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Tuesday, April 3, 2018

क्या सात की जगह नौ चक्र होते हैं



क्या सात की जगह नौ चक्र होते हैं 
                             

विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल वैज्ञनिक ISSN 2456-4818
 वेब:   vipkavi.info , वेब चैनल:  vipkavi
 फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"  
ब्लाग : https://freedhyan.blogspot.com/

            शरीर के चक्रो पर कुछ बात एक दम ताजी। शोध का विषय। शायद कही मिले। आप विद्वान भी कुछ बताये। जानने की कोशिश करे।
मैं यह गलत या सही राम जाने महसूस कर पाया हूँ। कि चक्र सात होते है पर द्वार 9 होते है।
             यानी 7 चक्रो के द्वार दो और अर्ध चक्र या मात्र द्वार।
          वह यू कि सहस्त्रसार के ऊपर ब्रह्म रन्ध के बाद आगे चक्रो का धागा झुककर ध्यान चक्र तक आता है। तो ब्रह्मरन्ध्र के एक दो अंगुल आगे शिव पार्वती चक्र या ज्ञान चक्र होता है जो गुलाबाँस के फूल जैसा लम्बा धागा होता है। जहाँ सब ज्ञान भरा होता है। 

           फिर उसके दो तीन अंगुल आगे यानी मत्थे और सिर के जुड़ाव जहां महिलाएं सिंदूर आरम्भ करती है। वहां पर वलयानुमा घूमता हुआ चक्र और उसके बीच एक छिद्र जो रुद्र चक्र या अमर चक्र जहाँ पर ध्यान करने से अमरता मिल जाती है। शायद जो महावतार बाबा ने जागृत कर ली थी। आप देखे वह हमेशा पुतलियां ऊपर की ओर रखते है। यहाँ से मृत्यु का निर्माण रुद्र करते है। यहाँ पर यदि सिध्द हो तो कभी भी मृत्यु न हो।
               क्या ऐसा है। क्या यह गुप्त चक्र है। कृपया बताएं।
              ध्यान चक्र में धारणा ॐ की करो।  ॐ सुनाई देगा।
              यह वास्तव में ध्यान चक्र जो तितली के पंखों की भांति कुछ कुछ हाथी के कानों की तरह होते है। 

            उसी के मध्य सिर और मत्थे के बीच यह चक्र होता है। यहाँ लाल बैगनी नीले मिश्रित रंगों में कई धागे नुमा वलय जो घूमता है कुछ कुछ कम्प्यूटर ग्राफिक्स की तरह। बीच मे छेद होता है।
               यहां पर सम्भवतया ज्ञान पुष्प पर शं और रुद्र द्वार पर वीं वर्ण हो। इसके नीचे ही होता है तीसरा नेत्र जो भविष्य को बता जाता है। 
आगे और क्या शोध होना है यह तो राम जाने। पर आप लोग भी शोध कर बताये।

                                                          हरि हरि 




  "MMSTM सवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  देवीदास विपुल 


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