आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप 4 सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 36 (निशुल्क प्रशासनिक कोचिंग)
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Regards
Dhanyawad
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विशेष सूचना:
मित्रों मेरे ब्लॉग पर 412 लेख है जो प्रभु कृपा से बढ़ते जाएंगे।
इनके अवलोकन की संख्या 87 हजार तक पहुंच गई है।
अतः मैंने अपने ग्रुप के सदस्यों द्वारा की गई चर्चा को यथावत स्थान देकर कुछ भागों में बांटा है और लेख का रूप दिया है।
जिन सदस्यों ने चर्चा में समय-समय पर भाग लिया है अब उनका नाम इस ब्लॉग में दर्ज हो गया है कृपया उनको देखकर अपनी टिप्पणी से अवगत कराने का कष्ट करें।
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http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/blog-post_40.html?m=0
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शात्रं तस्य करोति किम् |
लोचनाभ्याम् विहीनस्य दर्पण: किं करिष्यसि ||
जिस मनुष्य में स्वयं का विवेक, चेतना एवं बोध नहीं है, उसके लिये शास्त्र क्या कर सकता है । ऑंखों से हीन अर्थात अन्धे मनुष्य के लिये दर्पण क्या कर सकता है |
What is use of knowledge to a person who does not have intellectual capacity? what is use of mirror to a person who is blind? Here, the Subhashkar has given an excellent analogy. He says that, knowledge is like a mirror, which reflects world in it. Indeed knowledge is something through which we perceive the world.
*शुभोदयम् ! लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*
http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/1.html?m=0
यक्ष विपुल बात:
गलतियां करना मानव का स्वभाव लेकिन जो समझदार होता है वह गलतियों से सीख जाता है और अगली बार वह गलती ना होने का प्रयास करता है लेकिन जो नासमझ होता है वह बार-बार वही गलती करता है और कुछ सीख नहीं पाता।
यह अति आवश्यक नहीं कि हम जो सोचते हैं वही सही है और सामने वाला भी हमारे ही सही को सही मानकर सही काम करने लगेगा।
आए दिन मारपीट दंगे फसाद होते रहते हैं क्यों होते रहते हैं क्योंकि लोगों की विचारधाराएं आपस में टकराती है कोई राज करना चाहता है कोई मनमानी करना चाहता है जिस दिन इस मानव को यह समझ में आ जाएगा कि यह जगह सभी माटी के पुतलों से बना हुआ है जो कुछ क्षणों के लिए प्रकट हुआ है बाद में इसको नष्ट होना है उस दिन शायद वह प्रेम से रहना सीख ले।
इसीलिए महात्मा बुद्ध ने सम्यक की बात करी है और भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्थिर बुद्धि और स्थितप्रज्ञ की बात करी है।
Swami Toofangiri Bhairav Akhada: संसार भर में रह रहे सभी सनातनी बच्चों को बहुत-बहुत आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं आप लोगों के लिए एक विशेष जानकारी देना चाहता हूं कल 13 sep 2020 दिन रविवार को 12 की 12 राशियां कुंडली के हिसाब से जो भी ग्रहों के अपने पक्के घर हैं वह अपने अपने घर में विराजमान हो रहे हैं जोकि इस तरह का योग आज से पहले 1825 में बना था कल फिर वही योग दोबारा बन रहा है और जो हर राशि के लिए बहुत ही शुभ है
एक विशेष उपाय
सबसे पहले आप नहा धोकर शुद्ध होकर शुद्ध वस्त्र पहन कर स्वच्छ आसन ग्रहण कर पूर्व दिशा की तरफ मुख कर के आप लोग थोड़ी सी गेहूं की ढ़ेरी लेकर उसके ऊपर देसी घी का दीपक जलाएंगे और आप जिसकी भी पूजा करते हैं यानी अपने इष्ट का ध्यान करते हुए 2 घंटे तक लगातार जाप करेंगे जिसका समय सुबह 11:00 बजे से लेकर दोपहर 1:00 बजे तक रहेगा आप जो भी मनोकामना लेकर पूर्ण समर्पण के साथ पाठ करेंगे वह आपके इष्ट आपके देवता आप की पुकार जरूर सुनेंगे और आपकी जिंदगी से हर मुश्किल का समाधान होगा
जय मां बगलामुखी जय मां पितांबरा
डॉक्टर नीलेंद्र गौतम { संस्थापक मां बगलामुखी तपोस्थली गढ़मुक्तेश्वर उत्तर प्रदेश }
स्वामी तूफान गिरी जी महाराज { मां बगलामुखी उपासक एवं सनातन धर्म रक्षक } श्री पंच दशनाम भैरव जूना अखाड़ा सिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी हिमाचल प्रदेश
Jb Ashutosh C: If you wait for happiness you will wait forever.But if you start believing that you are Happy you will be Happy forever.
+91 96374 62211: 👉 _अवश्य देखें !_
*हिन्दू धर्म की महानता समझानेवाले और भक्तिभाव बढानेवाले ऑनलाइन सत्संग*
🌸 भावसत्संग : *भोले भाव मिले रघुराई*
🔅 *नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध क्यों, कहां और कैसे करते हैं ?*
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Fb Yashodhara Sharma: मैं जानना चाहती हूँ कि क्या प्रक्रिया करने से ये रौशनी ठहरेगी। में कुछ करती नहीं हूँ। सामान्य पूजा करती हूँ। न प्राणायाम न योग
देखिए यह ध्यान की परपक्वता में मध्यम श्रेणी की प्रगति है।
सफेद रंग का प्रकाश दिखाई देना और उसका पीछा करना तो एक गुफा की तरीके से उसके अंदर चले जाना और बाद में उसका लुप्त हो जाना उसका आना-जाना यह सब होता है।
आध्यात्मकी दृष्टि से यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं है जब तक में आपको सूर्य की भांति किसी ज्योति के अनुभूति नहीं होती है।
साकार आराधना करने वाली जब किसी ईस्ट का मंत्र जप करते हैं तो वह इष्ट भी आकर खड़ा हो सकता है।
मैंने आपसे इसलिए पूछा था कि मैं आपको आगे की प्रक्रिया के बारे में बता सकूं।
आपका इष्ट देव कौन है।
मतलब आपका क्या कोई कुलदेव है या जिस देव को आज संकट में याद करती हो या जिसका मंत्र करती हो या जिसकी पूजा करती हो।
Fb Yashodhara Sharma: इष्ट ने तो स्वयं मुझे प्रेरित किया है स्वप्न में दर्शन देकर और फिर में पूजा करने लगी
भगवान शंकर मेरे इष्ट देव है🙏
हर हर महादेव
Fb Yashodhara Sharma: मैं एक बार इच्छा पूर्ति के लिए एक मज़ार पे चादर चढ़ाने चली गयी थी।जाते समय भी मेरा मन अशांत था मुझे रोना भी आ रहा था की ब्राह्मण होकर ऐसे प्रार्थना करनी पड़ी
आप पूजा में क्या करती है।
मतलब क्या है शिव का मंत्र जपती है।
Fb Yashodhara Sharma: लौटी तो वो खुशबु मेटे साथ चली आई
मैं डरने लगी
तो एक दिन भगवन ने स्वप्न दर्शन दिए
किसी ने कहा य ेधूत पापेश्वर है
यह वास्तव में बहुत ही दुखद है कि हमारे सनातन में इतने शक्तिशाली देव है शक्तिशाली मन्त्र है यह सब होकर हम कब्रों की पूजा करते हैं।
जो आपने किया उसको भूल जाइए।
अब मैं आपसे जो निवेदन करता हूं उसको आप आगे करिए
Fb Yashodhara Sharma: और फिर मैंने बनारस जाकर शिव मंदिर में अभिषेक किया
यह सुंदर बात है कि आपके इष्ट शिव हैं।
क्या आप रात्रि को 40 मिनट अपने घर पर ध्यान दे दे सकती है।
रात्रि में लगभग 10:00 बजे के बाद जब पूरा वातावरण शांत हो चुका हो।
Fb Yashodhara Sharma: हा कर सकती हूँ
आज ही करना है क्या
में ॐ नमः शिवाय का जप करती ज्यादा नहीं बस 11 माला
ठीक है आप सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि आज से आरंभ कर सकती है।
मैं आपको लिंक देता हूं जिसको आप पढ़ कर अपने घर पर शिव मंत्र के साथ आरंभ करें।
http://freedhyan.blogspot.com/2018/04/blog-post_45.html
Fb Yashodhara Sharma: जी बहुत बहुत धन्यवाद🙏
🙏🙏🙏
Jb Lokesh Sharma: 🙏🙏
Vashi Bhupesh Singh: 🙏
http://freedhyan.blogspot.com/2018/07/16.html?m=1
http://freedhyan.blogspot.com/2018/03/blog-post_28.html?m=0
Bhakt Gautam Swami R Y Rajput Noida: https://twitter.com/AadiyogiTrust/status/1304766504345321472?s=08
http://freedhyan.blogspot.com/2018/03/blog-post.html?m=0
Printer Raman Mishra: *स्वामी दयानन्द के योगदान के बारे में महापुरुषों के विचार*
डॉ॰ भगवान दास ने कहा था कि स्वामी दयानन्द हिन्दू पुनर्जागरण के मुख्य निर्माता थे।
श्रीमती एनी बेसेन्ट का कहना था कि स्वामी दयानन्द पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 'आर्यावर्त (भारत) आर्यावर्तियों (भारतीयों) के लिए' की घोषणा की।
सरदार पटेल के अनुसार भारत की स्वतन्त्रता की नींव वास्तव में स्वामी दयानन्द ने डाली थी।
पट्टाभि सीतारमैया का विचार था कि गाँधी जी राष्ट्रपिता हैं, पर स्वामी दयानन्द राष्ट्र–पितामह हैं।
फ्रेंच लेखक रोमां रोलां के अनुसार स्वामी दयानन्द राष्ट्रीय भावना और जन-जागृति को क्रियात्मक रूप देने में प्रयत्नशील थे।
फ्रेंच लेखक रिचर्ड का कहना था कि ऋषि दयानन्द का प्रादुर्भाव लोगों को कारागार से मुक्त कराने और जाति बन्धन तोड़ने के लिए हुआ था। उनका आदर्श है- आर्यावर्त ! उठ, जाग, आगे बढ़। समय आ गया है, नये युग में प्रवेश कर।
स्वामी जी को लोकमान्य तिलक ने "स्वराज्य और स्वदेशी का सर्वप्रथम मन्त्र प्रदान करने वाले जाज्व्लयमान नक्षत्र थे दयानन्द "
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने "आधुनिक भारत का आद्यनिर्माता" माना।
अमरीका की मदाम ब्लेवेट्स्की ने "आदि शंकराचार्य के बाद "बुराई पर सबसे निर्भीक प्रहारक" माना।
सैयद अहमद खां के शब्दों में "स्वामी जी ऐसे विद्वान और श्रेष्ठ व्यक्ति थे, जिनका अन्य मतावलम्बी भी सम्मान करते थे।"
लाला लाजपत राय ने कहा - स्वामी दयानन्द ने हमे स्वतंत्र विचारना, बोलना और कर्त्तव्यपालन करना सिखाया।
भारत में खड़ी बोली हिंदी के सूत्रधार स्वामी दयानंद सरस्वती जी थे। 1973 में कवि केशव सेन की सलाह पर उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश को बंगला में ना लिखकर हिंदुस्तानी हिंदी में लिखा।
जो हिंदी का हिंदुस्तानी हिंदी का पहला पुस्तक है।
बाद में चंद्रकांता संतति यह पहला उपन्यास कह लाया।
18 सौ 70 से लेकर स्वतंत्रता तक जो भारतीय इतिहास है वह आर्य समाज के बिना अधूरा है।
यहां तक की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के बाद हुई थी उनकी हत्या और महात्मा गांधी द्वारा हत्यारों का पक्ष लेना परम पूजनीय बलिराम हेडगेवार के मन को कचोट गई और उन्होंने 5 स्वयंसेवकों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की।
कुल मिलाकर हिंदुत्व जागरण का कार्य आर्य समाज में बहुत जोर शोर से किया राजा राममोहन राय तो अंग्रेजों के चमचे थे लेकिन स्वामी दयानंद सरस्वती अंग्रेजों के दुश्मन थे।
Jb Ashutosh C: ''Who is Helping you,don't Forget them.''
''Who is Loving you,don't Hate them.''
''Who is Believing you,don't Cheat them.''
https://twitter.com/vibhor_anand/status/1257246031709974528?s=09
This entire analysis was sent to me by a 50 year old First Year Law Student, For his safety I decided not to disclose his identity.
The Crux is next time you hear Azaan, Just go to the Police Station and register FIR under sections 153/153A/295A of IPC.
Maximum people in India should do it
http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/2.html?m=0
आसन की महत्ता पर चर्चा।
Bhakt Balwant Sharam Kurukhsetra: 🕉️🙏जब ध्यान पक जाता है,फिर किसी आसन की जरूरत नहीं होती,कैसी भी अवस्था मे हम हैं ध्यान लग जाता है,कहा है-- उठत,बैठत,सोवत,जागत भज नाम।सधे तेरे सब काम।आज कुछ सत्संग चर्चा का मन कर रहा है--बाणी गुरू अर्जुन देव जी की है-"हरि का सेवक सो हरि जेहा।भेद न जाणहु मानस देहा।।जिउ जल तरंग उठहि बहु भाती फिरी सललै सलल समाइदा"जब साधक इस अवस्था मे आ जाता है,तब उसे किसी मानस से न बैर रहता है न अधिक प्रेम,वह सब मे उस मालिक को देखने लग जाता है,होता ये तब है जब हमे पिछले प्रालब्द से कोई संत महात्मा मिल जाए व उस मालिक का समस्त भेद अपने सत्संग के जरिए हमें बता,नामदान की बख्सीस करे।तब साधक तत्व से उस परम शक्ति को तत् से जान,कण कण मे उसे ही देखने लगता है,हरि का सेवक फिर हरि जैसा ही हो जाता है,जैसे सागर की ऊँची ऊँची लहरे उठती हुई फिर सागर मे समा जाती हैं ऐसे ही एक भक्त अपने मालिक मे समा जाता है,हम ग्रुप मे जितनी चर्चा करते हैं उतना अमल नहीं,चर्चा ,सत्संग ये शुरूआत की सीढी है,सबसे महत्वपूर्ण भजन सिमरन है,गुरू के साए मे नीत भजन करने से सब सवालों के जवाब मिल जाएँगें,ज्यादा भटकने की जरूरत नहीं होती।ये वार्ता सत्संग नए साध के लिए जरूरी है।
आसन की आवश्यकता वहां पर नहीं है जहां आप यात्रा में हैं या नहीं कर सकते।
आसन की अपनी एक विशेष महत्ता होती है क्योंकि आसन गुरु प्रदत्त होता है तो उसमें हम सुरक्षित रहते हैं जिस प्रकार से माला एक अस्त्र होता है उसी प्रकार से आसन हमारे लिए सुरक्षा कवच है।
दूसरी बात आसन पर बैठना हमें गुरु के प्रति समर्पण सिखाता है।
इसलिए आसन की महत्ता कभी समाप्त नहीं हो सकती।
इसके विषय में प्रभु योगेंद्र विज्ञानी महाराज ने महा योग विज्ञान पुस्तक में बहुत विस्तार से लिखा है क्योंकि विभिन्न आसन का अपना अलग ही महत्व है।
जब तक हम योग की परिपक्वता तक नहीं पहुंचेंगे तब तक हमें आसन की आवश्यकता पड़ती रहेगी।
जय गुरुदेव जय महाकाली।
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🌸 बालसंस्कार वर्ग : *क्रांतिकारी जतींद्रनाथ दास !*
🌸 भावसत्संग : *प्रभु शरण में कटें भवबंधन*
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*प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।*
*तस्मात्तदेव वक्तव्यं , वचने किं दरिद्रता।।*
मीठी वाणी बोलने से सभी व्यक्ति प्रसन्न और संतुष्ट होते हैं इसलिए सदैव मधुर वचन ही बोलना चाहिए। वाणी हमारे अधीन है और इसका कोई मूल्य भी नहीं देना पड़ता तो मीठे वचन बोलने में दरिद्रता कैसी?
All the people are happy and satisfied by soft and sweet words, therefore always speak sweet words. We have control over our words and have not to pay any price for soft words, then why to be miser in saying sweet words?
*शुभोदयम् ! लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*
Fb Yashodhara Sharma: प्रणाम सर कल रात 10 बजे मैंने इसी विधि से जप किया था । क्या इस ग्रुप पे अपने अनुभव शेयर कर सकती हूँ।🙏
बिल्कुल शेयर करें ताकि और लोगों को भी मालूम पड़े और विश्वास हो मेरी कोई भी पोस्ट छुपी नहीं रहती है मैं सार्वजनिक बात करना पसंद करता हूं।
Fb Yashodhara Sharma: मैने विधि अनुसार मंत्र लिखके रखके जप शुरू किया तो कुछ देर सब सामान्य था फिर मेरे निचले शारीर में कम्पन होने लगा मैंने सोचा की मुझे जमीन पे बैठकर पूजा करने की आदत नहीं है मई स्टूल पे बैठकर करती हूँ।तो पाँव सो गया लगता है कई बार पहलू बदले फिर ठीक हो गया 10.30 के बाद मुझे लगा मै घूम रही हु बैठे बैठे गोल गोल मैंने इसे रोकना चाहा मुझे लगा कुछ हो रहा है ।मुझे याद आया की देवी मंदिर मई बचपन मैं लोगो को खेलते देखा था कही ऐसा तो नहीं होने जा रहा है ।एक क्षण रुका भी फिर वैसे ही होने लगा।बहुत जोर से नहीं था थोड़ा थोडा ही था।फिर मैंने माला छोड़ दी। हाथ जोड़ कर मंत्र जप करने लगी ऐसा लग रहा था जैसे कोई एनर्जी है मेरे सर के ऊपर माथे के बीच कुछ भी दिखाई नहीं दिया।🙏
बहुत सुन्दर।
आप जमीन पर बैठ कर यह करें।
डरें नहीं जो होताहै होने दें।
कुछ दिन पूरी प्रतिक्रिया करें।
अपना अनुभव बताती रहें।
जय गुरूदेव जय महाकाली।
आपने यह लेख पढ़ा था।
दोबारा ध्यान से पढ़ें।
माला गले में डाल लिया करें।
यह शक्ति का खेल है। जो प्रत्यक्ष अनुभव देता है।
मां शक्ति की लीला निराली है।
अब आप से निवेदन है आप औरों को भी आकर्षित करें ताकि सनातन के प्रचार कि आप सिपाही बनें।
क्योंकि इससे यह सिद्ध हो जाता है ईश्वर सत्य है है है।
बिना अनुभूति के किसी को यकीन नहीं होता क्योंकि यह कलयुग है।
http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/3.html?m=0
*मन्दोऽप्यमन्दतामेति संसर्गेण विपश्चितः।*
*पङ्कच्छिदः फलस्येव निकषेणाविलं पयः॥*
बुद्धिमानों के साथ से मंद व्यक्ति भी बुद्धि प्राप्त कर लेते हैं जैसे रीठे के फल से उपचारित गन्दा पानी भी स्वच्छ हो जाता है।
Even a dull person becomes sharp by keeping company with the wise, as turbid water becomes clear when treated with the dust-removing fruit of 'Reetha'.
*शुभोदयम् ! लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*
Swami Toofangiri Bhairav Akhada: ⛳ *सुप्रभात🌞वन्दे मातरम्*⛳
*जिस मनुष्य की बुद्धि दुर्भावना से युक्त है तथा जिसने अपनी इंद्रियों को वश में नहीं रखा है, वह धर्म और अर्थ की बातों को सुनने की इच्छा होने पर भी उन्हें पूर्ण रूप से समझ नहीं सकता, एवं उसके लिये धर्म की बातें ही व्यर्थ है।*
दिन मंगलमय हो🐌
+91 96374 62211: *हिन्दू धर्म की महानता समझानेवाले और भक्तिभाव बढानेवाले ऑनलाइन सत्संग*
🌸 भावसत्संग : *प्रायश्चित एक तपश्चर्या*
🌸 बालसंस्कार वर्ग : *राष्ट्रभाषा हिन्दी पर गर्व करें (हिन्दी राजभाषा दिन !)*
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K lko dr kailash nigam: हिन्दी पर मेरा यह छंद पढि़ए और हिन्दी अपनाइये ।
K lko dr kailash nigam: जय हिंद जय हिन्दी जय हिंदुस्तान । आपका- कैलाश निगम
+91 96374 62211: हमारी जीवनशैली हमें आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रभावित करती है और यह भी सत्य है कि हमारी आध्यात्मिक प्रकृति हमारे द्वारा बनाई गई जीवन शैली के विकल्पों को निर्धारित करती है । हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण कारक वे लोग हैं जिनकी संगति में हम रहते हैं । प्रायः, हम उन लोगों से अत्यधिक प्रभावित होते हैं जिनके साथ हम सबसे अधिक समय व्यतीत करते हैं । और समय के साथ, हम उन लोगों के जैसे हो जाते हैं, जिनसे हम जुडे होते हैं । इस कारण जितना संभव हो, हमें उस संगति के प्रति सचेत रहना चाहिए।
इस SSRF लेख में हमारी जीवन शैली के उन पहलुओं पर चर्चा की गई है, जो हमारे मूल आध्यात्मिक प्रकृति से प्रभावित होता है । इसमें वे लोग सम्मिलित हैं, जिनसे हम जुडे होते हैं, हम जो भोजन करते हैं तथा हम जो वस्त्र पहनते हैं : http://bit.ly/सत्व-रज-तम
इसी प्रकार, साधना के माध्यम से अपने स्वभाव में सुधार करके, हम अपने आस-पास के सभी लोगों पर एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। साधना के माध्यम से स्वयं में सुधार लाने के बारे में अधिक जानकारी के लिए, SSRF की स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया के बारे में यहाँ पढ़ें : http://bit.ly/स्वभावदोष-निर्मूलन-साधना
K shardendu shukla: https://youtu.be/6NyFNldjlYU
Vs Prakash Kashyap: हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है।
(सुमित्रानंदन पंत)
Swami Prkashanand Shivohm Ashram Mathura: https://www.facebook.com/100029909290698/posts/363831561290484/?sfnsn=scwshmo&extid=4TkWD9DrCYOjg93a
Jb Lokesh Sharma: Isme judiciary mein badlav Aavashyak hai, supreme court should start hearing cases in Hindi
Should give English an option for south states
Goa etc.
+91 83186 16962: Hindi or regional language but problem is for non language personal, I my self is facing same issue, I own a flat in Bengaluru and in Karnataka , every office is following Kannad language, all the forms and certificates will be in local language even my sale deed is not in English, so it's difficult to understand, what have I signed...
Even college forms are in Kannada...
There is a problem, connecting language is either Hindi or English..
मित्रों कुछ लोगों की शिकायत है कि वह मेरे ब्लाग की और लेख नहीं देख पाते हैं तो उनको मैं बताना चाहता हूं आप अपने मोबाइल पर जब साइट खोलते हैं तो सबसे नीचे जहां होम लिखा है उसके भी नीचे लिखा हुआ है वेब वर्जन web version.
जब आप इसे क्लिक खोलेंगे तो दाहिने तरफ वर्ष और माह के पूरी सूची दी हुई है।
जिस पर क्लिक कर आप मनचाहा लेख प्राप्त कर सकते हैं।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/4-bhakt-parv-mittal-hariyana.html?m=0
Jb Lokesh Sharma: Wait sometime Hindi will cover all India, I visited Assam and Bengal typical rural areas but they understand & speak Hindi well, next will be Administration issue of applying in Schools so this will take 10-15 years
आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप 4 सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 37 (वेद महावाक्य)
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