क्या हैं
उपनिषद
सनातनपुत्र देवीदास विपुल
"खोजी"
विपुल सेन उर्फ विपुल “लखनवी”,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक
एवं कवि
सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल
“वैज्ञनिक” ISSN
2456-4818
वेब: vipkavi.info वेब चैनल: vipkavi
फेस बुक: vipul luckhnavi
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उपनिषद ज्ञान विज्ञान हैं। हिंद का अभिमान हैं॥
सुलझी वाणी वेदों की। जीवन मूल्य गान हैं॥
सन्मुख इनके बैठे जो।
अन्तस को समेटे वो॥
ईश क्या बतलाते हैं।
जगत को समझाते हैं॥
तम अज्ञान नष्ट कर। ज्ञान
दीप जलाते हैं॥
आत्मबोध होता क्या। सदानन्द
पहिचान हैं॥
उपनिषद ज्ञान विज्ञान
हैं। हिंद का अभिमान हैं॥
सुलझी वाणी वेदों की।
जीवन मूल्य गान हैं॥
सृष्टि वृष्टि निर्माण की। तपश्च और निर्वाण की॥
आत्म के प्रति आवलम्ब की। जगत के स्वालम्ब की॥
सत्य मार्ग विश्रांति की। मिटे हर भ्रांति की।
अज्ञान और दु:ख की। होलीका का भान हैं॥
उपनिषद ज्ञान विज्ञान हैं। हिंद का अभिमान हैं॥
सुलझी वाणी वेदों की। जीवन मूल्य गान हैं॥
सृजनकारक कौन है। ढूढे जग वह मौन है॥
समस्त उसी के रूप हैं। हर दिशा जो भूप हैं॥
जल में थल में नभ वायु में। जो देखे स्वरूप हैं॥
अहमब्रह्म तत्वंअसि। प्रज्ञान ब्रह्म ये ज्ञान हैं॥
उपनिषद ज्ञान विज्ञान हैं। हिंद का अभिमान हैं॥
सुलझी वाणी वेदों की। जीवन मूल्य गान हैं॥
इनको यदि जान लो। इतना तुम मान लो॥
मुक्ति तेरी साध्य है। मिले वह असाध्य है॥
अंतर की यात्रा कर। अनूभुति गागर भर॥
जीवन मृत्यु चक्र क्या। मृत्यु मंगलगान है॥
उपनिषद ज्ञान विज्ञान हैं। हिंद का अभिमान हैं॥
सुलझी वाणी वेदों की। जीवन मूल्य गान हैं॥
विपुल तो धन्य हुआ। प्रकट जब यह हुआ॥
वर्णानातीत जो मिला। कमल मय का खिला॥
शांति के समुद्र में। जीव जाकर मिला॥
कृपा मिली महाकाली की। गुरू का वरदान है॥
उपनिषद ज्ञान विज्ञान हैं। हिंद का अभिमान हैं॥
सुलझी वाणी वेदों की। जीवन मूल्य गान हैं॥
(तथ्य कथन गूगल साइट्स इत्यादि से साभार)
"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक
विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी
न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग
40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके
लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6
महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।" सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :
https://freedhyan.blogspot.com/
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