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Wednesday, September 16, 2020

समापन के सिपाही

 समापन के सिपाही

कवि विपुल लखनवी नवी मुंबई।

भारत की संस्कृति पर लिखी कैसी काली स्याही है।

भारतवंशी जाग उठे अब हर बच्चा बना सिपाही है।।

हमको मुगलों ने था लूटा फिर अंग्रेज लूट गए।

फिर हमको अपनों ने लूटा भाग्य हमारे फूट गए।।

अब हम न लूटने देंगे अपनी कला और संस्कृति को।

उसको नष्ट करेंगे मिलकर जमी जो काली काही है।।


भारतवंशी जाग उठे अब हर बच्चा बना सिपाही है।।


हमको अंधेरे में था रखा दुश्मन महान बनाया था।

हीन भावना हम में भरकर यह इतिहास पढ़ाया था।।

सारे षड्यंत्र टूट चुके अब गद्दारों को जान लिया।

सबके चेहरे अब देखते हैं सबने मुंह की खाई है।।


भारतवंशी जाग उठे अब हर बच्चा बना सिपाही है।।


भारत विश्व का सूरज ही था काले मेघों ने घेरा था।

वाणी भी नीलाम हुई थी सांसों पर भी पहरा था।।

अब सब कुछ ही दिखता है जब हम थोड़े सबल हुए।

अब षड्यंत्र सफल न होए बीड़ा यही उठाई है।।


भारतवंशी जाग उठे अब हर बच्चा बना सिपाही है।।


कलम विपुल की जय बोलेगी संस्कृति पर अभिमान करें।

हम भी योद्धा भारत मां के उसका ही गुणगान करें।।

नष्ट करेंगे दुश्मन को हम शपथ यही भी खाई है।

कलयुग नष्ट होता दिखता है सतयुग की परछाई है।


भारतवंशी जाग उठे अब हर बच्चा बना सिपाही है।।


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