(समध्यावि)
क.
आस्तिक, सगुण, साकार, द्वैत उपासक हेतु
यह विधि पूर्ण
वैज्ञानिक है जिसमें आपकी एकाग्रता, शारीरिक क्षमता क्षमता, इंद्रियो की तीव्रता, आपकी सोंच और विचार, मनोविज्ञान और विश्वास की नींव सहायक होती है। आपकी सकारात्मक सोंच परिणाम
का समय कम करती है।
विधि: पहले सामान्य तैयारी करे
एक छोटे स्टूल पर या स्वच्छ जमीन पर अपने इष्ट देव
को स्थापित करे। सामने बीचोबीच एक दीपक देशी घी का जलाकर रख दे।
यह सब तब करे जब वातावरण शांत हो। सब सो चुके हो। रात
10 बजे
या और बाद। शोर गुल न हो सन्नाटा हो। यह सब पहली बार के लिए है।
आपको जो देव अच्छा लगें उसका मन्त्र जो प्रिय लगे।
उसे एक कागज पर सुंदर तरीके से लिखकर रोली इत्यादि से पूजाकर पूड़ी बनाकर प्रभु के
चित्र के सामने रख दे।
प्रभु को पूजन करे अपने टीका लगा ले।
बेहतर है आप बाई तरफ पत्नी को भी बैठाल कर उसके
मनपसन्द मन्त्र देव का मन्त्र लिखकर रखवा दे। पत्नी को जबरदस्ती न करे। जो उनको
पसन्द हो वो ही मन्त्र उनका।
अब दोनों लोग कुछ दूर बैठ जाये। हा आसन ऊनी ही हो।
कम्बल इत्यादि जो साफ हो किसी और काम में न प्रयोग हो।
सर्वप्रथम अपने मंत्र को पढते हुये शरीर के पंच
महाभूतो को नमन करने हेतु
मंत्र पढे और बोले इति श्री वसुन्धराय नम: (भुमि को नमन करे)
मंत्र -------- इति श्री जल तत्वम देवेभ्यो नम:
(जल को स्पर्श कर नमन करे)
मंत्र --------- इति श्री पवन तत्वम देवेभ्यो नम: (एक बार लम्बी सांस ले और
धीरे से छोडे, मन में नमन का भाव हो)
मंत्र --------- इति श्री अग्नि तत्वम देवेभ्यो नम: (एक बार लम्बी सांस ले
और धीरे से छोडे, मन में नमन का भाव हो, पेट पर हाथ
फेरते जाये)
मंत्र --------- इति श्री आकाश तत्वम देवेभ्यो नम: (ऊपर देखते हुये प्रणाम
करें)
यह प्रार्थना इस लिये कि ध्यान में हमारे शरीर के पंच महाभूत सहायक हो और
कोई विघ्न न उपस्थित करें।
अब आप अपने नेत्र बन्द करे और फोटो को दो मिनट घूरे।
फिर नेत्र बन्द कर उस चित्र को माथे के बीचोबीच देखने का प्रयास करे। यह 3 बार
या अधिक बार करे।
अब जिनके कान तेज है यानी जिनके कानों में सुनी हुई
ध्वनि बाद में सुनाई देती हो। या जिनकी नाक तेज हो जिनको सुगन्ध का एहसास रहता हो।
वह नाक या कान पर ध्यान दे।
नही तो कुछ न करे।
सीधे अपने पसंदीदा मन्त्र को 5 बार
जोर से चिल्लाकर बोले। इतने जोर से कि सर हिल जाए।
अब आप अपना मन्त्र जप चालू कर दे। बीच बीच चित्र
देखते जाए और नेत्र बन्द कर ध्यान में चित्र देखे।
यह आपको पहली बार ही करना है। अब आप यह मन्त्र
निरन्तर जपे।
यदि चाहे तो रोज भी यह कर सकते है पर पहली बार जरूरी
है।
यदि कुछ अनुभव हो । भय लगे। सिहरन हो। रोंगटे खड़े हो।
ध्वनि सुगन्द आये तो डरे नही। और भी कुछ हो तो भी भयभीत न हो। जोर बोल ले या सनातन पुत्र का वास्ता बोलें
डर गायब हो जाएगा।
मुझसे सम्पर्क बनाये रहे। आपकी समस्या हल होती रहेगी। जब समय आएगा तो आपको मैं
आपके गुरु के द्वार तक पहुँचा दूंगा।
यदि आप चाहे तो साथ मे नाक की सांस पर ध्यान देकर मन्त जप करे।
कान पर ध्यान देकर अपना मन्त्र बीच बीच में रोककर
सुनने का प्रयास करे।
बेहतर है घर मे सबको बता दो भाई आज पूजा कर रहा हूँ।
इसको सुबह 4 बजे भी कर सकते है। यह सब घर पर ही
करे बाहर नहीं।
इसके बाद प्रभू
दक्षिणा समझकर गौ को गरीब को भोजन करा कर धन से सहायता कर दे। एक रोटी गाय को खिला
देना।एक गडडी साग खिला देना।
मित्रो बिना
दक्षिक्षा के कार्य पूरे होने में विघ्न आ सकते हैं। अत: दक्षिणा जरूरी
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