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Wednesday, September 16, 2020

आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप 4 सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 37 (वेद महावाक्य)

आत्म अवलोकन और योग: ग्रुप 4 सार्थक ज्ञानमयी चर्चा: भाग 37  (वेद महावाक्य)


फेसबुक उठापटक चर्चा।

गीता (18/61) -

"ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति"।

😇

ईश्वर अनाहत (हृदय) चक्र में प्रत्यक्ष होता है, ध्यान-योगी के ध्यान में।

सुशील जालान।

प्रभु जी इस श्लोक में चक्र कहां लिखा हुआ है।

हे अर्जुन ईश्वर सभी भूतों के हृदय में निवास करता है।

बिना वेद महावाक्य अनुभूति कोई ब्रह्म विद्या नहीं होती।

यह अनुभूति ही ज्ञान योग और ब्रह्म विद्या है।

Vipul Luckhnavi Bullet

श्रीमद्भगवद्गीता योग शास्त्र है ब्रह्म विद्या का.... हृदय/अनाहत चक्र इसी से समझ में आता है। 🌷

Sushil Jalan जय हो प्रभु मैं कुछ टिप्पणी नहीं कर सकता।

इतना ही कहूंगा नीम हकीम खतरे जान।

यही सनातन का दुर्भाग्य है कि लोग पढ़ कर के और कुछ थोड़ी बहुत अनुभूति करके ज्ञानी हो जाते हैं।

दुनिया को समझाना बहुत मुश्किल है क्योंकि हर एक की सोच का इस स्तर अलग है।

मित्र एक निवेदन करूंगा थोड़ा और आगे बढ़ लो और पढ़ लो फिर सनातन का प्रचार करो तो बेहतर रहेगा।

जय हो प्रभु जय हो।

🙏🙏🙏🙏

Vipul Luckhnavi Bullet

बताइये और क्या पढूं, ब्रह्म विद्या के अलावा, और कौन सी अनुभूति करुं 🌷

Sushil Jalan आपको किस वेद महावाक्य का अनुभव हुआ है।

बिना वेद महावाक्य अनुभूति कोई ब्रह्म विद्या नहीं होती।

यह अनुभूति ही ज्ञान योग और ब्रह्म विद्या है।

Vipul Luckhnavi Bullet

चार हैं 🌹

Sushil Jalan सर जी अनुभव किसका हुआ।

Vipul Luckhnavi Bullet

प्रथम अनुभव होता है, अयं आत्मा ब्रह्म, फिर तत्त्वमसि, और तब, अहं ब्रह्मास्मि, अन्त में सर्वं खल्विदं ब्रह्म। एक और स्थिति भी है, प्रज्ञानं ब्रह्म।

Sushil Jalan सर आपको कौन सा हुआ।

फिर वार्ता लाप आगे बढ़े।

Vipul Luckhnavi Bullet

ध्यान-योगी हूँ..... अनेक अनुभव हैं🌹

Sushil Jalan सर बात स्पष्ट करें। मैं वेद महावाक्य पूछ रहा हूं।

Vipul Luckhnavi Bullet

मेरी टिप्पणी देखें 🌹

Sushil Jalan मतलब चारों के अनुभव।

Vipul Luckhnavi Bullet

जी 🌷

Sushil Jalan बाप रे। आप तो महायोगी हो गये।  

मतलब सिद्धियां भी मिल गई होंगी।

अच्छा सर यह बताइए कि जब अहम् ब्रह्मास्मि का अनुभव होता है तो शरीर में क्या परिवर्तन होते हैं।

बस ऐसे ही पूछ रहा हूं।

मतलब इस संबंध में शरीर की तन मन की क्या अवस्था हो जाती है।

आप तो महायोगी है थोड़ा समझा दीजिए।

चारों महावाक्य के अनुभव एक से होते हैं कि अलग-अलग होते हैं यह भी मुझे जानना था।

थोड़ा विस्तार से बताएं मेरी बुद्धि बहुत कम है।

Vipul Luckhnavi Bullet

यह समझना इतना आसान नहीं है। जब कुछ साधना उपासना करेंगे तब ही समझ में आ सकता है। 🌷

Sushil Jalan वैसे सर जी आप बहुत ऊंची फेंकते हैं। चारों वेद महावाक्य के अनुभव यह शायद पूरी धरती पर गिनती के लोगों को होगा।

सन्यास दीक्षा में अहम् ब्रह्मास्मि की दीक्षा दी जाती है और यह अनुभव करने के बाद ही वह योगी की श्रेणी में आ जाते हैं। पूरा जीवन बीत जाता है तब यह अनुभव हो पाता है वो भी पूर्व जन्म की साधनाएं और प्रभु या गुरू कृपा हो। और वह भी और आप चारों के अनुभव हो गए। आपके कर्म और लिखावट का वह स्तर नहीं है।

अध्यात्म में मनुष्य को सत्य बोलना आना चाहिए। आपने वेद महावाक्य भी नेट से देखकर अटपटे तरीके से लिखे।

वेद महावाक्य चार होते हैं पांचवा सार वाक्य होता है।

पहला होता अहम् ब्रह्मास्मि जिसमें कि यह अनूभव होता है कि हम ही ब्रह्म है हम ही दुर्गा हैं हम ही काली है शिव हैं और यह पूरे शरीर को झन्ना देता है। साथ ही मन बुद्धि सभी से ऐसा प्रतीत होता है कि मैं शक्तिमान ब्रह्म हूं। यह अवस्था कुछ समय तक रहती है। किन्तु बहुत ज्ञान दे जाती है। यहां तक गीता वह सब स्वत: प्रकट होकर प्रकट हो जाते हैं।

दूसरा होता है एवं अयम आत्मा ब्रह्म। जिसमें कि यह अनुभव होता है अचानक से ऐसा लगता है अरे यह क्या है मैं जिसको कहां-कहां तलाश रहा था वह तो मेरी आत्मा ही है यह पहले से अलग होता है। और आपके अंदर से कोई आपको समझाने लगता है।

तीसरा होता है तत्तवम् असि। यह लोग सद्गगुरू जग्गी रमण महर्षि को हुआ था।और इसे आत्म विस्तार का अनुभव होता है जिसको की श्यामाचरण लहरी महाराज को भी हुआ ना।

चौथा होता है प्रज्ञानं ब्रह्म। जोकि यह समझ में आता है कि मेरे पास जो कुछ भी बुद्धि है जो कुछ भी समझ है वह सब तो उसी का है वह ब्रह्म की ही देन है और जो सार वाक्य होता है। सर्वखल्विदं ब्रह्म।

यानी ऊपर नीचे चारों ओर तू ही तू। जिससे मैं कहता हूं सर्वस्व ब्रह्म सर्वत्र ब्रह्म।

Sushil Jalan सर आध्यात्म में दिखावा नहीं होना चाहिए। यह योग होने की पहली शर्त है।

जिसको अनुभव हो जाते हैं वह अपने नाम के आगे योगी नहीं लगाता है क्योंकि उसको जगत के किसी भी पद से लगाव नहीं रहता है। आपने अपने आप को कोई योगी बोल दिया ध्यान योगी।

आपकी प्रशंसा करी तो आप उसको लाइक कर रहे हैं यह कोई योगी कभी नहीं कर सकता।

क्योंकि यह अहंकार का प्रतीक है।

Vipul Luckhnavi Bullet परस्पर ज्ञानी पुरुषों की चर्चा परिचर्चा  सुनने में अज्ञानियों को भी ज्ञान प्राप्त होता रहता है  आप दोनों महानुभावों से प्रश्न है कि अगर ध्यान में कुछ क्षणों तक सप्त चक्रों के दर्शन हो तो इसको कौनसी अवस्था कहेंगे ।

Ajay Sharma यह है चक्रों की दर्शना भूति मात्र है इससे और आगे कुछ नहीं यह ध्यान की प्रगाढ़ता को दर्शाता है।

K Babu Ghayal: 💐💐💐💐💐💐

*श्रीकृष्णम वन्दे जगदगुरूम*

✍️✍️✍️✍️✍️✍️

माखन कैसे खा जातें हैं- *श्रीकृष्णा*।

कहीं छुपाओ,पा जाते हैं- *श्रीकृष्णा*।

कब आते हैं,कब जाते हैं,पता नही।

भोग लगाकर भग जाते है- *श्रीकृष्णा*।

🥁🥁🥁🥁🥁🥁

        *गीतेश्वर बाबू*

हिंदी दिवस के अवसर पर सभी कवियों को एक विशेष मौका है की कुछ कविताएं अच्छी सी पोस्ट कर दें।

लेकिन किसी ने पोस्ट नहीं करीं।

😞😞

*वाणी रसवती यस्य,यस्य श्रमवती क्रिया ।*

*लक्ष्मी: दानवती यस्य सफलं तस्य जीवितम् ।।*

जिसकी वाणी रसपूर्ण हो, कर्म-क्रिया श्रमवान हो, और लक्ष्मी दान वृत्ति  हो, उसका जीवन निश्चित ही सफल होता है ।

Who always talks sweetly, polietly, who is hardworking, diligent and who is having a big heart, magnanimous... will always have a prosperous &  successful life.

*शुभोदयम्! लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*

Swami Toofangiri Bhairav Akhada: *....✍🏻 "संत वाणी"*

 *मत बन खुदा किसी के लिए,*

*बस....! इंसान बन जा इंसान के लिए...*

🙏🏻  *राम राम जी* 🙏🏻

Jb Ashutosh C: We often don't express our feelings for fear of loosing a relationship ,but fact is,we often loose a beautiful relationship by not expressing our feelings......!

+91 96374 62211: 👉 _अवश्य देखें !_

*हिन्दू धर्म की महानता समझानेवाले और भक्तिभाव बढानेवाले ऑनलाइन सत्संग*

🌸 भावसत्संग : *इच्छाओं का त्याग ही सर्वोपरि त्याग*

*संत बहिणाबाई*

विशेष संवाद : *प्राचीन भारत - 'टेक्नोलाॅजी' में प्रगत भारत*

▫️ Youtube.com/HinduJagruti

▫️ Fb.com/HinduAdhiveshan

Fb Yashodhara Sharma: नमस्कार सर

कल कुछ प्रतिक्रिया नहीं लिख पायी परसो रात के ध्यान में  कुछ विशेष हुआ भी नहीं था । में आगे पीछे हिल रही थी बस।कल दिन मैं काम की काफी ज्यादा व्यस्तता रही लौट भी देर से पायी तो कल रात 10 बजे बैठने का मन नहीं किया सो सभी के साथ कुर्सी पे ही बैठी थी।10 :15बजे  कुछ बैचैनी सी लगी मैं वही बैठे बैठे उँगलियों पे ही जाप करने लगी मैं फिर हलके हलके  कभी आगे पीछे कभी दायें बाएं हिलने लगी  फिर केवल सर गोल गोल घूमने लगा। 10:45 मैं उठ गयी इस बीच मैं ध्यान में नहीं थी सबसे बात कर रही थी।

 आज सुबह 3 :45 मेरी नींद खुल गयी कुछ बैचैनी फिर लगने लगी में जप करने लगी ।फिर लेटे लेटे में हिलने लगी। फिर सर हिलने लगा।फिर नींद आ गयी ।सोकर उठी तो सर भारी था ।पूजा करने बैठी तो फिर सर गोल गोल घूमने लगा । ब्रेकफास्ट करने लगी तो टेबल पे भी आगे पीछे हिलने लगी।अब भी सर भारी है ।  जैसे ही खुद को ढीला छोड़ती हु सर गोल गोल घूमने लगता है

थोड़ी उलझन हो रही है सब स्टाफ के लोग देखेंगे मैडम क्या कर रही है।घर में सब देखेंगे ।ये क्या है मैं किस प्रकिया से गुजर रही हूँ।कोई भूत प्रेत के वष मई तो नहीं हो गयी हूँ।मेरा सर का बैलेंस जैसे बिगड़ गया लगता है

Lko mukesh: जितनी गहरी हो सके साँस लें। हो सके तो 15 मिनट ज़रूर करें। सम्भवतः लाभ होगा

देखिए आप घबराइए बिल्कुल नहीं। यह शक्ति जागरण के लक्षण हैं।

आप बैठे-बैठे लेट जाया कीजिए।

और जब भी होने लगे तो आंख बंद करके शक्ति से प्रार्थना कीजिए कि हे मां इस समय मैं अन्दर कार्य में हूं कृपया मुझे लीला मत दिखाएं।

एक बात याद रखिए मां शक्ति का अपमान मत कीजिएगा।

वैसे अब आप शक्तिपात दीक्षा लेने लायक हो गई है।

अब आपको ही स्पष्ट हो गया कि हम कौन हैं क्योंकि आपके न चाहने पर भी अंदर कोई शक्ति कार्यरत  है।

इस शक्ति के कई नाम है इसी को शिव शक्ति दुर्गा शक्ति प्रभु शक्ति कुंडलिनी शक्ति तमाम नामों से पुकारा जाता है।

यह शक्ति हमको साक्षात अनुभूति और अनुभव कराती है कि हे मानव तू मूर्ख है तू कुछ नहीं कर रहा है करने वाला तो कोई और है जो तेरे अंदर विद्यमान है।

अब आपको शक्ति पर यकीन होने लगेगा और जो चर्चा आपने फेसबुक पर देखी होगी हमारे द्वारा उसको अब आप सही मानने लगी होंगी।

सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि का निर्माण भगवान श्री कृष्ण ने करवाया था और उसको मां काली का आशीर्वाद है।

लेकिन कलियुग में नकली के बीच में कोई यकीन नहीं करता है।

आप बहुत भाग्यशाली है कि आपको 1 दिन में अनुभव हो गया।

देखिए आप बिल्कुल डरिए नहीं मैं आपसे कह रहा हूं।

शक्तिपात की साधना हम लोग एकांत में करते हैं क्योंकि दुनिया जो है इसको पागलपन समझती है।

मैं आपसे मिला भी नहीं मैंने आपको देखा भी नहीं मात्र व्हाट्सएप के माध्यम से आपकी शक्ति जागृत हो गई।

फेस बुकपर 99 पॉइंट 99% लोग नकली झूटे हैं।

बस केवल पैसे के लिए पद के लिए प्रचार के लिए इधर उधर से पढ़ कर के लोगों को बहकाते हैं।

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Hello Madam, please suggest when can we talk?

Fb Yashodhara Sharma: बताइये

मैं ऑनलाइन हूँ

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: I will call you in sometime

Yogendra.

Pl talk in public so that other can get attraction to sanatan power.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Ok

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: You don't have to be worry about it, it's a process to clear all your prior birthday karma

Pl also tell how you were cheated by earlier guru.

Then you came in my contact through this group and you Got shaktipat dixa recently.

ओके

Fb Yashodhara Sharma: क्या दीक्षा के कुछ नियम भी होते है ।माने दीक्षा लेने के बाद का लाइफ स्टाइल

मुझे स्वयं अंदाज नहीं था इतनी जल्दी प्रभाव उत्पन्न हो जायेगा

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: So let me tell you about me a little bit. I have been in the spritual journey for last 17 years, I have been cheated by many people in the name of Guru I have spent my harden money however not got the desired results, then one fine day I decided to do the Sadhana by myself without any guru

I have many Sadhan and had many good experience also, now even I know that I have spent my last birth good amount of time with Maharashtra Babaji, I remember many events which I spent with him

 As you all now spiritual journey without Guru is like train without driver, I have been doing some sadhana like Baglamukhi, Apsara, etc

Also I was in great need of a Guru Who can fullfill my spiritual desire and I had invoked a mantra from one of the old Vedas to call the Guru, and during that course of action I meet Vipul ji on Facebook and speak with him and share my desire for the Guru

Fb Yashodhara Sharma: आप वाममार्गी तो नहीं है। मैं तंत्र में जाना नहीं चाहती हूँ।

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: He understood my pain and then he refer me to Guru Mata and the grace of God and Guru Maa and Babaji I have initiated in the Shaktipath Deeksha last month, I had great experience which I can't revel in the group but I am enjoying the spritual journey after the Shaktipath Deeksha

I am doing my sadhana as per given by Guru maa

Fb Yashodhara Sharma: Thanks for sharing your experiences and also to motivate me🙏

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Shaktipath is not Vaam margi sadhana

Fb Yashodhara Sharma: Any change in your life style after shaktipat Deeksha

Means if there any rules and regulations for following it our lives

In our lives

Mam

You are not only one.

At least 200 people did it. I have list of many of them.

Beauty is that I never met them but they all came in my contact did mmstm and got Dev darshan too.

After some time i send them to shaktipat gurus.

List includes engineer industrialist doctors and reiki experts even.

Bhakt Gautam Swami R Y Rajput Noida: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4393117610730077&id=430486686993209&sfnsn=wiwspmo&extid=ZH3WBRAUpEFk0Uli

If you want i can tell them to console you.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: No rules and regulations only just do u sadhana and chant ur guru Mantra rest will happen automatically

My only intention is that your puja and dhyan has given you fruits.

Which are valuable in spritual path.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Also I am running an IT company in delhi

Boss. She is new and did mmstm only one day and got kriya.

I will decide her in few days where to send for dixa.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Wow it's a wonderful news

Ok

Mam where did you stay and what is your job.

I can arrange your dixa During navratri.

Have you read article on shaktipat.

Fb Yashodhara Sharma: I am principal in a degree college at varanasi

Yes

Good. Then you must had seen it.

Oh great city of tailang swami and lahri maharaj with Ramkrishna and kinaram.

🙇🏻♀️🙇🏻♂️

Fb Yashodhara Sharma: Yes

Tailang swami guided my param guru.

Fb Yashodhara Sharma: Great

The great saint of kashmir lal was from my tradition.

Aadi guru shankaracharya came to my guru and requested him 7 times to get shree vidya but my guru did not accept it. But finally he accepted.

Very rare people knows shree mantra actual.

I know it but i don't to.

What will i do with luxury or wordly happiness.

Fb Yashodhara Sharma: Great

Aap vam margi hai?

http://freedhyan.blogspot.com/2020/09/blog-post_20.html?m=0

We are father of any Marg.

Our tradition is highest presently.

Known as shaktipat, stated by lord Shiva.

Vasistha gave shaktipat to ram.

Ashtavrak gave shaktipat to raja janak.

We are presently from seven rishis like vishvamitra and jamadagni maharishi.

Who drives this world.

I know it is difficult to believe.

Our tradition gives direct realization of God.

This is very very rare tradition. Came in lime light because of we people.

Don't worry we are pure satvik and satya guni upasak.

No garlic onion or any thing.

Gs Bhakt Yogendra Rajput Noida: Just to give you confidence, I have 2 daughters one is 7 and another is 5 both is doing Sachal man and my elder one even speak to Krishana ji

So you don't have to worry just live this amazing movements

Vashi Bhupesh Singh: 🙏 : Amazing

Fb Yashodhara Sharma: 🙏

 क्या आदमी की मृत्यु होने के तुरंत बाद आत्मा नया शरीर धारण कर लेती है?

*दानं होमं दैवतं मङ्गलानि प्रायश्चित्तान् विविधान् लोकवादान्।*

*एतानि यः कुरुत नैत्यकानि तस्योत्थानं देवता राधयन्ति॥*

*जो व्यक्ति दान, यज्ञ, देव -स्तुति, मांगलिक कर्म, प्रायश्चित तथा अन्य सांसरिक कार्यों को यथाशक्ति नियमपूर्वक करता है ,देवी-देवता स्वयं उसकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं ।*

The person who donates charity, sacrifice, devotion, Manglik karmas, atonement and other cultural activities, according to the rules, Goddess himself paves the way for his advancement.

*शुभोदयम -लोकेश कुमार वर्मा (L K Verma)*


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