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Monday, June 11, 2018

तुलसी के विवादित दोहे के वास्तविक अर्थ

  तुलसी के विवादित दोहे के वास्तविक अर्थ 



विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल वैज्ञनिक ISSN 2456-4818
 वेब:   vipkavi.info , वेब चैनल:  vipkavi
 फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"  
ब्लाग : https://freedhyan.blogspot.com/


 

तुलसीदास के दोहे 

ढोर गंवार क्षुद्र पशु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी।।

इसपर हर जगह महामूर्ख विद्द्वान तुलसीदास पर मनुवादी, स्त्री विरोधी पता नही क्या क्या आरोप लगाते है। मैं इस संदर्भ में अपने विचार रखना चाहता हूँ।

एक बात याद रखें कोई भी कवि सिर्फ एक अर्थ लेकर काव्य सृजन करता है पर लोग अपनी समझ के अनुसार विभिन्न व्याख्याएं करते है। किसी भी कवि की व्याख्या के पहले उसका चाल चरित्र और सोंच पर भी विचार कर अपना मत देना चाहिए।

तुलसीदास ने अपनी पत्नी को अंत मे गुरू का दर्जा दिया था। मीरा को सम्मान दिया था और एक गणिका तक को ज्ञान दिया था। प्रत्येक स्त्री को माँ का दर्जा देनेवाले तुलसी कभी स्त्री अत्याचार और उत्पीड़न की बात कर ही नही सकते। अतः जो यह सोंचते है वह पढ़े लिखे महामूर्ख की श्रेणी में आएंगे।

ये चौपाई उस समय पर समझाने हेतु कही गई है जब लंका पर चढाई करते समय पुल बांधना था। उस समय समुद्र  द्वारा श्री राम की विनय स्वीकार न करने पर जब श्री राम क्रोधित हो गएऔर अपने तरकश से बाण निकाला जिसके कारण भय  के  कारण  समुद्र देव …. श्री राम के चरणो मे आये और श्री राम से क्षमा मांगते हुये अनुनय करते हुए कहने लगे कि…. – हे प्रभु – आपने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी।  ये लोग विशेष ध्यान रखने चाहिये और पूरा जांच और परखना यानी सकल ताडना चाहिये। जिसके कारण समय और मर्यादा की रक्षा हो जायेगी। 

अब इसके अर्थ देखे।

ढोलक जब आप इसको खरीदते है तो इसको ठोक पीट कर देखते है, रस्सियों का तनाव इत्यादि देखते है, बजाने के पहले इसको परखते है, गंवार यानि बिना पढ़ा लिखा अज्ञानी व्यक्ति कुछ समझ नही सकता। उसको आप कुछ भी समझाएंगे वह न समझेगा। क्या आप उससे मित्रता कर लेंगे। किसी से मित्रता करने के पूर्व आप उसको परखते है। 

शूद्र यानि कार्मिक, सेवक को आप बिना जाने बूझे अपनी सेवा में लगा लेंगे क्या। एक बाई रखने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन लगता है। यानी सेवक अर्थात शूद्र को रखने के पहले आप कितना अधिक परखते है। 

क्या किसी भी जानवर को आप ऐसे ही खरीद लेते है। बिना उसके ब्रीड को जाने। कदापि नही कुत्तों की तो कई पीढ़ियों के जानकारियो के हिसाब से दाम लगते है। 

क्या आप अपने बेटे की शादी किसी भी बिना जानी बुझी लड़की यानी स्त्री जाति से कर देते है। कदापि नही।

बस यही बात तुलसी ने ज्ञान के आदान प्रदान में कही है।

ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, और स्त्री जात से सम्बन्ध बंनाने के पूर्व पूरा का पूरा जांच परख लीजिए।  बिना इनको ताड़े यानी परखे इनसे व्यवहार न करे। सम्बन्ध न बनाये।

इसके यह वास्तविक अर्थ बैठते है। पर आधुनिक हिंदी के विद्द्वान जबरिया अपनी बुद्दी से अर्थ का अनर्थ बनाते है।


"MMSTM सवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  देवीदास विपुल

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