मां तेरी जय हो जय हो जय हो।
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विपुल लखनवी नवी मुंबई।
तेरे चरणों में लीन रहूं गर मृत्यु मुझे जो आए मां।
तेरी सुंदर छवि सामने हो जो मृत्यु मुझे बुलाए मां।।
हर जन्म में तेरा साथ मिले तेरी अनुकंपा बनी रहे।
मेरी न कोई इच्छा हो यदि जग मुझको बिसराये मां।।
तेरी सुंदर छवि सामने हो जो मृत्यु मुझे बुलाए मां।।
हर जन्म में तेरा साथ मिले तेरी अनुकंपा बनी रहे।
मेरी न कोई इच्छा हो यदि जग मुझको बिसराये मां।।
तू जो करती मां वही करे तुझको न कोई रोक सके।
पर यह विनती इस बालक की चरणों में लीन भुलाए मां।।
तूने मानव का जन्म दिया और तीर्थ शिवओम सा गुरुवर मिला।
अब न कोई इच्छा बाकी जो मैं तुझसे गुहराऊं मां।।
पर यह विनती इस बालक की चरणों में लीन भुलाए मां।।
तूने मानव का जन्म दिया और तीर्थ शिवओम सा गुरुवर मिला।
अब न कोई इच्छा बाकी जो मैं तुझसे गुहराऊं मां।।
तेरी भक्ति का अमृत पिया मां दर्शन तूने दे डाला।
मुझ अधम पतित पापी को मां कोई भय न सताए मां।।
हर सांस पर तेरा नाम जपुं हर पल चरणों में लीन रहूं।
यही विनती कर बार बार यही गीत दुहराऊं मां।।
है दास विपुल ने देख लिया जीवन क्षणभंगुर सपना है।
तू ही बस केवल सत्य है मां बाकी सब मिथ्या सपना है।।
ज्ञान ध्यान विज्ञान जगत सब तूने ही दे डाला मां।
नतमस्तक तेरे आगे हूं अब बलिहारी मैं जाऊं मां।।
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