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Wednesday, October 10, 2018

माँ दुर्गा की पूजा से हो जाती है सभी देवों की पूजा



माँ दुर्गा की पूजा से हो जाती है सभी देवों की पूजा

सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
 वेब:  vipkavi.info वेब चैनलvipkavi
फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"


आदि शक्ति दुर्गा माँ की पूजा अर्चना से समस्त देवी देवता प्रसन्न हो जाते है। दुर्गा सप्तशती मे बताया गया है कि तीनो लोको के कल्याण के लिए किस तरह देवी दुर्गा माँ का अवतरण हुआ है और देवी माँ दुर्गा की ही आराधना से सभी मुख्य देवी देवताओ का आशीष साधक को प्राप्त होता है |

देवताओ की वेदना पर त्रिदेव और देवताओ के तेज से भगवती का अवतार हुआ था। श्री दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय से जब दानव राज महिषासुर ने अपने राक्षसी सेना के साथ देवताओ पर सैकड़ो साल चले युद्ध में विजय प्राप्त कर ली और स्वर्ग का राजाधिराज बन चुका था | सभी देवता स्वर्ग से निकाले जा चुके थे | वे सभी त्रिदेव (बह्रमा विष्णु और महेश) के पास जाकर अपने दुखद वेदना सुनाते है | पूरा वर्तांत सुनकर त्रिदेव बड़े क्रोधित होते है और उनके मुख मंडल से एक तेज निकलता है जो एक सुन्दर देवी में परिवर्तित हो जाता है | भगवान शिव के तेज से देवी का मुख , यमराज के तेज से सर के बाल, श्री विष्णु के तेज से बलशाली भुजाये , चंद्रमा के तेज से स्तन , धरती के तेज से नितम्ब, इंद्र के तेज से मध्य भाग , वायु से कान , संध्या के तेज से भोहै, कुबेर के तेज से नासिका, अग्नि के तेज से तीनो नेत्र। ये सब मिलकर प्रकट होकर एक स्त्री का रूप लेकर मां दुर्गा के रूप में अवतरित हुये। 

शक्ति का संचार देवी दुर्गा में करने हेतु शिवजी ने देवी को अपना शूल , विष्णु से अपना चक्र , वरुण से अपना शंख , वायु ने धनुष और बाण , अग्नि ने शक्ति , बह्रमा ने कमण्डलु , इंद्र ने वज्र, हिमालय ने सवारी के लिए सिंह , कुबेर ने मधुपान , विश्वकर्मा में फरसा और ना मुरझाने वाले कमल भेट किये , और इस तरह सभी देवताओ ने माँ भगवती में अपनी अपनी शक्तियां प्रदान की |

इन सभी देवताओ के तेज से देवी दुर्गा में रूप के साथ साथ शारीरिक और मानसिक शक्ति का भी संचार होता है | देवता ऐसी महाशक्ति महामाया को देखकर पूरी तरह आशावान हो जाते है की महिषासुर का काल अब निकट है और देवताओ का फिर से स्वर्ग पर राज होगा |

माँ दुर्गा ने महिषासुर और उसकी सम्पूर्ण सेना का वध करके देवताओ को फिर से स्वर्ग दिला दिया | माँ के जय जयकार तीनो लोको में हुई |

तब से जो भी व्यक्ति सच्चे मन से माँ दुर्गा की आराधना करता है उसे सभी देवताओ का आशीष मिलता है | माँ दुर्गा के नव रूप की पूजा के लिए नवरात्रि त्यौहार मनाया जाता है | घर घर में कलश स्थापना की जाती है और रात्रि में माँ दुर्गा का जागरण किया जाता है


कहने को यह एक काल्पनिक कहानी लग सकती है। नास्तिक और आधुनिक विज्ञानी इस बात का उपहास उडा सकते हैं। पर मैं यह दावा करता हूं कि कोई भी मनुष्य यदि मां का पाठ कर मां के मंत्र का सतत निरंतर जाप करता है तो उसको वह अनुभव और ज्ञान प्राप्त हो जाता है जो अदिव्तीय और अवर्णनिय होता है। फिर इसके बाद विज्ञान की लघुता और सीमा मालूम पड जाती है। कारण साफ है कि विज्ञान यानी विषय और वाहिक जगत का विज्ञान पर आध्यात्म अंदर की बात जो विज्ञान कभी भी नाप नहीं सकता।

चलिये इस नवरात्रि को नव जीवन हेतु एक नया प्रयोग करं और मां की आराधना में लीन हो जायें।

जय महाकाली गुरूदेव। 


क्षमा प्रार्थना

           विनतीकार: विपुल लखनवी नवी मुंबई  
                               9969680093                 

हे परमेश्वरी दया कर देना मेरी भूल क्षमा कर देना।
द्वारे तेरे आन पडे माँ द्वार खोल माँ  शरणी लेना।।
                    हे परमेश्वरी दया कर देना।

तुम ही व्यापो सकल जगत मेँ जलथल त्रैलोकी त्रिभुवन मेँ ।  
हम पापी अज्ञानी प्राणी पाप नाशनी पापोँ को धोना।।
                     हे परमेश्वरी दया कर देना।

जित देखूं माँ दृष्टि तुम्हारी विश्वरूप माँ जग बलिहारी।
बहु विधि जग डरपाय माता कष्ट नाशनी दुख हर लेना।
                       हे परमेश्वरी दया कर देना।

शुम्भ निशुम्भ महिषासुर हन्ता शक्ति रूप माँ जगत नियन्ता।
शक्तिहीन हम बालक तेरे शक्ति स्वरूपा शक्ति को देना।।
                            हे परमेश्वरी दया कर देना।

आदिदेव सब देवो से प्रकटी दुष्ट दलन आतुर  माँ दृष्टि ।
बुद्धिहीन  हम पापी जग मेँ बुद्धि स्वरूपा बुद्धि को देना।।
                          हे परमेश्वरी दया कर देना।

रूप महामाया को धारा असुर निकन्दन देव सुधारा।
हम भयभीत जगत से माता रौद्र रूपणी भय हर लेना।
                     हे परमेश्वरी दया कर देना।

मातु शारदे प्रकटी तुमसे ज्ञान धारा फूटी कर से।
हम अज्ञानी मंदमति है ज्ञान दायनी ज्ञान को देना है।।
                    हे परमेश्वरी दया कर देना।

असुर भक्षणी महाकाली तुम ममता रूप सरित प्रेमा तुम ।
है अनाथ विपुल माँ तेरे अब प्रकटो  माँ दर्शन देना।
हे परमेश्वरी दया कर देना मेरी भूल क्षमा कर देना ।
                          (भजन संग्रह “भज मन भाव मन”, 2002 से) 



 (तथ्य, कथन गूगल से साभार) 


"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :  https://freedhyan.blogspot.com/

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