंतरिक जो हम आंख बंद कर महसूस करते हैं अनुभव करते हैं। इसमें निद्रा भी शामिल है।

अपनी कुरान और बाईबिल के अध्ययन के बाद मैं यह निष्कर्ष निकालता हूं कि यह दोनों पुस्तकें सिर्फ और सिर्फ वाहिक जगत की बातें करती है और समझाती हैं। जैसे कैसे रहे, शादी करें, क्या खायें, दुश्मन के साथ क्या करें। दुनिया में कैसे रहें। सिर्फ इस तरह की वाहिक बातें जो मानव के जीवन रूपी समुद्र की सतह पर रहतीं हैं। जैन और बौद्ध कुछ कुछ आंतरिक बताते हैं पर पूर्णतय: नहीं। यह भी बताते हैं कि वाहिक क्या करें कि हमारा आंतरिक जीवन सुखमय और कल्याणकारी हो। हम कैसे शान्ति प्राप्त करें। वहीं सनातन एक विशाल महासागर। जिसके चार खंड चारो वेद। जिसमें गीता एक विशाल जहाज। बाकी शास्त्र इत्यादि उल्टी सीधी लकडी के पतरों से बनी नाव। जो डुबा भी सकती है।

सनातन वाहिक के अलावा आंतरिक विज्ञान को वहां तक बताता है जो मनुष्य द्वारा प्रयोगिक है और अनुभवित भी है। अंदर से यह इतना गहरा और विशाल कि इसके आंतरिक विज्ञान को कुरान या बाईबिल न सोंच सकते हैं और न कुछ बोल सकते हैं। हां जैन और बौद्ध कुछ कुछ थाह लगा लेते हैं पर गहराई तक नहीं पहुंच पाते हैं।

अपने सालों के अध्ययन के बाद मैं महसूस करता हूं कि दुनिया में शून्य के इर्द गिर्द ही लोग होंगे जो आंतरिक विज्ञान की सोंचते होंगे। कारण कुरान और बाईबिल अंदर की बात ही नहीं करते। ये तो सिर्फ वाहिक और वाहिक जगत में ही लिप्त रहने की कला सिखाते हैं। फिर कहां से से इनके अनुयायी आंतरिक विज्ञान को समझ पायेगें।

मित्रों मैं आपको लिंक देता हूं आप स्वयं धर्म ग्रंथों को पढे और मुझे समझायें कि मैं सही हूं कि गलत। 




कुरान का लिंक :




बाइबिल का लिंक :




श्रीमदभगवद्गीता (कृष्ण)




जैन :




बौद्ध:



8 comments:

  1. Muafi chahte hai sir, . aapki research adhuri hai.. humari aapse darkhqwast hai ke aap is video ko jarur ek baar dekhe https://www.youtube.com/watch?v=mt75TIa1ul0

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  2. धन्यवाद आपका वीडियो देखा? किंतु आपने मेरा लेख नहीं समझा। मैं विज्ञान पर बहस नही कर रहा हूं बल्कि आंतरिक दुनिया की बात कर रहा हूं। जो आपको आंख बंद करने के बाद महसूस होती है। जैसे जब आप सोते हैं तो जगती दुनिया से कोई नाता नहीं रहता ह्में यह दुनिया झूठ लगती है।
    कुरान और बाइबैल केवल वही बताते हैं जो हम खुली आंखों से देखते हैं। बंद आंखों की कोई जानकारी इन किताबों में नहीं है।

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  3. this is a nice article
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  4. बहुत अच्छा लिखा है मित्र। ऐसे लेखन से आंतरिक सूक्ष्म दुनिया में उतरने वाले विध्यर्थितोन् को बल मिलेगा

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  5. टिप्पणी का स्वागत है। टिप्पणी हेतु धन्यवाद। कृपया लेख अन्य को भी शेयर करें।

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