Search This Blog

Monday, September 14, 2020

 आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 18


+91 79066 10157: कहीं कुंडलिनी जागरण के समय शक्तियों को न सम्हाल पाने का परिणाम तो नहीं है?


ये  भी संभव है।

यूट्यूब पर जो साधनाएं पड़ी है आने वाले समय में इस प्रकार के लोगों की संख्या बढ़ सकती है।

Bhakt Dev Sharma Ref Fb: अब मैं बोल सकता हु वैज्ञानिक महोदय को निकाल दिया गया है तो इनका परिचय यह है कि ये स्वयं को बहुत बड़ा वैज्ञानिक समझते है इनका नाम दीपक वत्स है जो फेसबुक पे पेज भी बनाये है व नित्य ज्ञान देते है कि धरती का बोझ कम करना है उसके लिए विमान बनाना होगा कोई मीडिया साथ नही देती इत्यादि इत्यादि मैं आज इनके msg देखा तो सोच में पड़ गया कि ये कहा से आ गए ग्रुप में

मेरा एक बहुत पुराना लेख है सहस्त्र सार क्या है। उस लेख से इसको समझा जा सकता है।

http://freedhyan.blogspot.com/2018/03/?m=0

Bhakt Dev Sharma Ref Fb: भैया इनका अलग ही प्रलाप है ये मुख्यतः कल्कि अवतार वाली अवधारणा वाले है व थोड़े से भिन्न है आपने भी बहुत से कल्कि अवतार फेसबुक में देखे होंगे उन्ही का एक रूप है ये दीपक वत्स

Hb 96 A A Dwivedi: हम तो यान में बैठकर घुमने की तैयारी कर रहे हैं आपने तो देश निकाला दे दिया

लाक डाउन के समय देश में अनेकों प्रतिभाये जन्म ले रही है और जबसे गुगल गुरु की शरण अधिक हो जाती है तो जानकारी और जानकार दोनों का अंतर समाप्त हो जाता है

वो यही कह रहे हैं कि मैं जानकारी हु और हम उनको जानकार समझ रहे हैं

लगा था कि एकबार परिक्रमा करने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है

😊🌹🙏👏

Bhakt Dev Sharma Ref Fb: जी भैया तब तो आप उनका फेसबुक एकाउंट देख लीजिए वही पे जुड़ जाइए हसने को बहुत मिलेगा मैं आपको अलग से उनके स्क्रीन शॉट दे देता हूं आप स्वयं देखिए 🙏🏻🙏🏻

Hb 96 A A Dwivedi: हमने कल ही देखा था और आनन्द की बात उनसे लोग जुड़े हुए हैं

अलग तरह का आनंद बांट रहे हैं और बहुत सारे लोग जो चमत्कार को ही नमस्कार करते हैं उनके लिए वो परोस रहे हैं।

👏🙏🌹😊

Bhakt Dev Sharma Ref Fb: जी भैया हमारा ग्रुप जो नकली कलकिओ से भिड़ता था इनसे अब कन्नी काट चुका है इनको लाख समझाने के बाद भी ये हमे ही समझाते रहते है तो आज जब ग्रुप में इनका msg देखा तो सोच में डूब गया था कि अब क्या होगा ग्रुप वालो का सही निर्णय लिया गया भैया के द्वारा उनको निकाल के 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

+91 96726 33273: Yeah log daya ke paatr  h inko ilaz ki jaroorat hi... Inpar hansana uchit nahi 🙏🙏🙏🙏🙏

Hb 96 A A Dwivedi: अपने देवास आश्रम में एक पुरानी गुफा है जिसमें पांच सौ वर्ष से दो सन्त समाधिस्थ है और जिन्हें दर्शन प्रभु की कृपा से होना होता है उनको होता है।।

चामुण्डा माता की टेकरी पर मां के दरबार के ऊपर बाबा शीलनाथ आज भी सुक्ष्म शरीर में समाधिस्थ है।।

लोग चाहते हैं कि चमत्कार हो और सन्त महात्मा स्वयं को गुप्त रखने के लिए ही अदृश्य अवस्था में रहते हैं।।

सनसार में यह बातें समझ नहीं आती है और न समझाने का प्रयास हि करना चाहिए लेकिन कुछ लोग इसका गलत उपयोग करते हैं और ऋषियों की परम्परा को बदनाम करते हैं।।

यह भी सम्भव है कि शारीरिक व्याधियां उत्पन्न हो गई है और इसलिए ऐसा कर रहे हैं कह नहीं सकते हैं लेकिन कुल मिलाकर वायु यान में बैठने का भव्य मौका गंवा दिया

फेसबुक पर जाकर उनसे निवेदन करते हैं कि थोड़ी देर घुमा दो घर में बैठे बैठे काफी समय हो गया है

ताज़ी हवा पानी मिल जाती

🙏👏🌹😊

Bhakt Parv Mittal Hariyana: मुझे जहाँ तक जानकारी है, Christianity की एक विंग है जिसके अनुयायी बहुत ही कम है। वो traditional Christianity में विश्वास नही करते। उनके देवता चन्द्र और अग्नि है, यह माया सभ्यता की तरह आचरण करते है। यही इस प्रकार की बाते करते है। शायद डिस्कवरी चैंनल पर tabbu नाम से एपिसोड आता था उसमें ऐसा कुछ जिक्र था।

Bhakt Amit Singh Parmar Meditation, Gwalior: उन पर किसी हॉलीवुड मूवी का गहरा असर है, और कुछ नही है

Bhakt Parv Mittal Hariyana: यह सही कह रहे हो आप : जो भविष्यवाणियो को देखकर ही अपनी भविष्यवाणी कर रहे है। शायद उन्होंने गगनगिरी जी महाराज की पोस्ट पढ़ ली हो

- Bhakt Dev Sharma Ref Fb: भैया मजाक नही बनाया जा रहा है लेकिन हर चीज़ एक सीमा तक ही उचित होती है यदि फेसबुक में देखिए तो आपको पचासों कल्कि अवतार मिल जाएंगे व एक से एक नमूने उसके बाद समझ नही आता है कि कौन सी जनता है जो उनको फॉलो करती है कम से कम यदि हम आवाज नही उठाएंगे तो हमारे धर्म का क्या होगा 🙏🏻🙏🏻

- Bhakt Parv Mittal Hariyana: रामपाल भी खुद को कल्कि अवतार घोषित करता है। वह नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी का हवाला देता है।

Bhakt Dev Sharma Ref Fb: एक आया था मेरे पास उनकी पोस्ट खुद के वॉल पे लगाया हुआ था लेकिन मुझे उनकी सभी पोस्ट के बारे में जानने की ईक्षा है अंदर से

Bhakt Parv Mittal Hariyana: प्रभु जी फेसबुक पर कुकर, आटा, दाल, झाड़ू, पोछा यह सब क्या चल रहा है🙄🙄😀😀

माता जी कही आपको सामाजिक सेवा के लिये तैयार तो नही कर रहे।😊😊😆😆🥴🥴🥴

धन्य हो प्रभु आप💐💐💐👌👌

Bhakt Dev Sharma Ref Fb: जी भैया ठीक है आज कही बड़े भैया न गुस्सा करे ग्रुप में इतनी बाते हो गई 😇

Bhakt Parv Mittal Hariyana: नही, आजकल विपुल जी झाड़ू पोछा और आटे का ज्ञान अर्जन कर रहे है।

वो क्या है न, होम साइंस सीख रहे है

Bhakt Dev Sharma Ref Fb: 🤣🤣🤣🤣 जी भैया वो तो सभी कर रहे है मैं तो स्वयं अभी पत्ता गोभी काट रहा हु शाम के नाश्ते के लिए 😋

Bhakt Anil Vibhute Thane Dir: लॉक डाउन के चलते समस्त पुरुष जाती को ये ज्ञान हो गया है

Bhakt Parv Mittal Hariyana: पर अपने विपुल जी महान है, और चतुर भी।

अब देखो न, सीधे तो कह नहीं सकते कि यह सब काम कर रहे। इसलिये सबसे प्रश्न पूछ रहे है। और उनके चहेते यह समझ रहे है कि इसमें कोई गूढ़ रहस्य है।

विपुल जी पूछते है होम साइंस में, जवाब मिलता है अध्यात्म में।

गीली सतह को साफ करने में कौन सी झाड़ू काम आएगी?

अब विपुल प्रभु जी इसकी जानकारी लेना चाहते है लेकिन उत्तर मिलता है तप की झाड़ू, जप की झाड़ू🥴🥴🥴

अब स्थिति को कौन समझ सकता है😆😆😆😊😊

माफ कीजियेगा प्रभु जी🙇‍♂️🙇‍♂️🙇‍♂️🙆‍♂️🙆‍♂️🙆‍♂️🙏🙏🙏

17:07 - Bhakt Dev Sharma Ref Fb: वो तो अब आने के बाद ही हम सबको जवाब मिलेगा 🤣🤣 वैसे भैया है प्यारे वो तो है माता के दुलारे है

+91 79828 87645: इनके दिमाग में कुछ विजन आने लगते हैं


मित्रों मुझे आज आपकी परिचर्चा देखकर जो कि आप वत्स के बारे में कर रहे हैं मुझको अच्छा नहीं लगा।

आपको भले ही कितनी अनुभव हो लेकिन आप लोग आध्यात्मिक तो नहीं हैं।

हो सकता है वह इसी और समानांतर दुनिया की बात कर रहा हो या कोई ऐसी बात कर रहा हो  जो हम लोगों की समझ में नहीं आ रही है।

यह भी हो सकता है कि शायद उसके मस्तिष्क में असंतुलन आया हो।

दोनों स्थितियों में हमें हंसी नहीं उड़ानी चाहिए।

यदि हम किसी का उपहास उड़ाते हैं तो इसका सीधा अर्थ होता है हम परमपिता परमेश्वर की कृति पर हंस रहे हैं यानी परमपिता परमेश्वर की ही हंसी उड़ा रहे हैं।

और यदि हम परमपिता परमेश्वर की कृति की हंसी उड़ा रहे हैं तो हम आध्यात्मिक कैसे हुए।

दूसरे की अवस्था की मजाक बनाना इस जगत के सामान्य प्राणियों का कर्म है।

किंतु आप इस ग्रुप के सदस्य हैं जिसका उद्देश्य हमें अध्यात्म मार्ग पर आगे बढ़ाने हेतु निर्मित हुआ है।

कुछ भी हो मुझे आपकी यह वार्ता बेहद अरुचि कर और विषय के भटकाव की लगी।

😞😞

जहां तक मेरा सवाल है मैं कभी एक हास्य कवि भी रहा हूं। टाइमपास के लिए लाक डाउन में मनोरंजन के लिए ऐसे ही कुछ फेसबुक पर डाल रहा हूं।

मैं समझता हूं कि मुझे खाना बनाना आता है। मुझे लगभग सभी काम आते हैं जिनकी आवश्यकता किचन में होती है।

किंतु मेरी पत्नी मुझे कुछ काम नहीं करने देती है।

काम के लिए मुझे झगड़ा करना पड़ता है तब थोड़ा बहुत काम मुझे मिल पाता है।

एक बात और भी बता दूं इस ग्रुप के कई सदस्य होते हैं जिनके गुरुओं के हाथों का बना खाना मैंने खाया है और कभी भी खा सकता हूं।

सभी पुरुषों को चाहिए कि उनको खाना बनाना आना चाहिए आद्यात्तम के मार्ग में यह बेहद आवश्यक है।

स्वामी शिवओम तीर्थ जी महाराज स्वामी विष्णु तीर्थ जी महाराज के साथ रहकर पूरे आश्रम की व्यवस्था देखते थे और मुख्यत: भोजन की।

जब कभी मुंबई आश्रम आते थे और कोई उत्सव होता था तो कोई भी पदार्थ बनने के बाद महाराज जी को चढ़ाया जाता था और महाराज जी उसमें कमी बताते थे इसमें और क्या पड़ेगा।

Bhakt Pallavi: अपनी गलती होने पर व्यक्ति वकील बनता है जबकि दूसरे व्यक्ति की गलती होने पर वह सीधा जज बन जाता है🙏🏻

Bhakt Lokeshanand Swami: कौशल्याजी ने भरतजी को अपनी गोद में बैठा लिया और अपने आँचल से उनके आँसू पोंछने लगीं।

कौशल्याजी को भरतजी की चिंता हो आई। दशरथ महाराज भी कहते थे, कौशल्या! मुझे भरत की बहुत चिंता है, कहीं राम वनवास की आँधी भरत के जीवन दीप को बुझा न डाले। राम और भरत मेरी दो आँखें हैं, भरत मेरा बड़ा अच्छा बेटा है, उन दोनों में कोई अंतर नहीं है।

और सत्य भी है, संत और भगवान में मात्र निराकार और साकार का ही अंतर है। अज्ञान के वशीभूत होकर, अभिमान के आवेश में आकर, कोई कुछ भी कहता फिरे, उनके मिथ्या प्रलाप से सत्य बदल नहीं जाता कि भगवान ही सुपात्र मुमुक्षु को अपने में मिला लेने के लिए, साकार होकर, संत बनकर आते हैं।

वह परमात्मा तो सर्वव्यापक है, सबमें है, सब उसी से हैं, पर सबमें वह परिलक्षित नहीं होता, संत में भगवान की भगवत्ता स्पष्ट झलकने लगती है।

तभी तो जिसने संत को पहचान लिया, उसे भगवान को पहचानने में देरी नहीं लगी, जो एक सच्चे संत की पकड़ में आ गया, वह परमात्मा रूपी मंजिल को पा ही गया।

भरतजी आए तो कौशल्याजी को लगता है जैसे रामजी ही आ गए हों। भरतजी कहते हैं, माँ! कैकेयी जगत में क्यों जन्मी, और जन्मी तो बाँझ क्यों न हो गई ?

कौशल्याजी ने भरतजी के मुख पर हाथ रख दिया। कैकेयी को क्यों दोष देते हो भरत! दोष तो मेरे माथे के लेख का है। ये माता तुम पर बलिहारी जाती है बेटा, तुम धैर्य धारण करो।

यों समझते समझाते सुबह हो गई और वशिष्ठजी का आगमन हुआ। यद्यपि गुरुजी भी बिलखने लगे, पर उन्होंने भरतजी के माध्यम से, हम सब के लिए बहुत सुंदर सत्य सामने रखा।

वशिष्ठ जी कहते हैं कि छः बातें विधि के हाथ हैं, इनमें किसी का कुछ बस नहीं है। और नियम यह है कि अपरिहार्य का, माने उस परिस्थिति का जिसका कोई हल हमारे पास न हो, दुख नहीं मनाना चाहिए।

"हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ।"

Bhakt Lokeshanand Swami: एक बूढ़ा मर रहा था। मरा नहीं था, बस मर ही रहा था। उसके चार बेटे उसके पास ही खड़े थे। उनके नाम थे- सोम, मंगल, बुध, वीर। वह चाहता तो सात बेटे था, पर मंहगाई के चलते चार पर ही संतोष कर लिया था।

ये चार आपस में बात कर रहे हैं-

सोम- भाई! जब पिताजी मर जाएँगे तो उनकी शवयात्रा हम गुप्ता जी की मर्सिडीज़ में निकालेंगे। लोग भी तो देखें कि किसका बाप मरा है।

मंगल- भैया! गुप्ता जी कार दे तो देंगे, पर सारी उम्र सुनाएँगे कि तुम्हारा बाप मरा था, तो मैंने कार दी थी। मैं अपने दोस्त बंटी की होंडा माँग लाऊँगा। होंडा भी कोई छोटी कार नहीं।

बुध- अरे मंगल! मालूम भी है कि होंडा धुलवाना कितना मंहगा है? मैंने कल ही अपनी आल्टो ठीक करा ली है, उसी में ले चलेंगे। कार तो कार है, छोटी हो या बड़ी? और सारी जिंदगी पिताजी ने कंजूसी में बिताई है, क्या यह बात लोग नहीं जानते?

वीर- देखो भैया! बुरा न मानना। आल्टो में पिताजी की लाश ले तो जाएँगे पर फिर हमेशा उसमें बैठते वहम आया करेगा। श्मशान वालों ने इस काम के लिए एक ठेला बनाया हुआ है। अब कार हो या ठेला, मरने वाला तो मर ही गया, तब क्या फर्क पड़ता है?

और जैसा कि मैंने पहले ही बता दिया है की बूढ़ा मर रहा था, मरा नहीं था। वह तो सब सुन रहा था।

वह उठ कर बैठ गया और बोला- मेरी साइकिल कहाँ है? मेरी साइकिल लाओ!

वह उठा, और साइकिल चलाकर श्मशान घाट पहुँच गया, साइकिल से उतरा, साइकिल खड़ी की, भूमि पर लेटा, और मर गया।

लोकेशानन्द कहता है कि यही जगत के संबंधों का ढंग है। प्राण छूट जाने पर इस शरीर को कोई नाम ले कर भी नहीं बुलाता, सभी "लाश-लाश" कहते हैं। अभी भी समय है, प्राण छूटने ये पहले ही अपने असली संबंधी को अपना बना लो। भगवान को अपना बना लो।

Bhakt Parv Mittal Hariyana: अथ श्रीगुरुगीता...

देव किन्नर गन्धर्वाः पितरो यक्षचारणाः।

मुनयोऽपि न जानन्ति गुरुशुश्रूषणे विधिम्॥८४॥

महाहङ्कारगर्वेण तपोविद्याबलान्विताः।

संसारकुहरावर्ते घट यन्त्रे यथा घटाः॥८५॥

न मुक्ता देवगन्धर्वाः पितरो यक्षकिन्नराः।

ऋषयः सर्वसिद्धाश्च गुरुसेवा पराङ्मुखः॥८६॥

अर्थ: देव, किन्नर, गन्धर्व, यक्ष, चारण एवं मुनिगण भी गुरु सेवा की विधि को नही जानते।

जो गुरुसेवा से पराङ्मुख है, वे कभी मुक्त नहीं हो सकते, चाहे वे,  देवता, गंधर्व, पितर, यक्ष, किन्नर ऋषि हो, सर्व सिद्ध गण हो, ये सब तप विद्या- के बल से युक्त होकर महा अहंकार के गर्भ से आवृत होने के कारण, तथा संसार रूपी कोहरे के कारण पूरी तरह से अपनी दृष्टि का उपयोग नहीं कर पाते। जैसे घट यंत्र (रहट) के घड़े भरते हैं, और खाली हो जाते हैं। उनको अपने वास्तविक स्थिति का बोध नहीं होता, कि वे स्थिर होने पर जल को अपने भीतर टिका कर भी रख सकते हैं।।

व्याख्या: यहां सेवा धर्म की गहराई पर विचार किया गया है। वैसे सेवा धर्म के बारे में उक्ति है कि "सेवाधर्म: परम गहनो योगिनाम्प्यगम्य:" सेवा धर्म योगियों के लिए भी अगम्य है- अर्थात योगियों के लिए भी उसे सिद्ध करना, उस मार्ग पर चलना बहुत कठिन है। उपरोक्त श्लोक में उसको और भी अगम्य सिद्ध करते हुए, देवता, गंधर्व, किन्नर, पितर, यक्ष, चारण एवं मुनिगणों द्वारा भी गुरु सेवा की विधि जानने में असमर्थता प्रकट की गई है।

ऊपर कही गई सभी जातियां अपने अपने गुणों और अधिकारों के लिए प्रसिद्ध है, अधिकार और गुणों के अभिमान होने पर सेवा का महत्व जाना ही नहीं जा सकता। अधिकारी और व्यक्ति सेवा लेते हैं, करते नहीं जब सेवा करते ही नहीं, उसकी विधि कैसे जानेंगे यही श्लोक का निष्कर्ष है।

प्रस्तुत श्लोक में फिर से सेवा का महत्व बताते हुए कहा है कि उस सेवा धर्म से पराङ्मुखता होने पर मुक्ति लाभ के अधिकारी नहीं होते, वे चाहे देवता, गंधर्व, किन्नर, पितर, यक्ष, ऋषि, सर्व सिद्ध गण ही क्यों ना हो। उसका कारण बतलाते हुए, स्पष्ट कर रहे हैं, "सेवा  पराङ्मुखता" का कारण उन उन जातियों में, या वर्ग में, उनके तप का, विद्या का, बल का अहंकार रूपी पर्दा पड़ा हुआ होने के कारण, संसार के आकर्षण रूपी कोहरे के कारण, गुरु सेवा का महत्व दिखाई नहीं देता, अतः मुक्ति से वंचित रहते हैं। यहां घट यंत्र की उपमा देकर समझाया गया है कि, यंत्र अपने दायरे में एक सीमा में घूमता रहता है,इसी प्रकार यह सब जातियां अहंकारवश  सेवा से पराङ्मुख होकर, संसार चक्र में घूमती रहती है।।

Hb 96 A A Dwivedi: यह भगवान शिव और माता पार्वती के बीच का संवाद है जिसमें मां पार्वती जी ने भगवान शिव ने मुक्ति का उपाय पूछा तो भगवान शिव ने जो कहा उस संवाद को रोज पर्व जी भेज रहे हैं।।

यह शिव पुराण में गुरु गीता का वर्णन है

लोगों को जानकारी हेतु👆😊🌹🙏🙏

Swami Prkashanand Shivohm Ashram Mathura: पीस ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय संगठन  सदस्य बने शिवोहम आश्रम के संस्थापक बालयोगी संत स्वामी प्रकाशानंद

https://youtu.be/U_I166aruJQ

http://freedhyan.blogspot.com/2019/08/blog-post_26.html?m=1

प्रभु जी मैं न सन्यासी हूं न मैं गुरु हूं न मैं कोई बाबा हूं मैं तो एक इंजीनियर हूं पेशे से जो प्रभु कृपा से गुरु कृपा से आप लोगों की कुछ सेवा कर पाता है।

Bhakt Pallavi: Packaging vs spirituality

आधुनिक जीवन में हम जिन वस्तुओं का उपयोग करते हैं उनमें से अधिकतर वस्तुएं हमें पेक्ड रूप में मिलती हैं जोया तो कागज की पैकिंग में होती हैं या फिर प्लास्टिक की पैकिंग में अथवा कांच की पैकिंग में यदि हम प्रकृति को भी एक पैकेजिंग प्रक्रिया की तरह देखें तो हम समझेंगे की वह अब तक की सर्वश्रेष्ठ तकनीकी है हमारा शरीर भी एक तरह से एक प्रकार की पैकेजिंग है जो हमारी आत्मा के ऊपर की गई है परंतु हमें इसे समझने के लिए और इससे बाहर निकलने के लिए विभिन्न विधियों का ज्ञान होना आवश्यक है... 🙏🏻



 
 
 
 
 
 

No comments:

Post a Comment

 गुरु की क्या पहचान है? आर्य टीवी से साभार गुरु कैसा हो ! गुरु की क्या पहचान है? यह प्रश्न हर धार्मिक मनुष्य के दिमाग में घूमता रहता है। क...