मां कूष्मांडा की आरती
सनातनपुत्र देवीदास विपुल " खोजी "
मां कूष्मांडा जग निरमाता। मुझ पर दया करो सुखदाता॥
तुम ही हो पिंगलाज भवानी। ज्वालामुखी का रूप बखानी।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
मैय्या शाकाम्बरी निराली। तू माता है भोली भाली॥
कितने रूप धरे हैं तूने। जग में तेरे आगे बौने।।
कितने रूप धरे हैं तूने। जग में तेरे आगे बौने।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
तेरे जगत निराले डेरे। सुर नर मुनि सब तुझको घेरे।।
भीमा पर्वत भीमा रूपा। तेरो तत्व सदा सुरभूपा।।
तेरे जगत निराले डेरे। सुर नर मुनि सब तुझको घेरे।।
भीमा पर्वत भीमा रूपा। तेरो तत्व सदा सुरभूपा।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
तुने अष्टभुजा रूप धारा। सृष्टि रूप दिया जग सारा।।
तेरे दर्शन का जग प्यासा। पूरन कर दो मैय्या आसा॥
तुने अष्टभुजा रूप धारा। सृष्टि रूप दिया जग सारा।।
तेरे दर्शन का जग प्यासा। पूरन कर दो मैय्या आसा॥
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
पापी खोजी विपुल गुहारे। माता आरत भाव पुकारें।।
माता कूष्मांडा जो ध्याता। जग में श्रेष्ठ परम पद पाता।।
पापी खोजी विपुल गुहारे। माता आरत भाव पुकारें।।
माता कूष्मांडा जो ध्याता। जग में श्रेष्ठ परम पद पाता।।
मैया तेरी आरती गाऊं। मैया तेरी आरती गाऊं।
मेरी मैया जगत कल्याणी। सुर मुनि तेरो रूप बखानी।।
माता लाज भगत की रखना। सारी इच्छा पूरी करना।।
मेरी मैया जगत कल्याणी। सुर मुनि तेरो रूप बखानी।।
माता लाज भगत की रखना। सारी इच्छा पूरी करना।।
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