सचल मन वैज्ञानिक ध्यान की विधियां
(समध्यावि)
मुस्लिम हेतु
अल्लाह के अनुभव हेतु सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि का विवरण।
यह विधि उनके लिए है जो निराकार अललाह मानते है। इसके करने से उनके दिमाग
को आराम। नींद गहरी और अच्छी आएगी। कार्य कुशलता बढ़ जाएगी। यह मेरा दावा है।
विधि: पहले सामान्य तैयारी करे
एक छोटे स्टूल पर या स्वच्छ जमीन पर अल्लहरहीम लिखा चित्र या केवल अललाह लिखा हुआ चित्र
का या शीशा यानी दर्पण आईना रख दे ताकि आपकी शक्ल पूरी साफ साफ
दिखे।
सामने बीचोबीच एक दीया जलाकर रख दे।
यह सब तब करे जब वातावरण शांत हो। सब सो चुके हो। रात 10 बजे या और बाद। शोर गुल न हो सन्नाटा हो। यह सब पहली बार
के लिए है।
आप अपना नाम एक कागज पर सुंदर तरीके से लिखकर सिर से लगाकर पूड़ी
बनाकर चित्र के सामने रख दे।
चित्र को नमस्कार करे और अपने सर पर अललाह को याद कर हाथ फेर ले।
हा आसन ऊनी ही हो। कम्बल इत्यादि जो साफ हो किसी और काम में न प्रयोग हो।
अब आप अपने नेत्र बन्द करे और चित्र में दो मिनट घूरे। फिर नेत्र बन्द कर चित्र को माथे के बीचोबीच देखने का प्रयास करे। यह 3 बार या अधिक बार करे।
अब जिनके कान तेज है यानी जिनके कानो । कानों में सुनी हुई ध्वनि बाद में सुनाई
देती हो। या जिनकी नाक तेज हो जिनको सुगन्ध का एहसास रहता हो। वह नाक या कान पर
ध्यान दे।
नही तो कुछ न करे।
इसके बाद अल्लहरहीम 5 बार जोर से चिल्लाकर बोले।
इतने जोर से कि सर हिल जाए।
अब आप अल्लहरहीम मन्त्र जप चालू कर दे। बीच बीच चित्र देखती जाए। और नेत्र
बन्द कर ध्यान में चित्र देखे।
यह आपको पहली बार ही करना है।अब आप यह नाम मन्त्र निरन्तर जपे।
यह वैज्ञानिक विधि है। यदि चाहे तो रोज भी कर सकते है। पर पहली बार जरूरी
है।
यदि कुछ अनुभव हो । भय लगे। सिहरन हो। रोंगटे खड़े हो। ध्वनि सुगन्द आये तो
डरे नही। और भी कुछ हो तो भी भयभीत न हो। जोर बोल ले या सनातन पुत्र का वास्ता बोलें
डर गायब हो जाएगा।
मुझसे सम्पर्क बनाये रहे। आपकी समस्या हल होती रहेगी। जय
यदि आप चाहे तो साथ मे नाक की सांस पर ध्यान देकर मन्त जप करे।
कान पर ध्यान देकर अपना मन्त्र बीच बीच में रोककर सुनने का प्रयास करे।
घर मे सबको बता दो भाई आज इबादत कर रहा हूँ।
इसको सुबह 4 बजे भी कर सकते है। यह सब घर पर ही करे।
इसके बाद जकात समझकर गौ को या गरीब को भोजन करा कर धन से सहायता कर दे। एक
रोटी गाय को कुत्ते को खिला देना। एक गडडी साग खिला देना। मित्रो बिना जकात के
कार्य पूरे होने में विघ्न आ सकते हैं। अत: जकात जरूरी है।
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