नवदुर्गा और नवग्रह का सम्बन्ध
सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
नवरात्रि में शक्ति का रूप मानी जानी वाली मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना की जाती है। इनमें पहले नवरात्रि पर मां शैलपुत्री तो दूसरे नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे में माता चंद्रघंटा तो चौथे नवरात्र पर मां कुष्मांडा, पांचवें नवरात्रिमें स्कंदमाता तो छठे नवरात्रि पर कात्यायनी माता की पूजा की जाती है। सातवें, आठवें और नवें नवरात्रि में क्रमश मां कालरात्रि, मां महागौरी एवं माता सिद्धिदात्रि का पूजन किया जाता है। जब नवग्रह शांति के लिये पूजन किया जाता है तो इस क्रम में बदलाव हो जाता है। प्रत्येक ग्रह की माता अलग होती है।
किस नवरात्रि को होती है किस ग्रह की पूजा
नव दुर्गा शक्ति के नौ रूपों का ही नाम है। इनकी साधना से ग्रह पीड़ा से भी निजात मिलती है लेकिन इसके लिये यह अवश्य ज्ञात होना चाहिये कि किस दिन कौनसे ग्रह की शांति के लिये पूजा होनी चाहिये।
दुर्गा पूजा शक्ति उपासना का पर्व है। शारदीय नवरात्र में मनाने का कारण यह है कि इस अवधि में ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं, जिसका दुष्प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है। ग्रहों के इसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में दुर्गा की पूजा की जाती है।
दुर्गा दुखों का नाश करने वाली देवी है। इसलिए नवरात्रि में जब उनकी पूजा आस्था, श्रद्धा से की जाती है तो उनकी नवों शक्तियाँ जागृत होकर नवों ग्रहों को नियंत्रित कर देती हैं। फलस्वरूप प्राणियों का कोई अनिष्ट नहीं हो पाता।
दुर्गा की इन नवों शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के 'नवार्ण मंत्र' का जाप किया जाता है। नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ अक्षर होता है। अतः नवार्ण नवों अक्षरों वाला वह मंत्र है, नवार्ण मंत्र 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' है। नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है।
नवार्ण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ऐं है, जो सूर्य ग्रह को नियंत्रित करता है। ऐं का संबंध दुर्गा की पहली शक्ति शैल पुत्री से है, जिसकी उपासना 'प्रथम नवरात्र' को की जाती है।
दूसरा अक्षर ह्रीं है, जो चंद्रमा ग्रह को नियंत्रित करता है। इसका संबंध दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है, जिसकी पूजा दूसरे नवरात्रि को होती है।
इसी प्रकार तीसरा अक्षर क्लीं है, चौथा अक्षर चा, पाँचवाँ अक्षर मुं, छठा अक्षर डा, सातवाँ अक्षर यै, आठवाँ अक्षर वि तथा नौवा अक्षर चै है। जो क्रमशः मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु ग्रहों को नियंत्रित करता है।
इन अक्षरों से संबंधित दुर्गा की शक्तियाँ क्रमशः चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री हैं, जिनकी आराधना क्रमश : तीसरे, चौथे, पाँचवें, छठे, सातवें, आठवें तथा नौवें नवरात्रि को की जाती है।
इस नवार्ण मंत्र के तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं तथा इसकी तीन देवियाँ महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती हैं।
दुर्गा की ये नवो शक्तियाँ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की प्राप्ति में भी सहायक होती हैं।
जय गुरुदेव जय महाकाली।
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जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥
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