आफत पर्यावरण की
सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"
विपुल सेन उर्फ विपुल “लखनवी”,
उलीच ली नदियां। खोद लिए पहाड़।।
आत्मा को मारकर। सजा लिया हाड़।।
काट दिए पेड़। ऊँन हेतु भेड़।।
पानी की चोरी । तोड़ डाली मेड़।।
पक्की सड़क । बड़ा सा मकान।।
प्यासी धरती । सूखे खलिहान।।
मरते है कुएं। ऊंची दुकान।।
हाथी को मारा। हाथी दांत पाया।
फिर बस उसी से। हाथी बनाया।।
बच्चों का खिलौना। उन्हें समझाया।।
कैसा यह खेल। विपुल समझ न आया।।
लालच की चाह। पात्र है खाली।।
अंडे का लालच। मुर्गी काट डाली।।
यही है उत्थान। नया है विज्ञान।।
हम तो है पुराने। नया युग महान।।
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