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Saturday, October 17, 2020

क्यों लगाए ओम् नवार्ण मंत्र के आगे (पहली बार कारण पढ़ें, आपको किसी ने नहीं बताया होगा)

 क्यों लगाए  ओम् नवार्ण मंत्र के आगे

सनातन पुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

मित्रों बहुत से लोग यह मानते हैं कि क्योंकि नवार्ण मंत्र 9 वर्णों का है अतः इसके आगे ओम नहीं लगाना चाहिए क्योंकि तब यही दशाक्षरी हो जाएगा।



लेकिन मेरा यह मानना है और यह अनुभव भी है ओम तो लगाना ही चाहिए क्योंकि किसी मंत्र के आगे ओम लगाने से यह ओम गणेश को समर्पित हो जाता है।



गणेश हमारे गणों के ईश मतलब जो हमारे अंदर की शक्ति नव दुर्गा के रूप में रहती है और बाहर सृष्टि की शक्ति काली के 10 रूपों में रहती है उनके बीच में हमारे गणों का एक पर्दा पड़ा होता है इसलिए ओम बोलने से गणपति सहायक हो जाते हैं।



वैसे भी आपने पुराण में पड़ा होगा कि प्रथम पूजनीय गणपति इसलिए बने थे कि उन्होंने अपने माता-पिता की परिक्रमा की थी और माता-पिता ही मिलकर आपके इस शरीर को बनाते हैं यानी आपके शरीर के चारों ओर जो आवरण है जिन पर गणों का वास है। वह गणेश जी द्वारा संचालित होते हैं। 



यह बात सही है कि जब मात्र ओम का उच्चारण करते हैं तो वह निराकार को चला जाता है उस ब्रह्म को चला जाता है जिसने सृष्टि की उत्पत्ति की थी और पहला साकार रूप मां काली बनी जिन्होंने 10 रूपों में 10 विमाओं में इस सृष्टि का निर्माण किया।बाद  में जब मानव का निर्माण हुआ तब नव दुर्गा की शक्ति मनुष्य के अंदर चक्रों के रूप में स्थापित हुई और मनुष्य को ज्ञान देने के लिए उस काली ने गायत्री का रूप धारण किया जिसने कि मनुष्य को कल्याण के लिए वेदों का ज्ञान दिया।
इसलिए आप मंत्र में ओम् को अवश्य लगाएं।



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जय गुरूदेव जय महाकाली। महिमा तेरी परम निराली॥



मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य की पूरी जानकारी हेतु नीचें दिये लिंक पर जाकर सब कुछ एक बार पढ ले।


 
मां दुर्गा के नवरूप व दशविद्या व गायत्री में भेद (पहलीबार व्याख्या) 
जय गुरुदेव जय महाकाली।

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